New Delhi, 21 अगस्त (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम 4 मिशन से लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को कहा कि अंतरिक्ष से भारत सारे जहां से अच्छा दिखता है।

 शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन की सफल समापन तक के अपने सफ़र के बारे में बताया

शुभांशु शुक्ला ने राष्ट्रीय मीडिया सेंटर में पत्रकार वार्ता में एक्सिओम-4 मिशन की शुरुआत से लेकर उसके सफल समापन तक के अपने सफ़र के बारे में बताया। इस दौरान केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह और इसरो के अधिकारी भी मौजूद रहे।

शुक्ला ने कहा कि चाहे कोई कितनी भी ट्रेनिंग क्यों न ली हो, उसके बाद भी जब आप रॉकेट में बैठते हैं और इंजन के शुरू होते ही एक बहुत ही अलग एहसास होता है। उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। यह अनुभव अविश्वसनीय, सफर रोमांचक और अद्भुत था। उन्होंने सरकार, इसरो, वैज्ञानिकों और नागरिकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस मिशन को संभव बनाया।

अंतरिक्ष यात्री शुक्ला ने कहा कि यह मिशन भारत की वैज्ञानिक क्षमता और वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग का एक सशक्त प्रमाण है। अंतरिक्ष में बिताए गए हर पल ने न केवल तकनीकी उत्कृष्टता का अनुभव कराया, बल्कि मानवता के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले।

New Delhi, 19 अगस्त (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा से लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने सोमवार शाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनके आवास लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात कर अपने अंतरिक्ष मिशन के अनुभवों की विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष मिशन से जुड़ी कई उत्सुकताओं और स्पेस मिशन के लिए भारतीय आकांक्षाओं को लेकर बातचीत की। मंगलवार को प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया एक्स पर इस मुलाकात का वीडिया अपलोड किया है।

प्रधानमंत्री मोदी और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की बातचीत का ब्यौरा इस प्रकार है-

आप जब अंतरिक्ष में जाते हैं तो कैप्सूल में सीटिंग अरेजमेंट वैसा ही रहता है और पूरे 23-24 घंटे उसी स्थिति में निकालते हैं?

-हां सर, लेकिन एकबार जब आप अंतरिक्ष में पहुंच जाते हैं आप सीट खोल कर उसी कैप्सूल में आप मूव कर सकते हैं…इधर-उधर चीजें कर सकते हैं…

इतनी जगह है होती है उसमें?

-इतनी तो नहीं लेकिन थोड़ी बहुत है।

यानी फाइटर जेट कॉकपिट है उससे ज्यादा है?

-उससे तो अच्छा है लेकिन पहुंचने के बाद काफी कुछ चेंजेज होते हैं लेकिन चार ांच दिन में बॉडी नार्मल हो जाती है, फिर जब आप वापस आते हैं फिर वही दोबारा से चेंजेज… मतलब आप चल नहीं सकते वापस आते हैं चाहे कितने भी स्वस्थ हों …मैं मुझे बुरा नहीं लग रहा था.. जब पहला कदम रखा तो गिर रहा था तब लोगों ने पकड़ रखा था… फिर दूसरा.. तीसरा …हालांकि मालूम है कि चलना है लेकिन वो ब्रेन जो है वो उसको टाइम लगता है, वापस समझने में कि अच्छा अब ये नया वातावरण है..

यानी सिर्फ बॉडी का ट्रेनिंग नहीं है, माइंड का भी ट्रेनिंग है?

-माइंड का ट्रेनिंग है सब… बॉडी में ताकत है… मांसपेशियों में ताकत है… लेकिन ब्रेन की री वायरिंग होनी है उसे दोबारा से ये समझना है कि ये नया एन्वायरमेंट हैइसमें चलने के लिए इतनी ताकत लगेगी।

स्पेस स्टेशन पर सबसे ज्यादा समय कितना बिताने का है?

-इस समय सबसे ज्यादा समय 8 महीने का है …इसी मिशन से शुरू हुआ है कि लोग 8 महीने तक रहेंगे।

मूग और मेथी का प्रयोग कैसा है?

-बहुत अच्छा है…फूड बहुत बड़ा चैलेंज से स्पेस मिशन पर… जगह कम है…. कम से कम जगह में ज्यादा से ज्यादा न्यूट्रीशन आपको पैक करने की हमेशा कोशिश रहती है और हर तरह से प्रयोग चल रहे हैं…और इनको उगाना बहुत सिंपल है… रिसोर्स नहीं चाहिए.. छोटी से जगह में छोड़ दीजिए… आठ दिनों में अंकुरित होना शुरू हो गए थे… मिशन में ये देखने को मिले… जैसे हमारे देश की विशेषज्ञता है … जैसे ही हमें माइक्रो ग्रेविटी में पहुंचने का मौका मिला ये वहां पहुंच गए।

पहला कोई भारतीय आया… भारतीयों को देखकर उनके मन में क्या रहता है… क्या पूछते हैं, क्या बात करते हैं?

-मेरा पर्सनल अनुभव बहुत अच्छा रहा… जहां भी गया सभी लोग मिलकर बहुत खुश हुए… बात करनें उत्सुक थे… यह पूछने में कि आप लोग क्या कर रहे हैं…कैसे कर रहे हैं…सबसे बड़ी बात कि सबको मालूम था कि भारत स्पेस के क्षेत्र में क्या कर रहा है… मुझे ज्यादा तो कई लोग गगनयान के बारे में इतने एक्साइटेड थे कि मुझसे आकर पूछते थे कि आपका मिशन कब जा रहा है… मेरे ही क्रूू मेट जो मेरे ही साथ थे मुझसे साइन करवा कर मुझसे लिखकर ले गए कि जब भी आपका गगनयान जाएगा आपको भी इन्वाइट करेंगे लॉन्च के लिए। मुझे लगता है कि बहुत ज्यादा उत्साह है।

होमवर्क जो दिया था उसमें क्या प्रोग्रेस है-हां काफी प्रोग्रेस है… लोग हंसे थे कि प्रधानमंत्री ने आपको होमवर्क दिया है… बहुत जरूरी है। मुझे इस बात का आभास है… मैं गया ही इसलिए था। मिशन सफल रहा है लेकिन यह मिशन का अंत नहीं है, यह शुरुआत है। आपने भी बोला था कि यह पहला कदम है। इस पहले कदम का उद्देश्य ही यही था कि हम कितना कुछ सीख सकते हैं।

सबसे बड़ा काम होगा हमारे सामने कि अंतरिक्ष यात्रियों का एक पूल होना चाहिए हमारे पास… हमारे पास 40-50 लोग रेडी हों इस प्रकार का… अबतक तो शायद बहुत कम बच्चों के मन में होता होगा लेकिन आपकी सफलता के बाद शायद वह विश्वास भी बढ़ेगा आकर्षण भी बढ़ेगा

-जब मैं छोटा था तब राकेश शर्मा सर गए थे पर एस्ट्रोनॉट बनने का सपना कभी मन में नहीं आया क्योंकि हमारे पास कोई प्रोग्राम नहीं था …लेकिन मैं जब इसबार गया स्टेशन में… तीन बार सामूहिक रूप से कार्यक्रमों में बच्चों से बातचीत की… तीनों कार्यक्रमों में बच्चे पूछते थे कि मैं कैसे एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। मैं समझता हूं कि यह अपने देश के लिए अपने आप में सफलता है… आज के भारत में उसको सपने देखने की जरूरत है क्योंकि उन्हें मालूम है कि यह मुमकिन है.. मौका है… ये मेरी जिम्मेदारी है कि मुझे मौका मिला कि मैं अपने देश को रिप्रजेंट कर पाया हूं और अब मेरी जिम्मेदारी है कि मैं ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को यहां तक पहुंचाऊं।

स्पेस स्टेशन और गगनयान, अब ये हमारे बड़े मिशन हैं…उसमें आपका अनुभव बहुत काम आएगा।

-मुझे लगता है कि कहीं न कहीं हमारे लिए बहुत बड़ा मौका है , खासकर जिस तरह का कमिटमेंट हमारी सरकार… आपके द्वारा जो है स्पेस प्रोग्राम को हर साल बजट…. असफलताओं के बाद भी… चंद्रयान 2 सफल नहीं हुआ उसके बाद भी हमने कहा कि हम आगे बढ़ेंगे… चंद्रयान 3 सफल हुआ… ऐसी ही असफताओं के बाद भी इतना समर्थन… पूरी दुनिया देख रही है…तो कहीं न कहीं हमारी क्षमता भी है और स्थियां भी हैं और हम यहां पर नेतृत्वकर्ता का किरदार हासिल कर सकते हैं…

नई दिल्ली, 25 जून (हि.स.)। भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण आया है जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम मिशन 4 के तहत अंतरिक्ष की ओर कदम बढ़ाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस मिशन में अमेरिका, हंगरी, पोलैंड और भारत के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक बनकर उभरे हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर किया पोस्ट

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पोस्ट में कहा, “ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने भारत के लिए अंतरिक्ष में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है, पूरा देश एक भारतीय की सितारों की यात्रा पर उत्साहित और गौरवान्वित है। उन्होंने और अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के एक्सिओम मिशन 4 के उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने साबित किया है कि दुनिया वास्तव में एक परिवार है- ‘वसुधैव कुटुम्बकम’। इस मिशन की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं, जो नासा और इसरो के बीच स्थायी साझेदारी को दर्शाता है। चालक दल द्वारा किए जाने वाले व्यापक प्रयोग वैज्ञानिक अध्ययन और अंतरिक्ष अन्वेषण की नई सीमाओं को जन्म देंगे।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस मिशन को लेकर अपनी खुशी व्यक्त की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस मिशन को लेकर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा, “हम भारत, हंगरी, पोलैंड और अमेरिका के अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष मिशन के सफल प्रक्षेपण का स्वागत करते हैं। भारतीय अंतरिक्ष यात्री, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय बनने की राह पर हैं। वह अपने साथ 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाओं, आशाओं और आकांक्षाओं को लेकर चल रहे हैं। मैं उन्हें और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को इस मिशन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं।”