Jammu, 27 अगस्त (हि.स.)। वैष्णो देवी मार्ग पर मंगलवार को हुए भूस्खलन और भारी बारिश के कारण अभीतक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में वैष्णो देवी की यात्रा में शामिल 6 श्रद्धालु भी हैं। इस हादसे में मृतकों की संख्या बढ़ने का अंदेशा है। जम्मू संभाग में भारी बारिश ने काफी तबाही मचाई है। राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि वे स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं। उन्होंने यहां के हालात के बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को फोन पर जानकारी दी है।

 

भूस्खलन की चपेट में आकर छह श्रद्धालुओं सहित कुल 10 लोगों की गई जान

मंगलवार को जम्मू संभाग में भारी बारिश और वैष्णो देवी मार्ग पर भूस्खलन की चपेट में आकर छह श्रद्धालुओं सहित कुल 10 लोगों की जान चली गई है। आशंका है कि इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। वैष्णो देवी मंदिर की तीर्थयात्रा स्थगित कर दी गई।

राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स पोस्ट में वैष्णो देवी मार्ग पर भूस्खलन में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से फोेन पर बातचीत कर राज्य में भारी बारिश के कारण पैदा हुए हालात और नुकसान के बारे में जानकारी दी।

उल्लेखनीय है कि त्रिकुटा पहाड़ी स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर का घुमावदार रास्ते पर पिछली दोपहर करीब 3 बजे यह हादसा हुआ। इस हादसे में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। अधिकारियों ने बताया कि इलाके में राहत और बचाव कार्य चल रहा है।

नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाने के प्रयास जारी

जम्मू के रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि कटरा और उसके आसपास बचाव और राहत कार्यों में सेना की तीन राहत टुकड़ियाँ तुरंत तैनात की गईं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा कि सेना की एक टुकड़ी अर्धकुंवारी, कटरा में लोगों की जान बचाने में मदद कर रही है, एक राहत टुकड़ी कटरा से ठाकरा कोट जाने वाली सड़क पर भूस्खलन वाले स्थान पर पहुँच गई है और एक सेना की टुकड़ी जौरियाँ के दक्षिण में सहायता प्रदान कर रही है। लोगों की जान बचाने, ज़रूरतमंदों को सहायता प्रदान करने और नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाने के प्रयास जारी हैं। नागरिक एजेंसियों के साथ निकट समन्वय किया जा रहा है।

लगातार मूसलाधार बारिश से कश्मीर घाटी में भी काफी तबाही हुई है। पुल ढहने और मोबाइल टावरों तथा बिजली के खंभों को हुए नुकसान के कारण दूरसंचार और बिजली आपूर्ति की समस्याएं आ रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश के बड़े हिस्से में दूरसंचार सेवाएँ ठप हो गईं हैं जिससे लाखों लोग संचार से कट गए।

उन्होंने बताया कि जम्मू-श्रीनगर और किश्तवाड़-डोडा राष्ट्रीय राजमार्गों पर आवाजाही स्थगित कर दी गई है। दर्जनों पहाड़ी सड़कें भूस्खलन या अचानक बाढ़ के कारण अवरुद्ध या क्षतिग्रस्त हो गईं। जम्मू आने-जाने वाली कई ट्रेनें रद्द कर दी गईं।

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नई दिल्ली, 26 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने मंगलवार को विज्ञान भवन में आयोजित व्याख्यानमाला में कहा कि संघ की स्थापना डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने इसलिए की थी क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान समाज को सही दिशा में प्रबोधित करने का कार्य अधूरा रह गया था।

डॉ. भागवत ने “100 वर्ष की संघ यात्रा : नए क्षितिज” विषयक तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में कहा कि डॉ. हेडगेवार ने अनुभव किया कि समाज निर्माण की दिशा में किसी के पास समय नहीं था, इसलिए उन्होंने स्वयं पहल की। संघ का विचार उनके मन में कई वर्षों पहले आया था और 1925 की विजयादशमी को इसकी औपचारिक घोषणा की गई। उन्होंने कहा, “डॉ. हेडगेवार का मानना था कि संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन ही राष्ट्र निर्माण का आधार है। जो अपने नाम के साथ ‘हिंदू’ जोड़ता है, वह देश और समाज के प्रति जिम्मेदार बनता है।”

सरसंघचालक ने स्पष्ट किया कि ‘हिंदू’ शब्द किसी बाहरी पहचान का प्रतीक नहीं, बल्कि व्यापक मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण है। भारत की परंपरा व्यक्ति, समाज और सृष्टि को एक-दूसरे से जुड़ा और प्रभावित मानती है। डॉ. हेडगेवार के अनुसार मनुष्य का वास्तविक विकास तभी संभव है जब वह व्यक्तिगत उन्नति के साथ समाज और सृष्टि के विकास को भी अपनाए।

भागवत ने डॉ. हेडगेवार के जीवन का उल्लेख करते हुए कहा, “वे जन्मजात देशभक्त थे। कोलकाता (तब कलकत्ता) में मेडिकल की पढ़ाई के दौरान उनका संबंध अनुशीलन समिति से हुआ। त्रिलोक्यानाथ और रासबिहारी बोस की पुस्तकों में उनका उल्लेख आता है। उनका कोड नाम ‘कोकीन’ था।”

उन्होंने कहा कि इस देश में हिंदू, सिख और बौद्ध आपस में संघर्ष नहीं करेंगे, बल्कि राष्ट्र के लिए जिएंगे और बलिदान देंगे। नेता, नीति और पार्टी सहायक तत्व हैं, किंतु मूल कार्य समाज का परिवर्तन है।

भागवत ने कहा कि भारत माता ने अपने बच्चों को संस्कार दिए हैं, जिनके लिए पूर्वजों ने बलिदान दिए। वही पूर्वज संघ के प्रेरणा केंद्र हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के अलग-अलग प्रकार हैं—कुछ गर्व से इसे मानते हैं, कुछ सामान्य मानते हैं और कुछ किसी कारणवश स्वीकार नहीं करते।

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New Delhi, 26 अगस्त (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम (वीवीपी) की समीक्षा बैठक में सीमावर्ती जिलों में अवैध धार्मिक अतिक्रमण हटाने पर जोर देते हुए कहा कि सीमाएं कम से कम 30 किलोमीटर के दायरे में अतिक्रमण से मुक्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये अतिक्रमण एक सुनियोजित डिजाइन के तहत किए जा रहे हैं, जिन पर सख्ती से रोक लगाना आवश्यक है।

सीमा से कम से कम 30 किलोमीटर दायरे तक सभी अतिक्रमण समाप्त होने चाहिए

अमित शाह ने यहां मंगलवार को गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित वीवीपी पर दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने वीवीपी का लोगो भी लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम-1 में प्रशासन कार्यक्रम तक सीमित रहा, लेकिन वीवीपी-2 में दृष्टिकोण बदलना होगा। उन्होंने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया कि वे सीमावर्ती इलाकों में अवैध धार्मिक अतिक्रमण हटाने की दिशा में कदम उठाएं। सीमा से कम से कम 30 किलोमीटर दायरे तक सभी अतिक्रमण समाप्त होने चाहिए। गुजरात का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने समुद्री और भू सीमा से बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाकर सराहनीय कार्य किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के अंतिम गांव को “देश का पहला गांव” की उपाधि देकर सीमावर्ती इलाकों को देखने का दृष्टिकोण बदल दिया है। वीवीपी की परिकल्पना सीमांत गांवों से पलायन रोकना, हर नागरिक तक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पहुंचाना और इन गांवों को देश और सीमा की सुरक्षा का उपकरण बनाना जैसे तीन बिंदुओं पर आधारित है।

अमित शाह ने कहा कि आने वाले वर्षों में वीवीपी से जुड़े गांव देश और सीमाओं की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस कार्यक्रम के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया जा रहा है तथा पर्यटन और रोजगार सृजन के नए अवसर खोले जा रहे हैं।

गृहमंत्री ने कहा कि जिला कलेक्टरों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को केवल वीवीपी की सीमाओं में नहीं रुकना चाहिए, बल्कि इसे आगे बढ़ाकर और उपाय तलाशने चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सभी विभाग मिलकर सीमांत गांवों को सुरक्षा का उपकरण बनाएं।

जिला कलेक्टर यह सुनिश्चित करें कि नागरिक गांव न छोड़ें और आबादी में वृद्धि हो: अमित शाह

शाह ने कहा कि अगर होम-स्टे जैसी योजनाओं को हर सीमांत गांव तक ले जाया जाए और राज्यों के पर्यटन विभाग बुकिंग की उचित व्यवस्था करें, तो सीमावर्ती गांवों का कोई भी घर खाली नहीं रहेगा और हर परिवार को रोजगार मिलेगा। जिला कलेक्टर यह सुनिश्चित करें कि नागरिक गांव न छोड़ें और आबादी में वृद्धि हो। अरुणाचल प्रदेश में वीवीपी लागू होने के बाद कई सीमावर्ती गांवों में आबादी बढ़ी है, जो सकारात्मक संदेश है।शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से स्पष्ट कहा था कि जनसांख्यिकीय बदलाव चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सीमांत जिलों के कलेक्टर इस मुद्दे को गंभीरता से देखें, क्योंकि डेमोग्राफिक बदलाव सीधे तौर पर देश की सुरक्षा को प्रभावित करता है और यह केवल भौगोलिक परिस्थिति नहीं बल्कि एक निश्चित डिजाइन के तहत हो रहा है। उन्होंने राज्यों के मुख्य सचिवों और सीएपीएफ से भी इस पर सतर्क रहने की अपील की।

गृहमंत्री ने कहा कि योजनाओं के शत-प्रतिशत सैचुरेशन के लिए कलेक्टर सीएपीएफ के साथ समन्वय करें। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां आईटीबीपी रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे दूध, सब्जी, अंडे और अनाज आदि वाइब्रेंट गांवों से खरीद रही है। इसी तरह, डेयरी कोऑपरेटिव बनाकर सीएपीएफ और सेना की दूध की आपूर्ति गांवों से ही सुनिश्चित की जा सकती है। यह रोजगार सृजन का एक प्रभावी मॉडल बनेगा।

अमित शाह ने कहा कि सीमांत गांवों में सड़क, दूरसंचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराना प्राथमिकता है। वीवीपी को सिर्फ सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रशासन की स्पिरिट बनाना होगा। उन्होंने मनरेगा के तहत तालाब बनाने, वृक्षारोपण और स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की संभावना पर भी जोर दिया।

गृहमंत्री ने कहा कि वीवीपी से सीमांत गांवों को आत्मनिर्भर, समृद्ध और सुरक्षित बनाया जा रहा है। इससे पलायन रुकेगा, रोजगार बढ़ेगा और देश की सुरक्षा मजबूत होगी। उन्होंने सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इस कार्यक्रम को सरकारी योजना की तरह नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जिम्मेदारी के रूप में लागू करें।

कार्यशाला में गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार, गृह सचिव, सीमा प्रबंधन सचिव, वीवीपी के दोनों चरणों में शामिल राज्यों के मुख्य सचिव, सीमा की रक्षा में तैनात सुरक्षा बलों के महानिदेशक और सीमावर्ती जिलों के जिलाधिकारी भी उपस्थित थे।

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New Delhi, 26 अगस्त (हि.स.)। यह पहली बार है जब आज दो प्रतिष्ठित भारतीय शिपयार्डों के दो प्रमुख सतही लड़ाकू जहाजों को एक साथ समुद्री बेड़े का हिस्सा बनाया गया है। विशाखापत्तनम के नौसेना बेस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अग्रिम पंक्ति के मल्टी मिशन स्टील्थ फ्रिगेट ‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ का जलावतरण किया। दो जहाजों का एक साथ नौसेना में शामिल होना भारत के तेजी से बढ़ते नौसैनिक आधुनिकीकरण और विभिन्न शिपयार्डों से अत्याधुनिक युद्धपोतों की आपूर्ति करने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

हिंद महासागर क्षेत्र में अपने समुद्री हितों की रक्षा करने में भारत और मजबूत होगा

प्रोजेक्ट 17ए के तहत स्टील्थ फ्रिगेट्स का दूसरा जहाज ‘उदयगिरि’ मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने निर्मित किया है, जबकि ‘हिमगिरि’ कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में निर्मित इसी प्रोजेक्ट का पहला जहाज है। भारतीय नौसेना के लिए एक और बड़ी उपलब्धि यह है कि उदयगिरि नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो में डिजाइन किया गया 100वां जहाज है। डिजाइन के लिहाज से देखा जाए तो उदयगिरि और हिमगिरि अगली पीढ़ी के जहाज हैं। लगभग 6,700 टन विस्थापन वाले प्रोजेक्ट 17ए के यह फ्रिगेट अपने पूर्ववर्ती शिवालिक-श्रेणी के फ्रिगेट से लगभग पांच प्रतिशत बड़े हैं। फिर भी इनका आकार अधिक सुडौल है और इनका रडार क्रॉस सेक्शन कम है।

नौसेना के मुताबिक इन्हें डीजल इंजन और गैस टर्बाइनों का उपयोग करते हुए संयुक्त डीजल या गैस प्रणोदन संयंत्रों से संचालित किया जाता है, जो नियंत्रणीय-पिच प्रोपेलर चलाते हैं और एक एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से प्रबंधित होते हैं। हथियार सूट में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी एमआर गन और 30 मिमी और 12.7 मिमी क्लोज-इन हथियार प्रणालियों और पनडुब्बी रोधी/पानी के नीचे की हथियार प्रणालियों का संयोजन शामिल है। दोनों जहाजों के निर्माण में 200 से अधिक एमएसएमई का सहयोग रहा है। इनसे लगभग 4,000 प्रत्यक्ष नौकरियों और 10 हजार से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियों का मौका मिला है।

आत्मनिर्भरता का एक गौरवशाली प्रमाण

उदयगिरि और हिमगिरि का जलावतरण जहाजों के डिजाइन और निर्माण में आत्मनिर्भरता के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके बाद अन्य स्वदेशी जहाजों, जैसे विध्वंसक आईएनएस सूरत, फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि, पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर, पनडुब्बी आईएनएस अर्णाला और गोताखोरी सहायता पोत आईएनएस निस्तार का जलावतरण 2025 में ही होगा। कठोर समुद्री परीक्षणों के दौरान फ्रिगेट्स के पतवार, मशीनरी, अग्निशमन, क्षति नियंत्रण, नौवहन और संचार प्रणालियों ने पुष्टि की है कि वे परिचालन तैनाती के लिए तैयार हैं।लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री वाले ये जहाज रक्षा निर्माण में सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।

अपने प्रतिष्ठित पूर्ववर्तियों के नामों को पुनर्जीवित करने की नौसेना की परंपरा को ध्यान में रखते हुए दोनों फ्रिगेटों का नाम पूर्ववर्ती आईएनएस उदयगिरि (एफ35) और आईएनएस हिमगिरि (एफ34) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने सेवामुक्त होने से पहले 30 वर्षों से अधिक समय तक राष्ट्र की विशिष्ट सेवा की थी। इस प्रकार नये उदयगिरि और हिमगिरि का जलावतरण उनके पूर्वजों की विरासत का सम्मान तथा जहाज निर्माण क्षमता के नये युग का सूत्रपात है। उदयगिरि और हिमगिरि के नौसेना में शामिल होने से समुद्री युद्धक तत्परता बढ़ेगी और हिंद महासागर क्षेत्र में अपने समुद्री हितों की रक्षा करने में भारत और मजबूत होगा

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Indore, 26 अगस्त (हि.स.)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा है, लेकिन वह किसी भी परिस्थिति में कमजोर नहीं। भारत शांतिप्रिय देश है, लेकिन दुश्मन गलतफहमी में न रहे। हम शांतिवादी नहीं हो सकते। देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना हर समय तैयार रहती है। उन्हाेंने एक लैटिन उद्धरण देते हुए कहा, ‘अगर आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहें, क्योंकि शक्ति से ही शांति आ सकती है।

सीडीएस चौहान दो दिवसीय ‘रण संवाद-2025’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे

सीडीएस जनरल चौहान मंगलवार को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में शुरू हुए भारतीय सेना के दो दिवसीय ‘रण संवाद-2025’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शक्ति के बिना शांति केवल एक कल्पना है। इतिहास गवाह है कि असली शांति ताकत के दम पर ही संभव होती है। उन्होंने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि क्षमा उसी को शोभा देती है, जिसके पास सामर्थ्य हो। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी में प्रगति और युद्ध की बदलती प्रकृति को देखते हुए भारत को भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का जवाब एकजुट, त्वरित और निर्णायक रूप में देना होगा। उन्होंने थल, जल, वायु, साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्रों में युद्ध के विकसित होते स्वरूप पर प्रकाश डाला और तीनों सशस्त्र बलों- थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच अधिक समन्वय की आवश्यकता पर जाेर दिया।

युद्ध में शस्त्र और शास्त्र दोनों समान रूप से जरूरी हैं: सीडीएस चौहान

सीडीएस ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी है और इससे कई अहम सबक सीखे गए हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में संघर्ष का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा, जिसमें थल, जल, नभ के साथ-साथ अंतरिक्ष और साइबर डोमेन की निर्णायक भूमिका होगी। हमें गीता, महाभारत और चाणक्य नीति से प्रेरणा लेकर शक्ति, उत्साह और युक्ति – इन तीनों का संतुलन बनाना होगा। युद्ध में शस्त्र और शास्त्र दोनों समान रूप से जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्ध अत्यंत खतरनाक और तकनीकी रूप से जटिल होंगे, जहां तीनों सेनाओं का समन्वय निर्णायक होगा। इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के घोषित ‘सुदर्शन चक्र मिशन’ का भी जिक्र किया, जिस पर कार्य आरंभ हो चुका है। इस मिशन के तहत विकसित होने वाली प्रणाली वर्ष 2035 तक भारत के लिए आयरन डोम जैसी सुरक्षा कवच प्रदान करेगी।


सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि आधुनिक युद्ध में इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकनॉसेंस (आईएसआर) की बहुआयामी व्यवस्था अनिवार्य है। इसके लिए भूमि, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष और पानी के भीतर के सभी सेंसर को आपस में जोड़कर रियल-टाइम डेटा एनालिसिस करना होगा। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और क्वांटम टेक्नोलॉजी का बड़ा योगदान रहेगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह सब न्यूनतम लागत पर हासिल करना भारत की विशेषता होगी।

इस दौरान नौसेना के वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के अनुभवों को आगे बढ़ाते हुए तकनीकी सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नेवी चीफ एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह सहित थल सेना, जल सेना और वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। इस संवाद कार्यक्रम में युद्ध, युद्धनीति और युद्ध पर आधुनिक तकनीक के प्रभाव जैसे विषयों पर चर्चा होगी। इसमें सेनाओं के अफसर बल्कि रक्षा उद्योग विशेषज्ञ, शिक्षाविद् और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भी विचार साझा करेंगे।

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केंद्र सरकार ने देश के तीन महापुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल, बिरसा मुंडा और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को खास बनाने के लिए उच्च स्तरीय समितियां बनाई हैं। इन समितियों की अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यह जानकारी संस्कृति मंत्रालय की ओर से 25 अगस्त को जारी अधिसूचनाओं में दी गई।

उद्देश्य है कि इन महापुरुषों के योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जाए

सरकार का कहना है कि सरदार पटेल और बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती तथा अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम होंगे। इन आयोजनों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी, संगोष्ठियां और युवाओं से जुड़ी गतिविधियां रखी जाएंगी। उद्देश्य है कि इन महापुरुषों के योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जाए।

सरदार पटेल की जयंती

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। वे आज़ादी के आंदोलन के बड़े नेता और आज़ाद भारत के पहले गृहमंत्री रहे। उन्हें ‘लौहपुरुष’ के नाम से जाना जाता है। गुजरात में बनी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी उनके योगदान की याद दिलाती है। उनकी 150वीं जयंती पर बनी समिति अलग-अलग स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करेगी।

बिरसा मुंडा की जयंती

संस्कृति मंत्रालय ने बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के लिए भी समिति बनाई है। बिरसा मुंडा को आदिवासी समाज में ‘धरती आबा’ कहा जाता है। वे स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नायक रहे जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत और शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ी। सरकार चाहती है कि उनके संघर्ष और विचारधारा को देशभर में नए सिरे से सामने लाया जाए।

अटल बिहारी वाजपेयी की शताब्दी

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के लिए भी अलग समिति बनाई गई है। वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री बने, पहली बार 1996 में 13 दिनों के लिए, दूसरी बार 1998 से 1999 तक और फिर 1999 से 2004 तक पूरे कार्यकाल के लिए। उनके कार्यकाल में 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण देश की बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। वाजपेयी अपनी दूरदर्शिता और प्रभावी भाषण शैली के लिए भी याद किए जाते हैं।

कार्यक्रमों में रहेगा खास फोकस

इन तीनों समितियों में वरिष्ठ मंत्रियों, राज्यों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। सरकार का कहना है कि पटेल की एकता की सोच, बिरसा मुंडा का संघर्ष और वाजपेयी की राजनीतिक दूरदृष्टि को युवाओं तक पहुँचाना मुख्य मकसद है।

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Bengaluru, 26 अगस्त (हि.स.)। कर्नाटक विधानसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का गीत गाने पर हुई आलोचना के बाद उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने माफी मांगी है। शिवकुमार ने अपना और गांधी परिवार के रिश्ते को भक्त और भगवान जैसा बताया।

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने अपनी ही पार्टी के उन लोगों पर भी नाराजगी जताई

बेंगलुरु में मंगलवार काे एक पत्रकार वार्ता में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि अगर मेरे किसी कृत्य या शब्दों से किसी को ठेस पहुँची है, तो मैं माफ़ी माँगने को तैयार हूँ। मेरी मंशा किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने की नहीं है। मैं सभी से माफ़ी मांगूगा। उन्होंने अपनी ही पार्टी के उन लोगों पर भी नाराजगी जताई जिन्होंने उनके खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा कि उनकी बातों पर सवाल उठाने वाले मूर्ख हैं। पूर्व मंत्री केएन राजन्ना ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें जिसे सलाह देनी है, दे दें। उन्होंने कहा कि उन्हें मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है।

 

मैंने आरएसएस का कोई गीत नहीं गाया है: शिवकुमार

शिवकुमार ने आरएसएस का गीत गाने के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि मैंने आरएसएस का कोई गीत नहीं गाया है। जब भाजपा सदस्य विधानसभा में बोल रहे थे, तब मैंने मजाक के तौर पर फिल्म ‘आरआरआर’ का गाना गाया था। यह विपक्ष को उकसाने की एक कोशिश मात्र थी। उन्होंने बताया कि संसदीय लोकतंत्र में व्यंग्य और हास्य सामान्य बात है। अपने राजनीतिक सफर को याद करते हुए डीके शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि मैं 1979 से एक छात्र संगठन के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में हूँ। मुझे किसी से कुछ सीखने की ज़रूरत नहीं है। मेरा और गांधी परिवार का रिश्ता भक्त और भगवान जैसा है। मैं उनके त्याग, समर्पण और आशीर्वाद से ही राजनीति में आगे बढ़ा हूँ।

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Indore, 26 अगस्त (हि.स.)। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज (मंगलवार को) मध्य प्रदेश के दो दिवसीय प्रवास पर इंदौर आ रहे हैं। वे यहां इंदौर जिले के महू में भारतीय सेना के एक बड़े कार्यक्रम में शामिल होंगे। ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश की तीनों सेनाओं द्वारा युद्ध पद्धति में नवाचार और रणनीतिक विमर्श को लेकर राष्ट्रीय स्तर का ‘रण संवाद 2025’ आयोजित किया जा रहा है।

वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह भी उपस्थित रहेंगे

यह आयोजन महू के सैन्य संस्थान- आर्मी वॉर कॉलेज में 26 और 27 अगस्त को हो रहा है।इंदौर के एडीएम रोशन राय ने बताया कि केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह आज शाम को इंदौर एयरपोर्ट आएंगे और यहां से आकर सीधे डॉ. आम्बेडकर नगर महू जाएंगे। महू से 27 अगस्त को पूर्वान्ह में इंदौर आकर नई दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे। महू में आयोजित कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नेवी चीफ एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह भी उपस्थित रहेंगे।

आयोजन में युद्ध, युद्धनीति और युद्ध-लड़ाई पर तकनीक का प्रभाव विषय पर बातचीत होगी

आयोजन के दौरान 26 से 28 अगस्त तक महू को नो-फ्लाई जोन घोषित किया है। महू और आसपास के इलाके में कोई ड्रोन भी नहीं उड़ा सकेंगे।पहली बार तीनों सेनाओं का संयुक्त सेमिनार हो रहा है। इसमें थल सेना, जल सेना और वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। इस संवाद में युद्ध, युद्धनीति और युद्ध पर आधुनिक तकनीक के प्रभाव जैसे विषयों पर चर्चा होगी। इसमें सेनाओं के अफसर बल्कि रक्षा उद्योग विशेषज्ञ, शिक्षाविद् और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भी विचार साझा करेंगे।आर्मी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आयोजन में युद्ध, युद्धनीति और युद्ध-लड़ाई पर तकनीक का प्रभाव विषय पर बातचीत होगी। प्रतिष्ठित कमांडर, रक्षा उद्योग विशेषज्ञ, शिक्षाविद् और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि विचार साझा करेंगे। युद्ध पद्धति में नवाचार व नई तकनीकों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सशस्त्र बल तैयार करने, युद्ध के अभ्यासियों के लिए अद्वितीय मंच उपलब्ध कराने, शिक्षा जगत और रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी और आत्मनिर्भर भारत पर बातचीत होगी।

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Bihar, 26 अगस्त (हि.स.)। भागलपुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के दौरान दो पाकिस्तानी महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट में पाए गए। गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाने का आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि ये न केवल अवैध तरीके से मतदाता बने थे, बल्कि इनके पास आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मौजूद।

गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है

इन महिलाओं ने कई बार मतदान भी किया था। भागलपुर जिला प्रशासन ने बीएलओ के माध्यम से फार्म 7 भरकर इन महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है और मामले की गहन जांच का आदेश दिया है। इस दौरान यह जांच की जाएगी कि यह किस प्रकार संभव हुआ कि विदेशी नागरिक भारतीय मतदाता सूची में शामिल हो गए।

सवाल उठ रहे हैं कि कैसे कोई पाकिस्तानी भारत में वोट दे रही है

इन पाकिस्तानी महिलाओं के पास आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड जैसे दस्तावेज भी थे। इस बात की जांच की जा रही है कि उनके पास ये दस्तावेज कैसे पहुंचे और इस धोखाधड़ी के पीछे कौन लोग जिम्मेदार हैं।

जिला प्रशासन की जांच में पाया गया कि इमराना खानम उर्फ इमराना खातून पाकिस्तानी महिला है। पूरे देश में इस पर हंगामा मचा है, सवाल उठ रहे हैं कि कैसे कोई पाकिस्तानी भारत में वोट दे रही है, सरकारी नौकरी कर रही है। बीते सोमवार को भी स्पेशल ब्रांच और इशाकचक थाना की पुलिस उस स्कूल में इमराना को तलाशने पहुंची जहां वह पढ़ाती थी।

वहीं पत्रकारों को सोमवार को भागलपुर के इशाकचक में इमराना घर में मिलीं। बिस्तर पर लेटीं इमराना ने बताया कि बीमार हूं। इस कारण से स्कूल नहीं जा पा रही। इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार शर्मा ने बताया कि नगर निगम के विद्यालय अवर निरीक्षक को मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं।

2006 में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से इमराना के पति इबनुल हक को राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था

सबसे बड़ी बात शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए 2006 में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से इमराना के पति इबनुल हक को राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था। इबनुल का निधन 2018 में हो गया। स्थानीय निवासियों के अनुसार इमराना इबनुल की दूसरी पत्नी थीं। इमराना की कोई औलाद नहीं है।

वर्तमान में वह शाहकुंड में शिक्षक हैं। घर में पत्रकारों से बात करते हुए इमराना ने बताया कि आज मुझे स्कूल जाना था लेकिन तबीयत खराब होने के कारण मेडिकल लीव के लिए अप्लाई किया है। उन्होंने बताया कि वह हृदय रोग से ग्रसित है। आए दिन तबीयत खराब रहती है। पाकिस्तानी होने की बात खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि वह भारत में ही जन्मी हैं। जन्म कब हुआ यह ठीक से याद नहीं। माता-पिता के निधन के बाद भीखनपुर में ही रहने वाली उनकी खाला गोशिया खानम ने उनका पालन पोषण किया है। उन्होंने दावा किया कि मुझे पाकिस्तानी होने के विवाद में बूथ लेवल आफिसर फरजाना खातून ने घसीटा है। वह मेरी जमीन पर ही मेरे घर में 40 वर्षों से किराए पर रह रही हैं। पहले वह किराया देती थीं, लेकिन अब वह किराया भी नहीं देती हैं।

जांच के आधार पर जो भी रिपोर्ट आएगी उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी

इमराना के विदेशी पासपोर्ट नंबर 981093/1956 के अनुसार उनका जन्म जनवरी 1956 में हुआ है। इसमें इस बात का जिक्र है कि इमराना खानम नाम की महिला 3 साल के वीजा पर पाकिस्तान से भारत आईं लेकिन, शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में इमराना खातून की जन्मतिथि 2 मार्च 1966 अंकित है। सवाल है कि कोई महिला जन्म से पहले भारत पहुंच गई। अंदेशा है कि दूसरे पहचान पत्र बनाते हुए तारीख बदल दिया गया।

उधर, भागलपुर के एसएसपी हृदयकांत ने बताया कि पाकिस्तानी महिला प्रकरण की जांच को डीएसपी को आदेश दिया गया है। जांच के आधार पर जो भी रिपोर्ट आएगी उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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– पहलगाम में हुए हमले के बाद भारतीय सेना ने अपने तय किए लक्ष्य पर सिर्फ 22 मिनट में सफलता पाई : प्रधानमंत्री मोदी
– जो लोग गांधीजी के नाम पर अपनी गाड़ी चलाते रहे, उनके मुंह से न कभी स्वच्छता शब्द सुना और न ही स्वदेशी शब्द : मोदी

अहमदाबाद, 25 अगस्त (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी आज से दो दिन के गुजरात प्रवास पर हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अहमदाबाद एयरपोर्ट से निकोल तक भव्य रोड शो किया और एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने शहरी विकास वर्ष 2025 के उपलक्ष्य में 5477 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इस मौके पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत, प्रदेश अध्यक्ष एवं केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटील और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में सभी ने मेक इन इंडिया अपनाने का संकल्प लिया।

भारतीय जनता पार्टी गुजरात प्रदेश के मीडिया विभाग ने एक बयान में बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देशभर में गणेश उत्सव का अद्भुत उत्साह देखने को मिल रहा है। गणपति बाप्पा के आशीर्वाद से गुजरात के विकास से जुड़े अनेक कार्यों का श्रीगणेश हुआ है। यह मेरा सौभाग्य है कि अनेक परियोजनाएं जनता को समर्पित करने का अवसर मिला। इन विकास कार्यों के लिए जनता को बधाई देता हूं।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष गुजरात के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई है। देश के अन्य राज्यों में भी बादल फटने की घटनाएं हुई हैं। हर प्रभावित परिवार के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं। प्रकृति का प्रकोप आज पूरे देश और दुनिया के लिए चुनौती बना हुआ है। केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य कर रही है।

मोदी ने आगे कहा कि गुजरात की धरती दो “मोहन” की धरती है- एक सुदर्शन चक्रधारी मोहन अर्थात हमारे द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण और दूसरे चरखा धारी मोहन अर्थात पूज्य बापू जी। आज हम दोनों के दिखाये मार्ग पर चलकर निरंतर मजबूत हो रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने हमें सिखाया कि समाज और देश की रक्षा कैसे करनी है। उनका सुदर्शन चक्र न्याय और सुरक्षा का कवच बना, जो दुश्मन को पाताल में जाकर भी सजा देता है। यही भावना आज भारत के निर्णयों में देश और दुनिया महसूस कर रही है।

अहमदाबाद के पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात और खासकर अहमदाबाद ने ऐसे दिन भी देखे जब दंगाइयों, चाकू चलाने वालों और कर्फ्यू के कारण त्योहारों पर खून-खराबा होता था, लेकिन आज आतंकियों और उनके आकाओं को सरकार छोड़ती नहीं है। पहले की दिल्ली की कांग्रेस सरकारें चुप बैठी रहती थीं, जब हमारे जवानों का खून बहता था लेकिन दुनिया ने देखा कि पहलगाम का बदला भारत ने कैसे लिया- 22 मिनट में हमारी सेना ने सफाचट कर दिया। तय किए गए लक्ष्य पर सेना ने वार कर आतंकवाद की नाभि पर हमला किया। ऑपरेशन सिंदूर सेना के शौर्य और सुदर्शन चक्रधारी मोहन के भारत की इच्छाशक्ति का प्रतीक बन गया है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि चरखा धारी मोहन, पूज्य बापू जी ने भारत की समृद्धि का मार्ग स्वदेशी में बताया था। साबरमती आश्रम इसका साक्षी है। लेकिन जिन लोगों ने बापू के नाम पर सत्ता का सुख भोगा। उन्होंने स्वदेशी के मंत्र के साथ क्या किया ? उनके मुंह से न तो स्वच्छता और न ही स्वदेशी का शब्द सुनाई देता है। 60–65 वर्षों तक कांग्रेस ने शासन किया और भारत को दूसरे देशों पर निर्भर रखा ताकि वे सत्ता में बैठे-बैठे आयात से खेल सकें लेकिन आज भारत ने आत्मनिर्भरता को विकसित भारत के निर्माण का आधार बनाया है। किसानों, मछुआरों, पशुपालकों और उद्योगकारों के दम पर भारत तेजी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। गुजरात का डेयरी सेक्टर बहुत मजबूत है और इसमें बहनों का योगदान सबसे बड़ा है। उन्होंने पशुपालन कर डेयरी शक्ति को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने छोटे उद्योगकारों, किसानों, पशुपालकों से कहा कि आज दुनिया में आर्थिक स्वार्थ की राजनीति हो रही है। मैं अहमदाबाद की धरती से वचन देता हूं कि मोदी के लिए आपका हित सर्वोपरि है। मेरी सरकार कभी आपके साथ अन्याय नहीं होने देगी। कितना भी दबाव आए, हम उसे सहन करने की शक्ति बढ़ाते रहेंगे। आत्मनिर्भर भारत अभियान को गुजरात से बहुत ऊर्जा मिली है। यह दो दशकों की मेहनत का परिणाम है।

उन्होंने कहा कि कभी अहमदाबाद में दूध-छाछ के लिए भी कर्फ्यू लगते थे, लेकिन आज अहमदाबाद देश का सबसे सुरक्षित शहर बन चुका है। गुजरात की शांति और सुरक्षा ने हर क्षेत्र में विकास के अवसर बढ़ाए हैं। आज गुजरात मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर चुका है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि गुजरात में बने मेट्रो कोच अन्य देशों में निर्यात हो रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ गुजरात में कारखाने लगा रही हैं। इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन का भी गुजरात बड़ा केंद्र बन रहा है। सेमीकंडक्टर सेक्टर, टेक्सटाइल, जेम्स-ज्वेलरी, दवा और वैक्सीन निर्माण में गुजरात अग्रणी है। ग्रीन एनर्जी और पेट्रोकेमिकल हब के रूप में भी गुजरात की भूमिका अहम है।

उन्होंने कहा कि साबरमती आश्रम का नवीनीकरण हो रहा है। सरदार पटेल की भव्य प्रतिमा के बाद यह कार्य ऐतिहासिक है। गरीब जब गरीबी से बाहर निकलते हैं तो नया नियो मिडल क्लास बनकर देश की ताकत बनते हैं। हमारी सरकार ने 12 लाख की आय पर आयकर माफ कर दिया। जीएसटी में भी सुधार हो रहे हैं और दिवाली से पहले बड़ी सौगात मिलने वाली है। स्वच्छता अभियान एक दिन का काम नहीं, बल्कि रोज का कार्य है।

प्रधानमंत्री ने साबरमती रिवरफ्रंट, कांकड़िया कार्निवल, अहमदाबाद के पर्यटन महत्व का भी उल्लेख किया और कहा कि अहमदाबाद यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी है। उन्होंने कहा कि त्योहार केवल संस्कृति का ही नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता का भी उत्सव बनना चाहिए। 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनेगा और इसका रास्ता स्वदेशी और आत्मनिर्भरता से होकर जाता है।

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने संबोधन में कहा कि गुजरात के पनोता पुत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी ने लगातार 4078 दिनों से अधिक शासन कार्य कर देश की राजनीति में अनूठा इतिहास रचा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर सफलतापूर्वक पूरा किया। यह मोदी जी के नेतृत्व में भारत की शक्ति और आत्मनिर्भरता का परिचायक है।

इस कार्यक्रम में राज्य के मंत्रीगण, प्रदेश और जिला पदाधिकारी, सांसद, विधायक और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत मंगलवार से अगले 3 दिन दिल्ली के विज्ञान भवन में समाज के विविध क्षेत्र से जुड़े लोगों से संगठन की 100 वर्षों की यात्रा पर संवाद करेंगे। कल से प्रारंभ होने वाले इस तीन दिवसीय सम्मेलन में अब तक 1300 गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थित की पुष्टि की है। सम्मेलन का विषय 100 वर्ष की संघ यात्रा ‘नए क्षितिज’ है।

तीन दिवसीय सम्मेलन से एक दिन पूर्व सोमवार को संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पत्रकारों से बातचीत में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय आयोजन में सेवानिवृत न्यायाधीश, पूर्व राजनयिक, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न देशों के राजनयिक और खेल व कला क्षेत्र से जुड़ी हस्तियों तथा राजनीतिक दलों के नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है। इनमें से अब तक 1300 ने निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विजयादशमी के दिन वर्ष 1925 में नागपुर में स्थापना हुई थी। यह वर्ष संघ अपने शताब्दी वर्ष के तौर पर मना रहा है और इसी क्रम में संगठन ने देशभर में अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से समाज से संवाद करने के विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई है। यह कार्यक्रम 02 अक्टूबर को विजयादशमी से प्रारंभ होंगे, जिसमें देशभर में संघ के स्वयंसेवक गणवेश में संचलन करेंगे।

इसके बाद घर-घर जाकर संघ के बारे में जानकारी देने से जुड़ा संपर्क अभियान, हिंदू सम्मेलन, सद्भाव बैठकें और अन्य आयोजन होंगे। इसी कड़ी में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के देश के चार प्रमुख शहरों में तीन दिवसीय संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किए जायेंगे। इस कड़ी में पहला आयोजन कल से दिल्ली में हो रहा है। दिल्ली के विज्ञान भवन शाम को सरसंघचालक संवाद करेंगे। इसी तरह का एक आयोजन 2018 में भी विज्ञान भवन में ही आयोजित हो चुका है।

सुनील आंबेकर ने बताया कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, पूर्व राजनयिक कंवल सिब्बल, खेल क्षेत्र से जुड़े जुड़े अभिनव बिंद्रा और कपिल देव कल के आयोजन में शामिल होने की संतुति दे चुके हैं।

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नई दिल्ली, 24 अगस्त (हि.स.)। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने रविवार को कहा कि भारतीय लोकतंत्र किसी अन्य देश से आयातित नहीं, बल्कि हमारी परंपराओं, महाकाव्यों और दार्शनिक विचारधारा में निहित है, जहां सदा धर्म और नैतिकता ने सत्ता का मार्गदर्शन किया। उन्होंने इन शब्दों के साथ आज ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस के द्वितीय सत्र को संबोधित किया। सत्र का विषय “भारत – मदर ऑफ डेमोक्रेसी” था, जो केंद्रीय विधानसभा के प्रथम भारतीय अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल के 1925 के निर्वाचन की शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। इस अवसर पर दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट भी उपस्थित रहे।

हरिवंश ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है। उन्होंने उल्लेख किया कि ऋग्वेद से ही सभा और समिति जैसी सामूहिक विमर्श की संस्थाओं का उल्लेख मिलता है। रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में नेतृत्व का संबंध त्याग, नैतिकता और प्रजाजन के प्रति जिम्मेदारी से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी चिंतकों ने राजनीति को नैतिकता से अलग किया, जबकि भारतीय चिंतन में धर्म और शासन हमेशा साथ रहे। उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का हवाला देते हुए कहा कि “राजा का सुख प्रजा के सुख में है,” और इसे मैकियावेली के उस विचार से अलग बताया कि शासक के लिए भयभीत करना प्रिय होने से अधिक महत्त्वपूर्ण है।

उपसभापति ने कहा कि लोकतंत्र केवल ग्रंथों में ही नहीं बल्कि भारत के सामाजिक जीवन और संस्थानों में भी दृष्टिगोचर होता है – ग्राम पंचायतों, बौद्ध संघों, गणराज्यों से लेकर भक्ति और सूफी आंदोलनों तक। उन्होंने कहा कि गांधीजी स्वयं कहते थे “हम लोकतांत्रिक संस्कृति के लोग हैं” और डॉ. आंबेडकर ने “शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो” का आह्वान कर इसी परंपरा को आगे बढ़ाया। उन्होंने अब्राहम लिंकन के प्रसिद्ध कथन “लोक के लिए, लोक द्वारा, लोक की सरकार” को कौटिल्य के शाश्वत सूत्र से जोड़ा, जिसमें कहा गया है कि राजा का अस्तित्व प्रजा से अलग नहीं है।

उन्होंने कहा कि इस परंपरा का आधुनिक रूप 1925 में तब सामने आया जब विट्ठलभाई पटेल केंद्रीय विधान सभा के पहले भारतीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इसने न केवल सरकार के उम्मीदवार को पराजित किया बल्कि अध्यक्ष पद की स्वतंत्रता और गरिमा की परंपरा स्थापित की। सिंह ने याद दिलाया कि यह सदन महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल, पं. मोतीलाल नेहरू, महामना मालवीय जैसे नेताओं की आवाजों का साक्षी रहा है, जिनकी वाणी ने रोलेट एक्ट के विरुद्ध संघर्ष से लेकर असहयोग और सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों को जन्म दिया।

हरिवंश ने कहा कि यह विधानसभा उन महान नेताओं की वाणी से गूंजी है जिन्होंने भारत की नियति गढ़ी। उनके स्वप्न को आगे बढ़ाना केवल हमारी जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि हमारा पवित्र कर्तव्य है। उन्होंने आह्वान किया कि भारत जब 2047 की ओर अग्रसर है, तो लोकतंत्र केवल प्रक्रिया या दलगत राजनीति तक सीमित न रहे, बल्कि नैतिकता, जवाबदेही और जनता की सेवा का प्रतीक बना रहे।

इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष कृष्ण लाल मिड्ढा, केरल विधानसभा के अध्यक्ष एएन शमसीर, छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष रमन सिंह, जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर, महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नरेवर, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवानी, महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति राम शिंदे और आंध्र प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष केआर रामकृष्णम राजू सहित अनेक गणमान्य अध्यक्षों एवं उपाध्यक्षों ने भी विचार व्यक्त किए। सभी वक्ताओं ने अपने-अपने राज्यों की समृद्ध विधायी परंपराओं का उल्लेख करते हुए लोकतंत्र को और सशक्त बनाने में अध्यक्षों की भूमिका पर मूल्यवान दृष्टिकोण साझा किया।

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