रियो ओलंपिक में बेटियों ने देश का नाम रोशन किया है. इस बार कुल 2 पदक आये और दोनों ही लड़कियों के नाम रहे. रियो ओलंपिक में बैडमिंटन की रजत पदक विजेता पीवी सिंधु से छपरा टुडे डॉट कॉम ने ख़ास बातचीत की.
 सिंधु ने हमारे विशेष संवाददाता नीरज कुमार सोनी से अपने अनुभव साझा किए. प्रस्तुत है बातचीत के अंश:
 
खास बातचीत के दौरान पुलेला गोपीचंद, पीवी सिन्धु और नीरज कुमार सोनी.
खास बातचीत के दौरान पुलेला गोपीचंद, पीवी सिन्धु और नीरज कुमार सोनी.

 

 रियो ओलंपिक की बैडमिंटन स्पर्धा में रजत पदक जीतकर भारत का नाम रोशन करने वाली पीवी सिन्धु ने अपनी सफलता का राज स्वयं से प्रतिस्पर्धा बताया। असफलताओं से कभी निराश न होने वाली सिंधु ने कहा कि विश्व चैंपियनशिप में दो बार कांस्य पदक जीतने के बाद अगर मै साहस नही करती तो यह रजत पदक नही हासिल कर पाती। इंसान की प्रतिस्पर्धा पहले स्वयं से होनी चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि मैंने ना उम्मीद का दामन छोड़ा, ना कभी हार मानना सीखा, फिर पता नहीं आज हम छोटी-छोटी असफलताओ को अपनी हार क्यों मान लेते हैं? यह जीत मेरे जीवन के सर्वश्रेष्ठ पलों में से एक है उम्मीद है कि ऐसे कई और पल आएंगे।
 
सिंधु ने नई दिल्ली मे दिये अपने साक्षात्कार में कहा कि रियो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में विश्व नंबर दो और लंदन ओलंपिक की रजत पदक विजेता वांग यिहान को हराने के बाद हौसले बुलंद थे और यह उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ पल था।
 
सिंधु ने बताया कि उन्होंने आठ साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। 2001 मे गोपीचंद की ऑल इंग्लैड चैपियनशिप जीत से उन्हे प्रेरणा मिली।
 
सुबह के 4.15 बजे सिंधु बैटमिंटन प्रैक्टिस के लिए उठ जाती हैं। अपने करियर की शुरूआत मे सिंधु हर दिन 56 किलोमीटर की दूरी तय करके बैडमिंटन कैंप मे ट्रेनिंग के लिए जाती थी। वहीं, सिंधु के कोच गोपीचंद ने सिंधु के बारे मे बताते हुए कहा कि इस खिलाड़ी का सबसे स्ट्राइकिंग फीचर उसकी कभी न हार मानने वाली आदत है।
 
गौरतलब है कि पांच जुलाई 1995 को तेलंगाना में जन्मी पीवी सिंधु तब सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने साल 2013 में ग्वांग्झू चीन में आयोजित विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।
 
वह भारत की ऐसी पहली महिला एकल खिलाड़ी हैं, जिन्होने विश्व चैपियनशिप में पदक जीता। 30 मार्च 2015 को सिंधु को राष्ट्रपति ने पद्म श्री से सम्मानित किया। pv sindhu president award
 
हाल ही में 29 अगस्त 2016 को राष्ट्रपति ने उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा। ओलंपिक में सिंधु को नौवीं रैंकिंग मिली है।

कला के कई आयाम होते हैं. कभी कला जीवनयापन का माध्यम बनती है, तो कभी इंसान अपनी आत्मा को संतुष्ट करने के लिए कला को ही आधार बनाता है. समाज के उत्थान में भी कला महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हर व्यक्ति आज कला से किसी न किसी रूप से जुड़ना चाहता है. कुछ लोग कला का उपयोग मनोरंजन के लिए करते हैं, तो कुछ कला को हथियार बनाकर सामाज में व्याप्त बुराइयों पर प्रहार करते हैं.

कला के अनेकों प्रकार हैं और आज भी कला क्षेत्र में आगे बढ़ने के कई अवसर हैं. हमारे देश में कलाकारों को प्रोत्साहित करने हेतु कई योजनाएं हैं. किन्तु हमारे देश की सरकारी व्यवस्था से संघर्षरत कलाकारों को उन्नत विकास के लिए कोई समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है.

देश के जनप्रतिनिधि चुनावी भाषणों में भविष्य के भारत का जिस प्रकार व्याख्यान  करते है वो सिर्फ सुनने में ही अच्छा लगता है. पर एक कलाकार कला के विभिन्न माध्यमों से जिस प्रकार ज्वलंत मुद्दे को प्रदर्शित करते है वो वाकई प्रशंसनीय होता है.

छपरा टुडे #साक्षात्कार की इस कड़ी में आपका परिचय एक ऐसे ही युवा चित्रकार से करने जा रहा है जिसने अपने क्रिएटिव चित्रकारी से भारत के भविष्य की जो परिकल्पना की है वो अकल्पनीय है. इनका मानना है कि पेंटिंग सिर्फ घर में सजावट के काम नहीं आती बल्कि चित्रकला से चित्रकार वैसे ज्वलंत मुद्दों को प्रदर्शित करते हैं जो देश और समाज को प्रेरित करता है.

प्रस्तुत है अपनी अद्भुत चित्रकला के माध्यम से भारत के भविष्य का अविस्मरणीय चित्रण कर कला क्ष्रेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयत्नशील सारण (छपरा) के रवि रंजन कुमार से हुई छपरा टुडे प्रतिनिधि प्रभात किरण हिमांशु से बातचीत के अंश: 

 

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रवि रंजन कुमार

छपरा टुडे: चित्रकला में आपकी रूचि कब से हुई?

रविरंजन: मेरे पिता जी और दादा जी लेटर राइटिंग और साइनबोर्ड बनाते थे. बचपन में उन्हें काम करता देख मेरे मन में भी पेंटिंग बनाने की उत्सुकता हुई. साइन बोर्ड बनाते-बनाते मेरे अंदर चित्रकला में कुछ नया क्रिएशन करने की भावना उत्पन्न हुई.

छपरा टुडे: एक उन्नत चित्रकार बनने की दिशा में आपने क्या-क्या प्रयास किये?

रविरंजन: सबसे पहले तो मैंने एक गुरु की तलाश की. मेरे गुरु छपरा के प्रसिद्ध चित्रकार ‘मेहदी शॉ’ जिन्होंने मुझे चित्रकला की बारीकियां सिखाई. उन्ही से प्रेरणा लेकर मैंने इस कला को आत्मसात किया और चित्रकला के क्षेत्र में बेहतर करने का संकल्प किया.

छपरा टुडे: अपने कैरियर को आगे बढ़ाने में आपको कितनी कठिनाइयां हुई?

रविरंजन: मेरे पिता साइनबोर्ड बनाते थे और उसी से हुए आमदनी से हमारा घर चलता था. पर्याप्त आमदनी के आभाव में जीवन में आगे बढ़ने में काफी परेशानी हुई. जैसे-तैसे पैसे का जुगाड़ कर पढाई की और साथ में पेंटिंग भी सीखी. आज भी तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए कला क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हूँ. अपनी जीविका चलाने के लिए मैं वाहनों पर लगने वाले नंबर प्लेट बनाता हूँ. 

 

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छपरा टुडे: आपको चित्रकला के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में परिवार का कितना योगदान रहा?
रविरंजन: मेरे परिवार के लोगों ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है. मेरे पिता श्री चन्द्रिका चौधरी और मेरे बड़े भाई ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया. चित्रकला की प्रदर्शनी लगाने में भाई और दोस्तों ने काफी आर्थिक मदद की.

छपरा टुडे: आपने चित्रकला के क्षेत्र में कौन सा क्रिएशन किया है?
रविरंजन: मुझे हमेशा ही कुछ अलग थीम पर काम करने की इच्छा रही थी. मैंने ‘कोलाज’ (वेस्टेज पेपर) से कई क्रिएशन किए हैं. 500 साल पहले के बनारस घाट और आने वाले 100 साल बाद के बनारस घाट को अपनी सोंच से मैंने चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया है. मेरे द्वारा बनाई गई कोलाज पेंटिंग में ओशो, मदर टेरेसा की पेंटिंग खास है. मैंने ‘रेडियम वर्क’ से भी कई क्रिएटिव पेंटिंग बनाए हैं.

छपरा टुडे: आप कहाँ-कहाँ चित्रकला के प्रदर्शनी में शामिल हुए हैं?
रविरंजन: मेरी चित्रकला तक्षशीला आर्ट गैलरी, गैलरी आर्टिक विज़न (मलाड),  तानसेन कला वीथिका (ग्वालियर), जवाहर कला केंद्र जयपुर, ललित कला अकादमी (नई दिल्ली) जैसे प्रमुख जगहों पर आयोजित राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शनियों में सम्मिलित हुई है.

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रद्दी कागज से बनायीं गयी पेंटिंग

छपरा टुडे: आपके प्रेरणा स्त्रोत कौन हैं?
रविरंजन: मेरे गुरु मेहदी शॉ के अलावा एम.एफ.हुसैन, पिकाशो और हेनरी मतिस ने मुझे काफी प्रभावित किया है. 

छपरा टुडे: हमारे माध्यम से कोई सन्देश लोगों को देना चाहेंगे?
रविरंजन : कोई भी कला शुरुआत में सपने की तरह दिखती है, पर कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास से हर कला को आत्मसात किया जा सकता है. हर काम को जूनून से करना चाहिए. paintings ravi kumar

छपरा टुडे: हमारी पूरी टीम की तरफ से आपको शुभकामनाएं!
रविरंजन :जी, धन्यवाद!

साक्षात्कार की इस श्रृंखला में हमने आपका परिचय छपरा के दहियांवा, ब्राह्मण टोली निवासी 26 वर्षीय रविरंजन कुमार से कराया. रविरंजन चित्रकला के क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प हैं. तमाम कठिनाइयों और खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद रविरंजन ने अपने चित्रकला के जूनून को बरकरार रखा है. सरकार द्वारा कोई खास प्रोत्साहन नहीं मिलने के बावजूद भी रविरंजन अपने आत्मबल से चित्रकला में लगातार क्रिएशन करते आ रहे हैं. छपरा टुडे डॉट कॉम की पूरी टीम की तरफ से सारण के इस उभरते चित्रकार को हार्दिक शुभकामनायें. 

 

 

छपरा: प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना अन्तर्गत ऋण स्वीकृति हेतु समाहरणालय सभा कक्ष में जिलाधिकारी दीपक आनंद की अध्यक्षता में साक्षात्कार आयोजित किया. जिसमें 79 आवेदकों के ऋण स्वीकृति हेतु बैकों में आवेदन भेजने का निर्णय लिया गया.

जिलाधिकारी दीपक आनंद ने महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र, खादी बोर्ड के प्रतिनिधि तथा खादी आयोग के प्रतिनिधि को निदेश दिया कि वे दस दिनों के अंदर सभी ऋण आवेदन बैंको को प्रेषित कर दिए जाए. साथ ही अग्रणी बैंक प्रबंधक को निर्देश दिया कि फरवरी माह में इस योजना अन्तर्गत सभी आवेदनों पर स्वीकृति एवं भुगतान की कार्रवाई पूर्ण कर ली जाए.

बैठक में महाप्रबंधक जिला उधोग केन्द्र, अग्रणी बैंक, प्रबंधक खादी आयोग एवं खादी बोर्ड के प्रतिनिधि तथा विभिन्न बैंकों के समन्वयक उपस्थित थे.