Chhapra: टोकियो ओलंपिक के भारत्तोलन प्रतियोगिता के 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीत देश को गौरवान्वित करने वाली मीरा बाई चानू के सम्मान में सारण जिला भारत्तोलन संघ के सदस्यों ने शहर के नगर पालिका चौक पर आतिशबाजी कर और मिठाई खिलाकर जश्न मनाया.

भारत की बेटी के शानदार प्रदर्शन पर सभी ने बधाई दी और आगे भी और मेडल जीतने का भरोसा जताया.

इस दौरान बिहार भारोत्तोलन संघ के रेफरी संजीत कुमार सिंह ने कहा कि खिलाड़ियों का बेहतर प्रदर्शन सभी को गौरवान्वित करता है. टोकियो ओलंपिक में भारत को पहला पदक भारत्तोलन में मिला है जो बेहद गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि हमारे खिलाड़ी बेहद परिश्रम कर रहें है और भी मेडल मिलेंगे.

वही उपाध्यक्ष बिहार भारोत्तोलन संघ देवेश चंद्र राय ने कहा कि देश की बेटी ने सभी देशवासियों को गौरवान्वित होने का मौका दिया है. उन्होंने उन्हें सलाम किया.

इस दौरान सारण भारत्तोलन संघ के अध्यक्ष सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि यह बेहद खुशी की बात है कि देश को भारत्तोलन में पदक मिला है. इससे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा और वे और भी अधिक परिश्रम करेंगे.

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टोक्यो: भारतीय स्टार खिलाड़ी सुमित नागल टोक्यो ओलंपिक टेनिस स्पर्धा के पुरुष एकल वर्ग के दूसरे दौर में पहुंच गए हैं। नागल ने पहले दौर के मुकाबले में डेनिस इस्तोमिन को शिकस्त दी।

नागल ने दो घंटे 34 मिनट तक चले मैच में इस्तोमिन को 6-4, 6-7, 6-4 से मात दी। दूसरे दौर में नागल का सामना दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी दानिल मेदवेदेव से होगा। ऑस्ट्रेलियाई ओपन के उपविजेता मेदवेदेव ने पहले दौर के मुकाबले में कजाखस्तान के अलेक्जेंडर बुबलिक को 6-4, 7-6 से हराया।

इस जीत के साथ ही वह 25 साल में पुरुष एकल स्पर्धा में जीत दर्ज करने वाले तीसरे भारतीय टेनिस खिलाड़ी बन गए हैं।

नागल से पहले जीशान अली ने सियोल ओलंपिक 1988 की टेनिस पुरुष एकल स्पर्धा में पराग्वे के विक्टो काबालेरो को हराया था। उसके बाद लिएंडर पेस ने ब्राजील के फर्नाडो मेलिजेनी को हराकर अटलांटा ओलंपिक 1996 में कांस्य पदक जीता था।

पेस के बाद से कोई भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक में एकल मैच नहीं जीत सका है। सोमदेव देववर्मन और विष्णु वर्धन लंदन ओलंपिक 2012 में पहले दौर में ही हार गए थे।

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टोक्यो ओलिंपिक का आज दूसरे दिन भारत ने शानदार आगाज किया है. शनिवार को मीराबाई चानू ने 49 किलो ग्राम वर्ग में 202 के कुल वजन के साथ सिल्वर मेडल जीत लिया है. क्लीन एंड जर्क की वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर मीरबाई चानू ने अपने पहले अटेंप्ट में 110 किलो का वजन बिना किसी मुश्किल के उठाया और मेडल पक्का किया. इस इवेंट में गोल्ड मेडल चीन ने जीता है वहीं ब्रांज मेडल इंडोनेशिया के खिलाड़ी ने अपने नाम किया है.


टोक्यो ओलंपिक में मीरा बाई चानू ने भारत को पहला मेडल दिलाया है. भारत ने टोक्यो ओलंपिक में अपने पदक की शुरूआत सिल्वर मेडल के साथ किया है. मीरा बाई चानू के जीत पर पूरा देश खुशियां मना रहा है. इस जीत के बाग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर मीरा बाई चानू को जीत की बधाई दी. पीएम ने अपने ट्वीट में लिखा कि ओलंपिक में इससे सुखद शुरुआत के लिए नहीं कहा जा सकता था. इस जीत पर पूरा भारत उत्साहित है. पीएम ने आगे लिखा कि भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने के लिए उन्हें बधाई. उनकी सफलता हर भारतीय को प्रेरित करती है.

 

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Chhapra: सारण जिला भारत्तोलन संघ के तत्वावधान में आगामी 23-24 जुलाई को बिहार भारत्तोलन टीम का चयन किया जाएगा.

जिसमें खिलाड़ी 4 से 13 अगस्त 2021 तक पटियाला में 73वीं पुरुष और 36वीं महिला सीनियर भारत्तोलन प्रतियोगिता, 16वीं नेशनल युथ सब जूनियर बालक, बालिका और 57वीं पुरुष/33वीं महिला जूनियर नेशनल भारत्तोलन प्रतियोगिता 2020-21 में भाग लेगी.

मुख्य अतिथि संघ के संरक्षक विधान पार्षद सच्चिदानंद राय उद्घाटन करेंगे. जानकारी महासचिव सुरेश प्रसाद सिंह ने दी.

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कोलंबो: श्रीलंका के खिलाफ पहले एकदिवसीय मैच में 86 रनों की शानदार नाबाद पारी खेल भारतीय कप्तान शिखर धवन ने एक खास उपलब्धि हासिल कर ली।


धवन ने अपनी अर्धशतकीय पारी के साथ ही एकदिवसीय क्रिकेट में 6 हजार रन पूरे कर लिए। इस मामले में उन्होंने वेस्टइंडीज के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स को पीछे छोड़ा। धवन ने अपनी 140वीं एकदिनी पारी में 6 हजार रन पूरे किए जबकि रिचर्ड्स ने 141 वीं पारी में इस स्कोर को हासिल किया था। सबसे तेज 6 हजार एकदिनी रन बनाने का रिकॉर्ड दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर हाशिम अमला (123) के नाम है। वहीं विराट कोहली (136)दूसरे और न्यूजीलैंड के केन विलियमसन (139) तीसरे स्थान पर हैं।

धवन ने इसके इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने 10 हजार रन भी पूरे कर लिए हैं। इस मैच में उतरने से पहले धवन के खाते में 9965 रन थे। 35 रन बनाने के साथ ही इस बल्लेबाज ने 10 हजार रन का आंकड़ा पार कर लिया।

बता दें कि पहले मैच में श्रीलंका के नए कप्तान शनाका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। श्रीलंकाई टीम ने निर्धारित 50 ओवर में 9 विकेट पर 262 रन बनाये। जवाब में भारत ने 36.4 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर लक्ष्य हासिल कर लिया।

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कोलंबो: भारत ने कप्तान शिखर धवन के नाबाद अर्धशतकीय पारी (86) की बदौलत पहले एकदिवसीय मैच में श्रीलंका को सात विकेट से हराकर तीन मैचों की श्रृंखला में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली है।

इस मुकाबले में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 9 विकेट पर 262 रन बनाए। जवाब में भारतीय टीम ने 36.4 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर 263 रन बनाकर जीत हासिल कर ली।

263 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को कप्तान शिखर धवन और पृथ्वी शॉ ने अच्छी शुरुआत दिलाई। दोनों ने पहले विकेट के लिए 5.2 ओवरों में 58 रन जोड़ दिए। 58 के कुल स्कोर पर धनंजय डी सिल्वा ने शॉ को अविष्का फर्नांडो के हाथों कैच कराकर भारत को पहला झटका दिया। शॉ ने 24 गेंदों पर 9 चौकों की बदौलत 43 रन बनाए।

इसके बाद बल्लेबाजी करने आये ईशान किशन ने कप्तान धवन का अच्छा साथ दिया। दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 85 रनों की साझेदारी की। 143 के कुल स्कोर पर ईशान किशन को लक्षण सन्दकन ने आउट कर भारत को दूसरा झटका दिया। किशन ने 42 गेंदों पर 8 चौकों और 2 छक्कों की बदौलत 59 रन बनाए। मनीष पांडेय 215 के कुल स्कोर पर 26 रन बनाकर धनंजय डी सिल्वा का शिकार बने। इसके बाद सूर्यकुमार यादव (नाबाद 31) और शिखर धवन (86) ने कोई और नुकसान नहीं होने दिया और भारतीय टीम को 7 विकेट से जीत दिला दी।

श्रीलंका की तरफ से धनंजय डी सिल्वा ने दो और लक्षण सन्दकन ने 1 विकेट लिया।

इससे पहले श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। श्रीलंकाई टीम को अविष्का फर्नांडो और मिनोद भानुका ने सधी शुरुआत दिलाई। दोनों ने पहले विकेट के लिए 49 रनों की साझेदारी की। श्रीलंकाई टीम को पहला झटका 10 वें ओवर में युजवेंद्र चहल ने दिया। चहल ने अविष्का फर्नांडो को 32 रन पर आउट किया। इसके बाद कुलदीप यादव ने 17वें ओवर में भानुका राजपक्षे (24 रन) को आउट करके भारत को दूसरी सफलता दिलाई। इसी ओवर में कुलदीप ने मिनोद भानुका (27) को आउट कर श्रीलंका को तीसरा झटका दिया। क्रुणाल पांड्या ने धनंजय डी सिल्वा को आउट करके श्रीलंका को चौथा झटका दिया। उन्होंने 14 रन बनाए।

दीपक चहर ने चरित असलंका को आउट करके टीम को पांचवा झटका दिया। उन्होंने 38 रन बनाए। इसके बाद दीपक चहर ने वनिन्दु हसरंगा को आठ रन पर आउट करके श्रीलंकाई टीम को छठा झटका दिया। दासुन शनाका को चहल ने आउट करके टीम को सातवां झटका दिया। उन्होंने 39 रन बनाए। इसके बाद इसुरु उदाना को हार्दिक पांड्या ने आउट करके आठवां झटका दिया। वह आठ रन बनाकर आउट हुए। दुष्मंथा चमीरा पारी की आखिरी गेंद पर रन आउट हुए। उन्होंने 13 रन बनाए। चमिका करुणारत्ने 43 बनाकर नाबाद रहे। श्रीलंका ने निर्धारित 50 ओवर में 9 विकेट पर 262 रन बनाए।

भारत की तरफ से कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल और दीपक चहर ने दो-दो व हार्दिक पांड्या और क्रुणाल पांड्या ने 1-1 विकेट लिया।

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32वें ओलम्पिक की 500 स्पर्धाओं में भाग लेने दुनिया भर के 200 से अधिक देशों के खिलाड़ी जापान की राजधानी टोक्यो पहुंच रहे हैं। टोक्यो एशिया का पहला शहर होगा, जहां दूसरी बार ओलम्पिक हो रहा है। इससे पहले 1964 में टोक्यो में अठारहवें ओलम्पिक का आयोजन हुआ था। वैसे तो सर्दियों में एक अलग ओलम्पिक का आयोजन होता है, लेकिन लोकप्रियता के लिहाज से गर्मियों का ओलम्पिक कहीं आगे है।

टोक्यो ओलम्पिक 2020 का आयोजन पिछले साल 24 जुलाई से होना था, लेकिन कोरोना के कहर से इसे टालना पड़ा। एक साल की देरी से हो रहे इस आयोजन में भी इस बात की कसक रहेगी कि इस बार उतने दर्शक मैदान में नहीं होंगे। फिर भी, पिछले दो वर्षों से कोरोना से मायूसी झेल रही दुनिया को ओलम्पिक के आयोजन से खुशी मिलने की उम्मीद है। ग्रीस के प्राचीन शहर ओलम्पिया के नाम पर होने वाले ओलम्पिक खेल या ओलम्पियाड को 2800 साल पुराना माना जाता है, लेकिन आधुनिक ओलम्पिक की शुरुआत ग्रीस की राजधानी एथेंस से सन 1894 में हुई। आधुनिक ओलम्पिक के प्रणेता फ्रांस के शिक्षाविद पियरे द कुबर्तीं हैं। ओलम्पिक का निशान पांचों महाद्वीप के प्रतीक के रूप में ‘पांच रिंग’ भी कुबर्तीं की ही देन है। विश्व युद्धों को छोड़ दिया जाए तो ओलम्पिक का आयोजन निर्बाध तरीके से होता रहा है। हर चार साल पर होने वाले ओलम्पिक को एक आन्दोलन भी माना जाता है जिसका नेतृत्व करती है अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति। इस समय इसके अध्यक्ष हैं थॉमस बाख।

ओलम्पिक में भारत

ओलम्पिक में भारत की सबसे अधिक सफलता मैदानी हॉकी में रही है जिसकी चर्चा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी की है। भारत ने ओलम्पिक में अब तक कुल नौ स्वर्ण पदक जीते हैं। इसमें से आठ गोल्ड मेडल हॉकी में मिले हैं, जबकि अभिनव बिन्द्रा ने 2008 के बीजिंग ओलम्पिक में एकल मुकाबले में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। बिन्द्रा ने पुरुषों की दस मीटर एयर राइफल स्पर्धा में यह पदक जीता था। हालांकि हॉकी में भारत को पिछली बार 1980 में मॉस्को ओलम्पिक में स्वर्ण पदक मिला था। 2016 के रियो द जनेरो ओलम्पिक में पीवी संधु ने बैडमिन्टन में सिल्वर मेडल जीता, जो किसी भारतीय महिला का ओलम्पिक में पहला रजत पदक था।

प्रधानमंत्री की ओर से हौसला अफ्जाई

कहा जाता है कि ओलम्पिक में पदक जीतने से अधिक महत्वपूर्ण है इसमें भाग लेना। संभवतः इसी भावना से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो ओलम्पिक में हिस्सा लेने जा रहे भारतीय खिलाड़ियों की हौसला अफ्जाई करते हुए कहा है कि अपेक्षाओं के बोझ तले दबना नहीं है बल्कि अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ सम्बोधन को याद करते हुए चीयर्स फॉर इंडिया की लोकप्रियता पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि टोक्यो जा रहे सभी खिलाड़ियों को पुरे देश का आशीर्वाद प्राप्त है।

टोक्यो 2020 ओलम्पिक में भारतीय दल

टोक्यो ओलम्पिक में भारत कुल 85 पदकीय स्पर्धाओं में भाग ले रहा है। 228 सदस्यो वाले इसे दल में 67 पुरुष और 52 महिला खिलाड़ी होंगी। खेल के लिहाज से भारतीय दल पर एक नजरः
एथलेटिक्स
अठारह एथलीटों की टीम टोक्यो में जब भारत का झंडा थामे उतरेगी तो उनके दिलो दिमाग में उड़न सिख स्वर्गीय मिल्खा सिंह का चेहरा जरूर उभरेगा। उनका बेहतरीन प्रदर्शन उन्हें इस टीम की श्रद्धांजलि होगी। भारत को दूती चंद से 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में बहुत उम्मीदें रहेंगी। इसके अलावा नीरज चोपड़ा और शिवपाल सिंह भाले को पदक तक पहुंचाने में जी-जान लगा देंगे। बीस किलोमीटर की पैदल चाल में के.टी. इरफान पदक की मंजिल तय करना चाहेंगे।

तीरंदाजी
तीरंदाजी के महिला वर्ग में सबकी निगाहें टिकी होंगी दीपिका कुमार पर, जिन्होंने हाल ही में पेरिस में आयोजित विश्व तीरंदाजी में तीन गोल्ड मेडल जीते हैं। पुरुष वर्ग में तरुणदीप राय, अतानु दास और प्रवीण जाधव के तीर अकेले-अकेले भी निशाना साधेंगे और फिर बतौर टीम भी।

बैडमिन्टन
विश्व चैम्पियन पीवी संधु ने पिछले ओलम्पिक में चांदी के तमगे का हार पहना था। इस बार उनकी कोशिश होगी कि उनके और भारत के खाते में सोने का पदक आ जाए। पुरुष एकल मुकाबले में बी साई प्रणीत अपनी किस्मत आजमाने कोर्ट में उतरेंगे। इसके अलावा पुरुष युगल टीम भी अपनी झोली में मेडल डालने के लिए भरपूर प्रयास करेगी।

बॉक्सिंग
टोक्यो ओलम्पिक में भारत के लिए नौ मुक्केबाज पदक के बैग में पंच लगाने की कोशिश करेंगे। इनमें मैरी कॉम के साथ सिमरनजीत कौर,पूजा रानी और लवलीना होंगी। पुरुषों में विकास कृष्णन, आशीष कुमार, सतीश कुमार, अमित पंघल और मनीष कौशिक अपने मुक्कों से पदक झटकने की कोशिश करेंगे। हाल ही में अपने पिता को खोने वाले आशीष कुमार को प्रधानमंत्री मोदी ने सचिन तेंडुलकर का उदाहरण देकर ढांढ़स बंधाया कि कैसे सचिन ने अपने पिता को एक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट के दौरान खोने के बावजूद अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

गोल्फ
भारत के लिए गोल्फ कोर्स से पदक लाने की मशक्कत करेंगे अनिरबान लाहिड़ी और उदयन माने। महिला वर्ग में पदक के लिए क्लब संभालेंगी अदिति अशोक।

निशानेबाजी
भारत के पंद्रह निशानेबाज टोक्यो ओलम्पिक में राइफल और पिस्तौल तानेंगे ताकि अपने सटीक निशाने से भारत की झोली में पदक डालें। युवा निशानेबाज दिव्यांश सिंह पंवार और इलेवनील वलारिवन से पुरुषों की दस मीटर स्पर्धा में काफी उम्मीदें हैं।

तैराकी
साजन प्रकाश, श्रीहरि नटरजा और माना पटेल स्वीमिंग पूल से पदक निकालने के लिए तैराकी के अपने हुनर का जलवा दिखाने की कोशिश करेंगे।

टेबल टेनिस
शरत कमल का नाम तो टेबल टेनिस का काफी जाना-पहचाना नाम है जिन्होंने चौथी बार इस स्पर्धा के लिए क्वालीफाई किया है। उनके अलावा तीन अन्य खिलाड़ी भी तमगे के लिए तमाम कोशिशें करेंगे। शरत मिश्रित युगल में मनिका बत्रा के साथ टेबल संभालेंगे।

लॉन टेनिस
एक अर्से के बाद इस बार लॉन टेनिस में पुरुषों की टीम नहीं होगी, लेकिन अनुभवी सानिया मिर्जा जरूर अपनी कोशिश जारी रखने टोक्यो में होंगी। उनके साथ होंगी अंकिता रैना।

कुश्ती
कुश्ती के अखाड़े में भारत की ओर से उतरेंगी चार महिलाएं- सीमा बिस्ला, विनेश फोगट, अंशु मलिक और सोनम मलिक। पदक की उम्मीदें लिये उनके साथ होंगे तीन पुरुष पहलवान- रवि कुमार दहिया, बजरंग पुनिया और दीपक पुनिया।

हॉकी
टीम गेम में भारत की ओर से हॉकी की पुरुष और महिला दोनों टीमें टोक्यो से मेडल लेकर लौटने के लिए टर्फ पर होंगी। पुरुष टीम की कमान मनप्रीत सिंह कर रहे हैं जबकि रानी रामपाल महिला टीम की कप्तान हैं । दोनों टीमों में 16-18 खिलाड़ी हैं। इसके अलावा टोक्यो ओलम्पिक में नौकायन, जूडो, भारोत्तोलन, तलवारबाजी, जिम्नास्टिक्स और घुड़सवारी में भारत की भागीदारी होगी।

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को ऑलंपिक में शामिल होने वाले खिलाड़ियों से सीधा संवाद करते हुए उन्हें सलाह दी कि वह बिना किसी दबाव के प्रतियोगिता में अपना शत-प्रतिशत योेगदान दें।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए खिलाड़ियों से संवाद में उनके अनुभव को जाना और हौंसलाफजाई की। टोक्यो ओलंपिक में शामिल होने के लिए जापान जाने वाले खिलाड़ियों से प्रधानमंत्री ने कहा कि वह किसी अपेक्षाओं का दबाव लेकर मैदान में न उतरें और केवल अपना शत-प्रतिशत योगदान दें।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान न कुछ खिलाड़ियों के परिजनों से भी संवाद किया। कुछ खिलाड़ियों के परिजन कार्यक्रम से जुड़े हुए थे। उन्होंने प्रवीण कुमार जाधव के माता पिता से संवाद करते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर सुविधायें दी जाएं तो देश की प्रतिभा देश को गौरवांवित करने के लिए क्या नहीं कर सकती।

कार्यक्रम में खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री उनसे संवाद कर रहे हैं और उनका हौसला बढ़ाने आए हैं। वह उम्मीद करते हैं कि खिलाड़ी देश के लिए मेडल जीत कर आयेंगे।

उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का पहला दल 17 जुलाई को टोक्यो जाएगा। कुल 228 सदस्यों का भारतीय प्रतिनिधिमंडल ऑलंपिक जा रहा है। यह खिलाड़ी 85 प्रतिस्पर्धाओं में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

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नई दिल्ली:  भारत आगामी टोक्यो पैरालिंपिक में नौ खेलों में भाग लेगा, जो 24 अगस्त से शुरू हो रहा है। 2016 के रियो ओलंपिक में, 19 भारतीय पैरा-एथलीटों ने पांच खेलों में दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता था।


युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के रोड टू टोक्यो दस्तावेज़ के अनुसार, 2012 के लंदन ओलंपिक में चार विषयों के 10 एथलीटों ने भाग लिया था। तब से एथलीटों की चतुष्कोणीय स्पर्धा में भागीदारी बढ़ी है और आगामी टोक्यो खेलों में कम से कम 42 भारतीय पैरा-एथलीट शामिल होंगे।

वर्तमान ओलंपिक चक्र में पैरा-स्पोर्ट्स के लिए लगभग 26 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। विदेशी प्रदर्शन, उपकरण, खेल विज्ञान सेवाओं के समर्थन के रूप में मौजूदा कोर एथलीटों पर टॉप्स के तहत कोचिंग और पॉकेट भत्ते पर कुल 6.1 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसके अलावा प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के वार्षिक कैलेंडर (ए.सी.टी.सी.) के तहत प्रतियोगिताओं, विदेशी और घरेलू प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेने, प्रशिक्षकों और विशेषज्ञों को काम पर रखने और उपकरणों की खरीद के लिए 19.83 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

पुरुषों की ऊंची कूद में 2016 के रियो स्वर्ण पदक विजेता मरियप्पन थंगावेलु को 24 अगस्त से 5 सितंबर तक आयोजित होने वाले टोक्यो पैरालिंपिक 2020 के लिए भारतीय दल के कप्तान के रूप में चुना गया है।

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ज़ाग्रेब: पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने शनिवार को क्रोएशिया ग्रैंड शतरंज टूर टूर्नामेंट में रूसी ग्रैंडमास्टर गैरी कास्परोव पर जीत दर्ज की। सफेद मोहरों से खेलते हुए आनंद ने ब्लिट्ज स्पर्धा के चौथे दौर में कास्परोव को आधे घंटे में हरा दिया।

हालाँकि, भारतीय ग्रैंडमास्टर को इयान नेपोम्नियाचची के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

इस हफ्ते की शुरुआत में, आनंद ने प्रतिस्पर्धी शतरंज में वापसी पर डच ग्रैंडमास्टर जोर्डन वैन फॉरेस्ट को हराया था। पूर्व विश्व चैंपियन आनंद, जो लगभग 17 महीनों में अपना पहला ओवर-द-बोर्ड गेम खेल रहे थे, ने क्रोएशिया ग्रैंड शतरंज टूर टूर्नामेंट के पहले दौर में जीत के साथ शुरुआत की।

हालांकि, भारतीय चैंपियन को रूस के इयान नेपोमनियाचची के साथ ड्रॉ करने से पहले दूसरे दौर में फ्रांस के मैक्सिम वाचियर-लाग्रेव से हार का सामना करना पड़ा था।

ज़ाग्रेब रैपिड और ब्लिट्ज का आयोजन 7 से 11 जुलाई तक क्रोएशिया के ज़ाग्रेब में किया जा रहा है। यह टूर्नामेंट ग्रैंड चेस टूर का तीसरा चरण है और इसमें 37,500 अमरीकी डालर के प्रथम पुरस्कार के साथ कुल 150,000 अमरीकी डालर की पुरस्कार राशि है।

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नई दिल्ली: ‘मैं एक जुनूनी खिलाड़ी हूं।’ मिल्खा सिंह अक्सर यह बात दोहराते थे। अब उनका जुनून कहानियों के रूप में हमारे बीच रहेगा। मिल्खा की कहानियां हमें महान कार्य के लिए हमेशा प्रेरित करती रहेंगी। आखिर कौन जानता था कि महज एक गिलास दूध के लिए सेना की दौड़ में शामिल होने वाला नवयुवक एक दिन दुनिया का महान धावक बनेगा! लेकिन यह बात सच साबित हुई। मिल्खा सिंह ने इतिहास रच कर दिखाया।

मिल्खा की रफ्तार से दुनिया पहली बार कार्डिफ राष्ट्रमंडल खेलों में परिचित हुई। वहीं मिल्खा ने तत्कालीन विश्व रिकॉर्ड धारक मैल्कम स्पेंस को 440 गज की दौड़ में मात दी थी और स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया था। मिल्खा सिंह को ताउम्र वह दिन याद रहा।

एक जगह उन्होंने कहा था कि जान-बूझकर मैंने उस दिन अधिक नहीं खाया था, क्योंकि प्रदर्शन पर उसका कोई असर न पड़े। मिल्खा कड़ी प्रतिस्पर्धा में भी शांत बने रहते थे। स्वयं से शक्ति अर्जी कर रहे होते थे। लेकिन उस दिन साथियों को लगा कि मिल्खा तनाव में हैं। यही सोचकर उनके कोच डॉक्टर हावर्ड पास आकर बोले कि आज की दौड़ या तो तुम्हें कुछ बना देगी या बर्बाद कर देगी। अगर तुम मेरी टिप्स का पालन करोगे, तो तुम माल्कम स्पेंस को हरा दोगे। तुममें ऐसा कर पाने की क्षमता है।

उस दिन वही हुआ। मिल्खा सिंह ने इतिहास रचा। उनके साथियों ने मिल्खा को कंधे पर उठाकर पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाया। वह किसी भारतीय के नाम राष्ट्रमंडल खेलों में पहला स्वर्ण पदक था। भारत का झंडा सबसे ऊपर लहरा रहा था। एक इंटरव्यू में मिल्खा सिंह ने कहा था कि उस जीत के बाद मुझसे कहा गया था कि मैं इनाम में क्या लेना चाहूंगा? तब मेरी समझ में कुछ नहीं आया। मुंह से यह बात निकली कि इस जीत की खुशी में पूरे भारत में छुट्टी कर दी जाए। वही हुआ। मैं जिस दिन भारत पहुंचा तो पूरे देश में छुट्टी घोषित की गई।

मिल्खा सिंह 20 नवंबर,1929 को गोविंदपुरा में पैदा हुए थे, जो अब पाकिस्तान में है। वह दौर आजादी के संघर्ष का था। जैसे-जैसे मिल्खा बड़े हो रहे थे, आजादी की लड़ाई भी तेज होती जा रही थी। आखिरकार 1947 में देश आजाद हुआ तो विभाजन की अफरा-तफरी मच गई। चारो तरफ हिंसा फैल गई। उस हिंसा में मिल्खा ने अपने माता-पिता को खो दिया।

इसके बाद के शरणार्थी जीवन ने मिल्खा को सख्त बना दिया। उन्होंने अपने जीवन में कुछ बेहतर कर गुजरने की ठानी और भारतीय सेना में शामिल हुए। वहीं अपने कौशल को निखारा और उनके प्रभावशाली करियर की नींव पड़ी। वे स्वभाव से सरल थे, लेकिन मैदान पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को ध्वस्त कर देते थे। बतौर धावक मिल्खा सिंह ने कई रिकॉर्ड बनाये और पदक जीते।

एशियाई खेलों में चार स्वर्ण पदक और राष्ट्रमंडल खेलों में एक स्वर्ण पदक मिल्खा के नाम है। उनकी रफ्तार की दुनिया दीवानी थी। इसलिए वे ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर हुए और दुनिया के हर कोने से प्यार और समर्थन प्राप्त किया।

हालांकि, एक बात मिल्खा सिंह को हमेशा परेशान करती रही। वो यह कि काश रोम ओलिंपिक में पीछे मुड़कर न देखा होता। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मेरी आदत थी कि मैं हर दौड़ में एक दफा पीछे मुड़कर देखता था। रोम ओलिंपिक में दौड़ बहुत नजदीकी था और मैंने जबरदस्त ढंग से शुरुआत की थी। हालांकि, मैंने एक दफा पीछे मुड़कर देखा और शायद यहीं मैं चूक गया। इस दौड़ में कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था और मिल्खा ने 45.6 सेकंड में दौड़ पूरी की थी।”

महान धावक मिल्खा सिंह पर एक फिल्म बनी है और उन्होंने एक किताब भी लिखी है। इस संबंध में मिल्खा ने स्वयं लिखा है कि मैं न तो कोई लेखक हूं और न ही रचयिता, बल्कि एक जुनूनी खिलाड़ी हूं, जिसने इस किताब में अपना दिल खोलकर रख दिया है। किताब का शीर्षक हैः भाग मिल्खा भाग।

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New Delhi: भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का 91 साल की उम्र में चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में निधन हो गया. उनके निधन से खेल प्रेमियों समेत देश भर में शोक की लहर दौड़ गयी. प्रधानमंत्री, खेल मंत्री समेत अन्य नेताओं ने शोक व्यक्त किया है.

मिल्खा सिंह ने चार बार एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. साथ ही वह 1958 कॉमनवेल्थ गेम्स के चैंपियन भी थे. 1960 रोम ओलिंपिक खेलों में वे मामूली अंतर से पदक से चूक गए थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिल्खा सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है. पीएम मोदी ने कहा, “हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया है, जिसने देश की कल्पना पर कब्जा कर लिया और अनगिनत भारतीयों के दिलों में एक विशेष स्थान था.”

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