Chhapra: मुंशी प्रेमचंद की 139वीं जयंती पर विधान पार्षद प्रो. (डॉ.) वीरेन्द्र नारायण यादव के आवास पर एक संगोष्ठी सम्पन्न हुई.
विधान पार्षद प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव ने कहा कि गोदान के होरी की जद्दोजहद आज भी देश का किसान भोग रहा है. घीसू और माधव की आदम भूख आज भी देश के अवाम के पेट को मरोड रही है, तो ऐसे में प्रेमचंद की प्रासंगिकता बढ़ जाती है.
कथा सम्राट, कलम के जादूगर, पत्रकार मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं को समसामयिक संदर्भों से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेमचंद और राहुल सांकृत्यायन युग विशेष के ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं. प्रो. वीरेन्द्र ने कहा कि छपरा के लिए अपार गौरव का विषय है कि प्रेमचंद पर पहली आलोचना राजेन्द्र कॉलेज के जनार्दन झा द्विज ने लिखी और इसका प्रकाशन वाणी पुस्तक मंदिर नगरपालिका चौक छपरा से हुई.
डॉ. लाल बाबू यादव ने मुंशी प्रेमचंद की कालजयी रचनाओं गोदान, नमक का दारोगा और सोज़े वतन के माध्यम से देश के समय संदर्भों की व्यापक चर्चा की. इप्टा अध्यक्ष अमित रंजन ने मुंशी प्रेमचंद की 1936 में लिखे बहुचर्चित लेख साम्प्रदायिकता और संस्कृति की प्रस्तुति की. डॉ. हरिओम प्रसाद ने नमक का दारोगा के माध्यम से भ्रष्टाचार पर चोट करते हुए इमानदारी के महत्व को प्रतिपादित किया.
डॉ. जयराम सिंह, भरत प्रसाद, डॉ. इन्द्रकांत बबलू, नागेन्द्र सिंह, नागेन्द्र राय, अब्दुल कयूम अंसारी आदि ने अपने विचारोक्ति के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की.
इसके पहले कालजयी रचनाकार प्रेमचंद के तैलचित्र पर माल्यापर्ण किया गया. अध्यक्षता पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष वैद्यनाथ सिंह विकल ने और धन्यवाद ज्ञापन विद्यासागर विद्यार्थी ने किया. https://youtu.be/Xi71zUyf8PY/
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