Jammu, 27 अगस्त (हि.स.)। माता वैष्णो देवी तीर्थ मार्ग पर अर्धकुंवारी के पास हुए भूस्खलन से प्रभावित लोगों को सहायता के लिए राहत और बचाव सामग्री लेकर भारतीय वायुसेना का सी-130 परिवहन विमान बुधवार को जम्मू पहुंचा है।


सूत्रों ने बताया कि एनडीआरएफ का सामान लेकर सी-130 परिवहन विमान उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित हिंडन वायुसेना स्टेशन से जम्मू पहुंचा है। इसके अलावा चिनूक और एमआई-17 वी5 जैसे हेलीकॉप्टर जम्मू, उधमपुर, श्रीनगर और पठानकोट के नजदीकी ठिकानों पर सक्रिय स्टैंडबाय पर हैं।

अधिकारियों ने बताया कि अर्धकुंवारी के पास वैष्णो देवी मार्ग पर बचाव अभियान जारी है जहां मंगलवार को भूस्खलन हुआ था जिसमें अब तक 32 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई है और 20 अन्य घायल हैं।

इसी बीच निचले इलाकों से हजारों लोगों को निकाला गया है क्योंकि बुधवार को चौथे दिन भी बारिश जारी है जिससे जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में तबाही मच गई है।

Jammu, 02 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी श्री माता वैष्णो देवी जी मंदिर के आधार शिविर कटरा से कश्मीर के लिए ट्रेन सेवा का उद्घाटन 6 जून को कर सकते हैं। इसके बाद कटरा और बारामूला के बीच वंदे भारत ट्रेन चलना शुरू हो जाएगी। अधिकारियों ने बताया है कि कश्मीर के लिए ट्रेन सेवाओं के शुभारंभ की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और प्रधानमंत्री 6 जून को घाटी के लिए पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखा सकते हैं।

ट्रेन सेवा का शुभारंभ 19 अप्रैल को होना था, लेकिन उस दिन खराब मौसम की भविष्यवाणी के मद्देनजर इसे स्थगित कर दिया गया था।

अधिकारियों ने कहा कि 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलने वाली श्री अमरनाथ जी की तीर्थयात्रा के लिए इस मार्ग को खोलना उपयोगी साबित हो सकता है। खासकर तब जब इस मौसम में समय से पहले और भारी मानसून आने की खबरें हैं जिससे रामबन और बनिहाल के संवेदनशील हिस्से के बीच जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध हो सकता है।

यात्रियों को कटरा से श्रीनगर की ओर जाने में मदद मिल सकती है

उन्होंने कहा कि रेलवे ट्रैक खुलने से श्री अमरनाथ जी के यात्रियों को कटरा से श्रीनगर की ओर जाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो तीर्थयात्रियों की भीड़ को कम करने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जा सकती हैं। खासकर राजमार्ग अवरुद्ध होने की स्थिति में।

कटरा और बारामूला के बीच केवल वंदे भारत ट्रेन चलने की उम्मीद है

अधिकारियों के अनुसार वर्तमान में कटरा और बारामूला के बीच केवल वंदे भारत ट्रेन चलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री कटरा से बारामूला और बारामूला से कटरा के लिए वर्चुअली ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। वे कटरा स्टेडियम में एक रैली को संबोधित करेंगे। कटरा से ट्रेन सेवाओं को हरी झंडी दिखाने से पहले प्रधानमंत्री मोदी के चिनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल और रियासी जिले में रेलवे ट्रैक पर पहले केबल स्टे ब्रिज का दौरा करने की संभावना है।

कार्य पूरा होने के बाद घाटी के लिए ट्रेन का जम्मू से परिचालन शुरू कर दिया जाएगा

सूत्रों के अनुसार, शुरुआत में यह ट्रेन कटरा से बारामूला तक चलेगी। हालांकि, जम्मू रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ाने सहित विस्तार कार्य पूरा होने के बाद घाटी के लिए ट्रेन का जम्मू से परिचालन शुरू कर दिया जाएगा, जो संभवतः अगस्त-सितंबर में शुरू होगा।कटरा से बारामूला तक ट्रेन के कई सफल ट्रायल रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना के जवानों को ले जाने वाली एक ट्रेन भी श्रीनगर तक ट्रैक पर चली थी।

पिछले साल फरवरी में 48.1 किलोमीटर लंबा बनिहाल-सांगलदान खंड चालू किया गया था

पहलगाम आतंकी हमले के बाद ट्रैक का नया सुरक्षा ऑडिट किया गया और सभी मुद्दों को सुलझा लिया गया है, जिसमें अधिक पुलिस कर्मियों की तैनाती और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है। कुल 272 किलोमीटर लंबी उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक परियोजना में से 209 किलोमीटर को चरणों में चालू किया गया, जिसमें 118 किलोमीटर का काजीगुंड-बारामुल्ला खंड का पहला चरण अक्टूबर 2009 में चालू किया गया। इसके बाद जून 2013 में 18 किलोमीटर का बनिहाल-काजीगुंड, जुलाई 2014 में 25 किलोमीटर का उधमपुर-कटरा और पिछले साल फरवरी में 48.1 किलोमीटर लंबा बनिहाल-सांगलदान खंड चालू किया गया था।

कश्मीर को एक नई विशेष रूप से डिजाइन की गई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन मिलेगी

46 किलोमीटर लंबे संगलदान-रियासी सेक्शन पर काम पिछले साल जून में पूरा हो गया था, जिससे रियासी और कटरा के बीच कुल 17 किलोमीटर का हिस्सा बचा जो करीब तीन महीने पहले पूरा हो गया, जिसके बाद वंदे भारत समेत कई ट्रेनों के ट्रायल शुरू हो गए। इस परियोजना पर 41,000 करोड़ रुपये की लागत आई है। 4 जनवरी को कटरा-बनिहाल सेक्शन पर इलेक्ट्रिक ट्रेन का सफल ट्रायल किया गया। रेलवे ने पिछले कुछ महीनों में ट्रैक के विभिन्न खंडों पर कई ट्रायल किए हैं, जिनमें अंजी खाद और चिनाब पुल के दो प्रमुख मील के पत्थर शामिल हैं। कश्मीर को एक नई विशेष रूप से डिजाइन की गई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन मिलेगी। यह नई सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन कटरा और श्रीनगर को जोड़ेगी। कटरा और श्रीनगर को जोड़ने वाली नई सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन जम्मू-कश्मीर में तीसरी ऐसी ट्रेन होगी।

जम्मू, 29 मई (हि.स.)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पहली बार आज जम्मू पहुंच रहे हैं। शाम करीब पांच बजे शाह जम्मू एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। वह शाम को ही सुरक्षा एजेंसियों के साथ सुरक्षा प्रबंधों की समीक्षा बैठक करेंगे। रात में राजभवन में रुकेंगे और शुक्रवार को पुंछ जाएंगे। आज शाम होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में गृहमंत्री अमित शाह के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्य सचिव, डीजीपी जम्मू-कश्मीर, सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ सहित खुफिया एजेंसियों के अधिकारी मौजूद रहेंगे।

बैठक में अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा इंतजामों पर विस्तृत चर्चा होगी

बैठक में ऑपरेशन सिंदूर के बाद मौजूदा हालात, अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा इंतजामों पर विस्तृत चर्चा होगी। गृहमंत्री जम्मू संभाग के सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान के हमलों से हुए नुकसान पर भी चर्चा करेंगे। इन इलाकों में बंकर निर्माण की मौजूदा स्थिति और नए बंकर बनाने की योजना पर भी चर्चा हो सकती है। शुक्रवार को गृहमंत्री हेलीकॉप्टर से पुंछ जाएंगे। यहां पाकिस्तान की गोलाबारी से प्रभावित लोगों से मुलाकात करेंगे। गृहमंत्री उस गुरुद्वारे में भी जा सकते हैं जिसे पाकिस्तान ने निशाना बनाया था।

गृहमंत्री गुरुवार की शाम को वह राजभवन में बैठक करेंगे

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर आ रहे हैं। शाह ने 22 अप्रैल की शाम को पहलगाम के बायसरन में हुए आतंकी हमले के तुरंत बाद कश्मीर का दौरा किया था। अगले दिन वह बायसरन भी गए थे। सात से 10 मई तक चले ऑपरेशन सिंदूर के बाद गृहमंत्री का केंद्र शासित प्रदेश का यह पहला दौरा है। गुरुवार की शाम को वह राजभवन में बैठक करेंगे। बैठक में फोकस पहलगाम हमले व ऑपरेशन सिंदूर के बाद आंतरिक सुरक्षा पर होगा। खासकर जम्मू की सुरक्षा स्थिति प्रमुख मुद्दा होगी। बैठक में तीन जुलाई से नौ अगस्त तक होने वाली अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर भी चर्चा होगी।

शुक्रवार को शाह सीमावर्ती जिले पुंछ का दौरा करेंगे गृहमंत्री अमित शाह 

डोडा, किश्तवाड़, कठुआ, उधमपुर, राजोरी और पुंछ जिलों के ऊपरी इलाकों में आतंकवादियों की मौजूदगी है। यह सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में गृहमंत्री अमित शाह का दौरा अहम माना जा रहा है। शुक्रवार को शाह सीमावर्ती जिले पुंछ का दौरा करेंगे और नागरिक क्षेत्रों में पाकिस्तानी गोलाबारी से हुए नुकसान का आकलन करेंगे। वह गोलाबारी में मारे गए लोगों के परिजनों से भी मिलेंगे। यहां बड़ी संख्या में घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के अलावा धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचा है। पिछले हफ्ते पुंछ के दौरे पर आए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गोलाबारी में मारे गए लोगों के परिजनों में से एक को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार घरों और व्यावसायिक ढांचों को हुए नुकसान के लिए पैकेज की घोषणा करेगी।

वास्तव में अगर जम्मू कश्मीर के बारे में बातचीत करने की जरूरत है तो वह है POK और अक्साई चीन के बारे में. इसके ऊपर देश में चर्चा होनी चाहिए गिलगित जो अभी POK में है. विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान है जो कि 5 देशों से जुड़ा हुआ है- अफगानिस्तान, तजाकिस्तान (जो कभी रूस का हिस्सा था), पाकिस्तान, भारत और तिब्बत-चाइना.

“वास्तव में जम्मू कश्मीर का महत्व जम्मू के कारण नहीं, कश्मीर के कारण नहीं, लद्दाख के कारण बल्कि इसकी महत्ता है तो वह है गिलगित-बाल्टिस्तान के कारण.”

भारत के इतिहास में भारत पर जितने भी आक्रमण हुए यूनानियों से लेकर आज तक (शक, हूण, कुषाण, मुग़ल) वह सारे गिलगित से हुए. हमारे पूर्वज जम्मू-कश्मीर के महत्व को समझते थे. उनको पता था कि अगर भारत को सुरक्षित रखना है तो दुश्मन को हिंदूकुश अर्थात गिलगित-बाल्टिस्तान उस पार ही रखना होगा. किसी समय इस गिलगित में अमेरिका, ब्रिटेन रूस बैठना चाहता था, यहाँ तक की पाकिस्तान तो 1965 में रूस को इसे दे देने के लिये वादा तक कर लिया था. अब चीन वहाँ बैठने के लिये पैर पसार चूका है. पाकिस्तान तो प्रयासरत है ही.

“दुर्भाग्य से इस गिलगित के महत्व को सारी दुनिया समझती है केवल एक उसको छोड़कर, जिसका वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान है और वह है भारत.” क्योंकि हमको इस बात की कल्पना तक नहीं है कि भारत को अगर सुरक्षित रहना है तो हमें गिलगित-बाल्टिस्तान किसी भी हालत में चाहिए.

आज हम आर्थिक शक्ति बनने की सोच रहे हैं. क्या आपको पता है गिलगित से सड़क मार्ग से आप विश्व के अधिकांश कोनों में जा सकते हैं. गिलगित से सड़क मार्ग से 5000 किलोमीटर दूर दुबई है, 1400 किलोमीटर दिल्ली है, 2800 किलोमीटर मुंबई है, 3500 किलोमीटर रूस है, चेन्नई 3800 किलोमीटर है, लंदन 8000 किलोमीटर दूर.

जब हम सोने की चिड़िया थे हमारा सारे देशों से व्यापार चलता था 85 प्रतिशत जनसंख्या इन मार्गों से जुड़ी हुई थी. Central Asia, यूरेशिया, यूरोप, अफ्रीका सब जगह हम By Road जा सकते है. अगर गिलगित-बाल्टिस्तान हमारे पास हो. आज हम पाकिस्तान के सामने IPI (Iran-Pakistan-India) गैस लाइन बिछाने के लिए गिड़गिड़ाते हैं. ये तापी की परियोजना है जो कभी पूरी नहीं होगी अगर हमारे पास गिलगित होता तो गिलगित के आगे तज़ाकिस्तान था हमें किसी के सामने हाथ नहीं फ़ैलाने पड़ते.

हिमालय की 10 बड़ी चोटियों है जो कि विश्व की 10 बड़ी चोटियों में से है और ये सारी हमारी है और इन 10 में से 8 गिलगित-बाल्टिस्तान में है. तिब्बत पर चीन का कब्जा होने के बाद जितने भी पानी के वैकल्पिक स्त्रोत हैं वह सारे गिलगित-बाल्टिस्तान में है.

आप हैरान हो जाएंगे वहां बड़ी-बड़ी 50-100 यूरेनियम और सोने की खदाने हैं. आप POK के मिनरल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट को पढ़िए आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे. वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान का महत्व हमको मालूम नहीं है और सबसे बड़ी बात गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग Strong Anti PAK है.

दुर्भाग्य क्या है हम हमेशा कश्मीर बोलते हैं, जम्मू- कश्मीर नहीं बोलते हैं. कश्मीर कहते ही जम्मू, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान दिमाग से निकल जाता है. ये जो पाकिस्तान के कब्जे में जो POK है उसका क्षेत्रफल 79000 वर्ग किलोमीटर है. उसमें कश्मीर का हिस्सा तो सिर्फ 6000 वर्ग किलोमीटर है और 9000 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा जम्मू का है और 64000 वर्ग किलोमीटर हिस्सा लद्दाख का है जो कि गिलगित-बाल्टिस्तान है. यह कभी कश्मीर का हिस्सा नहीं था यह लद्दाख का हिस्सा था वास्तव में सच्चाई यही है. इसलिए पाकिस्तान यह जो बार-बार कश्मीर का राग अलापता रहता है तो उसको कोई यह पूछे तो सही- क्या गिलगित-बाल्टिस्तान और जम्मू का हिस्सा जिस पर तुमने कब्ज़ा कर रखा है क्या ये भी कश्मीर का ही भाग है? कोई जवाब नहीं मिलेगा.

क्या आपको पता है गिलगित-बाल्टिस्तान, लद्दाख के रहने वाले लोगों की औसत आयु विश्व में सर्वाधिक है. यहाँ के लोग विश्व अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा जीते है.

भारत में आयोजित एक सेमिनार में गिलगित-बाल्टिस्तान के एक बड़े नेता को बुलाया गया था. उसने कहा कि “we are the forgotten people of forgotten lands of BHARAT”. उसने कहा कि देश हमारी बात ही नहीं जानता. किसी ने उससे सवाल किया कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं? तो उसने कहा कि 60 साल बाद तो आपने मुझे भारत बुलाया और वह भी अमेरिकन टूरिस्ट वीजा पर और आप मुझसे सवाल पूछते हैं कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं. उसने कहा कि आप गिलगित-बाल्टिस्तान के बच्चों को IIT, IIM में दाखिला दीजिए AIIMS में हमारे लोगों का इलाज कीजिए. हमें यह लगे तो सही कि भारत हमारी चिंता करता है, हमारी बात करता है. गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की सेना कितने अत्याचार करती है लेकिन आपके किसी भी राष्ट्रीय अखबार में उसका जिक्र तक नहीं आता है. आप हमें ये अहसास तो दिलाइये की आप हमारे साथ है. और मैं खुद आपसे यह पूछता हूं कि आप सभी ने पाकिस्तान को हमारे कश्मीर में हर सहायता उपलब्ध कराते हुए देखा होगा. वह बार बार कहता है कि हम कश्मीर की जनता के साथ हैं. कश्मीर की आवाम हमारी है. लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि किसी भी भारत के नेता, मंत्री या सरकार ने यह कहा हो कि हम POK- गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता के साथ हैं. वह हमारी आवाम है, उनको जो भी सहायता उपलब्ध होगी, हम उपलब्ध करवाएंगे आपने यह कभी नहीं सुना होगा.

कांग्रेस सरकार ने कभी POK- गिलगित-बाल्टिस्तान को पुनः भारत में लाने के लिए कोई बयान तक नहीं दिया प्रयास तो बहुत दूर की बात है. हालाँकि पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय POK का मुद्दा उठाया गया. फिर 10 साल पुनः मौन धारण हो गया और फिर से नरेंद्र मोदी जी की सरकार आने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में ये मुद्दा उठाया.

आज अगर आप किसी को गिलगित के बारे में पूछ भी लोगे तो उसे यह पता नहीं है कि यह जम्मू कश्मीर का ही भाग है. वह यह पूछेगा क्या यह कोई चिड़िया का नाम है ? वास्तव में हमें जम्मू कश्मीर के बारे में जो गलत नजरिया है उसको बदलने की जरूरत है.

अब करना क्या चाहिए? तो पहली बात है सुरक्षा में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए. जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा का मुद्दा बहुत संवेदनशील है. इस पर अनावश्यक वाद-विवाद नहीं होना चाहिए. एक अनावश्यक वाद विवाद चलता है कि जम्मू कश्मीर में इतनी सेना क्यों है? तो बुद्धिजीवियों को बता दिया जाए कि जम्मू-कश्मीर का 2800 किलोमीटर का बॉर्डर है. जिसमें 2400 किलोमीटर पर LoC है. आजादी के बाद भारत ने पांच युद्ध लड़े वह सभी जम्मू-कश्मीर से लड़े भारतीय सेना के 18 लोगों को परमवीर चक्र मिला और वह 18 के 18 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं.

इनमें 14000 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं जिनमें से 12000 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं. अब सेना बॉर्डर पर नहीं तो क्या मध्यप्रदेश में रहेगी. क्या यह सब जो सेना की इन बातों को नहीं समझते वही यह सब अनर्गल चर्चा करते हैं.

वास्तव में जम्मू कश्मीर पर बातचीत करने के बिंदु होने चाहिए- POK , वेस्ट पाक रिफ्यूजी, कश्मीरी हिंदू समाज, आतंक से पीड़ित लोग , धारा 370 और 35A का दुरूपयोग, गिलगित-बाल्टिस्तान का वह क्षेत्र जो आज पाकिस्तान -चाइना के कब्जे में है l जम्मू- कश्मीर के गिलगित- बाल्टिस्तान में अधिकांश जनसंख्या शिया मुसलमानों की है और वह सभी पाक विरोधी है वह आज भी अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे हैं, पर भारत उनके साथ है ऐसा उनको महसूस कराना चाहिए, देश कभी उनके साथ खड़ा नहीं हुआ वास्तव में पूरे देश में इसकी चर्चा होनी चाहिएl

वास्तव में जम्मू-कश्मीर के विमर्श का मुद्दा बदलना चाहिए. जम्मू कश्मीर को लेकर सारे देश में सही जानकारी देने की जरूरत है. इसके लिए एक इंफॉर्मेशन कैंपेन चलना चाहिए. पूरे देश में वर्ष में एक बार 26 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर का दिवस मनाना चाहिए और सबसे बड़ी बात है जम्मू कश्मीर को राष्ट्रवादियों की नजर से देखना होगा. जम्मू कश्मीर की चर्चा हो तो वहां के राष्ट्रभक्तों की चर्चा होनी चाहिए तो उन 5 जिलों के कठमुल्ले तो फिर वैसे ही अपंग हो जाएंगे.

इस कश्मीर श्रृंखला के माध्यम से मैंने आपको पूरे जम्मू कश्मीर की पृष्ठभूमि और परिस्थितियों से अवगत करवाया और मेरा मुख्य उद्देश्य सिर्फ यही है जम्मू कश्मीर के बारे में देश के प्रत्येक नागरिक को यह सब जानकारियां होनी चाहिए. अब आप इतने समर्थ हैं कि जम्मू कश्मीर को लेकर आप किसी से भी वाद-विवाद या तर्क कर सकते हैं. किसी को आप समझा सकते हैं कि वास्तव में जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियां क्या है.
वैसे तो जम्मू कश्मीर पर एक ग्रन्थ लिखा जा सकता है लेकिन मैंने जितना हो सका उतने संछिप्त रूप में इसे आपके सामने रखा है. आप पढ़कर लाइक कर रहे हो या बिना पढ़े लाइक कर रहे हो उसका कोई भी मतलब नहीं है.

अगर आप इस श्रृंखला को अधिक से अधिक जनता में प्रसारित करेंगे तभी हम जम्मू कश्मीर के विमर्श का मुद्दा बदल सकते हैं अन्यथा नहीं. इसलिए मेरा आप सभी से यही अनुरोध है श्रृंखला को अधिक से अधिक लोगों की जानकारी में लाया जाए, ताकि देश की जनता को जम्मू कश्मीर के संदर्भ में सही तथ्यों का पता लग सके.

(यह लेखक के अपने विचार है)

लेखक परिचय

रामदयाल शर्मा
क्षेत्र संयोजक,
विद्वत परिषद्, बिहार-झारखण्ड
पूर्व प्राचार्य, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, छपरा