Chhapra: आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. करोना काल में दूसरी बार मनाए जा रहे चैत्र मास के छठ व्रत को इस बार भी व्रतियों ने अपने परिवार के साथ घर के अंदर छतों पर, ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब सरोवर एवं नदी घाटों पर उपस्थित होकर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य की उपासना करते हुए पहले दिन का अर्घ्य दिया.

छठ व्रत को लेकर विगत 2 दिनों से चली आ रही अनुष्ठान के तीसरे दिन जलाशयों में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ देते हुए व्रतियों ने परिवार के स्वास्थ्य, संपन्नता, सुरक्षा एवं वर्तमान समय के कालचक्र में चल रही कोरोना महामारी को दूर करने का आशीर्वाद मांगा.

व्रती एवं उनके परिवार के सदस्यों ने संध्या समय में कोसी भराई का भी कार्यक्रम किया.

जिसके उपरांत सोमवार की सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को व्रतियों द्वारा अर्घ्य दिया जाएगा. महापर्व छठ को लेकर नदी घाटों, जलाशय, सरोवर, तालाब एवं छतों पर बनाए गए कृत्रिम तालाबों की सजावट की गई थी. घर के सदस्यों द्वारा रंग बिरंगी फूल एवं लाइट से भी सजावट किए गए थे.

बताते चलें कि विगत वर्ष 2020 में भी कोरोना संक्रमण काल था. विगत वर्ष लॉकडाउन की अवधि में महापर्व छठ व्रतियों ने अपने अपने घरों में मनाया था. इस वर्ष भी कोरोना का संक्रमण पुनः वापस है. वह होकर तेजी के साथ फैल रहा है, जिला प्रशासन द्वारा सभी छठ व्रतियों एवं परिवार के सदस्यों से कोरोना संक्रमण को देखते हुए अपने घरों में महापर्व को करने तथा मास्क एवं 2 गज की दूरी सहित कोविड-19 के पालन करने का आह्वान किया गया है.

Chhapra: लोक आस्था का महापर्व चैत्र छठ प्रारंभ हो गया. महापर्व के पहले दिन नहाय खाय के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है. व्रतियों ने घरों में ही इस पर्व की शुरुआत की.

कोरोना वायरस के चलते व्रती इस बार घरों से ही भगवान की पूजा करने को तैयार है.

शहर में पूजा पाठ के समान बेचने वाली दुकानी खुली है, वही फल भी भरपूर मात्रा में मिल रहे है. हालांकि कुछ ग्रामीण इलाकों में फल की कम दुकान खुल रही है जिससे व्रती के परिवार वालो को थोड़ी दूर जाना पड़ रहा है. इसके बावजूद लोगो की आस्था भगवान के प्रति कायम है. इस पर्व को लेकर व्रतियों का कहना है कि वह जितना समान मिलेगा उसी से भगवान भाष्कर की पूजा अर्चना करेगी.

नहाय खाय के बाद व्रती खरना और फिर अस्ताचलगामी भगवान को प्रथम अर्घ्य देगी वही दूसरे दिन भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हो जाएगा.

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