नगर निगम और निर्माण एजेंसी की उदासीनता से छपरा शहर में धूल-मिट्टी में सांस लेने को मजबूर नागरिक

नगर निगम और निर्माण एजेंसी की उदासीनता से छपरा शहर में धूल-मिट्टी में सांस लेने को मजबूर नागरिक

Chhapra: छपरा शहर इन दिनों निर्माण कार्यों के चलते धूल और मिट्टी के बादल में घिरा हुआ है। जगह-जगह सड़कों की खुदाई, डबल डेकर निर्माण की गतिविधियां तो तेज़ी से चल रही हैं, लेकिन इन पर नियंत्रण और मानकों के पालन की जिम्मेदारी निभाने वाली एजेंसियां कहीं दिखाई नहीं देतीं। हालात ऐसे हैं कि शहर के लोग सुबह से शाम तक धूल और मिट्टी झेलने को विवश हैं।

नवरात्र में भी नहीं हुई सफाई

ध्यान देने वाली बात यह है कि नवरात्र जैसे पावन पर्व में भी शहर की सड़कें धूल से अटी पड़ी हैं। आमतौर पर ऐसे अवसरों पर नगर निगम द्वारा सफाई और पानी का छिड़काव किया जाता है, लेकिन छपरा में तस्वीर बिल्कुल उलटी है। लोग मंदिरों में जाते समय, बाजारों में खरीदारी करते वक्त और यहां तक कि अपने घरों में भी धूल की परत महसूस कर रहे हैं।

प्रशासन और एजेंसियों की लापरवाही

नगर निगम, जिला प्रशासन और निर्माण कार्य में लगी एजेंसियों पर सवाल उठ रहे हैं। निर्माण कार्यों के दौरान धूल नियंत्रण के लिए नियमित पानी छिड़काव, निर्माण सामग्री ढककर रखने और मलबा समय पर हटाने की जिम्मेदारी तय है। मगर, शहर में यह नियम सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है।

स्वास्थ्य पर गंभीर असर

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक धूल और प्रदूषण में रहने से सांस की बीमारियां, दमा, एलर्जी और आंखों में संक्रमण जैसी समस्याएं बढ़ती हैं। छपरा सदर अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि हाल के दिनों में सांस और एलर्जी की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि धूल में मौजूद महीन कण फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं, जो लंबे समय में गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं।

एक्सपर्ट की राय

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ प्रशांत सिन्हा का कहना है कि छपरा में जिस तरह से निर्माण कार्य बिना प्रदूषण नियंत्रण उपायों के हो रहा है, वह शहर की वायु गुणवत्ता को तेजी से खराब कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समय रहते पानी छिड़काव और नियमित सफाई जैसे कदम नहीं उठाए गए तो छपरा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) छोटे शहर से महानगर स्तर की खराब श्रेणी में पहुंच सकता है।

जनता की उम्मीदें

समय-समय पर कई स्वयंसेवी संस्थाएं इस मुद्दे को उठाती रही हैं, लेकिन कार्रवाई ठोस रूप से होती नहीं दिखती। लोगों का कहना है कि सरकार सिर्फ बड़े शहरों के प्रदूषण पर ध्यान देता है, जबकि छोटे शहरों में लोग चुपचाप हालात झेलते रहते हैं।

छपरा में धूल-मिट्टी की यह समस्या सिर्फ असुविधा नहीं बल्कि गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले रही है। ऐसे में प्रशासन और नगर निगम को चाहिए कि तुरंत प्रभाव से निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव शुरू करें, सड़कों की सफाई दुरुस्त करें और निर्माण एजेंसियों पर सख्त निगरानी रखें। जब तक यह नहीं होगा, तब तक छपरा की जनता रोजाना धूल में घुटती रहेगी।

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