• दलित बस्ती के लोगों को भी किया गया जागरुक
  • बच्चों ने निकाली प्रभातफेरी

Chhapra: स्वच्छ भारत इंटर्नशिप के तहत दलित बस्ती के लोगों को जागरुक करने हेतु जगदम कॉलेज के एनएसएस स्वयंसेवको ने निकाली प्रभातफेरी. राष्ट्रीय सेवा योजना जगदम कॉलेज इकाई छपरा के द्वारा स्वच्छ भारत समर इंटर्नशिप 2018 के तहत अपने गोद लिए गए गांव दलित बस्ती उत्तरी दहियावां टोला मे स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरुक किया.

स्वयंसेवक प्रिंस कुमार के नेतृत्व में 5:00 बजे सुबह में प्रभात फेरी निकाली गई. प्रभात फेरी दलित बस्ती से शुरू होकर बस्ती के विभिन्न मोहल्लों से होते हुए, राजेंद्र सरोवर, नंदन पथ, योगीनीय कोठी, सारण एकेडमी ढाला से होते हुए पुण: दलित बस्ती में जाकर संपन्न हुई. प्रभात फेरी एनएसएस स्वयंसेवकों एवं बच्चे हाथों में तख्ती लिये हुए थे. जिसपर विभिन्न नारे जैसे “स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत, “शौचालय का निर्माण घर का सम्मान” आदि लिखे हुए थे.

इस अवसर पर एनएसएस स्वयंसेवकों में मकेशर पंडित, रौशनी रोशन, सन्नी सुमन, रचना पर्वत, नितु कुमारी आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई.

{सुरभित दत्त}
समाज के उत्थान और प्रगति के लिए शिक्षा बेहद जरुरी आयाम है. समाज को शिक्षित करने के मुहीम के माध्यम से समाजसेवा में जुटे कुछ जुनूनी युवाओं ने इन दिनों शहर में एक अभियान छेड़ रखा है. युवाओं द्वारा दलित बस्ती का चुनाव कर उनमें रह रहे बच्चों तक शिक्षा का अलख जलाया जा रहा है. 

इस कार्य में लगे फेस ऑफ़ फ्यूचर इंडिया संस्था के मंटू कुमार यादव बताते है कि समाज के गरीब बच्चों को शिक्षा देने की प्रेरणा उन्हें राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक के रूप में कार्य करते हुए मिली. मंटू राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक के रूप में अपने बेहतर कार्यो के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके है. 

बच्चों के साथ मंटू की टीम                                                                                       Photo: Mantu Kumar

शहर के दलित बस्तियों में आपको मंटू के संस्था के द्वारा चलायी ऐसी पाठशाला अमूमन दिख जाएगी. संस्था के माध्यम से इन दिनों एक अभियान चला कर दलित बस्ती के बच्चों को साक्षर बनाने में जुटे है.

प्रतिदिन शहर के किसी न किसी दलित बस्ती में शिविर के माध्यम से संस्था के युवा शिक्षा की अलख जगाने निकल पड़ते है. बस्ती का चुनाव होता है. बच्चों को बुलाया जाता है, और शुरू हो जाती है पाठशाला.

यहाँ देखे वीडियो रिपोर्ट 

मंटू ने बताया कि उनकी संस्था से जुड़े युवाओं की टोली अलग अलग स्थानों पर दलित बस्तियों में शिक्षा का अलख जा रही है. छपरा शहर के आलावे कई प्रखंडों में भी ऐसे शिविर के माध्यम से बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि दलित बस्तियों में पहले लोगों ने विरोध किया पर जब उन्हें पता चला की बच्चों के भविष्य के लिए शिक्षा जरुरी है और उनकी टीम बच्चों को शिक्षित करने पहुंची है, तो स्थानीय लोगों ने भी सहयोग करना शुरू किया और अभियान चल पड़ा. दलित बस्ती में लगी इस पाठशाला से बच्चों को निश्चित ही लाभ मिल रहा है. दलित बस्ती की महिलाओं ने भी इनके प्रयास की सराहना करते हुए इसे जारी रखने की बात कही.

तमाम सरकारी संसाधनों और योजनाओं के बाद भी कही ना कही गरीब बच्चे शिक्षा से दूर रह जाते है. मंटू की टीम ‘पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया’के अपने ध्येय वाक्य को लेकर आगे बढ़ रही है. इन युवाओं की निःस्वार्थ सेवा समाज को एक नई प्रेरणा दे रही है.

छपरा (संतोष कुमार ‘बंटी’): ‘दलित’ एक ऐसा नाम जिसके उपर हो रही राजनीति शायद कभी समाप्त नहीं होगी. इस शब्द के प्रति अपनत्व को देखकर लगता है कि यह सभी के चहेते तो हैं, लेकिन असलियत का पता तो इस नाम के साथ जीने वाले लोगों के पास ही जाकर लगाया जा सकता है. जहां सरकार और प्रशासन द्वारा इन दलितों के प्रति दिखाए जा रहे अपनत्व की सच्चाई का पता चलता है.

दलित समुदाय के लोग यह कहने को विवश हो चुके हैं कि ‘दलित’ शब्द हमें समाज के अन्य वर्गों से अलग तो करता है लेकिन इसका भाव हमेशा नकारात्मक होता है. दलितों के साथ हो रहे भेद-भाव का प्रबल उदाहरण छपरा के कटहरी बाग के पास स्थित दलित बस्ती है जहां रहने वाले लोग प्रतिदिन घुट-घुट कर जीने को विवश हैं. शहर के बीचों-बीच कटहरी बाग़ के वार्ड नंबर 35 में दलित बस्ती है. जहाँ पिछले कई वर्षो से सुलभ शौचालय बना हुआ है. जिसकी जानकारी शायद आम लोगों को भी नहीं है.

जर्जर अवस्था में पहुँच चुका यह शौचालय अपनी दुर्दशा पर रो रहा है. शौचालय की टंकी पूरी तरह से भर चुकी है. साफ सफाई का तो कोई नामो निशान तक नही है और न ही शौचालय की टंकी को साफ करने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है. जिसके कारण अब शौचालय से निकलने वाली गन्दगी खुली जगहों पर बह रही है. गन्दगी के कारण आसपास की जमीन ही नही बल्कि पूरा का पूरा मुहल्ला या यूँ कहें कि पूरे शहर का वातावरण प्रदूषित हो रहा है. बावजूद इसके यहाँ किसी राजनेता या जिला प्रशासन का ध्यान नही जाता है. ऐसे में यहाँ रहने वाले करीब 100 दलित परिवार सिर्फ उपर वाले के रहमो करम पर जैसे-तैसे अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे है.

क्या कहते हैं स्थानीय निवासी:

धर्मनाथ राम
धर्मनाथ राम

सुलभ शौचालय से 5 मीटर की दुरी पर रहने वाले जिला निगरानी और अनुश्रवण समिति/जिला सामाजिक सुरक्षा समिति/अनुसूचित जाति जनजाति सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति के सदस्य धर्मनाथ राम का कहना है कि दलित सिर्फ राजनीति का माध्यम बनकर रह गया है. दलितों के उत्थान की बात तो होती है लेकिन जमीनी स्तर पर उत्थान नही होता.

 

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कृष्णा राम
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दीनदयाल राम

बस्ती के दीनदयाल राम और कृष्णा राम ने बताया कि शहर के बीचों बीच हमारी बस्ती है, लेकिन यह बस्ती सुदूर गाँव से भी बदत्तर स्थिति में है. बस्ती के प्रवेश द्वार पर ही लोगों द्वारा दलित बस्ती होने के कारण जानबूझकर कूड़ा फेंका जाता है. जिसके कारण यहाँ रहने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है. बस्ती में बना सुलभ शौचालय सिर्फ नाम तक ही सीमित है. हवा के झोंको के साथ शौचालय से निकलने वाली गन्दगी की बदबू अचानक गर्दन मरोड़ने लगती है. शौचालय की बदत्तर स्थिति को लेकर प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी सारण, नगर परिषद् को पत्र देकर अवगत कराया गया लेकिन यह सब सिर्फ फाइलों में दब कर रह गया. वार्ड आयुक्त को भी कई बार सफाई को लेकर कहा गया लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला.

दलित बस्ती की महिलाओं का कहना है कि बदबू के कारण कई बार छोटे बच्चों की तबियत ख़राब हो जाती है. पिछले दिनों हुई बारिश ने तो बस्ती की स्थिति पहले ही बिगाड़ दी थी और इन दिनों हो रही कड़क धुप से तो हालत और भी कष्टदायक हो गया है. घर में बना खाना भी इन दिनों बदबू के मारे खाया नही जा रहा है. पूरे मोहल्ले में गंदगी से लतपथ सुअर घूमते रहते हैं, जिसके कारण आजकल लोग घरो में ही दुबके रह रहे है.

देखा जाए तो शहर में दर्जनों दलित बस्तियां है पर सबका हाल लगभग एक ही जैसा है. भारतीय राजनीति का केंद्र रहा दलित समाज भले ही अपने जनप्रतिनिधियों को कई बार सत्ता के शीर्ष पर पहुँचाने में अहम् भूमिका निभा चूका है पर समाज और सरकार की उपेक्षाओं के शिकार इस बस्ती के लोग आज भी बदहाल जिंदगी जीने को विवश हैं.