दिव्यांगता को मात देकर विनोद गढ़ रहा परिवार के भविष्य की तस्वीर

Isuapur: अक्सर लोग दिव्यांगता को भगवान का अभिशाप समझते है, अमूमन समाज के लोग दिव्यांगजनों के प्रति सहानुभूति प्रकट कर आर्थिक रूप से उनकी सहायता करते है लेकिन इसी समाज में कुछ ऐसे भी दिव्यांग है जिन्होंने ना सिर्फ अपने जीवन से दिव्यांगता जैसे शब्द को दरकिनार किया बल्कि वह सामान्य लोगों की तरह समाज में कदम से कदम मिलाकर चल रहे है तथा अपना और अपने परिवार के सदस्यों का भरण पोषण कर रहे है.

कहानी इसुआपुर के विनोद कुमार साह की है जो जन्म से ही पोलियोग्रस्त है. पोलियो के कारण विनोद का बायां हाथ तो है लेकिन उसमे जान ना के बराबर है. पूरा का पूरा हांथ शिथिल है जिसके कारण उसके हांथ किसी काम को करने में असमर्थ है. इसके बावजूद विनोद सामान्य लोगों की तरह कंधे से कंधा मिलाकर मेहनत करते हुए परिवार का बोझ उठाता है.

एक हांथ से दिव्यांगता के बावजूद दृढ़ निश्चय के साथ विनोद ने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर बी कॉम तक की पढ़ाई की. हालांकि आर्थिक तंगी के कारण बी कॉम की पढ़ाई उसे बीच में ही छोड़नी पड़ी.

छपरा टुडे से बातचीत करते हुए विनोद ने अपने जीवन की कहानी बताई. विनोद ने बताया कि पोलियो के कारण उसका बायां हाथ शिथिल है जिससे कुछ कार्य नहीं किया जा सकता. बावजूद इसके उसने इंटर की पढ़ाई पूरी की. 3 वर्ष पूर्व उसने पढ़ाई के लिए बी कॉम में अपना नाम भी लिखवाया था लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी. विनोद के पिता वाहन चालक का कार्य करते है. जिसके कारण आर्थिक स्थिति दयनीय थी.

विनोद इसुआपुर मुख्य बाजार में अपनी ठेले वाली दुकान चलाता है. शिवम स्पेशल चप भंडार के नाम से उसकी दुकान प्रसिद्ध है. दुकान में एक हांथ से ही प्याज कटना, आलू तैयार करना, अंडे काटना और उसे बेसन में लपेटकर फ्राई करना. यह पूरा काम वह एक हांथ से करता है जो एक सामान्य व्यक्ति के बस की बात नही है. इतना ही नहीं वह गैस चूल्हा भी एक ही हांथ से जला लेता है. दुकान पर आने वाले ग्राहक भी विनोद के इस जज्बे को देखकर काफी प्रशंसा करते है.

इस दुकान पर आने वाले लोग बताते है कि वह विनोद के व्यवहार और सामानों की क्वालिटी के कारण यहाँ आते है. उनका कहना है कि एक हांथ से कहाड़ी में पकौड़ी बनाना कबीले तारीफ है.

शादीसुदा विनोद 2 बच्चो का पिता है. उसकी इच्छा बी कॉम की पढ़ाई कर कुछ कर गुजरने की थी लेकिन पारिवारिक आर्थिक तंगी के कारण उसे अपना ठेला शुरू करना पड़ा.

बहरहाल अब वह अपने ठेले पर कार्य करके संतुष्ट है. उसका मानना है कि व्यक्ति अपने अंतर आत्मा से दिव्यांग होता है शरीर से नही. शरीर की दिव्यांगता उसे कभी कमजोर नहीं कर सकती.

मुकबधिरो के लिए 90 दिवसीय प्रशिक्षण का उद्घाटन

Baniyapur: प्रखंड के मध्य विद्यालय पूछरी मे मूकबधिर दिव्यांगों के लिए विशेष शिक्षण कार्यक्रम के तहत 90 दिवसीय शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

समावेशी शिक्षा के तहत गैर आवासीय् विशेष शिक्षण के इस कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व बीईओ इंदु कुमारी, बीआरपी आसमोहम्मद, बीआरपी सत्येंद्र मिश्रा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. जहाँ मौके पर प्रखंड के कई विद्यालयों के दिव्यांग छात्र छात्राए सहित प्रतिनियुक्त प्रशिक्षक शामिल थे.

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कार्यक्रम में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी समावेशी शिक्षा बिहार पटना के निर्देश पर जिले के पांच प्रखंडो मे एक साथ आयोजित जिले के सभी दिव्यांग बच्चो को विशेष शिक्षण कार्यक्रम से जोड़ा जा रहा है. बनियापुर के इस कार्यक्रम मे बनियापुर, लहलादपुर, नगरा, जलालपुर सहित अन्य प्रखंड के दिव्यांगों को जोड़ने की बात कही गयी.

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मनोविकास एव वाणी विकास के इस कार्यक्रम मे सभी विद्यालयों के 3 से 18 वर्ष आयु के बच्चो का ऑडियोयोलोजिस्ट, स्पीच थ्रेपिस्ट विशेषज्ञो के द्वारा प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है. मौके पर प्रशिक्षक दुर्गेश सिंह, विजय मिश्रा, बब्लू कुमार राम, दिव्यांग संयोजक विपिन लाल सहित अन्य शामिल थे.

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Chhapra: छपरा के दिव्यांग पारा एथलीट अमित कुमार सिंह को बिहार सरकार ने खेल सम्मान 2018 से सम्मानित किया है. खेल दिवस के मौके पर उन्हें उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यह सम्मान दिया. साथ ही राज्य सरकार की तरफ से उन्हें 50 हज़ार रुपय भी दिये जाएंगे.

कई बिहार के लिए जीते हैं गोल्ड

ज़िले के डोरीगंज स्थित मानपुर जहांगीर गांव के निवासी अमित दोनों पैरों से दिव्यांग है. इसके बावजूद उन्होंने एथलेटिक्स में कदम रखकर राष्ट्रीय स्तर पर बिहार के लिए कई मेडल जीते हैं.
इसी साल 2018 में हरियाणा के पंचकूला में आयोजित पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अमित ने बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है.

अभावों के बीच पले

अभावों के बीच पले बढ़े अमित ने खेलों में बिहार के लिए कई उपलब्धियां हासिल की हैं. 2014 में पटना में आयोजित पारा ओलंपिक के दौरान डिस्कस थ्रो में उन्होंने गोल्ड जीता. इसके अलावें 2013 में बेंगलुरु में भी पारा ओलंपिक में इन्होंने बिहार के लिए स्वर्ण पदक जीता है. वही भोपाल में आयोजित मायास गेम में इन्होंने शॉटपुट में गोल्ड जीत बिहार का नाम रौशन किया है.

साथ ही साथ अमित व्हील चेयर किकेट भी खलते है. यह निःशक्तता सोसाइटी द्वरा संचालित करायी जाती है.

 

छपरा: आगामी 13 अप्रैल को राजेन्द्र स्टेडियम में भारत सरकार के एपिड योजना के अन्तर्गत दिव्यांगजनो को सहायक उपकरण का वितरण हेतु विशेष शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें वर्ष 2016 में चयनित दिव्यांगजनो को सहायक उपकरण उपलब्ध कराया जायेगा.

जिलाधिकारी हरिहर प्रसाद ने कहा कि शिविर में केन्द्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी भी उपस्थित रहेंगे. दिव्यांगजनो एवं उनके अभिभावक की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए विधि-व्यवस्था संधारण करने हेतु दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी, पुलिस बल की प्रतिनिुयक्ति की गयी है, जो हर हाल में शांति व्यवस्था बनाये रखेंगे.

आयोजन की विधि-व्यवस्था के वरीय प्रभार में उपविकास आयुक्त सुनिल कुमार, मोबाईल नं0 9431818362 एवं अपर पुलिस अधीक्षक सत्यनारायण कुमार मोबाईल नं0 9431210855 को दी गयी है. जिन्हें विधि-व्यवस्था से संबंधित कोई भी सूचना उनके मोबाईल नं0 पर दिया जा सकता है.

दिव्यांगजनो को लाने वाले वाहनो की पार्किंग की व्यवस्था राजकीय बालिका इंटर काॅलेज छपरा के परिसर में की गयी है. कार्यपालक पदाधिकारी नगर निगम, छपरा को पीने का शुद्ध जल एवं सफाई की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है.