Dighwara: शारदीय नवरात्र शुरू होते ही प्रखंड के शक्तिपीठ स्थल अंबिका भवानी मंदिर आमी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा और दोपहर तक मां के इस दरबार में आस्थावान श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहा, वहीं पंक्तिबद्ध होकर हजारों श्रद्धालु मां अंबिका के दर्शन कर अपने-अपने घरों की ओर लौटते नजर आए. मां अंबिका की आस्था के आगे कोरोना के संक्रमण का डर पीछे छूटता नजर आया. कोरोना के संक्रमण के बीच मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में पूर्व के वर्षो की तुलना में इस साल भी तनिक भी कोई कमी नहीं दिखी. हर कोई मां अंबिका के दर्शन को बेताब नजर आया. सामान्य लोगों के अलावे बड़ी संख्या में प्रशासनिक पदाधिकारियों व चुनावी किस्मत आजमाने वाले सैकड़ों प्रत्याशियों ने भी मां के दरबार में माथा टेका और हर किसी ने अपनी अपनी मन्नतों के पूर्ण होने की कामना की.

मार्च में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच हुए लॉकडाउन के बाद पहली बार मां अंबिका का दरबार श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी भीड़ से गुलजार दिखा. मंदिर के आसपास की फिजा दुर्गा सप्तशती के मंत्रों व श्रद्धालुओं के जयकारों की गूंज से गुंजायमान होता देखा गया. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने नवरात्र के पहले दिन मां के दरबार में सपरिवार अपनी हाजिरी लगाई और पारिवारिक खुशहाली, समृद्धि व तरक्की की कामना की.

सुबह चार बजे से ही मंदिर में जुटने लगी थी भीड़, पाठ करने वाले श्रद्धालुओं से पटा नजर आया मंदिर परिसर-

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच शनिवार को मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तनिक भी कोई कमी नहीं दिखी और हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सुबह चार बजे से ही मंदिर में पाठ करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी. दिघवारा,हराजी, अवतारनगर व मूसेपुर की तरफ से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को पैदल ही मंदिर पहुंचते देखा गया. मंदिर पहुंचने के बाद श्रद्धालुओं ने गर्भगृह के चारों ओर साफ किए गए जगहों पर आसन ग्रहण कर दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरा किया और फिर श्रद्धालुओं ने सामूहिक तौर पर आरती की और उसके बाद पंक्तिबद्ध होकर गर्भगृह के बाहर से मां अंबिका के पिंडी रूप के दर्शन कर अपनी मुरादों के पूर्ण होने की कामना की. गर्भगृह के अंदर पंडित राजकुमार पांडेय द्वारा सभी श्रद्धालुओं के प्रसाद व अन्य पूजन सामग्रियों को पिंड पर अर्पित किया गया. बड़ी संख्या में मन्नत पूर्ण हुए श्रद्धालुओं ने मां की पिंडी रूप पर चुनरी चढ़ाकर मां अंबिका के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की.

मंदिर के आसपास स्थित दुकानों पर खूब दिखी ग्राहकों की भीड़, चहल पहल से बढ़ी मंदिर की रौनक-

लॉक डाउन के बाद पहली बार आमी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा दिखा और मंदिर के आसपास अवस्थित पूजन सामग्री व प्रसाद की दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ देखी गयी और दुकानदार ग्राहकों को सामान देने में व्यस्त नजर आए. मंदिर के आसपास चहल-पहल बढ़ने से माहौल नूरानी होता दिखा. दोपहर तक मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी और मां अंबिका के दर्शन के लिए गर्भगृह तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को घंटों पंक्ति में खड़ा होना पड़ा. धूप में खड़े श्रद्धालुओं का हौसला तनिक भी डिगता नहीं दिखा और हर किसी ने मां अंबिका के जयकारों के बीच आगे बढ़ते हुए गर्भगृह के बाहर से मां अंबिका के दर्शन किए. इस दौरान रितेश तिवारी, मुनचुन तिवारी,संतोष तिवारी, धीरज तिवारी, भीखम बाबा समेत तमाम पुजारी सक्रिय देखे गए. संजय दिघवारवी, रमेश वैश्य,राजू सिंह,रौशन मिश्रा,ब्रजेश सिंह व अनिल पांडेय सरीखे सैकड़ों भक्तों को मां अंबिका की आराधना में लीन देखा गया.

 

Chhapra: सारण जिले के दिघवारा आमी स्थित अम्बिका भवानी मंदिर में चैत्र नवरात्र के अवसर पर महाष्टमी को विशेष पूजा का आयोजन किया गया.

कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए लॉक डाउन अवधि में मंदिर के पुजारी द्वारा ही इस वर्ष माता का पूजन, नवरात्र पाठ एवम आरती की जा रही है. विधिया विधान के साथ प्रतिदिन मंदिर के पुजारी द्वारा माता का श्रृंगार भी पूरे विधि विधान से किया जा रहा है.

बुधवार को माता के महाष्टमी की पूजा विशेष रूप से की गई. सिद्धि पीठ आमी मे विश्व के आपदा निवारण व जन कल्याणार्थ अलग – अलग मंत्रों से आठवें दिन संपुट पाठ किया गया.

इसके पूर्व पुजारियों ने मां अम्बिका भवानी के प्रातः कालीन पूजन, आरती तथा विश्व मे उत्पन्न कोरोना आपदा निवारण हेतु प्रार्थना करते हुए और सभीं भक्तों को मनवांछित फल प्राप्ति हेतु कामना की गयी.

विदित हो की लॉक डाउन अवधि में अंबिका भवानी मंदिर न्यास समिति की तरफ से मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार बंद कर दिया गया है. प्रतिदिन मंदिर के पुजारी द्वारा ही माता की आराधना, प्रातः कालीन, संध्याकालीन पूजा व संपुट पाठ किया जा रहा है.

इसके अलावें नवरात्रि भर चलने वाले संध्या कालीन माता के अलग-अलग स्वरूपो यथा शैलपुत्री, ब्रह्मचारी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा आदि स्वरूपो का विशेष श्रृंगार कर पूजा की जा रही है.