नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (हि.स.)। चुनाव आयोग बिहार के बाद 12 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची को अपडेट करेगा। इससे जुड़ी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया आज रात से शुरु हो जाएगी। इनमें अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। इन राज्यों की कुल आबादी 51 करोड़ है। एसआईआर की प्रक्रिया कल से शुरु होगी और 7 फरवरी तक अंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी। आज रात से इन राज्यों की मतदाता सूची फ्रीज हो जाएगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को यहां के विज्ञान भवन में इस संबंध में एक पत्रकार वार्ता की। इस दौरान चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधु और विवेक जोशी भी उपस्थित रहे। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कानून के तहत जरूरत पड़ने और चुनावों से पूर्व चुनाव आयोग मतदाता सूची को अपडेट कर सकता है। राजनीतिक दल भी मतदाता सूची को लेकर अलग-अलग तरह से मुद्दे उठाते रहते हैं।
चुनाव आयोग एसआईआर के लिए कल से 3 नवंबर तक प्रिटिंग और प्रशिक्षण की प्रक्रिया पूरी कर लेगा। इसके बाद 4 नवंबर से अगले एक महीने तक सभी घरों में जाकर चुनावकर्मी फार्म वितरित करेंगे। नौ दिंसबर को चुनाव आयोग इन राज्यों की मसौदा सूची जारी करेगा। इसके बाद 1 महीने तक इस मौसूदा सूची से जुड़े दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं। इसके बाद 9 जनवरी से एक महीने तक दावे सुने जाएंगे और जांच होगी। सात फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद पूरी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार देश में मतदाता बनने के लिए भारत का नागरिक होना, 18 साल से अधिक आयु का होना, किसी क्षेत्र का सामान्य रिहायशी होना और किसी अन्य कानून के तहत अयोग्य न घोषित व्यक्ति ही मतदाता बनने के लायक होता है।
उन्होंने कहा कि इतने सालों में मतदाता सूची में काफी बदलाव आए हैं। लोगों ने बहुत बड़ी संख्या में पलायन किया है। इसके चलते मतदाता एक से अधिक स्थान पर पंजीकृत हैं। कई मृत मतदाता भी मतदाता सूची में शामिल हैं और कई स्थानों पर गलत तरीके से विदेशियों को भी मतदाता सूची में शामिल किया गया है। एसआईआर की प्रक्रिया 1951 से 2004 तक आठ बार की जा चुकी है। आखरी बार फिर 2002 और 04 के बीच 21 साल पहले कराया गया था।
एसआईआर प्रक्रिया में शामिल किए गए राज्यों में कुल मिलाकर लगभग 51 करोड़ मतदाता हैं। इस अभियान में 5.33 लाख बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) और राजनीतिक दलों द्वारा नामित लगभग 7.64 लाख बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) शामिल होंगे। तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में 2026 में चुनाव होने हैं। हालांकि, असम में जहां उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एक अलग नागरिकता सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने वाली है, संशोधन के लिए एक अलग आदेश बाद में जारी किया जाएगा।
गणना शुरू होने से पहले, मौजूदा मतदाता सूचियां आज रात 12 बजे फ्रीज कर दी जाएंगी और प्रत्येक मतदाता के लिए अलग से गणना प्रपत्र छापे जाएंंगे। बीएलओ ये प्रपत्र व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक घर तक पहुंचाएंगे। गणना प्रपत्र में पहले से छपा विवरण जैसे मतदाता का आधार नंबर (वैकल्पिक), ईपीआईसी नंबर और परिवार का विवरण शामिल होगा। यदि किसी मतदाता या उसके माता-पिता का नाम 2003-04 की मतदाता सूची में है, तो किसी अतिरिक्त दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी। 2002-04 की मतदाता सूची स्व-सत्यापन के लिए- http://voters.eci.gov.in पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगी।
मतदाता संपर्क सुनिश्चित करने के लिए बीएलओ प्रत्येक घर का अधिकतम तीन बार दौरा करेंगे। यदि मतदाता अनुपस्थित है, मृत है, या स्थायी रूप से प्रवास कर गया है, तो बीएलओ इस स्थिति को दर्ज करेगा। लौटाए गए, हस्ताक्षरित गणना प्रपत्र मसौदा मतदाता सूची का आधार बनेंगे। प्रवासी और शहरी मतदाताओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए, गणना प्रपत्रों को ऑनलाइन जमा करने की सुविधा शुरू की गई है। अस्थायी रूप से अपने गृह राज्यों से बाहर रहने वाले प्रवासी और व्यस्त कार्यालयीन समय वाले शहरी मतदाता अब अपनी औपचारिकताएं डिजिटल रूप से पूरी कर सकते हैं। बीएलओ यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी रहेंगे कि प्रपत्र हस्ताक्षरित और वापस कर दिए जाएं।
अनुपस्थित, मृत या डुप्लिकेट मतदाताओं की सूची सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाएगी और राज्य सीईओ वेबसाइटों पर अपलोड की जाएगी। आयोग ने स्पष्ट किया कि आधार केवल एक पहचान प्रमाण है, नागरिकता, निवास या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं, जैसा कि उच्चतम न्यायालय और आधार अधिनियम की धारा 9 द्वारा पुष्टि की गई है। आधार का उपयोग ई-हस्ताक्षर के लिए किया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रीयता या निवास साबित करने के लिए नहीं। पहचान सत्यापन के लिए 12 दस्तावेजों की एक सूची को मंजूरी दी गई है, जिसमें आधार एक विकल्प के रूप में शामिल है। सुनवाई के दौरान मतदाता द्वारा प्रस्तुत किसी भी अतिरिक्त वैध दस्तावेज पर ईआरओ द्वारा विचार किया जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि दोहराव को रोकने के लिए प्रत्येक गणना फॉर्म पर एक विशिष्ट संख्या होगी। मतदाता फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के बाद उसे बीएलओ द्वारा सत्यापित किया जाता है और ड्राफ्ट सूची में शामिल किया जाता है। डुप्लीकेशन केवल तभी हो सकता है जब कोई व्यक्ति कई फॉर्म जमा करता है। ऐसे मामलों में डुप्लीकेशन हटाने के उपाय यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक मतदाता के पास एक ही वैध प्रविष्टि हो।
इसके अलावा इन राज्यों में लगभग 1,200 नए मतदान केंद्रों को युक्तिसंगत बनाया जाएगा या स्थापित किया जाएगा, खासकर ऊंची इमारतों, गेट वाली कॉलोनियों और झुग्गी बस्तियों में, जिन्हें पहले शामिल नहीं किया गया था। प्रकाशन से पहले फीडबैक के लिए ड्राफ्ट सूचियां राजनीतिक दलों और जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) के साथ साझा की जाएंगी।
चुनाव आयोग ने सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, डीईओ और ईआरओ को एसआईआर प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों के साथ परामर्श बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया है। प्रत्येक बीएलए को प्रतिदिन 50 हस्ताक्षरित गणना फॉर्म एकत्र करने की अनुमति होगी। ज्ञानेश कुमार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बिहार में राजनीतिक दलों ने पहले चरण के दौरान पूरा सहयोग किया था, जिसमें ज़िला अध्यक्ष और बीएलए बीएलओ के साथ मिलकर काम कर रहे थे। आयोग राजनीतिक बयानों को इस प्रक्रिया के विरोध के रूप में नहीं देखता है।
बीएलओ की सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी सहभागी राज्यों में कानून-व्यवस्था सुचारू रूप से बनाए रखी जाएगी। आयोग ने चुनाव कार्य के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए राज्य प्रशासन पर पूर्ण विश्वास व्यक्त किया। बिहार के अनुभव से सीखते हुए आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि वृद्ध, विकलांग या बीमार मतदाताओं के साथ-साथ तकनीक तक पहुंच से वंचित मतदाताओं को भी सहायता मिले। सरकारी कर्मचारी और एनसीसी/एनएसएस के स्वयंसेवक उन्हें फॉर्म भरने, अभिलेखों को जोड़ने और दस्तावेज़ जमा करने में मदद करेंगे।
पश्चिम बंगाल सरकार के साथ तनाव की खबरों को खारिज करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कोई टकराव नहीं है। चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन, दोनों ही संवैधानिक प्रावधानों के तहत अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। राज्य मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने के लिए आवश्यक कार्मिक उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि उच्चतम न्यायालय की निगरानी में चल रहे नागरिकता सत्यापन के कारण असम को 24 जून के एसआईआर आदेश से बाहर रखा गया था। राज्य के लिए एक अलग मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया की घोषणा की जाएगी।








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