छपरा: बाढ़ के पानी के छपरा शहर में आने के बाद नगर परिषद् की सफाई व्यवस्था की पोल खुल गई है.  शहर को स्वच्छ रखने के तमाम वादे करने वाले नगरपरिषद की कार्यप्रणाली स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रही हैं.

बीते दिनों शहर के साहेबगंज, थाना चौक और नगरपालिका चौक जैसे व्यस्ततम इलाकों में बाढ़ का पानी आने की प्रमुख वजह नालों की समय पर सफाई नहीं होना है. शहर के अधिकतर मुहल्लों में नाला पूरी तरह जाम है जिसके चलते ही बाढ़ का पानी नालों में जाने के बजाये सड़कों पर बहने लगा.

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बाढ़ के बाद भी नहीं चेता नगरपरिषद

बाढ़ के पानी का शहर में आने की प्रमुख वजह नालों की ठीक से सफाई नहीं होना ही है. शहर में बाढ़ का पानी आने से स्थिति बिल्कुल नारकीय हो गई है. नाले का कचड़ा पानी के साथ सड़क पर बह रहा है. इन सब से बीच नगरपरिषद् इस घटना से सबक लेने की जगह शहर की साफ़-सफाई में काफी ढिलाई बरत रहा है. अभी भी अधिकतर मुहल्लों में नाला जाम होने की वजह से बाढ़ का पानी जमा है. कई जगहों पर तो पानी के साथ तेज दुर्गन्ध ने आस-पास के लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. 

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आर्यसमाज स्कूल के गेट पर बह रहा नाले का पानी

छपरा के आर्यसमाज स्कूल के मेनगेट पर नाले का पानी सड़क पर बह रहा है. स्कूल में जाने का एक मात्र यह रास्ता छात्र-छात्राओं के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर रहा है. स्कूल जा रही छात्राओं को नाले के पानी से ही गुजर कर प्रांगण में जाना पड़ रहा है. नगर निगम बनने की दहलीज पर खड़ा छपरा नगरपरिषद बाढ़ की विभीषिका के बाद भी चेत नहीं सका है.

Prabhat Kiran Himanshu/Kabir Ahmad

छपरा: छपरा नगर परिषद में इन दिनों पर्याप्त रूप में संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन उपलब्ध संसाधनों के अनुपात में सफाई व्यवस्था शून्य है.

पिछले कुछ दिनों में दर्जनों ट्रैक्टर, सफाई एवं कचड़ा ढोने उठाने वाली मशीनों की खरीदारी की गई है. जिससे शहर साफ़ और स्वास्थ्य रहे. लेकिन कुछ संसाधनों को छोड़कर कई मशीन कार्यालय परिसर में खड़े होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए शोभा की वस्तु बन गई है.

मुख्य रूप से कुछ जगहों को छोड़कर शहर में कोई ऐसा स्थान नहीं जहाँ इन मशीनों से काम लिया जाए . शहर में ऐसे भी कई जगह है जहां इन मशीनों से सफाई व्यवस्था नहीं हो सकती है लिहाज़ा वहा बड़ी मशीनों की आवश्यकता है.

ऐसे में इन मशीनों को किन उदेश्यो की पूर्ति के लिये खरीदा गया है यह आम लोगों की समझ से परे है. शहर के कुछ लोगों से नगरपालिका की कार्य प्रणाली के बारे में बातचीत की गई अममून सभी लोगों ने नगरपालिका को स्वयं के स्वार्थ का साधन करार दिया. उपर से लेकर नीचे तक जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन के कर्मचारी प्रत्यक्ष तौर पर दोषारोपण और अप्रत्यक्ष रुप से मिली भगत से काम करते हैं.

कुछ लोगों ने चौक चौराहों पर रखी डस्ट बीन की कहानी बयान करते हुए कहा कि पहले तो कई वर्षों तक यह नगरपालिका कार्यालय में पड़ी रही गुणवत्ता खत्म होने के बाद इनको सड़को के किनारे रखा गया अब आलम यह कि यह डस्ट बीन कबाड़ी हो चुका है. शहरवासियो को तो इन डस्ट बीन का फायदा तो नहीं लेकिन उनको जरूर मिला जो इसकी खरीदारी के समय कुर्सी पर काबिज थे. वैसे ही इन मशीनों की हुई इन मशीनों से शहर की सफाई हो ना हो कार्यालय का काम जरूर हो गया.

ऐसे में हम यही कहेंगे कि जनता हो गई त्रस्त जनप्रतिनिधि और कर्मचारी हुए मस्त. बहरहाल जनता की बात में सच्चाई है बावजूद इसके नगरपालिका के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियो को भी इन बातों पर ध्यान केंद्रित करना होगा.

छपरा: शहर के विभिन्न चौक-चौराहों समेत गली-मुहल्लों में भी एलईडी लाइट लगाया जाएगा.नगर परिषद ने 30 लाख रूपए की लागत वाली इस योजना की स्वीकृती दे दी है.

नगर परिषद अध्यक्ष शोभा देवी ने बताया कि छपरा नगर परिषद के सभी 44 वार्डों में एलईडी लाइट लगाए जाएंगे और नगर परिषद कार्यालय परिसर में भी हाईमास्क लाइट की व्यवस्था की जाएगी.

नगर परिषद के एक महत्वपूर्ण बैठक में विभिन्न योजनाओं पर बात करते हुए शोभा देवी ने कहा कि शहर को पर्याप्त रौशनी की व्यवस्था उपलब्ध कराने के साथ-साथ सभी 44 वार्डों में 3.50 लाख रूपए की लागत से सड़क एवं नाले का निर्माण भी जल्द ही शुरू कराया जाएगा,साथ ही नगर परिषद कार्यालय परिसर में पार्क का निर्माण एवं उसका सौंदर्यीकरण भी होगा.