Chhapra: ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) सारण जिला इकाई के छात्रोंं ने संगठन के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर केंद्र सरकार द्वारा लाई गई तीन नए कृषि कानूनों एवं किसानों पर दमन के खिलाफ सड़कों पर उतरे और शहर के नगरपालिका चौक पर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंक रोष प्रकट किया.

पुतला दहन के बाद सभा को संबोधित करते हुए संगठन के राज्य उपाध्यक्ष राहुल कुमार यादव ने कहा कि तीन कृषि कानूनों में एक आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020”. यह न सिर्फ किसानों के लिए बल्कि आम जन के लिए भी खतरनाक है. अब कृषि उपज जुटाने की कोई सीमा नहीं होगी. उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट होगी. सरकार को पता नहीं चलेगा कि किसके पास कितना स्टॉक है और कहां है? खुली छूट. यह तो जमाखोरी और कालाबाजारी को कानूनी मान्यता देने जैसा है. सवाल यह है कि देश के कितने किसानों के पास भंडारण की सुविधा है? हमारे यहां तो 80% तो छोटे और मझोले किसान हैं. इस प्रकार एक बार फिर केन्द्र की मोदी सरकार तीन नए कृषि कानूनों के जरिए किसानों, गरीब, मजदूरों का शोषण कर बड़े पूंजीपतियों अडानी-अंबानी, को फायदा पहुंचाना चाहती है.

राज्य-पार्षद अमित नयन ने कहा कि हर बदलाव को सुधार नहीं कहा जा सकता है. कुछ विनाशकारी भी बन सकते है. देश ने ऐति‍हासिक सुधार के नाम पर नोटबंदी को झेला और भयावह परिणाम देखने को मिले. इस एक कदम से लाखों नौकरियां और सैकड़ों जिंदगियां खत्म हो गईं. जीएसटी, कोरोनाकाल में सरकार के गलत निर्णयों से आम जनता को कितनी परेशानियां हुई यह किसी से छुपी हुई नहीं है. ऐसे में हम नए कृषि कानूनों का कड़ा विरोध करते हैं
और किसानों का शोषण, दमनकारी नीतियों को बंद करने की मांग करते हैं.

नगरा (अयूब रजा): बिहार सरकार द्वारा सिंचाई के लिए लगाये गए नलकूप 20 सालों से बंद पड़े है. नलकूप के बंद होने के कारण सिंचाई कार्य पूरी तरह बाधित हो चूका है. जिससे किसान काफी परेशान है.

ग्रामीणों के अनुसार प्रशासन की उपेक्षापूर्ण नीति की वजह से अफौर, डुमरी, खोदाईबाग, पटेढ़ा, तुजारपुर, खैरा आदि आसपास के क्षेत्रों में 20 वर्षो से सिंचाई की बदतर व्यवस्था होने से कृषि कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है.

क्षेत्र निवासी रमेश कुमार, पंकज सिंह, अजय महतो, महन्त सिंह, आजाद अली, असरफ अली, आरती कुँवर, देवरती कुमारी, शम्भू राय, सोनू कुमार आदि दर्जनों किसानों ने कहा कि नगरा प्रखंड में कई नलकूप है जो समुचित देख-भाल अधिकारीयों एवम् कर्मियों को इन नलकूपों से कोई मतलब नही रहता है. जबकि मौजूदा हालत यह है कि कई नलकूप बिजली ट्रांसफार्मर जले होने के कारण कई वर्षो से जंगल-झार में ध्वस्त हो चुके है. यह हाल तब है जब नलकूपों को चलाने के लिए सरकार द्वारा ऑपरेटर भी बहाल किया है. फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. किसानों ने कहा कि अगर विभाग ने इस ओर ध्यान न दिया तो चरणबध्द आंदोलन चलाया जायेगा.