ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रतीकः राष्ट्रपति

ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रतीकः राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 14 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि इस वर्ष देश को आतंकवाद का कष्ट सहना पड़ा, लेकिन भारत ने अपनी एकता और संकल्प के साथ उसका निर्णायक जवाब भी दिया। उन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बताया।

राष्ट्रपति ने कहा कि कश्मीर घूमने गए निर्दोष नागरिकों की हत्या एक कायरतापूर्ण और नितांत अमानवीय कृत्य था, जिसने पूरे देश को व्यथित किया। उन्होंने कहा, “इस हमले का जवाब भारत ने फौलादी संकल्प और निर्णायक तरीके के साथ दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखा दिया कि हमारे सशस्त्र बल हर परिस्थिति का सामना करने में पूर्णतः सक्षम हैं।” उन्होंने इस सैन्य अभियान को आतंकवाद के विरुद्ध मानवता की लड़ाई में एक ऐतिहासिक मिसाल बताया और कहा कि हमारी सेनाओं ने तकनीकी दक्षता और अनुशासन के साथ सीमापार आतंकी ठिकानों को नष्ट किया।

राष्ट्रपति मुर्मु ने आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में देश की एकता को सबसे बड़ी विशेषता करार दिया। उन्होंने कहा कि यही एकता उन शक्तियों को सबसे सशक्त उत्तर है जो भारत को विभाजित करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति और कूटनीतिक दृष्टिकोण में भी यह एकता परिलक्षित हुई, जब विभिन्न देशों में गए बहुदलीय सांसद प्रतिनिधिमंडलों ने एक स्वर में भारत का पक्ष रखा।

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व समुदाय ने यह स्पष्ट रूप से देखा कि भारत आक्रमणकारी नहीं है, लेकिन अपने नागरिकों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई में तनिक भी संकोच नहीं करेगा। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की एक सफल परीक्षा बताया। उन्होंने कहा कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में भी स्वदेशी निर्माण के बल पर आत्मनिर्भर होता जा रहा है। उन्होंने इसे स्वाधीन भारत के रक्षा इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वदेशी रक्षा उपकरणों और तकनीकों के माध्यम से सेना ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, जिससे यह सिद्ध हो गया कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर निर्णायक कदम बढ़ा चुका है। उन्होंने देशवासियों को आत्मनिर्भरता, सुरक्षा, प्रकृति और लोकतंत्र के गौरव को नई ऊंचाई पर ले जाने का आह्वान किया। राष्ट्रपति ने पर्यावरण के प्रति संवेदना पर जोर देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हमें अपनी आदतों, दृष्टिकोण और प्रकृति के साथ संबंधों में बदलाव लाना होगा। हमारा लक्ष्य एक ऐसी पृथ्वी छोड़ना है जहां जीवन प्राकृतिक रूप में फल-फूल सके। उन्होंने अपने संबोधन में देश की लोकतांत्रिक यात्रा, सामाजिक-आर्थिक प्रगति, तकनीकी विकास और युवा, महिला एवं हाशिये के समुदायों की भूमिका पर विस्तृत विचार रखे।अपने संदेश में राष्ट्रपति ने पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौती को गंभीर बताते हुए कहा कि इसके समाधान के लिए हमें अपनी जीवनशैली, दृष्टिकोण और प्रकृति से संबंधों में बदलाव लाना होगा। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे पर्यावरण की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करें ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और समृद्ध पृथ्वी सौंपी जा सके। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी धरती छोड़ कर जाएं जहां जीवन अपने नैसर्गिक रूप में फलता-फूलता रहे। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त भारत के लिए केवल एक तारीख नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। यह दिन उन करोड़ों भारतीयों के स्वप्न का साकार रूप है, जिन्होंने आजादी की चाह में संघर्ष किया और बलिदान दिया।राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि कल, जब हम अपने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देंगे, तब हम उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी श्रद्धांजलि देंगे, जिनके प्रयासों से 78 वर्ष पहले हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। भारत ने स्वतंत्रता के तुरंत बाद सभी नागरिकों को समान मताधिकार देकर लोकतंत्र को अपनाया, जो उस समय विश्व की कई लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में भी नहीं था। भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे लिए हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि है। संविधान में निहित मूल्यों न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता ने देश को मजबूत नींव दी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ विश्व की सबसे तेज़ गति से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गई है। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के समय भारत घोर गरीबी से जूझ रहा था लेकिन तब से अब तक के 78 वर्षों में हमने सभी क्षेत्रों में असाधारण प्रगति की है। आज का भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी प्रगति कर रहा है। पिछले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ विश्व की सबसे तेज़ गति से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गई है। उन्होंने किसानों, श्रमिकों और उद्यमियों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि सुविचारित नीतियों और सुशासन से गरीबों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया है। आय के साथ-साथ क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं।

उन्होंने भारतमाला परियोजना, रेलवे के आधुनिकीकरण और कश्मीर घाटी को रेल नेटवर्क से जोड़ने जैसी उपलब्धियों को देश की बुनियादी संरचना की मजबूती का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में रेल-संपर्क एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिससे व्यापार और पर्यटन को नया प्रोत्साहन मिलेगा। देश में शहरी विकास की चर्चा करते हुए उन्होंने ‘अमृत’ मिशन, जल जीवन मिशन और मेट्रो नेटवर्क के विस्तार का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि जीवन की बुनियादी सुविधाएं नागरिकों का अधिकार हैं। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना के तहत अब तक 55 करोड़ से अधिक लोगों को सुरक्षा कवच प्रदान किया जा चुका है। उन्होंने डिजिटल भारत की सफलता और एआई के क्षेत्र में नई उड़ान का जिक्र करते हुए कहा कि भारत, 2047 तक ग्लोबल एआई हब बनने की दिशा में अग्रसर है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में भारत की तैयारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘इंडिया-एआई मिशन’ के जरिए भारत, 2047 तक ग्लोबल एआई हब बनने की दिशा में अग्रसर है। इस मिशन के तहत ऐसे मॉडल विकसित किए जाएंगे जो भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। उन्होंने इस तकनीकी प्रगति को शासन में सुधार और आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का माध्यम बताया।राष्ट्रपति ने कहा कि डिजिटल प्रगति के कारण भारत, विश्व में डिजिटल भुगतान में अग्रणी बन गया है। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण प्रणाली के माध्यम से लाभार्थियों तक योजनाओं का लाभ सीधे और पारदर्शी तरीके से पहुंच रहा है। दुनिया में होने वाले कुल डिजिटल लेनदेन में से आधे से अधिक लेनदेन भारत में होते हैं। उन्होंने कहा कि युवा, महिलाएं और हाशिये के वर्ग को भारत की प्रगति के तीन स्तंभ बताया है। हाशिये पर रह चुके वर्गों के सशक्तिकरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग और अन्य वंचित समुदाय अब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर देश की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। इन समुदायों के लोग अब हाशिए पर होने का टैग हटा रहे हैं।राष्ट्रपति ने युवाओं को देश की शक्ति बताते हुए कहा कि उनके लिए रोजगार और उद्यमिता के अवसर बढ़े हैं। उन्होंने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की उपलब्धियों और ‘गगनयान’ मिशन का उल्लेख करते हुए युवाओं की वैज्ञानिक क्षमता को रेखांकित किया। यह अंतरिक्ष यात्रा भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। खेलों में भी युवाओं की भूमिका को सराहते हुए उन्होंने विशेष रूप से शतरंज में भारत की बढ़ती साख का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेल नीति 2025 के तहत भारत को वैश्विक खेल महाशक्ति बनाया जाएगा।महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हुए उन्होंने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने शतरंज विश्व कप के फाइनल में दो भारतीय महिलाओं की उपस्थिति को महिला-शक्ति का प्रतीक कहा। राष्ट्रपति ने कहा कि महिला सशक्तिकरण अब केवल एक नारा न रहकर यथार्थ बन गया है। उन्होंने पिछले सप्ताह सात अगस्त को मनाए गए ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ का जिक्र करते हुए कहा कि महात्मा गांधी द्वारा प्रोत्साहित स्वदेशी आंदोलन ने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों की नींव रखी। उन्होंने सभी देशवासियों से आग्रह किया कि वे भारत में बने उत्पादों को अपनाएं और स्थानीय उद्यमों को बढ़ावा दें।राष्ट्रपति ने देशवासियों से भ्रष्टाचार के खिलाफ संकल्प लेने का आह्वान किया। राष्ट्रपति मुर्मु ने महात्मा गांधी के एक विचार का उल्लेख करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और दंभ, लोकतंत्र के अनिवार्य परिणाम नहीं होने चाहिए। हम भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस रखते हुए अनवरत सुशासन के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे इस संकल्प को आत्मसात करें और भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होकर कार्य करें।

उन्होंने कहा कि अमृतकाल में भारत का भविष्य उज्ज्वल है और सभी देशवासी अपने योगदान से इस यात्रा को सफल बनाएंगे। उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका प्रयास ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाएगा।राष्ट्रपति ने सीमाओं की रक्षा में तैनात सेना, पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र बलों के जवानों को विशेष रूप से सम्मानित किया। उन्होंने न्यायपालिका, सिविल सेवा, प्रवासी भारतीयों और विदेशों में भारतीय मिशनों में कार्यरत अधिकारियों को भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संबोधन का समापन देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की पुनः बधाई देते हुए किया और उन्हें राष्ट्र निर्माण की इस यात्रा में सहभागी बनने का आह्वान किया।

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