कीव, 06 अक्टूबर (हि.स.)। रूस ने यूक्रेन में पांच अक्टूबर की रात बड़े पैमाने पर हमले किए हैं। इन हमलों में कम से कम छह लोग मारे गए और 18 घायल हो गए। राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने फेसबुक पर लिखा कि रूस ने ल्वीव, इवानो-फ्रैंकिवस्क, ज़ापोरिज्जिया, चेर्निहिव, सूमी, खार्किव, खेरसॉन, ओडेसा और किरोवोहराद ओब्लास्ट को निशाना बनाकर लगभग 500 ड्रोन और 50 से ज्यादा मिसाइलें दागीं। इनमें किंजल बैलिस्टिक मिसाइलें भी शामिल थीं।

द कीव इंडिपेंडेंट अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, जेलेंस्की ने हमलों की विभीषिका का जिक्र करते हुए अमेरिका और यूरोप से रूस को आकाश में युद्धविराम के लिए मजबूर करने का आह्वान किया। ज़ेलेंस्की ने कहा, “इस हवाई आतंक को किसी भी तरह से निरर्थक बनाने के लिए अधिक सुरक्षा और सभी रक्षा समझौतों का पालन कराना जरूरी है। आकाश में एकतरफा युद्धविराम संभव है और यह वास्तविक कूटनीति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।”

दोपहर में राष्ट्र के नाम संबोधन में, जेलेंस्की ने कहा कि रूस “पश्चिम पर हंस रहा है” क्योंकि उसके सहयोगी इस हमले का कड़ा जवाब देने में नाकाम रहे हैं।” यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास ने एक्स पर लिखा कि रूस अपने असफल ग्रीष्मकालीन हमले को छिपाने के लिए यूक्रेनी नागरिकों और बुनियादी ढांचे पर हमले कर रहा है।

यूक्रेनी वायुसेना के अनुसार, यूक्रेन की वायु रक्षा ने 478 लक्ष्यों को मार गिराया, जबकि आठ मिसाइलों और 57 ड्रोनों ने 20 स्थानों पर हमले किए।

लविव क्षेत्रीय सैन्य प्रशासन के प्रमुख मैक्सिम कोजित्स्की ने टेलीग्राम पर लिखा कि लविव ओब्लास्ट में चार लोग मारे गए और आठ अन्य घायल हो गए। लविव क्षेत्रीय अभियोजक कार्यालय ने बताया कि चारों मृतक एक ही परिवार के थे, जिनमें एक 15 वर्षीय लड़की भी शामिल थी।

रिपोर्ट के अनुसार, रूस के पूर्ण आक्रमण की शुरुआत के बाद से यह इस क्षेत्र पर सबसे बड़ा हमला है, जिसमें 140 ड्रोन और 23 क्रूज़ मिसाइलें दागी गईं। मेयर एंड्री सदोवी ने टेलीग्राम पर लिखा कि लविव शहर पर मिसाइल और ड्रोन हमले के दौरान एक औद्योगिक पार्क में आग लग गई। सदोवी ने कहा कि लविव के दो जिलों में बिजली नहीं है और हमले के कारण सार्वजनिक परिवहन अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

गवर्नर इवान फेडोरोव ने टेलीग्राम पर लिखा कि जापोरिज्जिया शहर में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और कम से कम 10 घायल हो गए।

फेडोरोव ने लिखा कि रूसी सेना ने जापोरिज्जिया में ड्रोन और हवाई बम दागे, जिससे एक औद्योगिक उद्यम और आवासीय इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं।

ऊर्जा मंत्रालय ने बताया कि एक प्रमुख ऊर्जा सुविधा भी क्षतिग्रस्त हो गई है। मंत्रालय ने कहा कि सूमी और चेर्निहीव ओब्लास्ट में बिजली आपूर्ति अस्थिर बनी हुई है और हर घंटे बिजली कटौती का कार्यक्रम लागू है।

खबर है कि यूक्रेन और उसके यूरोपीय साझेदार हाल ही में हुए ड्रोन हमलों के बाद यूरोपीय संघ के पूर्वी हिस्से की सुरक्षा और यूक्रेन को अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा करने में मदद करने के लिए एक “ड्रोन दीवार” वायु रक्षा योजना पर चर्चा कर रहे हैं। अगले दौर की वार्ता 15 अक्टूबर को ब्रुसेल्स में नाटो रक्षामंत्रियों की बैठक के दौरान होनी है। इसके बाद यूरोपीय संघ की भी बैठक होगी।

उधर, रूस की तास समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेनी सशस्त्र बलों ने पिछले 24 घंटों में डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक की बस्तियों पर 10 हमले किए और कुल 11 गोला-बारूद दागे। इन घटनाओं में दो नागरिक बुनियादी ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए।

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New Delhi, 1 अक्टूबर (हि.स.)। दक्षिण-पूर्व एशियाई देश फिलीपींस में आए शक्तिशाली भूकंप में 69 लोगों की मौत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए वहां के लोगों के साथ एकजुटता प्रकट की है।

फिलीपींस में मंगलवार रात 6.9 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया

प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा कि फिलीपींस में आए भूकंप से हुई जान-माल की हानि और व्यापक क्षति के बारे में जानकर उन्हें गहरा दुख हुआ। प्रधानमंत्री ने लिखा, “मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। इस कठिन समय में भारत फिलीपींस के साथ एकजुटता से खड़ा है।”

फिलीपींस के सेबू प्रांत में मंगलवार रात 6.9 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे अब तक कम से कम 69 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 150 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

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New Delhi, 16 सितंबर (हि.स.)। मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। इस मुलाकात के साथ ही उनकी 9 से 16 सितंबर तक की भारत की राजकीय यात्रा संपन्न हुई। इस दौरान उन्होंने मुंबई, वाराणसी, अयोध्या, उत्तराखंड के ऋषिकेश एवं हरिद्वार और तिरुपति का दौरा किया।

पड़ोसी प्रथम’ नीति, ‘महासागर विजन: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री रामगुलाम और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति, ‘महासागर विजन’ और वैश्विक दक्षिण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता में मॉरीशस का विशेष स्थान है।


दोनों देशों के बीच हर क्षेत्र में साझेदारी और सहयोग बढ़ने से प्रसन्न राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि यह वृद्धि हाल ही में संबंधों के ‘संवर्धित रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर तक पहुंचने में परिलक्षित होती है।

राष्ट्रपति सचिवालय के अनुसार दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि हमारे दोनों देशों के बीच संबंध अद्वितीय हैं, जो हमारे साझा इतिहास, भाषा, संस्कृति और मूल्यों में निहित हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री रामगुलाम के व्यापक नेतृत्व अनुभव से भारत-मॉरीशस के दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंध आने वाले समय में और मजबूत होंगे।

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Varanasi,11 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी (काशी) गुरुवार को एक ऐतिहासिक कूटनीतिक अवसर की साक्षी बनी, जब भारत और मॉरीशस के प्रधानमंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता आयोजित हुई। नदेसर स्थित होटल ताज में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम ने सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण वातावरण में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। वार्ता से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम का गर्मजोशी से स्वागत किया और गले मिले। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम की उपस्थिति में भारत और मॉरीशस के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने चागोस समुद्री संरक्षित क्षेत्र का जिक्र कर इसके लिए बधाई दी।

भारत के बाहर पहला जन औषधि केंद्र अब मॉरीशस में स्थापित किया गया है: प्रधानमंत्री

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और मॉरीशस केवल साझेदार नहीं, बल्कि एक परिवार हैं। ‘पड़ोसी प्रथम’ की हमारी नीति में मॉरीशस प्रथम स्तंभ है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा उपनिवेशवाद से मुक्ति और मॉरीशस की संप्रभुता का समर्थन करता आया है और इसमें मॉरीशस के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के बाहर पहला जन औषधि केंद्र अब मॉरीशस में स्थापित किया गया है। भारत मॉरीशस में 500 बिस्तरों वाले आयुष उत्कृष्टता केंद्र सर शिवसागर रामगुलाम राष्ट्रीय (एसएसआरएन) अस्पताल और पशु चिकित्सा स्कूल और पशु अस्पताल के निर्माण में सहायता करेगा।

अब हम स्थानीय करंसी में व्यापार को सक्षम करने की दिशा में काम करेंगे: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मां गंगा के प्रवाह के साथ काशी मॉरीशस को समृद्ध करता रहा है। वहां के दोस्‍तों का काशी में स्‍वागत औपचार‍िक नहीं आत्‍म‍िक म‍िलन है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पिछले साल मॉरीशस में यूपीआई और रूपे कार्ड की शुरुआत हुई थी। अब हम स्थानीय करंसी में व्यापार को सक्षम करने की दिशा में काम करेंगे। भारत के आईआईटी मद्रास और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ प्लांटेशन मैनेजमेंट ने यूनिवर्सिटी ऑफ मॉरीशस के साथ समझौते संपन्न किए हैं। ये समझौते रिसर्च, शिक्षा और इनोवेशन में आपसी साझेदारी को नए फलक पर ले जाएंगे।

मॉरीशस के प्रधानमंत्री को भरोसा देते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि फ्री, ओपन, सिक्योर, स्थिर और समृद्ध हिंद महासागर हमारी साझा प्राथमिकता है। मॉरीशस के प्रमुख आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा और समुद्री क्षमता को मजबूत करने के लिए भारत पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस वर्ष हम सर शिवसागर रामगुलाम जी की 125वीं जयंती मना रहे हैं। वे केवल मॉरीशस के राष्ट्रपिता ही नहीं, बल्कि भारत और मॉरीशस के बीच अटूट सेतु के संस्थापक भी थे। उनकी यह जयंती हमें मिलकर अपने संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की प्रेरणा देती है।

काशी में मिले आतिथ्य और सम्मान से अभिभूत रामगुलाम ने जताया मोदी का आभार

मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने भी काशी में मिले सम्मान के लिए आभार जताया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हुए कहा कि काशी में मिला आतिथ्य और सम्मान अप्रत्याशित और अभूतपूर्व है। मुझे खुशी है कि काशी आपका निर्वाचन क्षेत्र हैं। मैं समझ सकता हूं कि आप इतनी बड़ी संख्या में क्यों चुने गए हैं। यह भारत की मेरी चौथी आधिकारिक यात्रा है। वाराणसी में आने के बाद मैं और मेरी पत्नी दोनों उस स्वागत से आश्चर्यचकित थे जो हमें मिला। मेरा मानना ​​​​है कि किसी अन्य प्रधानमंत्री को कभी ऐसा सम्मान नहीं मिला।

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Nepal: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बीते दो दिनों से राजधानी काठमांडू और कई अन्य शहरों में विरोध-प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएँ हो रही थीं, ऐसे माहौल में उनका यह फैसला सामने आया है। इस्तीफा देने से पहले ओली ने पहली बार चल रही हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने राजधानी काठमांडू समेत देश के कई हिस्सों में हुई घटनाओं पर दुख जताया और कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है।

मुझे गहरा दुख है कि प्रदर्शन के दौरान ऐसी घटनाएं हुईं: ओली

ओली ने अपील की थी कि लोग संयम बरतें और शांतिपूर्ण तरीके से समाधान खोजने में मदद करें। उन्होंने बताया कि हालात पर चर्चा के लिए उन्होंने शाम छह बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई थी।

ओली ने कहा कि “मुझे गहरा दुख है कि प्रदर्शन के दौरान ऐसी घटनाएं हुईं। हमने हमेशा यह नीति अपनाई है कि संवाद से ही रास्ता निकलता है, हिंसा से नहीं।”

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अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में रविवार देर रात आए 6.0 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। अब तक मृतकों की संख्या 800 से अधिक हो गई है, जबकि 2800 से ज्यादा लोग घायल हैं। भूकंप का केंद्र जलालाबाद से करीब 27 किलोमीटर दूर था। इसके बाद 5.2 तीव्रता के दो झटके भी महसूस किए ग़ए। सरकारी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद के अनुसार, पूर्वी अफगानिस्तान में आए भूकंप में कम से कम 812 लोग मारे गए और 2,817 घायल हो गए।

पूरी बस्तियां हुईं तबाह, बचाव कार्य में मुश्किलें

तालिबान सरकार के अनुसार, नुर्गल, सावकी, वाटपुर, मनोगी, चौके और चापा दारा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कई गांव पूरी तरह मिट्टी में समा गए हैं। एक वरिष्ठ तालिबान अधिकारी ने बीबीसी को बताया, “तबाही की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारी प्राथमिकता मलबे से शव निकालना नहीं, बल्कि जिंदा बचे लोगों तक पहुंचना है।” भूस्खलन और लगातार बारिश ने अधिकांश सड़कों को बंद कर दिया है, जिससे बचाव दलों को हवाई मार्ग पर निर्भर रहना पड़ रहा है। अब तक लगभग 420 घायलों और मृतकों को हेलीकॉप्टर से अस्पताल पहुंचाया गया है।

मानव संकट गहराया, अंतरराष्ट्रीय मदद धीमी

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान पहले से ही गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है, जहां आधी से ज्यादा आबादी को तुरंत मदद की जरूरत है। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि अब तक किसी भी विदेशी सरकार ने सीधे तौर पर बड़ी मदद नहीं भेजी है। हालांकि, भारत ने 1,000 फैमिली टेंट काबुल भेज दिए हैं और 15 टन खाद्य सामग्री कुनार पहुंचाने की प्रक्रिया में है। साथ ही भारत ने कहा है कि मंगलवार से और अधिक राहत सामग्री भेजी जाएगी। जबकि चीन ने जरूरत के अनुसार मदद देने की घोषणा की है।

अफगान सरकार ने किया 14.6 लाख डॉलर देने का वादा

अफगान सरकार ने भूकंप से निपटने के लिए तत्काल 14.6 लाख डॉलर देने का वादा किया है। टोलोन्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जन स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता शराफत जमान ने घोषणा की है कि सरकार ने भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए तत्काल सेवाओं हेतु 10 करोड़ अफगान डॉलर (14.6 लाख डॉलर) आवंटित किए हैं। अधिकारियों ने कहा कि जरूरत पड़ने पर यह राशि बढ़ाई जा सकती है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं से भूकंप से निपटने के लिए समर्थन बढ़ाने का आह्वान किया है।

दुर्गम इलाके में खतरा बढ़ा, महामारी की आशंका

यूएन के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (यूएनओसीएचए) की अधिकारी केट कैरी ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र पिछले 48 घंटों से भारी बारिश से जूझ रहा है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। मोबाइल नेटवर्क ठप होने और सड़कों के टूटने से दूरदराज के गांवों तक पहुंचना बेहद मुश्किल है। राहतकर्मी पशु शवों को जल्द से जल्द हटाने में जुटे हैं ताकि पानी के स्रोत प्रदूषित न हों। प्राधिकरणों का मानना है कि जैसे-जैसे बचाव दल दूरस्थ इलाकों तक पहुंचेंगे, मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है।

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तियानजिन (चीन), 31 अगस्त (हि.स.)। चीन के तियानजिन में हो रही शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) समिट से इतर रविवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई।इस दौरान अपने शुरुआती संबोधन में राष्ट्रपति जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच दोस्ती की जरूरत बताई।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक रविवार सुबह साढ़े 9 बजे (भारतीय समयानुसार) दोनों देशों के नेताओं के बीच शुरू हुई बैठक 40 मिनट चली।इस दौरान जिनपिंग ने कहा कि `चीन और भारत दुनिया की दो सबसे प्राचीन सभ्यताएं हैं। दोनों दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश हैं और ग्लोबल साउथ का हिस्सा हैं। दोस्त बने रहना, अच्छे पड़ोसी होना, ड्रैगन-हाथी का साथ आना बहुत जरूरी है।”‘

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा, ‘पिछले वर्ष कजान में हमारी बहुत सार्थक चर्चा हुई थी। हमारे संबंधों को एक सकारात्मक दिशा मिली है। सीमा पर डिसएंगेजमेंट के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई है। दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा भी फिर से शुरू की गई है। हमारे सहयोग से दोनों देशों के 2.8 बिलियन लोगों के हित जुड़े हुए हैं। इससे पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा। परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। चीन का एससीओ की सफल अध्यक्षता के लिए बधाई देता हूं।’

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तियानजिन (चीन), 31 अगस्त (हि.स.)। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रविवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अहम द्विपक्षीय बैठक हुई। भारतीय समय के मुताबिक सुबह साढ़े 9 बजे शुरू हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में अपने वक्तव्य को सोशल मीडिया एक्स पर अपलोड किया है। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, पिछले वर्ष कजान में हमारी बहुत सार्थक चर्चा हुई थी। हमारे संबंधों को एक सकारात्मक दिशा मिली है। सीमा पर डिसएंगेजमेंट के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना है।

उन्होंने कहा, ‘कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई है। दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा भी फिर से शुरू की गई है।हमारे सहयोग से दोनों देशों की 2.8 बिलियन लोगों के हित जुड़े हुए हैं। इससे पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा। परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं चीन का एससीओ की सफल अध्यक्षता के लिए बधाई देता हूं।’

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तियानजिन (चीन), 31 अगस्त (हि.स.)। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता शुरू हो गई है। भारतीय समय के मुताबिक सुबह 9:30 बजे शुरू हुई यह अहम बैठक 40 मिनट तक चलेगी।

दोनों शीर्ष नेताओं के बीच यह मुलाकात पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद रिश्तों में आए तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। दोनों नेता 10 महीने में दूसरी बार मिल रहे हैं। इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में रूस के कजान में ब्रिक्स समिट के दौरान उनकी मुलाकात हुई थी।

दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात आज से शुरू हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से कुछ घंटे पहले हो रहा है। इस सम्मेलन 20 से अधिक विदेशी नेता हिस्सा ले रहे हैं। चीन इस साल 10 सदस्यीय संगठन एससीओ का अध्यक्ष है, जिसमें रूस, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, बेलारूस और चीन शामिल हैं।

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वॉशिंगटन, 23 अगस्त (हि.स.)। व्हाइट हाउस के प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस के मौजूदा निदेशक सर्जियो गोर भारत में अमेरिका के अगले राजदूत होंगे।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विश्वासपात्रों में शामिल सर्जियो गोर को दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत की जिम्मेदारी के लिए नामित किया गया है। सर्जियो गोर भारत में अमेरिका के 26वें राजदूत बनेंगे। भारत पर लगाए गए भारी भरकम टैरिफ के बीच ट्रंप ने यह फैसला किया है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि वे सर्जियो गोर को भारत में अगला अमेरिकी राजदूत और दक्षिण व मध्य एशिया मामलों के लिए विशेष दूत नियुक्त कर रहे हैं। ट्रंप ने भरोसा व्यक्त करते हुए कहा कि सर्जियो वही व्यक्ति हैं जो हमारे ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ मिशन को आगे ले जाएंगे।

भारत में अमेरिकी राजदूत नामित किए जाने के लिए सर्जियो गोर ने राष्ट्रपति ट्रंप का आभार व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान होगा! हमारे ह्वाइट हाउस ने अमेरिका को फिर से महान बनाने में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं।

सर्जियो गोर, भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में सेवा देने वाले एरिक गार्सेटी के उत्तराधिकारी होंगे, जिन्होंने इस साल जनवरी तक भारत में अपनी सेवाएं दीं। जिसके बाद पिछले सात महीने से यह पद खाली चल रहा था। गोर सीनेट से मंजूरी मिलने तक अपनी वर्तमान भूमिका में बने रहेंगे। उनकी नियुक्ति को फिलहाल सीनेट से मंजूरी मिलनी बाकी है।

सर्जियो गोर ट्रंप के विश्वासपात्रों में रहे हैं। उन्होंने ट्रंप के लिए दो पुस्तकों का प्रकाशन किया। साथ ही ट्रंप के अभियानों के समर्थन में सबसे बड़े सुपर पीएसी में से एक का संचालन किया। उनका जन्म उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में हुआ था और 12 साल की उम्र में वे अपने परिवार के साथ अमेरिका आ गए थे।

ट्रंप ने ऐसे समय में गोर को भारत का राजदूत बनाने की घोषणा की है जब अमेरिका-भारत के संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। ट्रंप ने कुछ भारतीय उत्पादों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया और अब इसे 27 अगस्त से 50% करने की योजना है।

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एंकोरेज (अलास्का) संयुक्त राज्य अमेरिका , 16 अगस्त (हि.स.)। अलास्का शिखर सम्मेलन में शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर वी. पुतिन ने यूक्रेन में युद्धविराम पर चर्चा की। दोनों नेताओं के मध्य एंकोरेज स्थित ज्वाइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन में लगभग तीन घंटे बैठक चली। इसके बाद दोनों ने संयुक्त रूप से पत्रकारों से बातचीत की। अमेरिकी राष्ट्रपति ने युद्धविराम का दारोमदार यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की पर छोड़ दिया।

द न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, ट्रंप और पुतिन ने शिखर वार्ता बिना किसी मुद्दे पर सहमति की घोषणा किए संपन्न की। ट्रंप ने प्रगति का अस्पष्ट लेकिन सकारात्मक आकलन करते हुए कहा, “कई बिंदुओं पर सहमति बन गई है। अब बहुत कम बिंदु बाकी हैं।” पुतिन ने कहा, “हम इस बात से आश्वस्त हैं कि समझौते को स्थायी और दीर्घकालिक बनाने के लिए हमें संघर्ष के सभी प्राथमिक कारणों को समाप्त करना होगा।”

पुतिन ने कहा कि मॉस्को की मांग है कि यूक्रेन अपनी जमीन का एक बड़ा हिस्सा रूस को सौंपे। निरस्त्रीकरण करे। नाटो में शामिल न होने की शपथ ले। इस पर सेवानिवृत्त जनरल और रूसी संसद के सदस्य आंद्रेई गुरुल्योव ने कहा कि बैठक के बाद पुतिन की टिप्पणियों से पता चलता है कि क्रेमलिन का रुख अडिग है।

पुतिन ने कहा, “आज राष्ट्रपति ट्रंप कह रहे थे कि अगर वह उस समय राष्ट्रपति होते, तो कोई युद्ध नहीं होता और मुझे पूरा यकीन है कि ऐसा ही होगा। मैं इसकी पुष्टि कर सकता हूं।” ट्रंप ने कहा कि वह जल्द ही नाटो नेताओं, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और अन्य लोगों को फोन करके बैठक में हुई बातचीत की जानकारी देंगे। सैकड़ों पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए बिना जाने से पहले ट्रंप ने कहा, “शायद जल्द ही फिर मिलेंगे।” पुतिन ने भी कहा, “अगली बार मॉस्को में।”

रूस की समाचार एजेंसी तास के अनुसार, शिखर सम्मेलन के बाद पुतिन और ट्रंप ने मीडिया के सामने आए। उन्होंने सवालों के जवाब देने से परहेज किया और फिर थोड़ी देर खड़े-खड़े बातचीत की। इसके बाद पुतिन ने एंकोरेज में दफनाए गए सोवियत पायलटों की कब्रों पर फूल चढ़ाए और रूस वापस लौट गए। रूसी नेता का विमान स्थानीय समयानुसार सुबह 10:54 बजे (जीएमटी शाम 6:54 बजे) एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन स्थित संयुक्त बेस पर उतरा। एंकोरेज स्थित हवाई अड्डे पर आधिकारिक तस्वीर लेने से पहले पुतिन और ट्रंप ने संक्षिप्त बातचीत की। इस मौके पर दोनों नेताओं ने प्रेस से बातचीत करने से परहेज किया।

क्रेमलिन प्रेस सेवा के फुटेज के अनुसार, बंद कमरे में हुई वार्ता सुबह 11:26 बजे (शाम 7:26 जीएमटी) शुरू हुई। राष्ट्राध्यक्षों के अलावा, रूसी पक्ष का प्रतिनिधित्व क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अमेरिकी पक्ष का प्रतिनिधित्व विदेश सचिव मार्को रुबियो और ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने किया। पुतिन ने आशा व्यक्त की कि ट्रंप के साथ उनकी सहमति यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करेगी।

रूसी राष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि अगली बैठक मास्को में हो। ट्रंप ने कहा कि यह संभव है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि इसके लिए उनकी आलोचना की जाएगी।

सीएनएन की खबर के अनुसार, शिखर सम्मेलन समाप्त होने पर ट्रंप ने जिस युद्धविराम की बात कही, वह वास्तविकता से कोसों दूर है,क्योंकि उन्होंने “समझौता करने” की जिम्मेदारी यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की पर डाल दी। चैनल का कहना है कि यह एक दिखावटी शिखर सम्मेलन का अनिर्णायक अंत है।

शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद एक साक्षात्कार में फॉक्स न्यूज ने ट्रंप से उन क्षेत्रीय रियायतों के बारे में पूछा कि क्या रूस को वह जमीन मिलेगी जो उसके पास पहले नहीं थी? ट्रंप ने कहा, “मुझे लगता है कि ये वो मुद्दे हैं जिन पर हमने बातचीत की है और हम काफी हद तक सहमत हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यूक्रेन को “इस पर सहमत होना होगा।” जेलेंस्की के लिए उनकी क्या सलाह है? यह पूछे जाने पर ट्रंप ने जवाब दिया, “समझौता करना होगा।”

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वॉशिंगटन, 14 अगस्त (हि.स.)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को चेतावनी दी है कि यदि उसने यूक्रेन में जारी युद्ध को नहीं रोका, तो उसे “बहुत गंभीर” परिणाम भुगतने होंगे। केनेडी सेंटर में बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अगर रूस युद्धविराम के लिए सहमत नहीं होता, तो उसके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे, जिनमें टैरिफ और प्रतिबंध शामिल हो सकते हैं।

यह बयान 15 अगस्त को अलास्का में ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली बैठक से पहले आया है। ट्रंप ने कहा कि यदि पहली बैठक सफल रहती है, तो वह एक दूसरी बैठक का भी प्रस्ताव रखेंगे, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की भी शामिल होंगे।

ट्रंप ने बुधवार को यूरोपीय नेताओं के साथ एक वर्चुअल बैठक में भी हिस्सा लिया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के अनुसार, ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम को अपनी प्राथमिकता बताया। वहीं, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पुतिन पर “ब्लफ” करने और यूक्रेन पर दबाव बनाने का आरोप लगाया, ताकि रूस पूरे देश पर कब्जा करने में सक्षम दिख सके।

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