Chhapra: बाईपास पर सरपट दौड़ती गाड़ियों की जगह जाम का आलम है. रोजाना ट्रकों की कई किलोमीटर लंबी कतार लगी रहने से एक लेन से आवागमन तो बाधित रह ही रहा है. दूसरे लेन से भी गाड़िया जैसे तैसे निकल रही है. बाईपास पर जाम के कारण छोटी गाड़ियों के वाहन चालक शहर की सड़कों को चुन रहे है. वही लंबी दूरी के वाहन जिन्हें रास्तों के ज्ञान नही है वह कई  घंटे जाम में फंसे रह रहे है. जिसके कारण छपरा का बाईपास पार्किंग जोन जैसा प्रतीत हो रहा है. 

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दरअसल इन दिनों शहर के उत्तरी छोड़ में कई सालों में बन कर तैयार हुए बाईपास से भाड़ी वाहनों का परिचालन हो रहा है. ये वाहन आरा, कोइलवर, मुजफ्फरपुर, पटना आदि स्थानों से उत्तर प्रदेश के बलिया, गोरखपुर सहित अन्य शहरों के लिए जाते है. शहर में बने बाईपास का कुछ हिस्सा अभी भी निर्माणाधीन है, जिससे ट्रकों को बाईपास से होते हुए फिर से शहर के श्यामचक आना पड़ता है. जो जो जाम की एक बड़ी वजह है.

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इस कारण से छपरा-बनियापुर सड़क समेत पूरा बाईपास भी रोजाना जाम रहता है. ट्रकों की कई किलोमीटर लंबी कतार से आवागमन सुगम होने के बजाए कठिन हो गया है.

आरओबी के निर्माण में देरी बड़ी वजह 

उमधा के पास बाईपास के लिए बन रहे आरओबी के निर्माण से इस समस्या से कुछ राहत मिल सकती है. हालांकि निर्माण में देरी से लोगों की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है. जाम का सबसे बड़ा कारण बालू व्यवसाय भी है जिसके लिए हजारों ट्रक कोइलवर से छपरा पहुंचते है. जाम का ऐसा ही आलम आरा-छपरा पुल पर भी रोजाना देखने को मिलता है, जहाँ एक लेन तो ट्रकों के कारण हमेशा जाम रहता है.

Chhapra: शहर से सटे न्यू बायपास सड़क का मेथावलिया चौराहा इन दिनों हादसों का केंद्र बनता जा रहा है. चार दिशाओं से इस चौराहे पर आने वाले वाहनों में टकराव अब आम बात होने लगी है.जिसमे वाहनों की क्षति के साथ साथ लोगो की मौत भी हो जा रही है. छपरा बायपास और छपरा मढ़ौरा मुख्य पथ के बीच बने इस चौराहे पर किसी सड़क मार्ग पर दिशा निर्देश नही लगा है, जिससे वाहन चालकों को यह पता चले कि आगे चौराहा है. जिससे वह सतर्क हो जाये और सावधानी पूर्वक इस चौराहे को पार कर सकें.

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जिला प्रशासन द्वारा कुछ दिनों पूर्व शहर में जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए पुलिस पिकेट बनाकर वाहनों के शहर में प्रवेश पर रोका जा था जिससे उस दौरान दुर्घटना नही हो रही थी. लेकिन इस सड़क पर पुनः परिचालन प्रारम्भ होने के बाद से यहां दुर्घटनाओं का तांता लगा हुआ है.

एक माह के अंतराल में अब तक इस चौराहे पर एक दर्जन से अधिक बड़े वाहनों की आपस मे टक्कर हो चुकी है. वही एक दर्जन से अधिक समान लदे बड़े वाहन अनियंत्रित होकर पलट चुके है. जिससे समान और वाहन दोनों की क्षति हुई है. लेकिन जिला प्रशासन पूरी तरह अनभिज्ञ है.

विगत दिनों मेथावलिया चौराहे पर दो बड़ी घटनाएं हुई. जिनमे एक पिकअप वैन पर सवार ऑर्केस्ट्रा पार्टी की गाड़ी टकराव के बाद पलट गई जिसमें कई लोग घायल हो गए. वही हाल ही में ईद की पूर्व संध्या दो ट्रकों की आपस मे टक्कर के बाद एक ट्रक में आग लग जाने से ट्रक के अंदर जलने से खलासी की मौत हो गयी.वही दूसरी ट्रक पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया.

छपरा मढ़ौरा पथ और न्यू बायपास सड़क पर दोनों ही तरफ से तेज गति से वाहन आती है. छपरा मढौरा-मशरख सड़क पर पूरे दिन सवारी बसों का परिचालन होता है तो वही बायपास सड़क पर सवारी और ट्रक का परिचालन होता है. प्रतिदिन चलने वाले वाहन के चालक को इस चौराहे के पता है, लेकिन अंजान और लंबी दूरी वाले वाहन चालक इस चौराहे पर तेजी से आते है और दुर्घटना का शिकार हो जा रहे है.

सबसे ज़्यादा दुर्घटना रात के समय हो रही है जब गाड़ी की स्पीड ज्यादा होती है और अचानक इस चौराहे को पार करने के दौरान वाहन चालक या तो टक्कर मार देते है या फिर अनियंत्रित होकर पलट जाते है. समय रहते अगर जिला प्रशासन द्वारा अगर इस चैराहे के चारो सड़क पर दिशा सूचक बोर्ड या फिर अन्य निर्देश का बोर्ड नही लगाता है तो निश्चित तौर पर कोई बड़ी घटनाएं घट सकती है.