Lucknow, 12 सितंबर (हि.स.)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने साधु संतों की ओर से बाबा साहेब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर को लेकर दिए जा रहे बयानबाजी पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नही होने के कारण उनको इस बारे में कोई भी गलत बयानबाजी आदि करने की बजाए यदि वे चुप रहें तो यह उचित होगा।

डाॅ.भीमराव अम्बेडकर के बारे में साधु संत चुप रहें तो यह उचित होगा: मायावती

बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को एक्स पर एक पोस्ट लिखा हैं। उन्होंने लिखा कि जैसाकि विदित है कि आएदिन सुर्खियों में बने रहने के लिए कुछ साधु संत बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के बारे में गलत बयानबाजी कर रहे हैं। विवादित बयानबाजी करने वाले कुछ साधु-सन्तों को डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में रहे उनके अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण इनको इस बारे में कोई भी गलत बयानबाजी आदि करने की बजाए यदि वे चुप रहें तो यह उचित होगा। साथ ही, बाबा साहेब के अनुयायी, मनुस्मृति का विरोध क्यों करते हैं? उसे भी इनको अपनी जातिवादी द्वेष की भावना को त्याग कर ज़रूर समझना चाहिये। मायावती नू लिखा कि इसके साथ-साथ, इन्हें यह भी मालूम होना चाहिये कि बाबा साहेब विद्वान व्यक्तित्व थे। इस मामले में कोई भी टीका-टिप्पणी करने वाले साधु-सन्त, इनकी विद्वता के मामले में कुछ भी नहीं हैं। अतः इस बारे में भी कुछ कहने से पहले इनको जरूर बचना चाहिये, यही उनकी नेक सलाह है।

उल्लेखनीय है कि जगदगुरु रामभद्राचार्य ने एक इंटरव्यू में कहा था कि डॉ. अम्बेडकर को संस्कृत भाषा का ज्ञान नहीं था। अगर उन्हें संस्कृत आती तो वो मनुस्मृति का अपमान नहीं करते। उनके इस बयान के एक दिन बाद बसपा प्रमुख मायावती की यह प्रतिक्रिया आई है। हालांकि उन्होंने किसी का भी नाम नहीं लिया है।

 

लखनऊ, 26 जुलाई (हि.स.)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को लेकर दिए गये बयान पर राजनिति गरमा गई है। राहुल के बयान पर शनिवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोला है। मायावती ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। यह दिल में कुछ और तथा जुबान पर कुछ और जैसी स्वार्थ की राजनीति ज्यादा लगती है।

बसपा प्रमुख मायावती ने एक्स पर लिखा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का यह स्वीकार करना कि देश के विशाल आबादी वाले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज के लोगों की राजनीतिक व आर्थिक आशा, आकांक्षा व आरक्षण सहित उन्हें उनका संवैधानिक हक़ दिलाने के मामलों में कांग्रेस पार्टी खरी व विश्वासपात्र नहीं रही है। यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह दिल में कुछ व जुबान पर कुछ और जैसी स्वार्थ की राजनीति ज़्यादा लगती है। वास्तव में उनका यह बयान उसी तरह से जगजाहिर है जैसा कि देश के करोड़ों शोषित, वंचित व उपेक्षित एससी-एसटी समाज के प्रति कांग्रेस पार्टी का ऐसा ही दुर्भाग्यपूर्ण रवैया लगातार रहा है। इस कारण ही इन वर्गों के लोगों को फिर अन्ततः अपने आत्म-सम्मान व स्वाभिमान तथा अपने पैरों पर खड़े होने की ललक के कारण अलग से अपनी पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) बनानी पड़ी है।

मायावती ने आगे कहा कि कुल मिलाकर इसके परिणामस्वरूप कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश सहित देश के प्रमुख राज्यों की सत्ता से लगातार बाहर है और अब सत्ता गंवाने के बाद इन्हें इन वर्गों की याद आने लगी है जिसे इनकी नीयत व नीति में हमेशा खोट रहने की वजह से घड़ियाली आंसू नहीं तो और क्या कहा जाएगा। जबकि वर्तमान हालात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का भी इन वर्गों के प्रति दोहरे चरित्र वाला यही चाल-ढाल लगता है। वैसे भी एससी-एसटी वर्गों को आरक्षण का सही से लाभ व संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित नहीं करना। देश की आज़ादी के बाद लगभग 40 वर्षों तक ओबीसी वर्गों को आरक्षण की सुविधा नहीं देने और सरकारी नौकरियों में इनके पदों को नहीं भरकर उनका भारी बैकलॉग रखने आदि के जातिवादी रवैयों को भला कौन भुला सकता है, जो कि इनका यह अनुचित जातिवादी रवैया अभी भी जारी है।

बसपा प्रमुख ने आगे कहा कि इतना ही नहीं बल्कि इन सभी जातिवादी पार्टियों ने आपस में मिलकर एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण को किसी ना किसी बहाने से एक प्रकार से निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी ही बना दिया है। इस प्रकार दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़ों इन बहुजन समाज को सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तौर पर गुलाम व लाचार बनाए रखने के मामलों में सभी जातिवादी पार्टियां हमेशा से एक ही थैली के चट्टे-बट्टे रहे हैं, जबकि अम्बेडकरवादी पार्टी बसपा सदा ही इन वर्गों की सच्ची हितैषी रही है। यूपी में चार बार बसपा के नेतृत्व में रही सरकार में सर्वसमाज के गरीबों, मजलूमों के साथ-साथ बहुजन समाज के सभी लोगों के जान-माल व मज़हब की सुरक्षा व सम्मान तथा इनके हित एवं कल्याण की भी पूरी गारण्टी रही है। मायावती ने कहा कि देश के बहुजनों का हित केवल बसपा की आयरन गारण्टी में ही निहित है। अतः ख़ासकर दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) समाज के लोग ख़ासकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) आदि इन विरोधी पार्टियों के किसी भी बहकावे में नहीं आयें, यही उनकी सुख, शान्ति व समृद्धि हेतु बेहतर है।

Lucknow, 14 जुलाई (हि.स.)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को बिहार की गठबंधन सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है। मुख्यमंत्री का एक करोड़ नौकरियां देने का वादा महज़ एक जुमला और चुनावी छलावा है।

एक करोड़ रोजगार देने का ऐलान ‘अच्छे दिन’ की तरह एक जुमलाबाज़ी है: ​मायावती

मायावती ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर कहा कि बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति बदहाल है। राज्य की घटनाओं पर राष्ट्रीय स्तर पर हो रही चर्चाओं के बीच लोगों का ध्यान भटकाने के लिए बिहार की गठबंधन सरकार ने घोषणा की है कि अगर चुनाव के बाद उनकी सरकार बनती है, तो वे अगले पांच सालों में एक करोड़ लोगों को नौकरी और रोज़गार देंगे। मायावती ने लिखा कि उनका मानना है कि नीतीश कुमार ने लोगों को नौकरी और रोज़गार देने की घोषणा वास्तविकता से कोसों दूर है। यह ‘अच्छे दिन’ की तरह एक जुमलाबाज़ी और चुनावी जुमला ज़्यादा है। जनता विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनावी वादों, घोषणाओं और छल-कपट के साथ-साथ कानून-व्यवस्था और क्रियाकलापों आदि के बारे में उनके चाल, चरित्र और चेहरे से भली-भांति परिचित हैl फिर भी छल-कपट और कपटपूर्ण राजनीति की अपनी आदत से मजबूर विपक्षी दल चुनाव से पहले ऐसे अनेक लोकलुभावन वादे करने से ज़रा भी नहीं डरते या घबराते हैं।

उन्होंन कहा कि बिहार की वर्तमान गठबंधन सरकार का नौकरी और रोज़गार का वादा उनके अन्य वादों से कहीं अधिक मेल खाता है, जिसे जनता वास्तव में अपने अब तक के अनुभव के आधार पर जानती है। निश्चित रूप से बिहार की जनता सोच-समझकर एक गरीब-हितैषी और जन-हितैषी सरकार चुनेगी, बशर्ते चुनाव पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष हों, बाहुबल, धनबल और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से मुक्त हों। सभी गरीबों, मज़दूरों और अन्य मेहनतकश लोगों को मतदान का उचित अवसर मिले। उम्मीद है कि चुनाव आयोग इसका पूरा ध्यान ज़रूर रखेगा।