Chhapra: पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 का दंश झेल रही है. उसी दरमियान बिहार में विधानसभा के चुनाव कराए जाने की तैयारियां अंतिम चरण में है. कोरोना संक्रमण के साथ साथ बिहार में बाढ़ की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है. ऐसे में चुनाव आयोग का राज्य में चुनाव कराने की समझ विवेक से परे है.

ज्ञात हो कि बिहार के अधिकतर जिले कोरोना के बढ़ते संक्रमण के साथ-साथ राज्य में आई भीषण बाढ़ के कारण संबंधित जिले के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. उक्त बातें एआईएसएफ के अमित नयन ने कही.

उन्होने कहा कि लोगों के घरों में पानी आ गया है. आम जनों का सड़कों पर निकलना किसी खतरे से कम नहीं है. विभिन्न पावर ग्रिडों में जलजमाव के कारण विद्युत आपूर्ति ठप हो गई है या इनकी आपूर्ति काफी कम हो गई है, या कहे तो किसी किसी फीडर में इलेक्ट्रिक सप्लाई ही नहीं हो रहा है. जिससे आम जनों का जीवन अव्यवयस्थित हो गया है. ग्रामीण इलाके के लोग भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. इस दरमियान अगर उनके बच्चे, बुजुर्ग या खुद के अस्वस्थ हो जाने पर उन्हें स्वास्थ्य सेवा लेने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

उन्होने कहा कि बिहार में जिस स्तर से कोरोना का संक्रमण बढ़ते जा रहा है, ऊपर से बाढ़ की दस्तक, इन सभी के बीच राज्य में चुनाव कराना खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. निर्वाचन आयोग को इस पर गंभीरता से विचार करते हुए फिलहाल बिहार विधानसभा के चुनाव को इस वर्ष के लिए टाल देना चाहिए.

Chhapra: एआईएसएफ द्वारा बुधवार को विश्वविद्यालय के घेरो के बाद एक बैठक का आयोजन किया गया. जिसमे निर्णय लिया गया कि अगर राज्यभवन व विश्वविद्यालय द्वारा छात्र हित में अगले पांच दिनों के अन्दर निर्णय नही लिया गया तो. 8 जनवरी को छपरा में छात्रों द्वारा चक्का जाम किया जायेगा.

स्नातक में नामांकित सभी छात्रों के साथ न्याय करने, सत्र नियमित करने, डीवीएसडी गरखा एवं विवि के अन्य कालेज के पंजीयन से वंजित छात्रों का पंजीयन कर परीक्षाफल प्रकाशित करने, नामांकित सभी छात्रों का पंजीयन कर परीक्षा लेने की मांग की है.