Chhapra: सावन माह की तीसरी सोमवारी को जिले के विभिन्न मंदिरों और शिवालयों में शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। सुबह से ही विभिन्न मंदिरों में स्थापित शिवलिंग समेत शिवालयों में जलाभिषेक के लिए शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है।शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ ही शिव भक्त भगवान महादेव और मां पार्वती की पूजा अर्चना कर रहे हैं।

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शिवालयों में जलाभिषेक के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब

केसरिया वस्त्रों में ॐ नमः शिवाय और हर हर महादेव का जाप करते हुए शिव भक्त मंदिर और शिवालय पहुंचकर पूजा अर्चना कर रहे हैं। जिले के बाबा धर्मनाथ धनी मंदिर ( छपरा ), बाबा हरिहरनाथ मंदिर ( सोनपुर ) सहित अन्य मंदिरों और शिवालयों में भक्तों की भीड़ सुबह से उमड़ रही है।पूरा वातावरण शिव धुन को लेकर शिवमय बना हुआ है।

सावन की तीसरी सोमवारी को लेकर मंदिरों में उमड़ने वाली भीड़ को लेकर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया गया है मंदिरों और शिवालयों पर विधि व्यवस्था संधारण को लेकर पुलिस अधिकारियों के साथ बलों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके अलावा मंदिर प्रबंधन कमिटी भी मंदिर परिसरों भीड़ को नियंत्रित करने में प्रशासन का सहयोग कर रही है।

Chhapra: सावन की दूसरी सोमवारी पर छपरा के बाबा धर्मनाथ धनी मंदिर समेत जिले के तमाम शिवालयों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखीं जा रहीं।

सुबह से ही श्रद्धालु जल, बेलपत्र और फूल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने मंदिरों में उमड़ पड़े हैं। भक्तों में उत्साह और भक्ति का अद्भुत समर्पण देखने को मिल रहा है।

मंदिर प्रांगण में सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद दिखा। स्काउट गाइड के बच्चों ने भी भीड़ प्रबंधन में मदद की।

Sawan 2025: सावन यानी श्रद्धा, तपस्या और शिवभक्ति का महीना। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन या श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लाखों भक्त व्रत रखते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं और शिवलिंग पर जल व बेलपत्र चढ़ाते हैं। 2025 में भी सावन का महीना भक्तों के लिए कई शुभ संयोग लेकर आ रहा है।

कब से शुरू हो रहा है सावन 2025?

इस साल सावन का आरंभ 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से होगा, जब आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि लगेगी। यह पवित्र महीना 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। यानी पूरे 30 दिन तक शिवभक्ति का पर्व मनाया जाएगा।

अलग-अलग राज्यों में सावन शुरू होने की तिथि

11 जुलाई से: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश

16 जुलाई से: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड (स्थानीय पंचांग अनुसार)

25 जुलाई से: महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु (दक्षिण भारत)

सावन सोमवार 2025 की तिथियां

इस महीने शिव भक्तों के लिए सबसे खास दिन होते हैं सावन के सोमवार। इस बार सावन में कुल 4 सोमवार पड़ेंगे। 

  • पहला सावन सोमवार: 14 जुलाई 2025
  • दूसरा सावन सोमवार: 21 जुलाई 2025
  • तीसरा सावन सोमवार: 28 जुलाई 2025
  • चौथा सावन सोमवार: 4 अगस्त 2025

कुछ भक्त इस महीने सोलह सोमवार व्रत भी करते हैं, जो जीवन में सुख-शांति और मनोकामना पूर्ति के लिए बेहद फलदायी माने जाते हैं।

सावन में पूजा-पाठ कैसे करें?

सावन के महीने में शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करना सबसे शुभ माना जाता है। पंचामृत में दूध, दही, शहद, घी, शक्कर और गंगाजल का मिश्रण होता है। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, आक, धतूरा, भांग, सफेद फूल, अक्षत (साबुत चावल) और इत्र चढ़ाएं।

  • दिन की शुरुआत स्नान और घर की सफाई से करें।
    शिवलिंग को जल अर्पित करें (जलग्रहण का शुभ समय: सुबह 5:33 से दोपहर 12 बजे तक)।
    पूरे दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करते रहें।
    शिव मंदिर जाकर दर्शन करें और व्रत रखें।

क्यों खास है सावन?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला था, तब भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में समाहित कर लिया था। उस दिन से लेकर पूरे सावन मास तक उनका पूजन कर उन्हें शीतल करने की परंपरा शुरू हुई। यही वजह है कि यह महीना शिवभक्ति के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

Sawan Kanwar Yatra 2025: हर साल सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आस्था का प्रतीक होता है। यही वह समय होता है जब देशभर से लाखों शिव भक्त ‘कांवड़ यात्रा’ के लिए निकलते हैं। ‘हर हर महादेव’ और ‘बम बम भोले’ के जयकारों के बीच शिवभक्त नंगे पांव चलते हैं और गंगाजल लेकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। इस यात्रा की शुरुआत इस बार 11 जुलाई से होगी और 9 अगस्त को समाप्त होगी।

क्या है कांवड़ यात्रा  और क्यों की जाती है?

कांवड़ यात्रा सावन माह में की जाने वाली एक धार्मिक पदयात्रा है, जिसमें भक्त गंगा नदी से पवित्र जल भरकर उसे अपने गांव या किसी शिव मंदिर तक लेकर जाते हैं और वहां भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इस यात्रा का मकसद है, भगवान शिव के प्रति पूर्ण भक्ति और समर्पण। जो भक्त इस यात्रा में भाग लेते हैं, उन्हें ‘कांवड़िए’ कहा जाता है। यह लोग अपने कंधों पर लकड़ी या बांस की बनी कांवड़ लेकर चलते हैं जिसमें गंगाजल भरा होता है।

कब से कब तक चलेगी कांवड़ यात्रा 2025?

शुरुआत: 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
समाप्ति: 9 अगस्त 2025 (शनिवार)

कांवड़ यात्रा के दौरान इन बातों का जरूर रखें ध्यान

नशे से पूरी तरह दूर रहें: शराब, सिगरेट, तंबाकू जैसी किसी भी नशीली चीज़ का सेवन वर्जित है। गंगाजल को जमीन पर न रखें: इसे अपवित्र माना जाता है। गंगाजल को हमेशा कांवड़ में लटकाकर ही रखें। शौच के बाद स्नान जरूरी: पवित्रता बनाए रखने के लिए ये नियम बेहद जरूरी है। चमड़े की चीजों से दूर रहें: यात्रा के दौरान बेल्ट, पर्स, जूते जैसी चमड़े की वस्तुओं का उपयोग वर्जित है। पूरी यात्रा नंगे पांव चलना होता है: ये भगवान शिव के प्रति भक्ति और तपस्या का प्रतीक माना जाता है।

कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व

कांवड़ यात्रा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि भगवान शिव से आत्मिक जुड़ाव का माध्यम है। कहते हैं कि सावन में शिव को जल चढ़ाने से उनकी विशेष कृपा मिलती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। गंगाजल से किया गया जलाभिषेक भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय होता है। इस यात्रा के दौरान शिव भक्त आपसी भाईचारे, सेवा और भक्ति के भाव से भरे होते हैं। कांवड़ यात्रा वह समय होता है जब भक्त पूरी तरह शिव में लीन हो जाते हैं। अगर आप भी इस साल कांवड़ यात्रा का हिस्सा बनने जा रहे हैं, तो ऊपर दिए गए नियमों का जरूर करें और पूरे मन से “हर हर महादेव” कहते हुए इस पवित्र यात्रा का आनंद लें।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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