पटना:  बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देश के करीब 30 करोड़ की आबादी के श्रद्धा और स्वच्छता के महापर्व छठ का सोमवार सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समापन हो गया ।

बिहार में गंगा घाट सहित कोसी गंडक बागमती और छोटी नदियों पर आज सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री आवास में अपने परिवार के निकटतम सदस्यों के साथ उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया तथा राज्यवासियों की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की।

पटना के दीघा घाट के आसपास रहने वाली महिला व्रती पैदल ही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नदी के तट पर पहुंची। इस दौरान वे छठी माई की गीत गा रही थीं। गंगा तट पर पहुंचने पर सबसे पहले व्रतियों ने आम की दातुन से मुंह धोया। उसके बाद नदी के पानी में स्नान करने का सिलसिला शुरू हुआ। स्नान करने के बाद व्रतियों ने भगवान भास्कर को जल अर्पित किया।

बेगूसराय: गांव की गलियों में गूंजते छठ के गीत और परदेसियों की बढ़ती संख्या ने लोगों को पर्व के समरसता भाव का एहसास कराना शुरू कर दिया है। छठ मतलब एक ऐसा पर्व जिसमें सभी सामाजिक भेदभाव समाप्त हो जाते हैं, हर घर से एक समान खुशबू और गीतों की आवाज आनी शुरू हो जाती है।

लोक आस्था का बिहारी पर्व छठ ग्लोबल हो चुका है, हर ओर छठ की धूम मच रही है। ऐसे में छठ जब ग्लोबल हुआ तो पूजा के प्रसाद भी बदलते चले गए। अब अमेरिका में लोग हल्दी का पत्ता कहां से लाएंगे, ऑस्ट्रेलिया में सुथनी कैसे मिलेगा, ब्रिटेन में लोग गन्ना कहां से लाएंगे, बोस्टन में बांस का सूप मिलना तो मुश्किल ही है। जिसके कारण विदेशों में रह रहे भारतीय वहां उपलब्ध फल और धातु से बने सूप में सूर्यदेव को अर्घ्य देने की तैयारी कर चुके हैं लेकिन बिहार का कोई सुदूरवर्ती गांव हो या वॉशिंगटन का जैसा आधुनिक विदेशी शहर, तमाम जगहों पर एक प्रसाद आज भी कॉमन है, जिसके बिना छठ पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है, वह प्रसाद है गेहूं के आटे से तैयार किया जाने वाला ठेकुआ। लेकिन, कई ऐसी बातें हैं, चीजें हैं जिनका छठ पर्व के साथ चोली दामन का साथ बन गया है। बिहार का सुप्रसिद्ध व्यंजन छठ के बहाने दुनिया में छा गया है। छठ की पूजा संपन्न हो गई और प्रसाद में यदि आपने ठेकुआ नहीं दिया तो लोग जरूर सवाल उठाएंगे की ठेकुआ के बगैर प्रसाद अधूरा है

ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य को भी ठेकुआ बहुत प्यारा है, इसीलिए इस दौरान बना ठेकुआ सबसे स्वादिष्ट बनाया जाता है। शुद्ध घी का बना ठेकुआ स्वाद अनोखा हो जाता है। लोकगीत के मधुर धुनों पर झूमती महिलाएं जब ठेकुआ बनाती हैं तो इसमें ना सिर्फ चीनी और गुड़, बल्कि महिलाओं के सुमधुर गीत की मिठास भी घुल जाती है। ठेकुआ बनाने के लिए गेहूं सुखाने जब तमाम छतों पर महिलाएं जुटी तो लोकगीतों के लय ने अमीर-गरीब और ऊंच-नीच के तमाम भेदभाव मिट जाते हैं।

ठेकुआ के डिजाइन भले ही अलग-अलग होने लगे हैं, लेकिन इसका स्वाद आज भी वही है जो दशकों पूर्व था। अंतर बस इतना है कि पहले यह ठेकुआ प्रातः कालीन पूजा के बाद गांव-गाव में रिश्तेदारों तक पहुंचाए जाते थे और अब देश के कोने-कोने ही नहीं, विदेश तक भेजे जा रहे हैं। जिनके भी परिजन विदेश में रह रहे हैं, वहां कुरियर से यह भेजा जा रहा है। जबकि विदेश में छठ करने वाले परिवार कम ही सही लेकिन ठेकुआ जरूर चढ़ाते हैं। बिहार से बाहर किसी अन्य राज्य या विदेश में जाना हो अथवा भेजना हो ठेकुआ ज्यों-का-त्यों रहेगा, जबकि दूसरे प्रसाद खराब हो सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि बिहार में स्वादिष्ट व्यंजन निर्माण की समृद्ध परंपरा है। हमारे बुजुर्गों का मानना था कि बरसात आने से पहले घर में पर्याप्त चीजें बनाकर रख कर ली जानी चाहिए, जिससे बरसात के फीके मौसम में भी खाने का स्वाद बना रहे। पहले इतने होटल, परिवहन के साधन और खाने को लेकर अन्य तमाम विकल्प नहीं मौजूद होते थे। यदि कोई कहीं जा रहा है, तो ठेकुआ लेकर निकल गया, उस समय के सप्ताह भर की यात्रा हो अथवा आज के जमाने में कहा जाने वाला टूर, ठेकुआ भूख मिटाने का सबसे बेहतर साधन होता था और आज भी गांव वासियों के लिए सर्वोत्तम है। कहीं जाना होता मां ठेकुआ की पोटली बांध कर दे देते थे।

रास्ते भर खाने के लिए नहीं सोचना पड़ता, उसी तरह जब लौटना होता तो उधर से भी ठेकुआ ही दिया जाता। ठेकुआ खाने के लिए कहीं रुकना नहीं पड़ता है, खाते-खाते भी दो-चार किलोमीटर तय कर लेते थे। इसे कहीं रख दीजिए खराब नहीं होगा, स्वाद और अंदाज वही होगा। इसलिए इसकी बादशाहत आज भी कायम है। फिलहाल हर ओर छठ की धूम मची हुई है और घर-घर में ठेकुआ पकवान बनाने की तैयारी हो गई है। गेहूं सूख गया, चीनी और सुखा मेवा के साथ ही घी एवं रिफाइन भी आज आ गया है, चार दिवसीय महापर्व के उमंग में चप्पा-चप्पा डूब गया है।

छठ पर्व को पूरी तरह प्रकृति संरक्षण की पूजा माने तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस पर्व में लोग प्रकृति के करीब तो पहुंचते ही हैं उसमे देवत्व स्थापित करते हुए उसे सुरक्षित रखने की कोशिश भी करते हैं। वैसे देखा जाए तो भारतीय संस्कृति में कोई भी ऐसा पर्व नही है जिसका प्रकृति से सरोकार न हो।

दीपावली के छठे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल को षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ महापर्व में पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया है। मुख्यतः यह त्योहार सूर्य पूजा, उषा पूजा, जल पूजा को जीवन में विशेष स्थान देते हुए पर्यावरण की रक्षा का संदेश भी देता है। इस पर्व में सभी लोग प्रकृति के सामने नतमस्तक होते हैं। अपनी अपनी कृतज्ञता प्रकट कर रहे होते हैं।

यह पर्व इस संसार में अपनी तरह का अकेला ऐसा महापर्व है जिसमे धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, आर्थिक और सामाजिक आयाम की सबसे ज्यादा प्रबलता है। सूर्य इस त्योहार का केंद्र है। भारतीय समाज में भगवान भास्कर का स्थान अप्रतिम है। समस्त वेद, स्मृति, पुराण, रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों में भगवान सूर्य की महिमा का विस्तार से वर्णन है। सूर्य जीव जगत के आधार है। सूर्य के बिना कोई भी भोग – उपभोग संभव नही है। अतः सूर्य के प्रति आभार प्रदर्शन के लिए छठ व्रत मनाया जाता है। ऐसा लोगो का मानना है कि सूर्य उन क्षेत्रों के सबसे उपयोगी देव हैं जहां पानी की उपलब्धता ज्यादा है। जब सूर्य समाधि में व्यक्ति स्वयं निर्जल होकर भास्कर को जल समर्पित करता है तो प्रकृति और व्यक्ति के अतुल्य समर्पण के दर्शन होते हैं। व्यक्ति के प्रकृति को स्वयं से उपर रखने के दर्शन होते हैं।

हमारी सूर्य केंद्रित संस्कृति कहती है कि वही उगेगा जो डूबेगा। जैसे सूर्य अस्त होता है वैसे ही फिर उदय होता है। अगर एक सभ्यता समाप्त होती है तो दुसरी जन्म लेती है। जो मरता है वह फिर जन्म लेता है। जो डूबता है वह फिर उबरता है। जो ढलता है वह फिर खिलता भी है। यही चक्र छठ है। यही प्राकृतिक सिद्धांत छठ का मूल मंत्र है। अतः छठ में पहले डूबते और फिर अगले दिन उगते सूर्य की पूजा स्वाभाविक है। व्रत करने वाला आभार जताने घर से निकल कर किसी तालाब, नदी, पोखरा पर जाता है और अरग्य देता है। इसका अर्थ होता है हे सूर्य आपने जल दिया है उसके लिए आभार लेकिन आप अपने ताप का आशीर्वाद भी हम पर बना कर रखें।

प्रकृति से प्रेम, सूर्य और जल की महत्ता का प्रतिक छठ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीपा पोती किया जाता है । वैज्ञानिकों के अनुसार, गाय के गोबर में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी-12 पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। घर द्वार से लेकर हर मार्ग और नदी, पोखरा, तालाब, कुआं तक की सफाई से जल, वायु और मिट्टी शुद्ध होता है जो पर्यावरण को संरक्षित करता है। इस पर्व पर प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाला केला, दीया, सुथनी, आंवला, बांस का सूप, डलिया किसी न किसी रूप में हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। यह पर्व पूरी तरह से वैज्ञानिक महत्व एवं प्रदूषणमुक्त हैं।

प्रकृति का हनन रोकना भी छठ है। गंदगी, काम, क्रोध, लोभ को त्यागना छठ है। सुख सुविधा को त्याग कर कष्ट को पहचानने का नाम छठ है। शारीरिक और मानसिक संघर्ष का नाम छठ है। छठ सिर्फ प्रकृति की पूजा नही है। वह व्यक्ति की भी पूजा है। व्यक्ति प्रकृति की ही तो अंग है। छठ प्रकृति के हर उस अंग की उपासना है जिसमे कुछ गुजरने की, कभी निराश न होने की, कभी हार न मानने की, डूबकर फिर खिलने की, गिरकर फिर उठने की हठ है। यह हठ नदियों में, बहते जल में, और किसान की खेती में है। इसलिए छठ नदियों, सूर्य एवं परंपराओं की पूजा है। छठ पर्व से सबक लेते हुए हमें अपनी संस्कृति, प्रकृति के प्रति जागरुक होना चाहिए। अपनी संस्कृति एवं प्रकृति की मर्यादाओं, श्रेष्ठताओं को कभी नही भूलना चाहिए।

(लेखक प्रशांत सिन्हा पर्यावरण मामलों के जानकार एवं समाज सेवी हैं।)

Chhapra/ Garkha: आस्था के महापर्व छठ पर जिले के दो सूर्य मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटती है. जिले के गरखा प्रखण्ड के मिठेपुर स्थित इस सूर्य मंदिर में लोगों द्वारा मांगी मन्नत पूरी होती है. घोड़ों पर सवार भगवान सूर्य की आलौकिक विशालकाय प्रतिमा भक्तों को अपने आप अपनी ओर आकर्षित करता है.

आस्था के महापर्व छठ पर यहाँ भक्तो की भाड़ी भीड़ जुटती है. सूर्य उपासना के इस महापर्व पर श्रद्धालु यहाँ रहकर चार दिवसीय अनुष्ठान को पूरा करते है. ऐसी मान्यता है कि इस स्थान से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

भगवान सूर्य का यह मंदिर गरखा प्रखंड के मिठेपुर मुख्य मार्ग पर स्थित है.

Chhapra: छठ महापर्व को लेकर छठ घाट के साफ-सफाई और वहां व्यवस्था को लेकर पूजा समिति और जिला प्रशासन आपसी तालमेल से कार्य कर रहे हैं. छपरा शहर के अलीयर स्टैंड पर नगर निगम के द्वारा साफ सफाई कराई गई है. इसके साथ ही शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित नदी घाटों पर अलग-अलग पूजा समितियों के द्वारा घाटों का निर्माण कराया गया है. जहां आना-जाना सुलभ हो इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही प्रकाश और सुरक्षा की व्यापक इंतजाम किए गए हैं. कई पूजा समितियों के द्वारा गोताखोर और नाव की व्यवस्था भी की गई है. ताकि पर्व के दौरान होने वाली भीड़ में किसी की डूबने की संभावनाओं को टाला जा सके.

इसके साथ ही आने जाने वाले मार्ग, वाहन पार्किंग पर पूजा समितियां विशेष ध्यान दे रही हैं. ताकि व्रत को लेकर घाटों पर पहुंचने वाले लोगों के वाहन को भी सही ढंग से लगाया जा सके और जाम की समस्या उत्पन्न ना हो. पूजा समितियों के द्वारा पूरी कोशिश की जा रही है कि व्रतियों को कोई परेशानी ना हो. आम लोग भी जगह-जगह साफ सफाई में जुटे हैं. हर मोहल्ले में लोग जन सहयोग से साफ सफाई में जुटे हैं. पूरा जिला छठ में हो गया है.

बाजारों में भी जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है. जगह-जगह छोटी-बड़ी दुकानें सज गई है. जहां छठ पूजा से संबंधित फल और अन्य सामान बिक रहे हैं. कुल मिलाकर कोरोना के 2 सालों के काल के बाद इस बार सब लोग खुलकर त्यौहार मना रहे हैं. व्यापारियों में भी त्यौहार पर बाजार में आई रौनक से खुशी है.

Patna: बिहार के जाने माने रंगकर्मी, भिखारी ठाकुर के मंडली के सदस्य और लौंडा नाच को एक नई पहचान देने वाले पद्मश्री रामचंद्र मांझी का बुधवार को निधन हो गया. उन्होंने पटना में अंतिम सांस ली जहाँ वे कुछ दिनों पहले अस्पताल में ईलाज के लिए भर्ती कराये गए थे.

पद्मश्री रामचंद्र मांझी के निधन से कला जगत में शोक की लहर दौर गयी है. सभी उन्हें नमन कर रहें हैं.

सारण जिले के मढ़ौरा अनुमंडल के तुजारपुर ग्राम निवासी रामचंद्र मांझी ने लोक कलाकार भिखारी ठाकुर की मंडली में कार्य किया था. वे भिखारी ठाकुर की मंडली के अंतिम सदस्य थें. उनके निधन से एक युग का अंत हुआ है.

साल 2021 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था. इसके पूर्व उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला  था. बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग के द्वारा भी उन्हें लाइफ टाइम अचेव्मेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था.

उनके करीबी रंगकर्मी जैनेन्द्र दोस्त ने फेसबुक के माध्यम से यह जानकारी साझा करते हुए लिखा “उस्ताद का साया सर से उठ गया, जिंदगी की जंग हार गए पद्मश्री रामचंद्र मांझी जी”

नवाजुद्दीन सिद्द्की की आगामी फिल्म ‘हड्डी’ से उनका फर्स्ट लुक मेकर्स ने मंगलवार को जारी कर दिया है। फिल्म का यह फर्स्ट लुक एक मोशन पोस्टर के रूप में जारी किया गया है।

फिल्म के इस फर्स्ट लुक मोशन पोस्टर में नवाज ग्लैमरस हसीना के अवतार में नजर आ रहे हैं, जिससे देखकर यह पहचानना मुश्किल है कि ये नवाज हैं। पोस्टर में नवाज ग्रे कलर का गाउन पहने स्टाइलिश अंदाज में पोज देते नजर आ रहे हैं।

फिल्म का यह दिलचस्प लुक देखकर फैंस की एक्साइटमेंट बढ़ गई है। नवाज की यह फिल्म एक रिवेंज ड्रामा है, जिसे अनंदिता स्टूडियोज और जी स्टूडियोज के प्रोडक्शन बैनर तले तैयार किया गया है।

फिल्म का निर्देशन अक्षत अजय शर्मा कर रहे हैं । वहीं संजय शाह और राधिका नंदा मिलकर इसे प्रोड्यूस कर रहे हैं। फिल्म साल 2023 में सिनेमाघरों में दस्तक देगी।

पटना:  राजधानी पटना के दानापुर में मनेर संगम के पास रविवार सुबह गंगा नदी से बालू की अवैध ढुलाई में लगी एक नाव डूब गयी है। इस नाव पर कई मजदूर सवार थे, जिनका अभी कोई पता नहीं चल पाया है। मजदूरों की खोज के लिए बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि दानापुर के मनेर प्रखंड के हल्दी छपरा संगम घाट पर बालू की अवैध रूप से लोडिंग कर पहलेजा घाट जा रही थी। अचानक तेज़ हवाओं के चलते नाव गोता खाकर गंगा में डूब गयी। बताया गया कि नाव पर 15 लोग सवार थे और यह सभी लोग गंगा में डूब गये। फिलहाल सभी नाव सवार लोग लापता हैं। यह नाव वैशाली जिले के गोविंदपुर की बताई जा रही है।

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर रविवार देर शाम पटना जिले के सोहगी गांव के पास आक्रोशित लोगों ने पत्थरबाजी की। हालांकि इस पत्थरबाजी के दौरान मुख्यमंत्री इस कारकेड में मौजूद नहीं थे। पथराव की वजह से मुख्यमंत्री कारकेड (काफिला) की चार वाहनों के शीशे क्षतिग्रस्त हुए हैं।

पटना के एसएसपी के मुताबिक सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गया जाने का कार्यक्रम है। मुख्यमंत्री वहां सूखे की स्थिति पर बैठक करेंगे और वहां बनाए जा रहे एक रबर डैम का निरीक्षण करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश गया तो हेलीकॉप्टर से जाएंगे लेकिन हेलीपैड से दूसरी जगहों पर पहुंचने के लिए उनके कारकेड को पटना से गया भेजा जा रहा था।

दरअसल बीते कुछ दिन से एक युवक लापता था जिसका आज शव मिलने से नाराज लोगों ने पटना-गया मेन रोड पर शव को रखकर जाम लगा रखा था। उसी प्रदर्शन के दौरान ही कारकेड की गाड़ियां उस रास्ते से गुजरने लगीं जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने काफिले पर पथराव कर दिया।

सारण जिला क्रिकेट संघ के चुनाव में बवाल, दो गुटों में हाथापाई और जान से मारने तक की मिल गई धमकी

अध्यक्ष बनी इंदु देवी, उपाध्यक्ष बने अमरनाथ दुबे तो संयुक्त सचिव चन्दन कुमार शर्मा बने

Chhapra: सारण जिला क्रिकेट संघ के चुनाव में जमकर बवाल हुआ. संघ में दो गुट बन गए है. जिसमें एक पक्ष द्वारा संगठन का चुनाव गलत तरीके से करने का आरोप लगाया गाय. सूचना यह भी मिली कि संगठन के चुनाव के बाद दोनों गुटों के बीच हाथापाई और गाली-गलौज भी हुई. वही दूसरा पक्ष ने कहा कि पहले से जो संघ के अध्यक्ष है वह अपने अनुसार बिना किसी सूचना के अध्यक्ष बना लिए है.

आरोप यह भी लगाया गया है कि गाइडलाइन के अनुसार चुनाव सार्वजनिक स्थल पर होना चाहिए लेेकिन निजी स्थल पर कराया गया है. जिसके कारण गतिरोध सामने आने के बाद बवाल हुआ. विरोध करने पर गाली-गलौज और जान मारने की धमकी दी गई है.

इस बावत अतुल कुमार तिवारी ने इसकी लिखित सूचना डीएम व एसपी को भी दी है. थाने में भी शिकायत दर्ज कराई है. अतुल का कहना है कि क्लब के प्रतिनिधि को सूचित नहीं किया गया था. फिर भी किसी अन्य माध्यम से जानकारी मिली तो वे सभी चुनाव स्थल पर गये. अपनी बातों को रखें.

लेकिन वहां पर इनकी बातों को नहीं सुना गया. इनके पक्ष के लोगों ने कहा कि हमसभी को चुनाव की सूचना देनी चाहिए या नहीं ? इस पर बात बढ़ गई और गाली-गलौज होने लगा.

उसके बाद इसकी शिकायत थाने को की गई है. जिसमें अध्यक्षता कर रहे संजय सिंह पर जान मारने की धमकी लगाया गया है.

इस बावत संजय सिंह और क्रिकेट संघ की ओर से बताया गया कि ऐसा कोई बात नहीं है. कुछ लोग स्वार्थ में ऐसा करना चाह रहे है. चुनाव गाइडलाइन के अनुसार हुआ है.

संजय सिंह ने बताया कि चुनाव में निर्विरोध इंदु कुमारी अध्यक्ष चुनी गई है.वहीं उपाध्यक्ष अमरनाथ दुबे बने है.बाकी पदों पर भी चुनाव प्रक्रिया तहत की गई है.

विद्यालय में पहुंचे मुखिया ने कहा: बच्चे ड्रेस कोड में स्कूल आए और शिक्षक बच्चों को प्रतिदिन गृहकार्य दें

Isuapur: प्रखण्ड के डटरा पुरसौली पंचायत के दरवाँ उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय का निरीक्षण मुखिया अजय राय ने किया.

विद्यालय निरीक्षण के दौरान मुखिया ने विद्यार्थियों की कॉपी की जांच की. जिसके बाद विद्यालय के शिक्षकों को प्रतिदिन विद्यार्थियों को गृहकार्य देने और उसे पुनः अगले दिन चेक करने को कहा जिससे की छात्रों का शैक्षणिक विकास हो सकें.

इस दौरान श्री राय ने प्रत्येक वर्ग में क्लास मॉनिटर का चयन किया और जो बच्चे विद्यालय ड्रेस कोड में नही पाए गए उन्हें एक सप्ताह के अंदर ड्रेसकोड में आने के लिए निर्देश दिया गया.

उन्होंने सभी शिक्षकों और छात्रों से विद्यालय में अनुशासन के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया.

मुखिया अजय राय ने कहा कि लगातार एक अभियान के तहत सरकारी विद्यालयों को बेहतर करने की कोशिश में लगे हुए है और इसके लिए लगातार प्रचार प्रसार हो रहा है. ऐसे में अभिभावकों का भी सहयोग जरूरी है और पूर्ण विश्वास है की पंचायत में शिक्षा का संचार बेहतर ढंग से होगा.

दाऊदपुर में दो बाइकों की टक्कर, सवार दो युवकों की हो गई मौत

Daudpur : छपरा जिले के दाउदपुर थाना क्षेत्र के नंदलाल सिंह कॉलेज के निकट दो बाइको की आमने सामने की टक्कर में दो युवकों की मौत हो गयी.

मृत युवकों की पहचान एकमा थाना क्षेत्र के एकारी ग्राम निवासी गिरिधर कुमार व दुसरे युवक की पहचान दाउदपुर के समता पार निवासी सुजीत पुरी के रूप में हुई है. दोनों युवकों का शव एकमा सीएचसी में रखा गया था. जहां से दोनों युवकों का शव पोस्टमार्टम के लिए छपरा भेज दिया गया है.

युवकों की मौत की सूचना के बाद परिजनों के बीच हाहाकार मच गया. एकमा सीएचसी में पहुँचे परिजन शव देखकर दहाड़ मारकर रो रहे थे.