प्रभुनाथ नगर जलजमाव के वाद में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के कोलकाता खंडपीठ में हुई सुनवाई

प्रभुनाथ नगर जलजमाव के वाद में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के कोलकाता खंडपीठ में हुई सुनवाई

Chhapra: प्रभुनाथ नगर जलजमाव के वाद में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के कोलकाता खंडपीठ में सुनवाई हुई। स्थानीय अभियंताओं और बुडको परियोजना निदेशक के प्रतिवेदन के आधार पर जिलाधिकारी, सारण द्वारा खंडपीठ को सूचित किया गया कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अधीन 2.2 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन अतिथि बिहार से सांढ़ा बस स्टैंड स्थित जल संसोधन संयंत्र तक भूमिगत रूप में बिछा दी गई है। इस मसले को हल करने के लिए सभी जरूरी कार्यवाही की जा चुकी है और कोई भी कार्य लंबित नहीं है । वहीं जिला परिषद कार्यकारी अधिकारी द्वारा अपने शपथ पत्र में कहा गया की अतिथि विहार से आगे टारी गांव तक आरसीसी बॉक्स नाला निर्माण का कार्य 75% पूरा हो चुका है और प्रभुनाथ नगर क्षेत्र में अभी जल जमाव नहीं है।

प्रभुनाथ नगर वासियों की ओर से वादी वेटरंस फोरम के सचिव डॉ बीएनपी सिंह ने प्रतिवाद दायर करते हुए कहा कि अधिकारियों द्वारा दायर रिपोर्ट समस्या के एक अंश को ही बताता है। पूर्वी प्रभुनाथ नगर में आबादी घनी है और वहां जल जमाव की समस्या हमेशा बनी रहती है। जिला परिषद के अभियंता द्वारा दायर शपथ पत्र को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि उसमें कहा गया है कि केवल निचले भूमि पर जल जमाव है और जलकुंभी है। जलकुंभी होने का अर्थ ही है कि वहां वर्ष के अधिकांश महीनों में जल जमा रहता है। अभी प्रभुनाथ नगर के सड़कों के दोनों तरफ नाली बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है। इसका उल्लेख इन शपथ पत्रों में नहीं है । उन्होंने मांग की कि इस योजना के संपूर्ण नक्शे को न्यायालय के समक्ष उपस्थित किया जाए।

प्रभुनाथ नगर वासी प्रो पृथ्वीराज सिंह ने कहा कि इन शपथ पत्रों को देखने से पता चलता है की बुडको अभियंता सरासर झूठ बोल रहे हैं। भूमि के अंदर पाइप बिछा दिया गया है पर वह कहीं भी कार्यरत नहीं है । ना उसमें एक बूंद भी पानी संग्रहित किया जाता है और ना ही एक बूंद पानी शोधित करके आगे नदी में डाला जाता है । बुडको के शपथ पत्र में कहा गया है कि नमामि गंगे योजना के अधीन प्रभुनाथ नगर क्षेत्र में कार्य पूरा हो चुका है । अब वह संयंत्रों के अनुरक्षण का काम देख रहे हैं ।

वरिष्ठ पत्रकार शिवानुग्रह सिंह ने प्रश्न किया कि कार्यकारी होने का अर्थ जल का संग्रहण और संशोधन करना भी होता है । केवल पाइप बिछा के खाना पूरी कर कर देना यह नमामि गंगे योजना के साथ धोखा है।

दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद माननीय हरित न्यायालय में निम्नलिखित आदेश पारित किया है कि जिलाधिकारी सारण प्रभुनाथनगर जलजमाव को दूर करने संबंधी सभी योजनाओं का विस्तृत विवरण नक्शा सहित न्यायालय में प्रस्तुत किया जाय। आगामी सुनवाई की तिथि 03.03.25 तय की गई है।

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