हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाचवां महीना श्रावण होता है। इस बार श्रावण मास की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है जो 31 अगस्त को समाप्त होगा। यानि पूरे दो महीना नहीं बल्कि पूरे 58 दिन का रहेगा. इसे वर्षा ऋतु का महीना कहा जाता है। त्योहार की विविधता ही भारत की विशिष्ठता की पहचान है। श्रावण मास यानि सावन मास में पड़ने वाले सोमवार को सावन के सोमवार कहे जाते है। इस मास में विशेष तौर पर कुआरी युवतियाँ भगवान शिव के निमित्त व्रत को रखती है। सावन का महीना प्रेम और उत्साह का महीना माना जाता है। इस मास में नई -नवेली दुल्हन अपने मायके जाकर झुला झूलती है और सखियों से अपने प्रेम की बाते करती है। प्रेम के धागे को मजबूत करने के लिए इस मास में भगवान शिव के अलग -अलग तरीके से पूजन किया जाता है। जिसे महादेव प्रसन्न हो जाये और अपने भक्त को खुशहाल रखे।
जाने श्रावण मास में अधिक मास के नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते है उसे संक्रांति कहा जाता है। भगवान सूर्य एक राशि में लगभग 30 दिन रहते है जिस माह में सूर्य सूर्य का गोचर नहीं होता है उसे माल मास यानि अधिक मास कहते है या पुरषोतम मास कहा जाता है। इस मास में विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश जैसे शुभ कार्य करना वर्जित रहता है। इस मास में जितना संभव हो दान करें। सावन मास में पुरषोतम मास होने के कारण शिव भक्तो के लिए विशेष शिव आराधना करने को मिलेगा। अधिक मास में शिव के साथ उनके परिवार के सदस्यों संग करनी चाहिए। इस मास में प्रत्येक दिन शिव का रुद्राभिषेक किया जा सकता है। रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध, घी, शहद, चीनी, गन्ने का रस आदि से अभिषेक करे।
अधिक मास कब से कब है
ज्योतिष गणना के अनुसार अधिक मास 18 जुलाई से 2023 को शुरू होगा और 16 अगस्त 2023 तक रहेगा। इस मास के स्वामी भगवान विष्णु है। भगवान विष्णु ने इस मास को वरदान दिया था जो भी भक्त इस मास में शिव पूजा करेगे। दान पुण्य करेगे उनका घर धन धन्य से परिपूर्ण रहेगा। सभी पाप नष्ट हो जायेगे तथा उनकी सभी रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे।
मलमास में क्या नहीं करें
मलमास में शादी -विवाह, नया व्यापार, नई नौकरी, नये भवन निर्माण, मुंडन संस्कार, कोई भी शुभ कार्य नहीं करे। इस मास में किये गए सभी कार्य बेकार हो जाते है। इनसे कोई सुख नहीं मिलता है। इस समय बनाये घर में शांति नहीं मिलती है।
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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