लोकसभा चुनाव: सारण सीट की यह समस्या बनेगी चुनावी मुद्दा

लोकसभा चुनाव: सारण सीट की यह समस्या बनेगी चुनावी मुद्दा

Chhapra: लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर तिथि तय हो चुकी है. सारण संसदीय क्षेत्र से दो प्रमुख दलों ने अपने अपने उम्मीदवार के नामों को घोषणा कर दी है. जिसके बाद से दोनों ही उम्मीदवारों ने अपनी उपस्थिति जनता के बीच बनानी शुरू कर दी है.

प्रमुख दलों द्वारा अपने प्रत्यासी को नाम की घोषणा के बाद मतदाता भी प्रत्यशियों से अपेक्षा के अनुरूप ही मतदान करने की जुगत में है.

इस क्षेत्र का इतिहास जितना ही गौरवशाली रहा है ठीक इसके विपरीत विकास गर्त में है. आलम यह है कि देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाला यह संसदीय क्षेत्र और यहाँ रहने वाले लोग आज भी इसके विकास की बाट जोह रहे है.

हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी बेरोजगारी, शिक्षा और क्षेत्रीय विकास की तरह एक बार फिर विगत चुनाव की तरह औधोगिक नगरी मढ़ौरा चीनी मिल, खनुआ नाला और छपरा बायपास सड़क इस चुनाव में भी प्रमुख मुद्दा बनेगा. हालांकि एक प्रमुख मुद्दा सड़क और बिजली इस बार के चुनावी मुद्दों से अलग रहेंगी. चूंकि केंद्र और राज्य सरकार ने इन दोनों ही क्षेत्रों में बढ़चढ़कर काम किया है.

चुनावी मुद्दों में याद रहता है मढ़ौरा

औधोगिक नगरी मढ़ौरा की बात करे तो यहाँ के लोगो ने अब चीनी मिल के पुराने अस्तित्व में आने का सपना देखना अब छोड़ दिया है. राजनेताओं ने भी धीरे धीरे इस मुद्दे से अपना किनारा कर लिया है हालांकि क्षेत्र के कुछ लोग अब भी इस आस में है चीनी मिल, सारण डिस्टिलरी ना सही किसी अन्य रूप में ही इस क्षेत्र का विकास हो जाये. जिससे कि इसकी गरिमा वापस लौटे. उधर मढ़ौरा में रेल इंजन फैक्ट्री ने प्रोडक्शन शुरू कर दिया है. फैक्ट्री के निर्माण के साथ ही इस क्षेत्र के लोगो की आस जगी थी लेकिन फैक्ट्री के दो मुख्य स्तंभ फैक्ट्री के अन्य प्रदेशों में खुलने और मढ़ौरा फैक्ट्री सिर्फ रेल इंजन असेम्बलिंग फैक्ट्री बन जाने से यह आस भी टूट गयी. फिलहाल मढ़ौरा रेल इंजन फैक्ट्री पांच वर्षों के लिए जीई कंपनी के साथ अनुबंध पर कार्य कर रही है.


खनुआ नाला अधिसूचना के एक घंटे पहले शिलान्यास

सारण संसदीय क्षेत्र का छपरा शहर और इस शहर की चिर परिचित खनुआ नाला की समस्या. यू कहे कि दोनों एक दूसरे के पूरक है. चुनाव किसी भी पद का हो खनुआ नाला उसका मुद्दा बना रहता है. विगत दो तीन चुनाव की तरह एक बार फिर खनुआ नाला शीर्ष पर है. शहर से जल निकासी का एक मात्र साधन या तो अतिक्रमण का शिकार है या फिर नक्शे से गायब ही चुका है. एनजीटी के आदेश के बावजूद भी इस क्षेत्र में कोई कार्य नही हुआ. हालांकि अधिसूचना जारी होने के एक घंटे पूर्व आनन फानन में इसके जीर्णोद्धार का शिलान्यास कर यह जताने के प्रयास किया गया कि सरकार इस क्षेत्र में कार्य कर रही है.

10 वर्षो में भी नही बन पाई 70 किलोमीटर बायपास सड़क

छपरा बायपास सड़क एक सपने की तरह हो गया है. छपरा से होकर सोनपुर तक बनने वाली इस सड़क के निर्माण के लिए करीब 10 वर्षो का समय भी कम पड़ गया है. देश और राज्य मे जितनी तेजी से सड़के बनी उसकी अपेक्षा अगर प्रतिमाह आधा किलोमीटर का सड़क निर्माण हुआ रहता तो अब तक इस सड़क पर गाड़ियां दौड़ती रहती. कहा जाता है सड़क और शिक्षा दो मुख्य कारक है क्षेत्र के विकास के लिए, लेकिन दोनों ही कारक सारण की शब्दावली से दूर है.

ऐसे में 2019 का लोकसभा चुनाव एक बार जनता के साथ खोखले वादों और उम्मीद के पिटारों के साथ लड़ा जाएगा. उम्मीदवार के शब्द बाण जनता को कितना सटीक भेद पाते है यह चुनाव परिणाम ही बता पायेगा. बहरहाल दो प्रत्याशियों के बाद और कितने योद्धा इस चुनावी रण में है यह नामांकन प्रक्रिया के दौरान पता चलेगा.

0Shares

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें