Hartalika Teej 2025: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज एक बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है. यह त्योहार भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. खासतौर पर महिलाएं इसे बड़े उत्साह के साथ मनाती हैं. हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करती हैं और पूरे नियम-पूर्वक व्रत का पालन करती हैं. शादीशुदा महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक जीवन में सौहार्द और खुशहाली के लिए रखती हैं. वहीं, अविवाहित लड़कियां इसे अपनी मनचाही जीवनसाथी की प्राप्ति की कामना के लिए करती हैं.लेकिन बिहार में तीज व्रत सिर्फ महिलाएं विवाह के बाद ही करती है और कन्या सिर्फ भगवान शंकर का पूजा करती है.
हरतालिका तीज का नाम और कथा
हरतालिका शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है ‘हरत’और ‘आलिका’जिसका अर्थ है अपहरण और महिला मित्र कथा के अनुसार, माता पार्वती की सहेलियों ने उन्हें जंगल में ले जाकर छुपा दिया ताकि उनके पिता, पार्वती की मर्जी के बिना भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा पाएं.
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि
हरतालिका तीज का व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योंकि महिलाएं इसे निर्जला (बिना पानी और भोजन के) 24 घंटे तक रखती हैं. व्रत की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होती है.महिलाएं स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं और मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां बनाकर पूजा करती हैं. दिनभर महिलाएं व्रत रखकर संध्या में कथा सुनती हैं, भजन-कीर्तन करती हैं और रातभर जागरण करती हैं. सुबह भगवान शिव तथा पार्वती के प्रतिमा को नदी या तलाब में विसर्जन कर घर आकर अपने कूल देवता का पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराकर या कुछ अन्य दान कर भोजन करती है .
हरतालिका तीज 2025 की तिथि
– इस साल हरतालिका तीज 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी.
– तृतीया तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2025, दोपहर 11:31 .
– तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025, दोपहर 12:39 बजे.
-हस्त नक्षत्र का आरम्भ 26 अगस्त 2025 सुबह 04:04 बजे.
-हस्त नक्षत्र का समाप्ति 27 अगस्त 2025 सुबह 06:00 बजे.
– इस हिसाब से व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा.
हरतालिका तीज का पूजन संध्या काल में करे.
हरतालिका तीज का पूजन सामग्री
तालाब का मिट्टी या शुद्ध स्थान का मिट्टी, छोटी चौकी, पिला या लाल कपडा, 1 मीटर, जनेऊ 1, आटा का चूरन, अगरबती, माचिस, पिला चंदन, सिंदूर, चावल, दही, ऋतुफल, रक्षा सुत, गंगाजल, श्रृगार की सामान, पान के पता, सुपारी, भगवान पर चढाने के लिए, फुल माला, कपूर प्रसाद के लिए मिठाई।
हरतालिका तीज का महत्व
इस व्रत को करने वाली महिलाएं इसे भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक मानती हैं.इसके ख़ुशी में महिलाये सुबह से अलग अलग पकवान बनाती है. महिलाएं 24 घंटे बिना पानी और भोजन के व्रत करती हैं. रात में वे शिव-पार्वती की कथा सुनती हैं और पूरी भक्ति के साथ पूजा करती हैं. शादीशुदा महिलाएं माता पार्वती को‘सोलह श्रृंगार’ अर्पित करती हैं और भगवान शिव को वस्त्र व अन्य पूजा सामग्री समर्पित करती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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