Chhapra/Manjhi: मांझी रेल पुल से नदी पार करने के दौरान पुल से नीचे गिरे युवक की पहचान हो गयी है. शुक्रवार को करीब 30 घंटे से अधिक की कड़ी मशक्कत के बाद नदी में गिरे युवक का शव बरामद हुआ.

शव की हुई पहचान रिविलगंज थाना क्षेत्र के सिरिसियां गांव निवासी के रूप में हुई है. जो दिलीप सिंह का पुत्र दीपक बताया जा रहा है.

बताया जा रहा है कि शुक्रवार को नदी में गिरे युवक का शव सुदूर क्षेत्र में तैर रहा था. जिसे मछुआरों ने देखा.

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विदित हो कि गुरुवार को मांझी रेल पुल से यह युवक गुजर रहा था. पुल से नदी पार करने के दौरान यह गिर गया. जिसकी सूचना मिलने पर स्थानीय थाना ने गोताखोरों की मदद से शव की तलाश की लेकिन शव नही मिल पाया था.

 

Manjhi: लॉक डाउन के बाद देश भर के तमाम राज्यों से बिहारी मजदूरों का पलायन जारी है. इसी बीच गुरुवार को पलायन के दौरान यूपी से बिहार आ रहा एक युवक की मांझी रेल पुल से नीचे गिर गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ लोग यूपी की ओर से बिहार आ रहे थे. तभी मांझी रेल पुल से एक व्यक्ति नदी में नीचे गिर गया. जिसकी खोजबीन जारी है.

वही पुल से गुजर रहे कुछ और मजदूरों ने बताया कि यह व्यक्ति आजमगढ़ के मऊ से आ रहा था, तभी यह रेल पुल से नीचे गिर गया. उस समय नीचे नदी में नहा रहे कुछ लोगों ने इसे देखा तो बचाने के लिए गए, तब तक व्यक्ति डूब गया था और जो भी लापता हो गया.

इसके बाद लोगों ने इसकी सूचना मांझी थाना को दी. मांझी थाना टीम भेज कर व्यक्ति को खोजा किया जा रहा है दोपहर तक कोई जानकारी नही मिली. बता दें कि लॉक डाउन लागू होने के बाद देशभर के विभिन्न राज्यों से लाखों मजदूर पैदल ही बिहार वापस पलायन कर रहे हैं.

दाउदपुर: साधपुर-करैलिया मुख्य मार्ग पर पिलुई और बलेसरा गांव के बीच गंडक नहर पर बना पूल मौत को दावत दे रहा है. अब तक इस संकड़े पूल पर करीब आधा दर्जन दुर्घटनाएं हो चुकी है. दोनों साइड की रेलिंग का अधिकांश हिस्सा क्षति-ग्रस्त होकर गिर चुका है. पुल की चौड़ाई काफी कम होने और दक्षिणी हिस्से में अचानक टर्निंग(मोड़)आने के कारण किसी भी बड़े वाहन को पार करने में भाड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. रेलिंग की मरम्मत कराई जाती है और कुछ ही दिनों में किसी न किसी वाहन के टकराने से ध्वस्त हो जाता है.

क्षेत्रीय ग्रामीणों और उधर से गुजरने वाले यात्रियों का कहना है कि जब तक पुल की चौड़ाई नही बढाई जाती है. तब तक भविष्य में भयंकर घटनाओं से इंकार नही किया जा सकता. गंडक नहर परियोजना के अधिकारियों का भी मानना है कि चौड़ाई बढ़ाकर समस्या का स्थाई समाधान किया जा सकता है. अगर क्षेत्रीय जन-प्रतिनिधि थोड़ी रूचि लें तो उनके मद से समस्या का समाधान हो सकता है. इसके लिये क्षेत्रीय लोगों को भी आगे आना होगा.

छपरा: छपरा से पटना जाने वाला एक मात्र जुगाड़ू पुल पर पानी चढ़ गया है. बरसात के कारण नदी के जलस्तर में हुई बढोतरी के कारण यह पुल धीरेधीरे डुब रहा है. पुल पर पानी चढने से पूरी तरह यातायात बंद हो चुका है. अब दियरा क्षेत्र अकिलपूर में आने-जाने का एकमात्र साधन नाव ही बचा है.
जुगाड़ु पुल पर पानी चढने से छपरा से पटना जाने वाले लोगों की मुश्किलें बढ गई है. अब इस पुल से पानी हटने के बाद जब-तक उसे पूरी तरह से मरम्मत नहीं किया जाता तब-तक इस पुल पर आवागमन बहाल नहीं हो सकता. लेकिन मौसम विभाग के बरिश के अनुमान को  देखकर लगता है कि अब 2017 में ही इस पुल पर आवागमन बहाल होगा.
बताते चलें कि छपरा से पटना जाने के लिए दिघवारा नदी किनारे बास बल्ले की सहायता से छोटी नदी पर जुगाड़ पुल स्थानीय लोगों द्वारा बनाया गया. इस पुल के बनने से पटना की दूरी महज़ 55 किमी हो जाती हैं, अकिलपुर गांव होते हुए दानापुर लोग आसानी और सहजता से 30 से 45 मिनट में पहुंच जाते हैं लेकिन इस पुल को पार करने के लिए मोटरसाईकिल को 10 तथा  चारपहिया वाहन को 50 रुपये का शुल्क अदा करना पड़ता है. अब इस पूल के उपर पानी चढ जाने से  हाजीपुर के रास्ते गाँधी सेतु पार कर पटना जाना होगा. जो राहगीरों के लिए बड़ी चुनौती है.