नई दिल्ली, 09 जून (हि.स.)। भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में रविवार को आयोजित समारोह में उनको पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

इसी के साथ मोदी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनने के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। पंडित नेहरू वर्ष 1952, 1957 एवं 1962 का आम चुनाव जीतकर लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने थे। वहीं मोदी वर्ष 2014 एवं 2019 का आम चुनाव जीतकर क्रमशः पहली एवं दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। अब उन्होंने तीसरी बार शपथ ली है।

शपथ ग्रहण समारोह में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’, बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोब्गे, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और माॅरीशस के प्रधानमंत्री प्रविन्द जगन्नाथ भी मौजूद रहे।

इसके अलावा कार्यक्रम में देशभर के नेता, मुख्यमंत्री, विपक्षी नेता, सांसद, फिल्मी हस्तियां, उद्योगपति, साधु-संत और आमजन मौजूद रहे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, गठबंधन के सहयोगी दलों के नेता, उद्योगपति मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, फिल्म अभिनेता रजनीकांत, शाहरूख खान, अक्षय कुमार, अभिनेत्री रविना टंडन जैसी जानीमानी हस्तियां मौजूद रही।

उल्लेखनीय है कि मोदी शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के संसदीय दल के नेता चुने गए थे। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा-नीत राजग ने 295 सीटें जीती हैं। इसमें भाजपा 240, तेदेपा 16, जदयू 12, शिवसेना (शिंदे गुट) 07, लोजपा (राम विलास) 05, जनसेना पार्टी 02, रालोद- 02,, राकांपा (अजित पवार) 01, अपना दल (एस) 01 और हम (सेकुलर) की 01 सीट शामिल है।

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नई दिल्ली/वाराणसी, 09 जून (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में रविवार को आयोजित समारोह में उनको पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसी के साथ मोदी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बनने के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। पंडित नेहरू वर्ष 1952, 1957 एवं 1962 का आम चुनाव जीतकर लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने थे।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए मोदी का जन्म गुजरात के वडनगर में 17 सितंबर 1950 को हुआ। जब वे 8 साल के थे तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए। साल 1970 में वह संघ के प्रचारक बन गये। 1975 संघ द्वारा मोदी को ‘गुजरात लोक संघर्ष समिति’ का महासचिव नियुक्त किया गया था। आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए मोदी को अंडरग्राउंड होने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह सरकार का विरोध करने वाली पम्फलेट की प्रिंटिंग में शामिल थे।

सूरत एवं वडोदरा में होने वाले संघ के कार्यक्रमों में वे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगे। वर्ष 1979 में वह संघ के संभाग प्रचारक बनाए गए। 1987 में मोदी को भाजपा की गुजरात इकाई के संगठन सचिव का दायित्व मिला। मोदी को 1996 में भाजपा के महासचिव (संगठन) के रूप में पदोन्नत दिया गया। मोदी ने 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा और 1991 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वर्ष 2001 केशुभाई पटेल का स्वास्थ्य खराब हुआ और भाजपा ने उप चुनावों में कुछ राज्य विधानसभा सीटें खो दी। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पटेल की जगह मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कमान सौंप दी। सात अक्टूबर 2001 को मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 24 फरवरी 2002 को उन्होंने राजकोट विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीता। तब से लेकर लगातार मई 2014 तक वह गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहे। इसके बाद वे 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री बने।

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भोपाल/दिल्ली, 09 जून (हि.स.)। एनडीए संसदीय दल के नेता नरेन्द्र मोदी ने रविवार देर शाम राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भी शपथ ली है। इनमें मध्य प्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री और विदिशा से नवनिर्वाचित सांसद शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हैं। उन्होंने केन्द्र में कैबिनेट मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।

विदिशा सीट से सांसद चुने गए शिवराज सिंह चौहान पहली बार केंद्रीय मंत्री बने हैं। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में वे विदिशा से छठी बार सांसद चुने गए हैं। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में भाजपा के सबसे कद्दावर नेता हैं। वह मध्य प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला है। वह चार बार मप्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनका कार्यकाल करीब 16.5 वर्ष का रहा।

पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 163 सीटें जीतीं, तब अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने जब डॉ मोहन यादव के नाम पर मुहर लगाई, तो शिवराज ने शालीनतापूर्वक इस फैसले को शिरोधार्य किया।

शिवराज सिंह चौहान ने राजनीति में कदम रखने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया था। वह छह बार उस सीट से सांसद हैं, जहां से कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सांसद थे। प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभालने से पहले शिवराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मध्य प्रदेश में उन्हें ‘मामा’ नाम से भी पुकारा जाता है।

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दिल्ली/लखनऊ, 09 जून (हि.स.)। लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने रविवार को मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। राजनाथ सिंह तीसरी बार लखनऊ संसदीय सीट से निर्वाचित हुए हैं। मोदी सरकार 2.0 में राजनाथ सिंह के पास रक्षा मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी थी। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राजनाथ सिंह ने गृह मंत्रालय को बखूबी संभाला था। राजनाथ सिंह ने हिन्दी में पद व गोपनीयता की शपथ ली।

राजनाथ सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के बभोरा गांव में पिता राम बदन सिंह और मां गुजराती देवी के घर हुआ था। उनका जन्म किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव के एक स्थानीय स्कूल से प्राप्त की और गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी के परिणाम प्राप्त करते हुए भौतिकी में मास्टर डिग्री हासिल की। उन्होंने केबी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज मीरजापुर में भौतिकी के व्याख्याता के रूप में काम किया। उनके भाई का नाम जयपाल सिंह है।

राजनाथ सिंह 1964 में 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। 1969 और 1971 के बीच वे गोरखपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठनात्मक सचिव थे। वे वर्ष 1972 में मीरजापुर के महासचिव भी बने। 2 वर्ष बाद वर्ष 1974 में वे राजनीति में आए, 1974 में ही उन्हें भारतीय जनसंघ की मीरजापुर इकाई का सचिव नियुक्त किया गया। 1975 में उन्हें जनसंघ का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया। वर्ष 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़ने के लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।

जेल से रिहा होने के बाद राजनाथ सिंह जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित जनता पार्टी में शामिल हो गए और 1977 में मीरजापुर से विधान सभा चुनाव लड़ा। उन्होंने सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा और मीरजापुर से विधान सभा के सदस्य के रूप में चुने गए। वह वर्ष 1980 में भाजपा के सदस्य बने और पार्टी के शुरुआती सदस्यों में से एक थे। 1991 में, जब भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई, तो उन्हें शिक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल की प्रमुख विशेषताओं में नकल विरोधी अधिनियम-1992 शामिल था, जिसने नकल को गैर-जमानती अपराध बना दिया, विज्ञान के ग्रंथों का आधुनिकीकरण किया और वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल किया।

अप्रैल 1994 में राजनाथ सिंह राज्यसभा के लिए चुने गए। 1999 में वह भूतल परिवहन के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बने। 2000 में वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वह उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के बहुत करीब थे और राज्य के लोगों के बीच उनकी बहुत साफ छवि थी। साल 2002 में उन्होंने दो साल के अंदर ही यूपी के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि उस समय जमीनी परीक्षण (प्लोर टेस्ट) के दौरान भाजपा सरकार अल्पमत में थी। निम्नलिखित कारणों से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।

2003 में राजनाथ सिंह को अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में कृषि मंत्री और बाद में खाद्य प्रसंस्करण के लिए नियुक्त किया गया था। इस अवधि के दौरान उन्होंने किसान कॉल सेंटर और कृषि आय बीमा योजना सहित कुछ युगांतरकारी परियोजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने कृषि ऋण पर ब्याज दरों को कम किया और किसान आयोग की स्थापना की और फार्म आय बीमा योजना शुरू की।

मुहम्मद अली जिन्ना पर विवादास्पद बयानों के कारण प्रमुख व्यक्ति लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफे के बाद, वे 31 दिसंबर 2005 को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने, इस पद पर वे 19 दिसंबर 2009 तक रहे। 24 जनवरी 2013 को, वह अपने लिए अध्यक्ष चुने गए। 2013 में नितिन गडकरी के पद छोड़ने के बाद दूसरा कार्यकाल। उन्होंने 2014 के भारतीय आम चुनाव के लिए भाजपा के अभियान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें भाजपा के भीतर विरोध के बावजूद नरेन्द्र मोदी को पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना शामिल था। पार्टी की शानदार जीत के बाद, उन्होंने 26 मई 2014 को गृह मंत्री का पद संभालने के लिए पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

अमित शाह को गृह मंत्रालय दिए जाने के बाद 31 मई 2019 को राजनाथ सिंह भारत के रक्षा मंत्री बने। रक्षा मंत्री होने के बाद उन्होंने भारत की रणनीतिक दृष्टि में एक सूक्ष्म बदलाव का संकेत दिया। मुख्य रूप से राष्ट्र के रक्षा बजट को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया और अन्य देशों से हथियारों के आयात को कम करने और देश को हथियार उद्योग के साथ एक हथियार निर्यातक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने यह भी कहा कि ‘भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे में हाथ नहीं डाल सकता। अब समय आ गया है कि भारत को प्रमुख हथियार निर्यातक के रूप में उभरने की जरूरत है।’

परिचय-

नाम: राजनाथ सिंह

उम्र: 73 वर्ष

शिक्षा : एमएससी

दल : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)

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नई दिल्ली, 9 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने रविवार को तीसरी बार पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। उनके साथ आज 30 सांसदों ने कैबिनेट मंत्री और 5 सांसदों ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर शपथ ली। सभी ने हिन्दी में शपथ ली।

मोदी 2.0 में शामिल ज्यादातर मंत्री इस बार भी मंत्रिमंडल में शामिल हैं। शीर्ष तीन नेताओं में राजनाथ, अमित शाह और नितिन गडकरी शामिल रहे। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शपथ ली। नड्डा मोदी 1.0 में मंत्री रह चुके हैं जबकि चौहान पहली बार केन्द्र में मंत्री बनाए गए हैं।

इसके बाद निर्मला सीतारमण और डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर ने शपथ ली। दोनों मोदी 2.0 में क्रमश: वित्त एवं विदेश मंत्री रहे हैं। संभावना है कि इस बार भी दोनों को यही पदभार मिले। दोनों ने अंग्रेजी ने शपथ ली। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस बार करनाल से चुनकर आये हैं और उन्हें भी इस बार मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। मनोहरलाल ने एस. जयशंकर के बाद शपथ ली।

एनडीए के सहयोगी दलों में सबसे पहले एचडी कुमारस्वामी ने शपथ ली। वे पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के सुपुत्र हैं। उन्होंने अंग्रेजी में शपथ ली। उनके बाद पीयूष गोयल और धर्मेन्द्र प्रधान ने शपथ ली। गोयल और प्रधान दोनों पिछली मोदी सरकारों में मंत्री रहे हैं। इस बार गोयल मुंबई उत्तर से जीतकर लोकसभा में आए हैं। वे अबतक राज्यसभा में नेता सदन थे।

इसके बाद एनडीए के ही सहयोगी दल हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और जनता दल (यू) के नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शपथ ली। इनके बाद असम के पूर्व मुख्यमंत्री और पिछली मोदी सरकार में मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और भाजपा नेता डॉ विरेन्द्र कुमार ने शपथ ली।

तेलगु देशम पार्टी के नेता और तीसरी बार सांसद बने किंजरापु राम मोहन नायडू ने शपथ ली। वे मोदी 3.0 में सबसे युवा मंत्री बनने जा रहे हैं। उनके बाद प्रह्लाद जोशी ने शपथ ली। कर्नाटक से आने वाले जोशी पिछली मोदी सरकार में संसदीय कार्यमंत्री रहे। इसके बाद जोएल ओराम ने मंत्री पद की शपथ ली। ओराम अटल सरकार में भी मंत्री रहे हैं और वे जनजातीय मंत्रालय के पहले मंत्री रहे हैं।

इसके बाद गिरिराज सिंह, अश्वनी वैष्णव, ज्योतिरादित्य सिंधिया, भूपेन्द्र यादव, गजेन्द्र सिंह शेखावत, अन्नपूर्णा देवी, किरण रिजिजू, हरदीप सिंह पुरी, मनसुख मंडाविया और जी किशन रेड्डी ने शपथ ली। ये सभी मोदी 2.0 में भी मंत्री रहे हैं। अन्नपूर्णा देवी पिछली बार राज्यमंत्री थीं। इस बार उन्हें मंत्री बनाया गया है। वे कैबिनेट में शामिल दूसरी महिला मंत्री रहीं। इनके बाद लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान और नवसारी से सांसद बने सीआर पाटिल ने शपथ ली।

इसके बाद राव इंद्रजीत सिंह, डॉ जितेन्द्र सिंह, अर्जुन राम मेघवाल, प्रतापराव जाधव और जयंत चौधरी ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर शपथ ली।

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नई दिल्ली, 09 जून (हि.स.)। मनोनीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को भाजपा-नीत एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण से पूर्व, प्रधानमंत्री निवास पर उन सांसदों के साथ बैठक की जिनको मंत्री बनाए जाने की संभावना है। राष्ट्रपति भवन में शाम सवा 07 बजे मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।

 

सूत्रों के अनुसार बैठक में अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा, निर्मला सीतारमण, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मनसुख मांडविया, हरदीप सिंह पुरी, बीएल वर्मा, जतिन प्रसाद, रक्षा खडसे, प्रताप जाधव, राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, रामनाथ ठाकुर, चिराग पासवान, जीतन मांझी, अनुप्रिया पटेल, सर्वानंद सोनीवाल, एस. जयशंकर, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव, प्रह्लाद जोशी, नित्यानंद राय, किरन रिजेजू , डॉ. जितेंद्र सिंह, सुरेश गोपीनाथ, शिवराज सिंह चौहान, जी. किशन रेड्डी , बंदी संजय कुमार, अर्जुन मेघवाल, शांतनु ठाकुर, मनोहर लाल खट्टर, कृष्णपाल गुर्जर, राव इंद्रजीत सिंह, पंकज चौधरी, सावित्री ठाकुर, राममोहन नायडू, सीआर पाटिल, रामदास आठवले, मनसुख वसावा, जयंत चौधरी, अन्नपूर्णा देवी, हर्ष मल्होत्रा, अजय टम्टा, रवनीत बिट्टू, भूपेंद्र यादव आदि मौजूद रहे।

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– आरएसएस को बदनाम करने का किया था प्रयास

जबलपुर, 8 जून (हि.स.)। भोजपुरी गानों से भारतीय जनता पार्टी को घेरने वाले गाने से चर्चा में आईं गायिका नेहा सिंह राठौर को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से झटका लगा है। हाई कोर्ट ने नेहा सिंह के खिलाफ दर्ज उस आपराधिक मामले को रद्द करने से मना कर दिया, जिसमें सीधी में घटी घटना पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को बदनाम करने का उन पर आरोप लगा है।

दरअसल, नेहा सिंह राठौर ने आरएसएस के बारे में ट्वीट किया था। उसमें नेहा राठौर ने एक वायरल वीडियो लगाया, जिसमें दिखाया गया था कि मध्य प्रदेश के सीधी में एक आदिवासी मजदूर पर खाकी नेकर पहना व्यक्ति पेशाब कर रहा है। इसे लेकर नेहा पर यह आरोप लगा कि उन्होंने संघ के ड्रेस कोड के माध्यम से आरएसएस और भाजपा की तत्कालीन सरकार को बदनाम करने की मंशा से ये वीडियो वायरल किया। अब इसे लेकर न्यायालय ने कहा कि एक कलाकार को व्यंग्य के माध्यम से आलोचना करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन कार्टून में किसी विशेष पोशाक को जोड़ना व्यंग्य नहीं कहा जा सकता है। अभिव्यक्ति की आजादी का मौलिक अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं है, बल्कि इस पर उचित प्रतिबंध भी है।

अपना निर्णय सुनाते हुए जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा “चूंकि याचिकाकर्ता (नेहा) द्वारा अपने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया कार्टून उस घटना के अनुरूप नहीं था, जो घटित हुई थी। आवेदक द्वारा अपनी मर्जी से कुछ अतिरिक्त चीजें जोड़ी गई थीं इसलिए यह अदालत इस बात पर विचार कर रही है कि यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने अभिव्यक्ति की आजादी के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करते हुए कार्टून अपलोड किया था।”

कोर्ट ने कहा कि आवेदक ने जो किया, वो बिना किसी वजह के एक खास समूह को जोड़ने वाला था। इसी वजह से ये संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के दायरे में नहीं आता और अनुच्छेद 19(2) के तहत सैटायर भी प्रतिबंधित किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि ये नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार के तहत ये कार्टून अपलोड किया। सैटायर के जरिए किसी कलाकार को निंदा करने का अधिकार है लेकिन कार्टून में एक खास परिधान दिखाने को सैटायर नहीं माना जा सकता। वहीं, कोर्ट ने नेहा सिंह राठौर से पूछा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कार्टून में विशेष विचारधारा की पोशाक क्यों जोड़ी, जबकि ये सभी को पता है कि वह आरएसएस की ड्रेस का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सच वह नहीं जो दिखाया गया, आदिवासी व्यक्ति के ऊपर पेशाब करने के आरोपी व्यक्ति द्वारा कोई संघ पोशाक नहीं पहनी गई थी।

कोर्ट ने कहा, “विशेष पोशाक जोड़ना इस बात का संकेत था कि आवेदक यह बताना चाहती थीं कि अपराध एक विशेष विचारधारा से संबंधित व्यक्ति द्वारा किया गया था। इस प्रकार, यह सद्भाव को बाधित करने और शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावनाओं को भड़काने का प्रयास करने का स्पष्ट मामला था।”

जब उनके वकील ने यह बताने का प्रयास किया कि नेहा सिंह राठौर का शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध करने का कोई इरादा नहीं था, तब न्यायालय की ओर से कहा गया कि “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता पर विचार करते हुए, यह अदालत इस बात पर विचार करती है कि हस्तक्षेप करने के लिए कोई मामला नहीं बनता है।”

इसके साथ ही भोजपुरी सिंगर नेहा पर दाखिल आपराधिक केस को रद्द करने से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मना कर दिया। कोर्ट ने नेहा सिंह राठौर के वकील से ये भी पूछा था कि वो बताएं कि पेशाब करने के आरोपी प्रवेश शुक्ला ने पेशाब करने की घटना के वक्त वैसी ही ड्रेस पहनी थी या नहीं।

उल्लेखनीय है कि नेहा सिंह राठौर के खिलाफ इस ट्वीट पर 153ए जिसमें जाति, धर्म, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने संबंधी व्याख्या की गई है, उसके तहत केस दर्ज हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति को अर्धनग्न अवस्था में फर्श पर बैठे दूसरे व्यक्ति पर पेशाब करते हुए दिखाया गया था। जिस पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में उनके वकील ने केस रद्द करने की अर्जी में कहा था कि उनके मुवक्किल ने 153ए का कोई उल्लंघन नहीं किया है।

वहीं, मध्य प्रदेश सरकार ने नेहा सिंह राठौर की अर्जी का विरोध किया और कहा कि भोजपुरी सिंगर के ट्वीट से तनाव बढ़ा और पेशाब करने के आरोपी प्रवेश शुक्ला पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई भी की गई है।

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पटना, 08 जून (हि.स.)। बिहार में मुजफ्फरपुर शहर के लक्ष्मी चौक से बिना वैध वीजा के गिरफ्तार चीन के नागरिक ली जियाकी ने बीती रात खुदीराम बोस केंद्रीय कारावास में आत्महत्या का प्रयास किया। उसने कारावास के अस्पताल के शौचालय में अपने चश्मे के शीशे से प्राइवेट पार्ट को काटने की कोशिश की। अत्यधिक खून बहने से बेहोश हो गया। यह जानकारी मिलते ही जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। जेल प्रशासन ने उसे श्रीकृष्ण जुबली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में भर्ती कराया है। यह जानकारी सेंट्रल जेल प्रशासन ने दी।

ब्रह्मपुरा पुलिस चौकी के जवानों ने ली जियाकी को बस स्टैंड के पास दबोचा था। जेल प्रशासन ने जेल के हॉस्पिटल वार्ड में सजायाफ्ता बंदियों से पूछताछ की है। पुलिस के सामने समस्या भाषा को लेकर है। चीन के नागरिक कीभाषा को स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी या जेल के दूसरे बंदी नहीं समझ पा रहे हैं। बीते दिन उसने दही-चूड़ा खाया था और सुबह नाश्ता करने के बाद दिनभर वार्ड में सोया। दिन में बंदियों ने उसे रोते हुए भी देखा था।

उल्लेखनीय है कि उसके पास से चीन का पासपोर्ट तो मिला है लेकिन भारत में आने का कोई भी वैलिड डॉक्यूमेंट नहीं था। वह 1 जून को नेपाल पहुंचा था। उसके बाद बिहार के पूर्वी चंपारण जिला अन्तर्गत रक्सौल सीमा से सटे नेपाल के वीरगंज शहर से बस के जरिए मुजफ्फरपुर के बैरिया बस स्टैंड पहुंचा। यहां से लक्ष्मी चौक आधा किलोमीटर की दूरी पर है।

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नई दिल्ली, 8 जून (हि.स.)। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि अभी तक नई सरकार के मंत्रीमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाने के लिए निमंत्रण नहीं आया है। अगर शपथग्रहण समारोह में बुलाया जाता है और निमंत्रण पत्र भेजा जाता है तो उस पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस कार्यसमित की बैठक के ठीक बाद एक पत्रकार वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में जयराम रमेश ने यह कहा।

देश में तीसरी बार मोदी सरकार बनने जा रही है। रविवार, 9 जून शाम सवा 7 बजे राष्ट्रपति भवन में नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। देश-विदेश के नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह का न्योता भी भेजा जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि आईएनडीआईए के नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण नहीं आया है। अगर निमंत्रण आता है तो हमारे नेता इस पर विचार करेंगे।

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल ने संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि 2024 लोकसभा का चुनाव लोकतंत्र और आम जनता की जीत है। कांग्रेस ने संविधान बचाने और समाजिक व आर्थिक समानता को मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में उतरी थी जिसका देश ने समर्थन दिया। इसके लिए कांग्रेस कार्यसमिति ने देशवासियों का आभार जताया है।

केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्षा सोनिया गांधी, पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस पार्टी को इस स्तर पर पहुंचाया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को मुख्य रूप से भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा डिजाइन और नेतृत्व किया था जिससे कार्यकर्ताओं और करोड़ों मतदाताओं में आशा और विश्वास पैदा हुआ।

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नई दिल्ली, 7 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार शाम 7:15 बजे मंत्री परिषद के साथ पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे। राष्ट्रपति कार्यालय ने आज शाम इसकी जानकारी दी। राष्ट्रपति 09 जून को शाम 7.15 बजे राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए का नेता चुना गया। संविधान के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में गठबंधन में शामिल नेताओं ने प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के समर्थन में अपना पक्ष रखा।

इसके बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह और गठबंधन के घटक दलों के नेता चंद्रबाबू नायडू नीतीश कुमार और अन्य ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। शाम को राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के तौर पर सरकार बनाने के लिए नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने रविवार को शपथ लेने का आग्रह किया। इस आग्रह को स्वीकार करते हुए राष्ट्रपति कार्यालय में आज शपथ ग्रहण समारोह की जानकारी दी।

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नई दिल्ली, 7 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से उनके आवास पर मुलाकात की। इसके बाद मोदी वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी से भी उनके आवास पर मिले।

मुलाकात के दौरान आडवाणी की बेटी प्रतिभा भी वहां मौजूद रहीं। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे मोदी ने गुलदस्ता देकर उनका अभिवादन किया।

उल्लेखनीय है कि पिछली बार प्रधानमंत्री के तौर पर नेता चुने जाने के दौरान दोनों वरिष्ठ नेता, मोदी के साथ सभागार में मौजूद थे।

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नई दिल्ली, 07 जून (हि.स.)। संसद भवन परिसर में फर्जी आधार कार्ड दिखाकर तीन लोगों ने घुसने की कोशिश की। तीनों मजदूर हैं। इनके नाम कासिम, शोएब और मोनिस हैं। तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। संसद की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ के जवानों ने तीनों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की कई गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। यह घटना 4 जून दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर संसद भवन के गेट नंबर 3 की बताई जा रही है।

सुरक्षाकर्मियों ने गेट पर इनके आधार कार्ड देखे तो तो उनको कुछ शक हुआ। इसके बाद आधार कार्डों की जांच की गई तब साफ हुआ कि वह फर्जी हैं। इसके बाद तीनों को तुरंत हिरासत में ले लिया गया और बाद में उनको गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के बाद संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस को सौंपी गई है। बताया गया है कि तीनों मजदूरों को संसद भवन परिसर के भीतर एमपी लाउंज के निर्माण कार्य के लिए रखा गया था।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर में दो लोग संसद भवन की दर्शक दीर्घा में कूद गए थे। इस घटना के बाद संसद भवन की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया था। इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। इस घटना को संसद की सुरक्षा में बड़ी सेंध माना गया था। ताजा घटना फर्जी आधार कार्ड से जुड़ी है।

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