भारतीय सेना का हिस्सा बने 419 कैडेट

भारतीय सेना का हिस्सा बने 419 कैडेट

देहरादून, 14 जून (हि. स.)। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में गहन प्रशिक्षण लेने वाले 451 जांबाज कैडेट आज पास आउट हो गए। पासिंग आउट परेड (पीओपी) में अंतिम पग पार करते ही 419 जांबाज अफसर भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इसके साथ ही 32 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए। समारोह के मुख्य अतिथि श्रीलंका सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीकेजीएम लसंथा रोड्रिगो ने बतौर रिव्यूइंग अफसर परेड की सलामी ली।

आईएमए के चेटवुड बिल्डिंग के ड्रिल स्क्वॉयर में आज सुबह आर्मी बैंड की धुन पर एडवांस कॉल के साथ ही छाती ताने देश के भावी कर्णधार हौसले के साथ कदम बढ़ाते परेड के लिए पहुंचे। कंपनी सार्जेट मेजर ने ड्रिल स्क्वायर पर अपनी-अपनी जगह ली। इसके बाद परेड कमांडर ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली। मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ।

कैडेट्स के शानदार मार्चपास्ट से दर्शक दीर्घा में बैठा हर एक शख्स मंत्रमुग्ध हो गया। एक साथ उठते कदम और गर्व से तने सीने दर्शक दीर्घा में बैठे हरेक शख्स के भीतर ऊर्जा का संचार कर रहे थे। परेड के उपरांत आयोजित पीपिंग व ओथ सेरेमनी के बाद 451 जेंटलमैन कैडेट्स बतौर लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेना का अभिन्न अंग बन गए। इनमें 419 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिले। मित्र राष्ट्र के 32 कैडेट्स भी पास आउट हुए।

समारोह के मुख्य अतिथि श्रीलंका सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीकेजीएम लसंथा रोड्रिगो ने पास आउट कैडेटों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कैडेटों को ओवरऑल बेस्ट परफॉर्मेंस व अन्य उत्कृष्ट सम्मान से नवाजा। इस मौके पर सेना के हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल लसंथा रोड्रिगो खुद दिसंबर 1990 में आईएमए के 87 वें कोर्स से कमीशन प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने आईएमए में अपनी पुरानी यादें भी ताजा की।

भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना एक अक्टूबर 1932 को हुई थी। अकादमी का गौरवशाली इतिहास रहा है और यहां से पास आउट कैडेटों ने सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की है। अकादमी के पहले बैच से 40 कैडेट पास आउट हुए थे। पिछले नौ दशक में अकादमी ने अपनी प्रशिक्षण क्षमता चालीस कैडेट से 1660 जैंटलमैन कैडेट तक बढ़ा दी है। अब तक 65 हजार से अधिक कैडेट इस प्रतिष्ठित संस्थान से पास आउट हो चुके हैं। इनमें मित्र देशों के कैडेट भी शामिल हैं।

इस मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र शर्मा, समादेशक लेफ्टिनेंट जनरल नागेन्द्र सिंह, उपसमादेशक व मुख्य प्रशिक्षक मेजर जनरल आलोक नरेश, पीओपी के लिए सेना के तमाम वरिष्ठ अधिकारी, देश-विदेश के गणमान्य और कैडेट के स्वजन मौजूद रहे। इस दौरान दून पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए।

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