बाबा विश्वनाथ की सप्त ऋषि आरती में सफेद उल्लू भी लगाता है हाजिरी, स्वर्ण शिखर पर रहता है विराजमान

बाबा विश्वनाथ की सप्त ऋषि आरती में सफेद उल्लू भी लगाता है हाजिरी, स्वर्ण शिखर पर रहता है विराजमान

वाराणसी, 20 अगस्त (हि.स.)। धार्मिक नगरी काशी में एक सफेद उल्लू का श्री काशी विश्वनाथ दरबार के प्रति अगाध प्रेम सोशल मीडिया में सुर्खियों में है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और बाबा के अन्य भक्तों ने बाबा के स्वर्ण शिखर पर बैठे सफेद उल्लू का फोटो सोशल मीडिया में शेयर किया है।

बाबा के दरबार में नियमित हाजिरी लगाने वाले श्रद्धालु अधिवक्ता रविन्द्र तिवारी बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से यह सफेद उल्लू बाबा के सप्तऋषि आरती के साथ स्वर्ण शिखर के उपरी हिस्से पर आकर बैठता है और आरती के समापन के बाद उड़ जाता है। जानकार यहां तक दावा करते है कि उल्लू प्रतिदिन आरती के समय आता है। बाबा के स्वर्ण शिखर पर बैठता है। चूंकि सनातन धर्म में उल्लू महालक्ष्मी का वाहन माना जाता है ऐसे में उसका मंदिर में आना बेहद शुभ माना जा रहा है।

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने उल्लू का फोटो साझा कर लिखा है कि शयन आरती के बाद बाबा ​के शिखर पर श्वेत उल्लू का दिखना, शुभ का प्रतीक माना गया है। शिवभक्त भी मानते है कि उल्लू का रंग सफेद हो, तो उसे अत्यंत शुभ माना जाता है। दरबार में आरती के समय उल्लू की इस उपस्थिति को भक्तों ने शुभ संकेत के रूप में लिया है।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में रोजाना संध्याकाल में 07 बजे से लेकर शाम 08 बजकर 15 मिनट तक सप्तर्षि आरती की जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर में नियमित संध्याकाल 07 बजे सात ऋषि देवों के देव महादेव की आरती करने आते हैं। इस मान्यता के आधार पर रोजाना सप्तर्षि आरती की जाती है। इस आरती में सात अलग-अलग गोत्र के आचार्य एक साथ आरती करते हैं।

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