Chhapra: बिहार विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ सारण जिला प्रशासन एक्टिव मोड में आ गई है. चुनाव की तैयारियां शुरू है. कोरोना संक्रमण काल मे हो रहे इस चुनाव में पूरी तरह से कोविड को लेकर जारी दिशा निर्देशों का पालन करना प्रशासन के लिए एक कड़ी चुनौती है बावजूद इसके प्रशासन चुस्त दुरुस्त है.

जिले के 10 विधानसभा में इस बार 4239 मतदान केंद्र बनाए गए है. जहां सुबह 7 बजे से संध्या 6 बजे तक मतदान की प्रक्रिया होगी. जिले में इस बार मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मी के रूप में महिला कर्मी भी दिखेगी. जिला प्रशासन द्वारा महिला कर्मियों का डेटाबेस तैयार कर लिया गया है. साथ ही उनकी जिम्मेवारी भी तय की जा रही है.

शुक्रवार को समाहरणालय सभागार में आहूत बैठक में जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि जिले में कुल 4239 मतदान केंद्र बनाए गए है. जिसके अनुसार 22 हजार कर्मियों की आवश्यकता है. प्रशासन ने 23 हजार कर्मियों का डेटाबेस तैयार किया है. वही इस मतदान केंद्रों पर 7300 महिला कर्मी भी मतदान के कार्यो को संपादित करेगी.

उन्होंने बताया कि 4239 मतदान केंद्रों में से 230 मतदान केंद्रों का सिर्फ महिला कर्मी संचालन करेगी.इसके अलावे अन्य मतदान केंद्रों पर महिला कर्मी मतदान कर्मी के रूप में रहेंगी. जिसकी तैयारी अंतिम चरण में है.

Bihar: राष्ट्रीय जनता दल के नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी छोड़ दी है. बिहार विधानसभा के पूर्व रघुवंश प्रसाद सिंह का पार्टी को छोड़ना कई सवाल खड़े कर रहा है. पार्टी छोड़ने को लेकर श्री सिंह द्वारा राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव को सादे पन्ने पर लिखी चिट्ठी में रघुवंश प्रसाद सिंह का दर्द छलक रहा है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सिंह ने रिम्स “रांची में राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव को लिखें पत्र में कहते है कि जन नायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षो तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा लेकिन अब नही. पार्टी नेता, कार्यकर्ता और आमजनों ने बड़ा स्नेह दिया मुझें क्षमा करें.
रघुवंश प्रसाद सिंह”

दिल्ली के एम्स में भर्ती होने के बाद गुरुवार को लिखी गयी इस चिट्ठी के शब्द बता रहे है कि श्री सिंह पार्टी से नाखुश थे. इसके पूर्व उन्होंने उपाध्यक्ष पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया था. राजीनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि श्री सिंह पार्टी में अपनी अनदेखी से नाखुश थे और इसलिए ही ऐसा कदम उठाया गया. बहरहाल इस इस्तीफ़े के बाद राजद में चर्चा गर्म है. चुनाव के ठीक पहले वरिष्ठ नेता के द्वारा पार्टी को छोड़ना और अपने इस्तीफ़े के पत्र में ऐसे शब्दों का प्रयोग करना. अन्य राजनेताओं को भी सोचने पर विवश करता है.