नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ अवतारों या स्वरूपों की पूजा का प्रसिद्ध त्योहार है। जिसे शक्ति या देवी के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार एक बार वसंत ऋतु के दौरान चैत्र नवरात्रि और शरद ऋतु के दौरान शरद नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। शरद नवरात्रि अश्विन के महीने के दौरान मनाई जाती है जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में आती है। वहीं, चैत्र नवरात्रि हिन्दू कैलेंडर के चैत्र महीने के दौरान मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि आमतौर पर मार्च या अप्रैल महीने में मनाई जाती है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति-देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवां दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है।

नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख को हटाने वाली होता है। नवरात्रि एक प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि का त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है। हिंदी महीनों के मुताबिक पहला नवरात्रि चैत्र महीने में मनाया जाता है और दूसरी बार अश्विन महीने में मनाया जाता है। नवरात्रि नौ दिनों तक निरंतर चलता है जिसमे देवी माँ के अलग अलग स्वरूपों की लोग भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करते हैं। भारत में नवरात्रि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न तरीकों और विधियों के संग मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है। उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।

नवरात्रि पर्व के नौ दिनों के दौरान आदिशक्ति जगदम्बा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। ये नौ दिन वर्ष के सर्वाधिक पवित्र दिवस माने गए हैं। इन नौ दिनों का भारतीय धर्म एवं दर्शन में ऐतिहासिक महत्व है और इन्हीं दिनों में बहुत सी दिव्य घटनाओं के घटने की जानकारी हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों में मिलती है। माता के इन नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है जो इस प्रकार हैं -शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चन्द्रघन्टा, कूष्माण्डा, स्कन्द माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिध्दिदात्री।

नवरात्रि से हमें अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई के जीत की सीख मिलती है। यह हमें बताती है कि इंसान अपने अंदर की मूलभूत अच्छाइयों से नकारात्मकता पर विजय प्राप्ती और स्वयं के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कैसे कर सकता है। भारतीय जन-जीवन में धर्म की महत्ता अपरम्पार है। यह भारत की गंगा-जमुना तहजीब का ही नतीजा है कि सब धर्मों को मानने वाले लोग अपने-अपने धर्म को मानते हुए इस देश में भाईचारे की भावना के साथ सदियों से एक साथ रहते चले आ रहे हैं। यही कारण है कि पूरे विश्व में भारत की धर्म व संस्कृति सर्वोतम मानी गयी है। विभिन्न धर्मों के साथ जुड़े कई पर्व भी है जिसे भारत के कोने कोने में श्रध्दा, भक्ति और धूमधाम से मनाया जाता है। उन्हीं में से एक है नवरात्रि।

नवरात्रि के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है, उसकि पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी-समृद्धि और शांति की देवी की पूजा करने के लिए समर्पित है। आठवें दिन एक यज्ञ किया जाता है। नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन नौ लड़कियों की पूजा होती है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े, वस्तुयें, फल प्रदान किए जाते हैं।

शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।

इस पर्व से जुड़ी एक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने एक भैंस रूपी असुर अर्थात महिषासुर का वध किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया। उसको वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा। महिषासुर ने अपने साम्राज्य का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देख देवता विस्मय की स्थिति में आ गए। महिषासुर ने सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु, चन्द्रमा, यम, वरुण और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए और स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की।

ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और कहा जाता है कि इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गईं थी। इन नौ दिन देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अन्ततरू महिषासुर-वध कर महिषासुर मर्दिनी कहलायीं। नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।

वसन्त की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। ये दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते हैं। त्योहार की तिथियां चन्द्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। यह पूजा वैदिक युग से पहले प्रागैतिहासिक काल से है। नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं। यह पूजा उनकी ऊर्जा और शक्ति की होती है। प्रत्येक दिन दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित हैं।

नवरात्रि के दौरान उपवास करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है। नवरात्रि के दौरान ध्यान, योग और भक्ति करने से मन को शांति मिलती है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। नवरात्रि व्रत का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय। वस्तुत: नवरात्र अंत:शुद्धि का महापर्व है। आज वातावरण में चारों तरफ विचारों का प्रदूषण है। ऐसी स्थिति में नवरात्र का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

(लेखक रमेश सर्राफ धमोरा, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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Chhapra: नहाए खाय के साथ चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज से शुरू हो गया है। चैती छठ में 2 अप्रैल को खरना, 3 अप्रैल को संध्या अर्घ्य और 4 अप्रैल को उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा।

चैती छठ को लेकर बाजारों में रौनक देखी जा रही है। साथ ही अर्घ्य के लिए पूजा घाटों का निर्माण भी शुरू हो गया है। 

 

फाइल फोटो 

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Chhapra: श्री हनुमत प्राण प्रतिष्ठा सह रुद्र महायज्ञ हेतु छपरा जंक्शन परिसर में जल संग्रह का वृहद आयोजन किया गया। जिसमें सारण जिला के सभी प्रखंडों तथा 307 पंचायत से मठ मंदिरों का पवित्र जल पंचायतवासियों के द्वारा मंदिर पर लाया गया। जिनका स्वागत पुष्प वर्षा एवं ढोल ताशे बजाकर किया गया।

पूरा स्टेशन परिसर जय श्री राम, जय हनुमान के नारों से गुंजमान हो गया। राहुल मेहता ने जानकारी दी कि यह बहुत ही पौराणिक समय का सिद्ध मंदिर है और इसका जीर्णोद्धार कर इसी पवित्र जल से हनुमान जी का जलाधिवास 10 अप्रैल 2025 को किया जाएगा तथा यज्ञ 8 अप्रैल को जल यात्रा से शुरू होगा। जिसमे विद्वान आचार्यों के द्वारा प्राण प्रतिष्ठा के कार्य को पूर्ण किया जाएगा।

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नई दिल्ली, 31 मार्च (हि.स.)। देशभर में आज ईद का त्योहार परंपरागत तरीके से धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। लोग एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दे रहे हैं। ईद-उल-फितर के मौके पर सुबह प्रमुख मस्जिदों में नमाज अदा कर मुल्क में अमन और शांति के लिए दुआ मांगी गई।

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की जामा मस्जिद, फतेहपुरी मस्जिद, भोपाल की ईदगाह मस्जिद, पटना के गांधी मैदान, हैदराबाद, लखनऊ, बेंगलुरु, मुंबई और अन्य शहरों और कस्बों में लोगों ने सुबह ईद की नमाज अदा की।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और नोएडा में लगभग सभी मस्जिदों के बाहर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। हरियाणा गुरुग्राम जिले में भी ईद का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया जा रहा है। दिल्ली की जामा मस्जिद में सुबह 6:45 बजे और फतेहपुरी मस्जिद में 7:30 बजे नमाज अदा की गई।

इस दौरान बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले में पूर्व वादी इकबाल अंसारी ने अयोध्या में कहा कि आज का दिन ईद का है। और इसे ईद मिलन कहा जाता है। ईद के त्योहार की हिंदू और मुसलमान दोनों ही एक साथ खुशियां मानते हैं। आज का दिन सभी के लिए शुभ है। हिंदुओं के लिए भी क्योंकि नवरात्रि भी चल रही है। कहीं कोई भेदभाव नहीं है।

दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कल देरशाम अलग-अलग जगहों पर ईद का चांद दिखने का एलान किया था। उन्होंने घोषणा की थी कि रमजान महीने की समाप्ति के साथ सोमवार को देशभर में ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा।

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नई दिल्ली, 30 मार्च (हि.स.)। ईद उल फितर का चांद आज (रविवार को) नजर आ गया है। राजधानी दिल्ली सहित देशभर में चांद के दिखाई देने की तस्दीक की गई है। जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम शाबान बुखारी ने घोषणा करते हुए कहा कि कल यानी सोमवार के दिन ईद का पर्व मनाया जाएगा।

शाही जामा मस्जिद की मर्कजी रुयत-ए-हिलाल कमेटी, शाही मस्जिद फतेहपुरी की मर्कजी रुयत-ए-हिलाल कमेटी, इमारत-ए-शरिया हिन्द की मर्कजी रुयत-ए-हिलाल कमेटी, मर्कजी जमीअत अहले हदीस की मर्कजी रुयत-ए-हिलाल कमेटी ने आज मगरिब की नमाज के बाद चांद देखने की कोशिश की और उन्हें चाद दिखाई पड़ा। इसके अलावा देश भर के अन्य भागों से भी चांद के दिखाई देने की तस्दीक हुई है।

जामा मस्जिद के सैयद शाबान बुखारी ने चांद दिखाई देने की तस्दीक करते हुए घोषणा की कि आज रमजान की 29 तारीख यानी 30 मार्च को ईद का चांद देशभर में नजर आ गया है, इसलिए कल सोमवार 31 मार्च को देशभर में ईद उल फितर का पर्व मनाया जाएगा

उन्होंने सभी देशवासियों को ईद उल फितर की मुबारकबाद भी दी है।

मस्जिद फतेहपुरी के इमाम डॉ मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने भी ईद के चांद के निकलने की तस्दीक करते हुए कल ईद मनाए जाने की घोषणा की है। इमारत-ए-शरिया हिंद के केंद्रीय दफ्तर मस्जिद अब्दुल नबी में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें ईद का चांद देखने का एइतेमाल किया गया। अन्य राज्यों और शहरों से भी चांद के दिखाई देने की की तस्दीक होने के बाद कल सोमवार के दिन ईद मनाने का ऐलान किया गया है।

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देहरादून, 28 मार्च (हि.स.)। उत्तराखंड में 30 अप्रैल से यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। सरकारी स्तर पर यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी बीच केदारनाथ-बदरीनाथ पंडा समाज ने केदारनाथ मंदिर परिसर में वीडियो और रील बनाने पर पूरी तरह रोक लगाने का निर्णय लिया है।

पंडा समाज के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मंदिर परिसर में वीडियो या रील बनाता हुआ पाया गया, तो उसे दर्शन किए बिना ही वापस भेज दिया जाएगा और भविष्य में प्रवेश पर भी रोक लगाई जा सकती है। इस संबंध में प्रशासन को भी पत्र भेजकर सूचना दी गई है।

केदारनाथ सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने बताया कि पिछले साल यात्रा के दौरान वीडियो और रील बनाने वालों की भीड़ बढ़ गई थी। ग्लेशियर के ठीक नीचे, 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम में ढोल-नगाड़ों के शोर के साथ वीडियो शूट किए गए, जिससे उच्च हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और यात्रियों को भी असुविधा हुई।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार केदारनाथ धाम में बैक डोर एंट्री भी पूरी तरह से बंद रहेगी, जिससे मंदिर की पवित्रता और श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित की

जा सके।

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Chhapra: रामनवमी के अवसर पर शहर में निकलने वाली शोभायात्रा को लेकर स्थानीय आर्य समाज विद्यालय परिसर में श्री रामजन्मोत्सव शोभायात्रा समिति द्वारा आमसभा का आयोजन किया गया.

आम सभा में उपस्थित सभी लोगों द्वारा शोभायात्रा को लेकर अपने अपने सुझाव प्रदान किए गए. साथ ही साथ चैत्र वर्ष प्रतिप्रदा के अवसर पर प्रत्येक घरों के मुख्य द्वार पर दीप प्रज्वलन करने का आग्रह किया गया.

बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने शोभायात्रा को सफल बनाने के लिए तन मन धन से लग जाने का आह्वान भी किया गया. शोभायात्रा की गरिमा बनाए रखने के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए गए.

बैठक का संचालन मेयर लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने किया. बैठक में सिया राम सिंह, अवध किशोर मिश्रा, रंजीत सिंह, बृजकिशोर बैठा, ओम प्रकाश गुप्ता, राम दयाल शर्मा सहित दर्जनों वक्ताओं ने सम्बोधित किया.

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वाराणसी, 14 मार्च (हि.स.)। बाबा विश्वनाथ की नगरी में शुक्रवार को रंगों के पर्व होली की सतरंगी मस्ती हर तरफ दिख रही है। गांव, शहर से लेकर गंगा घाटों तक लोग रंग -गुलाल में भीग कर एक-दूसरे को रंग लगा रहे हैं। रंगोत्सव का उल्लास हर तरफ दिख रहा है। महापर्व पर पूरे शहर में सुरक्षा का व्यापक प्रबन्ध किया गया है। संवेदनशील जगहों पर विशेष चौकसी की जा रही है।

श्रीकाशी विश्वनाथ के संग श्रद्धालुओं ने खेली होली

सुबह श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में शिवभक्तों ने बाबा के संग होली खेली। शहर के दूसरे मंदिरों में भी देवी-देवताओं के साथ श्रद्धालुओं ने होली खेली। दर्शनार्थियों ने बाबा विश्वनाथ, कालभैरव, संकटमोचन, मां अन्नपूर्णा, दुर्गा मंदिर समेत सभी मंदिरों में रंगोत्सव का पहला गुलाल अर्पित किया। काशी की परंपरानुसार चौसठ्ठी घाट स्थित चौसठ्ठी माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी हुई थी और मंदिर में गुलाल चढ़ाने के बाद लोगों ने होली खेली।

रंगोत्सव पर सुबह से ही बच्चों और युवाओं की टोली मस्ती में दिखी। दिन चढ़ते ही युवा और बच्चे रंग पिचकारी लेकर एक-दूसरे का भिगोने लगे और गले मिलकर पर्व की बधाई दी। युवाओं की टोलियां एक-दूसरे को रंगों में भिगो कर कपड़ा फाड़, अजब-गजब भेष बना सड़कों पर गले मिलते हुए देखी गई। नगर के गोदौलिया, लहुराबीर, सोनारपुरा, लंका, सिगरा, रथयात्रा चौराहे पर होली की रंगत विशेष तौर पर देखी जा रही है। जगह-जगह डीजे पर होली गीतों पर युवा समूह में थिरकते रहे। गंगा घाटों पर विदेशी नागरिक भी होली की खुमारी में स्थानीय युवकों के साथ नगाड़े और ढोल की थाप पर थिरकते रहे।

कई कॉलोनियों और सोसाइटियों में रंगोत्सव के दौरान मनोरंजक खेलों का आयोजन किया गया। तो कहीं कवि गोष्ठी के बीच ठंडई और भांग का दौर चला। शहर में कई स्थानों पर होली बारात निकालने की परंपरा का निर्वाह भी किया गया।

पुलिस भी रही सक्रिय

होली की मस्ती और हुड़दंग के बीच पुलिस अफसर फोर्स के साथ सड़कों पर दिखे। माहे रमजान के जुमा को देखते हुए शहर के प्रमुख चौराहों के साथ ही मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस कर्मी मुस्तैद रहे। इस दौरान कुछ लोगों ने अबीर-गुलाल से उनको भी रंग दिया।

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होली उमंग तथा उत्साह का त्योहार है। हिन्दू धर्म के त्योहार में सबसे प्रसिद्द त्योहार होली है। पंचांग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, लेकिन पूर्णिमा का होली सभी जगह नहीं मानते है। शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा प्रतिपदा से युत हो इस स्थति में होली मनाना बहुत ही शुभ होता है।

होली हर्सोल्लास का त्योहार है। बसंत ऋतू में लगाए गए फसल की कटाई होती है। जिसमे मुख्यत गेहूं तथा अन्य फसल भी निकलता है। हिन्दू धर्म के रीति रिवाज के अनुसार जब भी किसान खेत से अपना फसल निकालते है उस फसल के अन्य को निकालकर पकवान बनाते है। अपने कुल देवता तथा तथा आराध्य देव को पूजन करते है भोग लगते है, फिर सभी परिवार के साथ मिलकर प्रसाद को खाते है। शास्त्र प्रमाण के अनुसार हिरण्यकश्यप तथा प्रह्लाद को लेकर है होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत है। इसलिए इस दिन एक दुसरे पर रंग गुलाल लगाते है।

होली का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार सुबह 09:17 से आरम्भ होगा.
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार सुबह 11:11 मिनट तक रहेगा.

भद्रा काल कब से आरंभ होगा

भद्रा काल का आरम्भ 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार सुबह 10:02 से आरम्भ होगा.
भद्रा काल समाप्ति 13 मार्च 2025 रात्रि 10 :37 मिनट पर समाप्त होगा.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

13 मार्च 2025 दिन गुरुवार रात्रि 10:38 मिनट के बाद होलिका दहन किया जा सकता है लेकिन रात्रि में होलिका दहन करना अनुकुल नही माना जाता है इसलिए होलिका दहन 14 मार्च 2025 को सुबह में होलिका दहन करना शुभ होगा.

शास्त्र सम्मत के अनुसार होली कब मनाए

नियमतः किसी भी त्योहार शुभ मुहूर्त में मनाने से बहुत ही शुभ होता है। घर परिवार लिए कल्याणकारी होता है। होलिका दहन के अगले दिन काशी के अंतर्गत होली का प्रसिद्द त्योहार मनाया जायेगा। अन्य क्षेत्रो में होली मनाने का प्राब्धन शास्त्र के अनुसार चैत्र कृष्णपक्ष की ओउदायिक तिथि में खेलने का शास्त्र प्रमाण है। इसलिए काशी के अलावा अन्य क्षेत्र में होली खेली जाती है। काशी में होली 14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा। अन्य जगह पर 15 मार्च 2025 दिन शनिवार को होली खेला जाएगा.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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Chhapra: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर श्री राम जानकी मंदिर समिति द्वारा भव्य शिव बारात निकाली जाएगी, आयोजन को भव्य बनाने के लिए 51 आकर्षक झांकियों की तैयारियां अंतिम चरण में हैं, इस ऐतिहासिक यात्रा में वृंदावन, मथुरा, काशी सहित सैकड़ो स्थानीय कलाकार शामिल होंगे, जो शिव-पार्वती विवाह की झांकी प्रस्तुत करेंगे, मन्दिर समिति के अनुसार, इस बार की यात्रा पिछले वर्षों की तुलना में अधिक भव्य होगी, यात्रा का मार्ग भी जारी कर दिया गया है, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालु इसका दर्शन कर सकें, पूरी यात्रा के दौरान हर-हर महादेव के जयघोष से शहर भक्तिमय हो उठेगा.

यात्रा का मार्ग (रूट प्लान) इस प्रकार रहेगा

शिव बारात सुबह 8:00 बजे श्री राम जानकी मंदिर से प्रारंभ होकर शहर के विभिन्न प्रमुख मार्गों से होते हुए पुनः मंदिर परिसर में संपन्न होगी, जो छत्रधारी बाजार से निकलकर मालखाना चौक होते हुए रामजयपाल चौक के रास्ते रामराज्य चौक पहुंचेगी फिर पंकज सिनेमा होते हुए दहियावां चौक के रास्ते थाना चौक पहुंचेगी, थाना चौक से साहेबगंज चौक होते हुए मौना चौक के रास्ते सलेमपुर के रास्ते नगरपालिका चौक होते हुए अलियर स्टैंड के रास्ते दरोगा राय चौक होकर भरत मिलाप चौक होते हुए भगवान बाजार के रास्ते काशी बाजार पहुंचेगी, काशी बाजार से राजेंद्र कॉलेज चौक होते हुए गुदरी बाजार के रास्ते दौलतगंज पहुंचेग, दौलतगंज से धर्मनाथ मंदिर होते हुए कटरा चौक के रास्ते वापस श्री राम जानकी मंदिर पहुंचकर समाप्त होगी.


शिव बारात का धार्मिक और पौराणिक महत्व

महाशिवरात्रि पर शिव बारात का आयोजन विशेष धार्मिक महत्व रखता है, यह भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की स्मृति में निकाली जाती है, बारात में देवता, ऋषि-मुनि, भूत-प्रेत, नाग-सर्प और विभिन्न स्वरूपों में शिवगण होंगे, मन्दिर के एक सदस्य ने बताया कि यात्रा भगवान शिव की अद्वितीयता, शक्ति और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है.भगवान शिव की बारात में अघोरी, साधु-संत, नागा साधु, कंठीधारी संन्यासी विशेष आकर्षण का केंद्र बनते हैं, यात्रा के दौरान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों की झांकी, शिव-पार्वती विवाह का दृश्य, भगवान विष्णु और ब्रह्मा के साथ शिव संवाद, समुद्र मंथन और अन्य धार्मिक प्रसंगों को झांकियों के माध्यम से दर्शाया जाएगा।


शिव बारात के मुख्य आकर्षण, ये होंगे शिव बारात के मुख्य आकर्षण

शिव-पार्वती विवाह, कैलाश पर्वत, तांडव नृत्य, गंगा अवतरण, नागा साधुओं की झलक, समुद्र मंथन जैसी झांकियां आकर्षण का केंद्र होंगी, देशभर के कलाकारों की प्रस्तुति: वृंदावन, मथुरा, काशी से आए कलाकार शिव तांडव और भक्ति नृत्य प्रस्तुत करेंगे शिव तांडव और भजन संध्या:पूरे मार्ग पर हर-हर महादेव के जयघोष के बीच भजन मंडलियों द्वारा शिव भक्ति गीत गाए जाएंगे, विशेष रथ यात्रा:भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमाओं को विशेष रूप से सजे रथों पर विराजित किया जाएगा।

शिव बारात के दौरान यातायात को सुचारू बनाए रखने के लिए विशेष रूप से जिला पदाधिकारी को पत्र प्रसाशनिक सहयोग के लिए पत्र लिखकर आग्रह किया गया है, श्री राम जानकी मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से शिव बारात को अनुशासनबद्ध और भक्तिपूर्ण तरीके से सफल बनाने में सहयोग करने की अपील की है, मन्दिर समिति की ओर से कहा गया कि यह आयोजन सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। श्रद्धालुओं से यात्रा के दौरान शांति बनाए रखने, स्वच्छता का ध्यान रखने और भक्तिभाव से शामिल होने का अनुरोध किया गया है

शिव बारात का संदेश: धर्म और भक्ति का संगम

मन्दिर के व्यवस्थापक सूरज प्रकाश ने बताया कि यह आयोजन सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आध्यात्मिक चेतना जागृत करने का माध्यम भी है, शिव की बारात में शामिल होकर भक्तजन धर्म, अध्यात्म और शिव कृपा का अनुभव करेंगे, शहरवासियों के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर होगा, जहां वे भक्ति, प्रेम और उत्साह के वातावरण में डूबकर हर-हर महादेव के जयघोष में शामिल होंगे!

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Chhapra: बाबा मनोकामना नाथ मंदिर का जिर्णोद्धार कार्य निरंतर चल रहा है। महाराष्ट्र से आए हुए कुशल कारीगरों के द्वारा शिखर का कार्य शुभारंभ किया गया।

आचार्य महेश मिश्रा, पुजारी गोपाल मिश्रा, आचार्य सोमू मिश्रा के द्वारा वैदिक मंत्र उच्चारण एवं अरुण पुरोहित धर्म प्रचारक के शंखनाद के साथ पूजन प्रारंभ हुआ। मुख्य जजमान मंदिर समिति के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह मुन्ना ने पूजन किया। 

इस अवसर पर समिति के संस्थापक सचिव अरुण पुरोहित ने समस्त सनातन धर्मावलंबियों से इस पुनीत कार्य में तन मन धन से सहयोग कर बाबा मनोकामना नाथ का आशीर्वाद प्राप्त करने की अपील की।

इस अवसर पर शोभा यात्रा समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह, उपाध्यक्ष संजीव सिंह, माधवेंद्र सिंह,  उदय प्रताप सिंह पप्पू गुप्ता सहित दर्जनों लोग उपस्थित थें। पूरा मंदिर परिसर हर हर महादेव से गूंजायमान हो उठा।

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पटना के 251 मंदिरों एक साथ शिव चर्चा से महाशिवरात्रि महोत्सव का आगाज

पटना:  आगामी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि महोत्सव से पहले सोमवार को पुनाईचक, शास्त्री नगर, शेखपुरा, राजीव नगर, इंद्रपुरी, कुर्जी, दीघा, पाटलीपुत्र, मीठापुर, गर्दनीबाग, चितकोहरा, दानापुर, रुकनपुरा समेत शहर के 251 मंदिरों में एक समय पर शिव चर्चा का आयोजन किया गया। यहां देर शाम तक ढोल, झाल-मजीरे के साथ भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा। इस दौरान श्रद्धालु भी शिवभक्ति में डूबे नजर आए। देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग वर्चुअल माध्यम से भी जुड़े रहे। इसका लिंक श्री श्री महाशिवरात्रि महोत्सव शोभा यात्रा अभिनंदन समिति की ओर से जारी किया गया था।

मुख्य कार्यक्रम पुनाईचक स्थित राधाकृष्ण मंदिर में हुआ जिसमें राज्य सरकार की मंत्री रेणु देवी, अभिनंदन समिति के संयोजक सह विधायक डॉ. संजीव चौरसिया, वैश्विक शिव शिष्य परिवार की अध्यक्ष लवली दीदी, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पूनम दीदी, संजू दीदी और अंजू दीदी समेत सैकड़ों शिवभक्त शामिल हुए।

शिव चर्चा के दौरान कलाकारों की टोली ने किया तप इस कदर हुआ शिव पर असर… शिव नाम जपने की रात आई… जोगी भेष धरकर नंदी पर चढ़कर… मेरा भोला है भंडारी जैसे भजनों की प्रस्तुति से शिवभक्तों को भावविभोर कर दिया। आयोजन में महिला श्रद्धालुओं की भागीदारी सबसे ज्यादा रही। सभी अतिथियों को समिति की ओर से अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डॉ. चौरसिया ने शिव चर्चा के संस्थापक व प्रणेता स्वामी हरिन्द्रानन्द जी (साहेब) को नागरिक सम्मान प्रदान करने का राज्य व केंद्र सरकार से आग्रह किया। उन्होंने सभी शिवभक्तों से 26 फरवरी को अपने-अपने इलाकों से निकलने वाली शोभा यात्राओं में बढ़-चढ़ कर भाग लेने की अपील की। उन्होंने बताया कि सभी शोभा यात्राओं और झांकियों का अभिनंदन खाजपुरा शिव मंदिर परिसर में किया जाएगा।

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