नई दिल्ली, 23 अगस्त (हि.स.)। चांद की धरती पर उतरकर भारत ने बुधवार को इतिहास रच दिया। भारत मून मिशन चंद्रयान-3 सफल हो गया है। बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हुई। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद के उस हिस्से पर उतरा, जहां आज तक कोई भी नहीं पहुंचा था। इस ऐतिहासिक पल का सीधा प्रसारण होने से पूरा देश चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर कदम रखने की ऐतिहासिक घटना का गवाह बना।

वहीं, लैंडिंग के करीब ढाई घंटे के बाद लैंडर से प्रज्ञान रोवर भी बाहर आ गया है। चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान 6-पहिए वाला एक रोबोट वाहन है। ये चांद की सतह पर चलेगा। इसी के जरिए चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के अब तक के अछूते भाग के बारे में जानकारी मिलेगी।

इसरो ने लैंडिंग के बाद की पहली तस्वीर जारी की

इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग इमेजर कैमरा से लैंडिंग के बाद की तस्वीर जारी की है। इसरो ने तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया, लैंडिग के बाद लैंडिंग इमेजर कैमरा से खीची गई तस्वीर। इसमें चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा दिखाया गया है। एक लेग और उसके साथ की परछाई भी दिखाई दे रही है। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र चुना है।

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नई दिल्ली, 23 अगस्त (हि.स.)। चांद की धरती पर उतरकर भारत ने बुधवार को इतिहास रच दिया। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर तय समय पर 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के उस हिस्से पर उतरा, जहां आज तक कोई भी नहीं पहुंचा था। इस ऐतिहासिक पल का सीधा प्रसारण होने से पूरा देश चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर कदम रखने की ऐतिहासिक घटना का गवाह बना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने गए साउथ अफ्रीका से इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना भारत

अमेरिका, रूस और चीन भारत से पहले चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं, इसलिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मून मिशन पर नासा सहित पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं, क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि आज भारत का चंद्रयान-3 उस जगह पर उतरा है, जहां पर आज तक कोई देश नहीं पहुंच सका था। बेंगलुरु के इसरो कमांड सेंटर में वैज्ञानिकों की पूरी टीम के लिए यह बेहद अहम और तनाव भरा समय रहा, लेकिन भारत के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने वाला दुनिया का पहला देश बनते ही सारे वैज्ञानिक ख़ुशी से झूम उठे और एक दूसरे को बधाई दी। चांद का दक्षिणी ध्रुव बेहद खास और रोचक इसलिए है, क्योंकि यहां हमेशा अंधेरा रहता है। साथ ही उत्तरी ध्रुव की तुलना में यह काफी बड़ा भी है। हमेशा अंधेरे में होने के कारण यहां पानी होने की संभावना भी जताई जा रही है। इसरो ने चांद के इस हिस्से में मौजूद क्रेटर्स में सोलर सिस्टम के जीवाश्म होने की संभावना भी जताई है। चंद्रयान-3 से भेजा गया प्रज्ञान रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर घूम कर इन सब बातों का पता लगाएगा।

अब क्या-क्या शोध करेगा प्रज्ञान रोवर

भारत का चंद्रयान-3 मिशन अब तक के मिशनों से अलग है। इस मिशन से व्यापक भौगौलिक, मौसम सम्बन्धी अध्ययन और चंद्रयान-1 द्वारा खोजे गए खनिजों का विश्लेषण करके चंद्रमा के अस्तित्त्व में आने और उसके क्रमिक विकास की और ज़्यादा जानकारी मिल पाएगी। चंद्रमा पर रहने के दौरान कई और परीक्षण भी किये जाएंगे, जिनमें चांद पर पानी होने की पुष्टि और वहां अनूठी रासायनिक संरचना वाली नई किस्म की चट्टानों का विश्लेषण शामिल हैं। चंद्रयान-3 से चांद की भौगोलिक संरचना, भूकम्पीय स्थिति, खनिजों की मौजूदगी और उनके वितरण का पता लगाने, सतह की रासायनिक संरचना, ऊपर मिट्टी की ताप भौतिकी विशेषताओं का अध्ययन करके चन्द्रमा के अस्तित्व में आने तथा उसके क्रमिक विकास के बारे में नई जानकारियां मिल सकेंगी।

क्या है रोवर प्रज्ञान

चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान 6-पहिए वाला एक रोबोट वाहन है, जो संस्कृत में ‘ज्ञान’ शब्द से लिया गया है। रोवर प्रज्ञान 500 मीटर (½ आधा किलोमीटर) तक यात्रा कर सकता है और सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। यह सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है। चांद की सतह पर लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। इसी के जरिए चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के अब तक के अछूते भाग के बारे में जानकारी मिलेगी। इसका वजन 27 किलोग्राम और विद्युत उत्पादन क्षमता 50 वॉट है। यह चांद की सतह पर मौजूद पानी या बाकी तत्वों का बारीकी से परीक्षण करेगा।

क्या होती है सॉफ्ट लैंडिंग

भारत ने पहली बार किसी उपग्रह पर अपने किसी यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराई है। इस मिशन के सफल होने पर भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है, जिसके पास सॉफ्ट लैंडिंग की स्वदेशी तकनीक है। सॉफ्ट लैंडिंग में खतरे भी बहुत होते हैं और तमाम सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं। हवाई जहाज से कूदने पर थोड़ी ऊंचाई के बाद पैराशूट खोलकर जमीन पर उतरने को भी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कहा जाता है। अगर हवाई जहाज से कूदने वाला व्यक्ति पैराशूट न खोले, तो वह गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव और अपने वजन की वजह से तेजी से जमीन पर टकराएगा, जिससे उसे भारी नुकसान हो सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है, लेकिन पैराशूट की वजह से वह सॉफ्ट लैंडिंग करता है। इसी तरह एयरपोर्ट पर लैंडिंग के वक्त विमान का पायलट पहले पिछले पहिए को रनवे पर लैंड कराता है, फिर अगले पहिए को। इससे प्लेन का वजन गति की दिशा में सही तरीके से नीचे आता है और लैंडिंग सेफ होती है। इसे भी सॉफ्ट लैंडिंग कहते हैं।

विक्रम लैंडर ने खुद तलाशी लैंडिंग की जगह

इसरो के मुताबिक चांद पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति धरती की अपेक्षा 1/6 कम है। यानी वहां गिरने की गति ज्यादा तेज है, क्योंकि वहां वायुमंडल नहीं है, इसलिए घर्षण से गति कम करने की कवायद भी नहीं की जा सकती थी। इसलिए जब विक्रम लैंडर ने 25 किमी. की ऊंचाई से चांद की सतह पर उतरना शुरू किया, तो उसके नीचे लगे चारों इंजनों को ऑन कर दिया गया। इस तरह जो इंजन अभी तक विक्रम लैंडर को आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे, वही इंजन विपरीत दिशा में दबाव बनाकर विक्रम की गति को कम करके 2 मीटर प्रति सेकंड पर ले आये और लैंडिंग से कुछ सेकंड पहले गति जीरो कर दी गई। यह सारा काम विक्रम लैंडर में मौजूद ऑनबोर्ड कंप्यूटर ने किया। उसमें लगे सेंसर्स ने सही और गलत जगह की तलाश की और फिर विक्रम लैंडर अपने चारों पैरों के सहारे आराम से चांद की सतह पर उतर गया।

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नई दिल्ली, 22 अगस्त (हि.स.)। चंद्रयान-3 द्वारा भेजी गई चंद्रमा की कुछ और तस्वीरें इसरो ने साझा की हैं। इसरो ने मंगलवार को तस्वीरें ट्वीट कर बताया कि देश का महत्वपूर्ण चंद्रमा मिशन एकदम तय समय पर है। सभी सिस्टम की अच्छे से जांच परख की जा रही है। लैंडर विक्रम अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।

इसरो ने 19 अगस्त को लगभग 70 किमी की ऊंचाई से लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) द्वारा ली गई चंद्रमा की तस्वीरें मंगलवार को ट्वीट कीं। एलपीडीसी छवियां लैंडर मॉड्यूल को एक साथ मिलान करके उसकी स्थिति (अक्षांश और देशांतर) निर्धारित करने में सहायता करती हैं।

इसरो ने ट्वीट किया, “मिशन तय समय पर है। सिस्टम की नियमित जांच हो रही है। सुचारू रूप से आगे बढ़ना जारी है। मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (मोक्स) ऊर्जा और उत्साह से भरा हुआ है। मोक्स पर लैंडिंग ऑपरेशन का सीधा प्रसारण शाम पांच बजे से शुरू होगा।”

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नई दिल्ली, 21 अगस्त (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने भारत के चंद्रमा मिशन को अब तक सफल बताते हुए कहा है कि चंद्रयान-3 की सभी प्रणालियां अब तक पूरी तरह से काम कर रही हैं और 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार लगभग 18:04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। बुधवार को लैंडिंग के समय किसी भी आकस्मिकता की आशंका नहीं है

डॉ. सोमनाथ ने सोमवार को चंद्रयान-3 की लैंडिंग की तैयारियों और मौजूदा स्थिति के बारे में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह को आधिकारिक जानकारी दी। इसरो के अध्यक्ष ने मंत्री को बताया कि चंद्रयान-3 की सभी प्रणालियां पूरी तरह से काम कर रही हैं और 23 अगस्त को लगभग 18:04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। बुधवार को लैंडिंग के समय किसी भी आकस्मिकता की आशंका नहीं है। अगले दो दिनों में चंद्रयान-3 की स्थिति पर लगातार नजर रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि लैंडिंग का अंतिम क्रम दो दिन पहले लोड किया जाएगा।

इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 मिशन केवल आंशिक रूप से असफल रहा था, क्योंकि हार्ड लैंडिंग के बाद लैंडर का संपर्क टूट गया था। सोमवार को इसरो ने ट्वीट करके बताया कि चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का चार साल से परिक्रमा कर रहे चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के बीच दो-तरफा सफलतापूर्वक संचार स्थापित हुआ है। इससे पहले आज इसरो ने चंद्रयान-3 से ली गई चंद्र सुदूर क्षेत्र की नई छवियां साझा कीं।

इसरो अध्यक्ष से आधिकारिक जानकारी मिलने के बाद डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बार चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग का भरोसा जताया और उम्मीद जताई कि इस बार ग्रहों की खोज का एक नया इतिहास लिखा जायेगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि चंद्रयान की श्रृंखला में चंद्रयान-1 को चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की खोज करने का श्रेय दिया जाता है, जो दुनिया और प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक नया रहस्योद्घाटन था। संयुक्त राज्य अमेरिका का नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) इस खोज से प्रभावित हुआ और अपने आगे के प्रयोगों के लिए इनपुट का उपयोग किया।

चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन के माध्यम से लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-3 मिशन सफल होने पर संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा, लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का एकमात्र देश होगा।

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नई दिल्ली, 21 अगस्त (हि.स.)। चंद्रयान-3 इतिहास रचने के महज कुछ ही घंटों की दूरी पर है। चांद पर लैंडिंग की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 23 अगस्त शाम 5.45 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद पर कदम रखेगा। इस बीच सोमवार को चंद्रयान-2 ने चंद्रयान -3 का औपचारिक स्वागत किया। दोनों के बीच दोतरफा संचार स्थापित हो गया है। इससे पहले इसरो ने यान द्वारा ली गई चंद्रमा की कुछ तस्वीरें भी साझा की।

सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्वीट करके कहा कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया। दोनों के बीच द्विपक्षीय संपर्क स्थापित किया गया है। उल्लेखनीय है कि साल 2019 में भारत ने अपना मिशन चंद्रयान-2 लॉन्च किया था लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग में गड़बड़ी हो गई थी। चंद्रयान-2 क्रैश हुआ लेकिन इसने अपना काम किया था।

चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पिछले 4 साल से चांद के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहा है और अपना काम कर रहा है। अब चार साल के बाद जब विक्रम लैंडर फिर से चांद के पास पहुंचा है तब चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एक्टिव हुआ है।

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-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर जताया दुख

नई दिल्ली, 19 अगस्त (हि.स.)। लद्दाख में लेह के पास शनिवार देर शाम सेना का एक ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में सात जवानों की मौत हो गई जबकि कई जवान घायल हुए हैं। सेना की तरफ से राहत एवं बचाव कार्य जारी है। वहीं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर शोक व्यक्त किया है।

सेना के अधिकारियों के मुताबिक सेना के ट्रक के साथ एक एंबुलेंस और यूएसवी भी जा रही थी। इन सभी वाहनों में सेना के कुल 34 जवान थे। इस बीच अचानक सेना का ट्रक क्यारी इलाके में एक खाई में गिर गया। हादसे में सात जवानों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हुए हैं। सभी जवान कारू गैरीसन से लेह के पास क्यारी की तरफ जा रहे थे। हादसा शाम करीब छह बजे क्यारी से सात किलोमीटर पहले हुआ है। फिलहाल राहत एवं बचाव कार्य जारी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने एक्स (ट्विटर) कर कहा कि लद्दाख में लेह के पास एक दुर्घटना में भारतीय सेना के जवानों की मौत से दुखी हूं। हम अपने राष्ट्र के प्रति उनकी अनुकरणीय सेवा को कभी नहीं भूलेंगे। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। घायल कर्मियों को फील्ड अस्पताल ले जाया गया है। उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना।

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कोलकाता, 17 अगस्त (हि.स.)। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) की ओर से कोलकाता में प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट के तहत बनाए गए ‘विंध्यागिरी’ युद्धपोत का जलावतरण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों गुरुवार को हुआ। कोलकाता के गार्डन रीच में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति के साथ इस अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस भी मौजूद रहे।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “मैं विंध्यगिरी के शुभारंभ पर यहां आकर बहुत खुश हूं। यह आयोजन भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का प्रतीक है। विंध्यगिरि स्वदेशी जहाज निर्माण के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी एक कदम है।”

उन्होंने कहा कि मैं भारतीय नौसेना और इस जहाज के डिजाइन और निर्माण में शामिल सभी लोगों को बधाई देती हूं। मुझे बताया गया है कि गार्डन रीच शिप-बिल्डरों और इंजीनियरों ने विंध्यगिरि जैसे फ्रिगेट सहित सौ से अधिक युद्धपोतों का निर्माण और वितरण किया है। आपके कौशल और अथक प्रयासों ने हमें इस मुकाम तक पहुंचाया है, जिसके लिए मैं जीआरएसई की पूरी टीम की उपलब्धियों के लिए सराहना करती हूं।

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि प्रोजेक्ट 17ए, जिसका विंध्यगिरि एक हिस्सा है, आत्मनिर्भरता और तकनीकी उन्नति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह परियोजना अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए स्वदेशी नवाचार को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि इस श्रृंखला के मल्टी-मिशन फ्रिगेट हमारे समुद्री हितों के लिए सभी प्रकार के खतरों से निपटने में सक्षम होंगे।

पश्चिम बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में पश्चिम बंगाल की यह मेरी दूसरी यात्रा है। कोलकाता का जीवंत शहर, अपने समृद्ध इतिहास और संस्कृति के साथ हमारे देश के दिल में एक विशेष स्थान रखता है। इसकी बौद्धिक जीवंतता, कलात्मक उत्साह और विश्वव्यापी भावना भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती है।

युद्धपोत के नामकरण की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “जहाज का नाम उपयुक्त रूप से ”विंध्य” पर्वतमाला के नाम पर रखा गया है, जो दृढ़ता का प्रतीक रही है। मुझे विश्वास है कि जब यह युद्धपोत चालू हो जाएगा, तो यह विंध्य की मजबूती का प्रतीक होगा।”

राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम निकट भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास कर रहे हैं। बढ़ती अर्थव्यवस्था का मतलब है अधिक मात्रा में व्यापार। हमारे व्यापार-सामान का एक बड़ा हिस्सा समुद्र के माध्यम से पारगमन करता है। यह तथ्य हमारे विकास और कल्याण के लिए महासागरों के महत्व को उजागर करता है। हिंद महासागर क्षेत्र और बड़े हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के कई पहलू हैं। इसमें समुद्री डकैती, सशस्त्र डकैती, नशीली दवाओं की तस्करी, अवैध मानव प्रवास, प्राकृतिक आपदाएं और ऐसे कई मुद्दे शामिल हैं। इस पृष्ठभूमि में, भारतीय नौसेना को भारत के समुद्री हितों की रक्षा, संरक्षण और बढ़ावा देने का अधिकार है। सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए नौसेना को हमेशा सक्रिय रहना होगा।

क्या है युद्धपोत की खासियत

– कर्नाटक में एक पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया विंध्यगिरि प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स का छठा जहाज है। प्रोजेक्ट 17ए कार्यक्रम के तहत, मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा चार और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड द्वारा तीन जहाज निर्माणाधीन हैं।

परियोजना के पहले पांच जहाज 2019-2022 के बीच एमडीएल और जीआरएसई द्वारा लॉन्च किए गए थे।

ये युद्धपोत प्रोजेक्ट 17 क्लास फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) के फॉलो-ऑन हैं, जिनमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर, प्लेटफॉर्म प्रबंधन सिस्टम हैं।

आईएनएस विंध्यगिरि – जो नीलगिरि वर्ग के युद्धपोतों में छठा और आखिरी था – ने आठ जुलाई 1981 से 11 जून 2012 तक अपनी लगभग 31 वर्षों की सेवा में कई बहुराष्ट्रीय अभ्यास देखे थे और समुद्री निगरानी, तटीय गश्त और समुद्री डकैती विरोधी अभियान चलाए थे। 2011 में एक व्यापारिक जहाज के साथ दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने के बाद इसे सेवामुक्त कर दिया गया था।

प्रोजेक्ट 17ए जहाजों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा इन-हाउस डिजाइन किया गया है। नौसेना के अनुसार, प्रोजेक्ट 17ए जहाजों के उपकरणों और प्रणालियों के लिए 75 फीसदी ऑर्डर एमएसएमई सहित स्वदेशी फर्मों से हैं।

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नई दिल्ली, 17 अगस्त (हि.स.)। देश में मोबाइल फोन के सिम विक्रेताओं का अब पुलिस सत्यापन अनिवार्य होगा, जिसमें उनकी बायोमेट्रिक जानकारी भी शामिल है। अब बड़ी संख्या में बिजनेस कनेक्शन लेने वाले कारोबारियों को सिम देते समय सम्बन्धित कर्मचारी का केवाईसी कराना अनिवार्य होगा।

केन्द्रीय टेलीकॉम मंत्री अश्वनी वैष्णव ने गुरुवार को टेलीकॉम क्षेत्र से जुड़े दो रिफॉर्म की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इन रिफॉर्म का मकसद केवल उपयोगकर्ता को साइबर धोखाधड़ी से बचाना है।

उन्होंने कहा कि सिम बेचने वाले को अब गलत तरीके से इसे बेचने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसके लिए उसका पुलिस और बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य होगा और बड़ी संख्या में सिम खरीद पर रोक होगी। इसके स्थान पर बिजनेस कनेक्शन दिए जायेंगे। बिजनेस कनेक्शन के लिए एक प्रक्रिया के तहत रजिस्ट्रेशन होगा। यह बिजनेस कनेक्शन पाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपना केवाईसी कराना अनिवार्य होगा।

मंत्री ने संचार पोर्टल के माध्यम से हासिल की गई उपलब्धियों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके माध्यम से 52 लाख फर्जी कनेक्शन खत्म किए गए हैं। 67 हजार डीलर ब्लैकलिस्ट किए गए हैं। साइबर फ्राड से जुड़ी 300 एफआईआर दर्ज की गई हैं। 17 हजार मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक किए गए हैं। 67 हजार व्हाटसएप ब्लॉक किए गए हैं। एक लाख पेमेंट अकाउंट ब्लॉक किए गए हैं। तीन लाख चोरी के मोबाइल उनके मालिकों तक पहुंचाए गए हैं। एक आधार पर सिम लेने की संख्या को अभी भी नौ बनाए रखा गया है।

मंत्री ने बताया कि डिजिटल केवाईसी जल्द ही जरूरी कर दिया जाएगा। सिम कार्ड देते समय आधार कार्ड के क्यूआर कोड को सत्यापित करना जरूरी होगा। इससे फोटो शॉप के दस्तावेज की हेरफेर खत्म होगी।

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नई दिल्ली, 17 अगस्त (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव लगातार जारी है। ब्रेंट क्रूड का भाव 84 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस विपणन कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं किया है।

इंडियन ऑयल की वेबसाइट के मुताबिक गुरुवार को दिल्ली में पेट्रोल 96.72 रुपये और डीजल 89.62 रुपये प्रति लीटर पर टिका रहा। वहीं, मुंबई में पेट्रोल 106.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल 94.27 रुपये प्रति लीटर है। इसी तरह कोलकाता में पेट्रोल 106.03 रुपये और डीजल 92.76 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि चेन्नई में पेट्रोल का भाव 102.63 रुपये और डीजल 94.24 रुपये प्रति लीटर है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में हफ्ते के चौथे दिन शुरुआती कारोबार में ब्रेंट क्रूड 0.12 डॉलर यानी 0.14 फीसदी की बढ़त के साथ 83.57 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेंड कर रहा है। वहीं, वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 0.04 डॉलर यानी 0.05 फीसदी की उछाल के साथ 79.42 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।

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नई दिल्ली, 16 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अनेक केन्द्रीय मंत्रियों, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आज (बुधवार) सुबह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पांचवीं पुण्य तिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की।

पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के स्मृति स्थल “सदैव अटल” पर प्रातःकाल प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, राज्यसभा के उप सभापति हरिबंश, एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल, अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया पटेल, हम पार्टी के संस्थापक जीतनराम मांझी सहित सहित बड़ी संख्या में गण्यमान्य जन मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुए अपने एक ट्वीट संदेश में कहा कि मैं भारत के 140 करोड़ लोगों के साथ मिलकर असाधारण अटल जी को उनकी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके नेतृत्व से भारत को बहुत लाभान्वित हुआ। उन्होंने हमारे देश को प्रगति पथ पर बढ़ाने और कई क्षेत्रों में इसे 21वीं सदी में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि अटलजी का व्यक्तित्व बहुत विराट था। वे हमारे पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं के लिए तो आदर्श हैं ही। अपने शासनकाल में उन्होंने जिस तरह से गठबंधन सरकार चलाई, उससे अनेक दलों के लोग भी उनके प्रति बहुत आदरभाव रखते हैं। यही कारण है कि वे सब भी उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने आए हैं।

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नई दिल्ली, 14 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को 77 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि वैश्विक आर्थिक विकास के लिए दुनिया की निगाहें आज भारत पर टिकी हुई हैं। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा, “विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं नाजुक दौर से गुजर रही हैं। वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक संकट से विश्व-समुदाय पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया था कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर हो रही घटनाओं से अनिश्चितता का वातावरण और गंभीर हो गया है। फिर भी, सरकार कठिन परिस्थितियों का अच्छी तरह सामना करने में सक्षम रही है। देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि दर भी दर्ज की है। हमारे अन्नदाता किसानों ने हमारी आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्र उनका ऋणी है।”

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर, मुद्रास्फीति (महंगाई) चिंता का कारण बनी हुई है लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं। सरकार ने जन-सामान्य पर मुद्रास्फीति का अधिक प्रभाव नहीं पड़ने दिया है और साथ ही गरीबों को व्यापक सुरक्षा कवच भी प्रदान किया है। वैश्विक आर्थिक विकास के लिए दुनिया की निगाहें आज भारत पर टिकी हुई हैं। आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। विश्व में सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। हमारी आर्थिक प्रगति की इस यात्रा में समावेशी विकास पर जोर दिया जा रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा, “भारत लोकतंत्र की जननी है और प्राचीन काल में भी हमारे यहां जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएं विद्यमान थीं। किन्तु लंबे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने उन लोकतान्त्रिक संस्थाओं को मिटा दिया था। 15 अगस्त, 1947 के दिन देश ने एक नया सवेरा देखा। उस दिन हमने विदेशी शासन से तो आजादी हासिल की ही, हमने अपनी नियति का निर्माण करने की स्वतंत्रता भी प्राप्त की।”

राष्ट्रपति ने देशवासियों को याद दिलाया कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है। यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है। जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है। लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है, और हमारी वह पहचान है, भारत का नागरिक होना। हम सभी, समान रूप से, इस महान देश के नागरिक हैं। हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं तथा हमारे कर्तव्य भी समान हैं।

राजधानी दिल्ली में अगले महीने आयोजित होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह मंच-समूह दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का एक अद्वितीय अवसर है। देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि भी दर्ज की है। मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है। वंचितों को वरीयता प्रदान करना हमारी नीतियों और कार्यों के केंद्र में रहता है। परिणामस्वरूप पिछले दशक में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकालना संभव हो पाया है। मैं अपने आदिवासी भाई-बहनों से अपील करती हूं कि आप सब अपनी परंपराओं को समृद्ध करते हुए आधुनिकता को अपनाएं। जरूरतमंदों की सहायता के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पहल की गयी हैं तथा व्यापक स्तर पर कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मैं एक शिक्षक रही हूं, इस नाते भी मैंने यह समझा है कि शिक्षा, सामाजिक सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है। राष्ट्रपति ने इस साल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा चंद्रयान -3 के लॉन्च का जिक्र करते हुए कहा कि यह अगले कुछ दिनों में चंद्रमा पर उतरने वाले हैं। चंद्रमा का अभियान अंतरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है। हमें बहुत आगे जाना है।

राष्ट्रपति ने सीमा की रक्षा कर रहे जवानों और अन्य सुरक्षा बलों की सराहना करते हुए कहा, “स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं पुनः आप सब को, विशेष रूप से सीमाओं की रक्षा करने वाले सेना के जवानों, आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने वाले सभी बलों एवं पुलिस के जवानों तथा दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को बधाई देती हूं।”

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– राष्ट्रगान के साथ सात बंदूकें 52 सेकंड में प्रति 2.4 सेकंड में फायर करके सलामी देंगी
– वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर मार्क-III ध्रुव कार्यक्रम स्थल पर फूलों की बारिश करेंगे

नई दिल्ली, 13 अगस्त (हि.स.)। लाल किले की प्राचीर से इस साल पहली बार स्वतंत्रता दिवस के दौरान 105 मिमी भारतीय फील्ड गन (आईएफजी) से 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। इस तरह की सात बंदूकें 52 सेकंड में 21 फायर करके सलामी देंगी, यानी राष्ट्रगान के साथ प्रति राउंड 2.4 सेकंड फायर होंगे। औपचारिक 21 तोपों की सलामी की अवधि राष्ट्रगान की लंबाई के साथ मेल खाती है। पिछले साल सलामी देने के लिए स्वदेशी उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) फायर करके सलामी दी गई थी।

स्वदेश निर्मित 105 मिमी. भारतीय फील्ड गन्स से पहली बार 8711 फील्ड बैटरी (सेरेमोनियल) के गनर्स ने इस साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर पारंपरिक 21 तोपों की सलामी दी थी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि आईएफजी पुरानी 25-पाउंडर्स तोपों की जगह लेंगी, जो रक्षा क्षेत्र में बढ़ती ‘आत्मनिर्भरता’ को दर्शाती हैं। इंडियन फील्ड गन (आईएफजी) 105 को 1972 में डिजाइन किया गया था। गन कैरिज फैक्ट्री, जबलपुर और फील्ड गन फैक्ट्री, कानपुर इसका निर्माण करती हैं। ये फील्ड गन कॉम्पैक्ट लाइट हैं और इन्हें हवा से भी गिराया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त को ऐतिहासिक लाल किले से 77वें स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाने में देश का नेतृत्व करेंगे। वह राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे और इस ऐतिहासिक स्मारक की प्राचीर से राष्ट्र को पारंपरिक संबोधन देंगे। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, इंडिया गेट, विजय चौक, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, प्रगति मैदान, राजघाट, जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन, राजीव चौक मेट्रो स्टेशन, दिल्ली गेट मेट्रो स्टेशन, आईटीओ मेट्रो गेट, नौबत खाना और शीश गंज गुरुद्वारा सहित 12 स्थानों पर सरकार की विभिन्न योजनाओं और पहलों को समर्पित सेल्फी प्वाइंट स्थापित किए गए हैं।

लाल किला पहुंचने पर प्रधानमंत्री का स्वागत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट और रक्षा सचिव गिरिधर अरमने करेंगे। रक्षा सचिव अरामने दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ का परिचय प्रधानमंत्री से कराएंगे। इसके बाद जीओसी नरेन्द्र मोदी को सलामी स्थल तक ले जायेंगे, जहां एक संयुक्त इंटर-सर्विसेज और दिल्ली पुलिस गार्ड प्रधानमंत्री को सलामी देंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करेंगे। प्रधानमंत्री के गार्ड ऑफ ऑनर दल में सेना, वायु सेना और दिल्ली पुलिस के एक-एक अधिकारी और 25 कर्मी तथा नौसेना के एक अधिकारी और 24 कर्मी शामिल होंगे।

भारतीय सेना इस वर्ष के लिए समन्वय सेवा की भूमिका में है। गार्ड ऑफ ऑनर की कमान मेजर विकास सांगवान के हाथों में होगी। प्रधानमंत्री के गार्ड की कमान मेजर इंद्रजीत सचिन, नौसेना के सैन्यदल की कमान लेफ्टिनेंट कमांडर एमवी राहुल रमन और वायु सेना के सैन्यदल की कमान स्क्वाड्रन लीडर आकाश गांघस के हाथों में होगी। दिल्ली पुलिस के दल की कमान एडिशनल डीसीपी संध्या स्वामी संभालेंगी। गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करने के बाद प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर की ओर बढ़ेंगे, जहां उनका स्वागत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेना प्रमुख करेंगे।

दिल्ली क्षेत्र के जीओसी प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्राचीर पर बने मंच तक ले जाएंगे। मेजर निकिता नायर और मेजर जास्मीन कौर राष्ट्रीय ध्वज फहराने में प्रधानमंत्री की सहायता करेंगी। झंडा फहराए जाने के बाद तिरंगे को ‘राष्ट्रीय सलामी’ दी जाएगी। सेना का बैंड राष्ट्रीय ध्वज फहराने और ‘राष्ट्रीय सलामी’ प्रस्तुत करने के दौरान राष्ट्रगान बजाएगा। बैंड का संचालन नायब सूबेदार जतिंदर सिंह करेंगे। इसके बाद स्वदेश निर्मित 105 मिमी. भारतीय फील्ड गन्स से पहली बार 8711 फील्ड बैटरी (सेरेमोनियल) के गनर्स पारंपरिक 21 तोपों की सलामी देंगे। लेफ्टिनेंट कर्नल विकास कुमार सेरेमोनियल बैटरी की कमान संभालेंगे और नायब सूबेदार (एआईजी) अनूप सिंह गन पोजिशन ऑफिसर होंगे।

राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने के दौरान वायु सेना के दो उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर मार्क-III ध्रुव कार्यक्रम स्थल पर फूलों की बारिश करेंगे। हेलीकॉप्टर के कैप्टन विंग कमांडर अंबर अग्रवाल और स्क्वाड्रन लीडर हिमांशु शर्मा होंगे। पुष्प वर्षा के बाद प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री के संबोधन के समापन पर राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के कैडेट राष्ट्रगान गाएंगे। एनसीसी कैडेटों को वर्दी में ज्ञान पथ पर बैठाया जाएगा। लाल किले पर कार्यक्रम का फूलों से सजा एक अन्य आकर्षण जी-20 प्रतीक चिन्ह होगा।

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