बदरीनाथ धाम, 4 मई (हि. स.)। विश्व प्रसिद्ध श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट रविवार सुबह सेना की गढ़वाल स्काउट रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच बैशाख मास शुक्ल पक्ष सप्तमी,पुष्य नक्षत्र में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।

श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा हुई

कपाट खुलते ही धाम जय बदरीविशाल के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा हुई। इस अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को 40 क्विंटल से अधिक फूलों से सजाया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित 15 हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट खुलने एवं अखंड ज्योति दर्शन के साक्षी रहे।

कपाट खुलने की प्रक्रिया के अंतर्गत रविवार प्रातः साढे चार बजे श्री कुबेर जी ने बामणी गांव से चल कर दक्षिण द्वार से श्रीबदरीनाथ मंदिर परिसर में प्रवेश किया। पांच बजे रावल अमरनाथ नंबूदरी, वेदपाठियों, हक-हकूकधारियों डिमरी पंचायत प्रतिनिधियों सहित अन्यों ने मंदिर परिसर में प्रवेश किया औऱ द्वार पूजा में सम्मिलित हुए। ठीक साढ़े पांच बजे से द्वार पूजा शुरू हो गई और ठीक छ: बजे बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिये गये।

इससे पहले माता लक्ष्मी ने बदरीनाथ मंदिर से अपने मंदिर परिक्रमा स्थित मंदिर में प्रवेश किया और श्रीउद्वव जी श्रीकुबेर जी, श्रीगरूड़ जी श्रीबदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह में विराजमान हो गये। इसके पश्चात भगवान बदरीविशाल को ओढाया गया और घृत कंबल को अलग किया गया । इस दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीविशाल के निर्वाण दर्शन किए।

कुछ देर में 10 बजे भगवान बदरीविशाल का अभिषेक शुरू हो जायेगा। बीकेटीसी की प्रदेश सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से भगवान बदरीविशाल की प्रथम महाभिषेक पूजा की जाएगी। विगत रविवार को श्रीगरूड़ जी, उद्धव जी, श्रीकुबेर जी और आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी सहित गाडू घड़ा तेल कलश श्री बदरीनाथ धाम पहुंच गया था।

दानीदाता श्रद्धालुओं ने और सेना, आईटीबीपी ने भंडारे आयोजित किए
दानीदाता श्रद्धालुओं ने और सेना, आईटीबीपी ने भंडारे आयोजित किए हैं। सीमांत गांव माणा और बामणी की महिलाओं ने परंपरागत भक्तिमय नृत्य संगीत प्रस्तुत किए। इस मौके पर भजनों का भी आयोजन हुआ। आसमान से हैलीकॉप्टर से मंदिर परिसर और श्रद्धालुओं पर फूलों की वर्षा की गई। मंदिर सिंह द्वार पर वेदवेदांग संस्कृत विद्यालय जोशीमठ के छात्रों ने स्वास्तिवाचन किया। इससे पहले 30 अप्रैल को यमुनोत्री, गंगोत्री धाम और 02 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुल चुके हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी देश विदेश के तीर्थयात्रियों को दी शुभकामनाएं
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी देश विदेश के तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं देते हुए चारधाम यात्रा पर आने का भी आमंत्रण दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड चारधाम यात्रा इस वर्ष नये कीर्तिमान स्थापित करेगी। तीर्थयात्रियों को यात्री सुविधाओं के लिए हर संभव कदम उठाये गए हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश और देश की समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण कराए हैं। यह आंकड़ा 25 लाख के करीब है।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) नवनियुक्त अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर सभी तीर्थयात्रियों से कहा कि प्रदेश सरकार तीर्थयात्रियों को बेहतर यात्रा सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। मंदिर समिति तीर्थयात्रियों के हित में बेहतर प्रबंधन करेगी। बीकेटीसी के नव नियुक्त उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती और नवनियुक्त उपाध्यक्ष विजय कपरवाण ने भी बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी है। पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने तीर्थयात्रियों को सरल- सुगम दर्शन करने के लिए मंदिर समिति के लिए पर्यटन विभाग को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। पंजीकरण की जांच एवं टोकन सिस्टम पर जोर दिया है।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि आज ही बदरीनाथ धाम मंदिर परिक्रमा स्थित सभी मंदिरों माता लक्ष्मी गणेश जी, घंटाकर्ण जी, आदि केदारेश्वर श्रीशंकराचार्य मंदिर सहित माता मूर्ति मंदिर माणा, भविष्य बदरी मंदिर सुभाई के कपाट भी खुल गए हैं। पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी ने माता मूर्ति मंदिर माणा तथा पुजारी संजय डिमरी ने भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन के कपाट खोले।

इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के भाई पंकज मोदी, स्वामी सविदानंद,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष/राज्य सभा सांसद महेंद्र भट्ट , जिलाधिकारी संदीप तिवारी, बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल पूर्व रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, राजपुरोहित कांता प्रसाद नौटियाल पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल वेदपाठी रविंद्र भट्ट,बदरीनाथ विधायक लखपत बुटोला,वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद अध्यक्ष रामचंद्र गौड़ एवं बीकेटीसी नवनियुक्त उपाध्यक्ष विजय कपरवाण,दायित्वधारी बलबीर घुनियाल , ठाकुर भवानी प्रताप सिंह,सहित बीकेटीसी पूर्व उपाध्यक्ष किशोर पंवार,सचिव हरिश चंद्र सेमवाल , पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार, उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ डिमरी पंचायत उपाध्यक्ष भास्कर डिमरी, पूर्व सदस्य वीरेंद्र असवाल,हरीश डिमरी ,कृपाराम सेमवाल,श्री बदरीनाथ धाम प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, नायब रावल सूर्यराग नंबूदरी,बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़,ईओ नगर पंचायत सुनील पुरोहित थाना प्रभारी नवनीत उनियाल प्रशासनिक अधिकारी कुलदीप भट्ट, राजेंद्र सेमवाल प्रबंधक अजय सती, संतोष तिवारी कर्मचारी संघ अध्यक्ष विजेंद्र बिष्ट, जगमोहन बर्त्वाल पीताम्बर मोल्फा,विनोद डिमरी पंकज डिमरी, चंडीप्रसाद थपलियाल,अमित बंदोलिया,केदार सिंह रावत, अनसूया नौटियाल आदि मौजूद रहे।

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रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड), 02 मई (हि.स.)। भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ के कपाट बृष लग्न पर सुबह सात बजे वि​धि-विधान के साथ खोल दिए गए।

इस मौके पर सेना की भ​क्तिमयी धुनों और भक्तों के जयकारों समुची केदारपुरी जयकारों से गूंज उठी। लगभग 15 हजार श्रद्धालु कपाटोद्घाटन के साक्षी बने।आज सुहावने मौसम और मंद-मंद हवा के बीच मेरू-सुमेरू पर्वत शृंखला की तलहटी पर मंदाकिनी और सरस्वती नदी के मध्य में विराजमान केदारनाथधाम में तड़के 3 बजे से ही श्रद्धालु जुटने लगे थे।

सुबह पांच बजे तक मंदिर परिसर भक्तों से सरोबार हो गया था। बाबा केदार के जयकारों के बीच सुबह 6ः30 बजे रावल भीमाशंकर और मुख्य पुजारी बागेश लिंग चांदी की प्रभा के साथ मंदिर के द​क्षिण द्वार पर पहुंचे। यहां पर श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्य​​धिकारी विजय प्रसाद थपलियाल और अन्य कार्मिकों ने उनकी अगवानी की।

इसके उपरांत बीकेटीसी के सीईओ ने मंदिर के कपाटोद्घाटन की प्रक्रिया से अवगत कराया। सभी धार्मिक औपचारिकताओं और परंपराओं के निर्वहन के उपरांत सुबह सात बजे बृष लग्न पर भगवान श्रीकेदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए।कपाटोद्घाटन के समय लगभग 15 हजार श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद रहे। इसके उपरांत मदिर के गर्भगृह में मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने भगवान केदारनाथ को समा​धि रूप से जागृत किया और अन्य परंपराओं का निर्वहन किया। लगभग साढ़े आठ बजे से भक्तों को गर्भगृह के दर्शन कराए गए।

इस मौके पर जिला​धिकारी डॉ. सौरभ गहरवार, पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंड़े, उप जिला​धिकारी अनिल कुमार शुक्ला सहित बीकेटीसी के अ​धिकारी और अन्य गण्यमान्य मौजूद रहे।

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उत्तरकाशी, 30 अप्रैल (हि.स.)। अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर बुधवार को उत्तराखण्ड के दो प्रमुख तीर्थ स्थलों — गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इसके साथ ही वर्ष 2025 की चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोनों धामों में कपाटोद्घाटन अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से पहली पूजा संपन्न की। साथ ही देश और प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। यह पहला अवसर था जब कोई मुख्यमंत्री यमुनोत्री धाम के कपाटोद्घाटन में सशरीर शामिल हुआ हो। इस पावन अवसर पर दोनों मंदिरों के ऊपर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी की गई।

धार्मिक परंपराओं के अनुसार, बुधवार सुबह मां गंगा की उत्सव डोली भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर से चलकर गंगोत्री धाम पहुंची। गंगोत्री धाम में विशेष पूजा-अभिषेक के साथ पूर्वाह्न 10 बजकर 30 मिनट पर गंगोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गये। वहीं मां यमुना की डोली शनिदेव महाराज की अगुवाई में शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से चलकर यमुनोत्री धाम पहुंची। धार्मिक विधि- विधान के साथ पूर्वाह्न 11 बजकर 55 मिनट पर यमुनात्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए। कपाट खुलने के अवसर पर देश विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं ने अखंड ज्योति के दर्शन किये तथा गंगा और यमुना में स्नान कर पुण्य अर्जित किया।

गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाटोद्घाटन समारोहों में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मॉं गंगा एवं यमुना के मंदिरों में शीश नवाया और विशेष पूजा-अर्चना की । श्री धामी ने दोनों धामों में पहॅुची लोक देवताओं की डोलियों से भी आशीष प्राप्त किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया है। उत्तराखण्ड के चारधाम देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए आस्था के प्रमुख केन्द्र हैं और इन धामों की यात्रा का सौभाग्य प्राप्त करने की आकांक्षा हर श्रद्धालु के मन में रहती है।मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षित और सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा के लिए राज्य में व्यापक प्रबंध किये गये हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा और सुगमता को ध्यान में रखते सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास किये गये हैं। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा में श्रद्धालु को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिथि देवो भवः की पंरपरा के अनुसार हमारा प्रयास है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालु देवभूमि उत्तराखण्ड से दिव्य धामों के शुभाशीष के साथ ही यात्रा का सुखद अनुभव लेकर जाएं। मुख्यमंत्री ने ग्रीन और क्लीन चारधाम यात्रा के आयोजन के लिए सभी लोगों से सहयोग की अपील भी की है।

गंगोत्री धाम में कपाटोद्घाटन के अवसर पर विधायक सुरेश चौहान, गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल, सचिव सुरेश सेमवाल, पूर्व विधायक विजय पाल सजवाण, भाजपा जिलाध्यक्ष नागेंद्र चौहान, किशोर भट्ट, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट, पुलिस अधीक्षक सरिता डोबाल, अपर जिलाधिकारी पीएल शाह, उपजिलाधिकारी शालीन नेगी, देवानंद शर्मा आदि मौजूद थे।

यमुनोत्री धाम में कपाटोद्घाटन के अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी उत्तरकाशी एस.एल सेमवाल, उप जिलाधिकारी बृजेश कुमार तिवारी, यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष संजीव उनियाल, सचिव सुनील उनियाल खंड विकास अधिकारी नौगांव प्रकाश पंवार भी मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि चार धाम यात्रा के अंतर्गत गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट आज खुल गए हैं। शेष केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को और बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खुलेंगे।

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Chhapra: रामनवमी के अवसर पर रविवार को शहर में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यतर का आयोजन प्रत्येक वर्ष श्री जन्मोत्सव शोभा यात्रा समिति न्यास के द्वारा किया जाता है। शोभायात्रा पंकज सिनेमा के समीप स्थित मंदिर से शुरू हुई। जो दहियावाँ, थन चौक, साहेबगंज, सरकारी बाजार, मौना चौक, कचहरी स्टेशन रोड, योगिनिया कोठी, नगरपालिका चौक, बस स्टैन्ड, दरोगा राय चौक, भगवान बाजार, गुदरी, दौलतगंज, धर्मनाथ मंदिर, कटरा होते हुए पुनः पंकज सिनेमा के समीप पहुँच कर सम्पन्न होगा।    

शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और कार्यकर्ता शामिल हैं। ढोल नगाड़ों के साथ आकर्षक झाँकियाँ भी शामिल की गई हैं। आयोजन समिति के द्वारा शोभायात्रा के लिए कई महीने पूर्व से ही तैयारियां की जातीं हैं। जिससे इसे भव्य स्वरूप मिल सके।

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राम नवमी, यानी वो पावन दिन जब अयोध्या के राजा दशरथ के घर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। हर साल की तरह इस साल भी चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, लेकिन 2025 में ये दिन कुछ ज्यादा ही खास है। क्योंकि इस साल राम नवमी पर 3 दुर्लभ योग बन रहे हैं, जिन्हें शास्त्रों में बेहद शुभ और फलदायी माना गया है।

राम नवमी 2025 कब है?
तिथि आरंभ: 5 अप्रैल 2025, शाम 7:27 बजे
तिथि समाप्त: 6 अप्रैल 2025, शाम 7:24 बजे
राम नवमी मनाने की तिथि: 6 अप्रैल 2025 (शनिवार)
इस दिन चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन भी होगा, यानी मां दुर्गा की पूजा का समापन और श्रीराम के स्वागत का दिन। शक्ति और शांति का अद्भुत संगम।


क्या हैं वो 3 दुर्लभ योग जो इस दिन को बना रहे हैं बेहद शुभ?
रवि पुष्य योग
समय: 6 अप्रैल सुबह 6:18 बजे से 7 अप्रैल सुबह 6:17 बजे तक
इस योग में किया गया कोई भी कार्य कभी विफल नहीं होता। शास्त्रों के अनुसार यह खरीदारी, नया व्यापार शुरू करने और मंत्र सिद्धि के लिए सर्वोत्तम होता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग
समय: 6 अप्रैल को पूरे दिन
यह योग सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। कोई भी शुभ कार्य इस दिन किया जाए, वह सफल और फलदायी होता है।

सुकर्मा योग
समय: 6 अप्रैल को सुबह से शाम 6:55 बजे तक
यह योग कर्म और परिणाम को जोड़ता है। यानी मेहनत करने वाले को उसका फल जरूर मिलता है। इस दिन पढ़ाई, नौकरी, धन निवेश या संकल्प लेना विशेष फल देता है।

राम नवमी के दिन क्या करें?
(पूजा-विधान और नियम)

सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
रामचरितमानस का बाल कांड पढ़ें या सुनें — विशेष रूप से श्रीराम जन्म की चौपाइयां।
तुलसी के पत्तों पर 108 बार “श्रीराम” लिखकर उन्हें भगवान को अर्पित करें — ये साधना भक्त को श्रीराम की कृपा के बहुत करीब लाती है।
घर में कीर्तन, भजन या रामायण पाठ का आयोजन करें।
कुछ ना कुछ दान जरूर करें — जैसे अन्न, वस्त्र या किसी जरूरतमंद की मदद।
इस दिन को आत्मचिंतन, मौन और ध्यान के साथ बिताएं। खुद से जुड़ने और श्रीराम के आदर्शों को समझने का यही दिन है।

इस राम नवमी नई शुरुआत का प्रतीक

राम नवमी सिर्फ जन्मोत्सव नहीं है, बल्कि मर्यादा, संयम और धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा है।
इस साल बन रहे शुभ योग हमें इशारा कर रहे हैं कि जो भी शुभ कार्य शुरू करना हो, यह उसका सबसे सही समय है। चाहे नई नौकरी हो, बिजनेस, पढ़ाई में संकल्प, शादी की बात, या आध्यात्मिक साधना ये दिन हर शुरुआत के लिए बेस्ट मुहूर्त लेकर आया है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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जम्मू, 2 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां वैष्णो देवी धाम पूरी तरह भक्तिमय हो गया है। भवन परिसर, यात्रा मार्ग और आधार शिविर कटड़ा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। भक्तजन मां के जयकारे लगाते हुए टोलियों में माता के दरबार की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड और प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं जिससे भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो।

मां वैष्णो देवी की यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है और बिना आरएफआईडी यात्रा कार्ड के यात्रा की अनुमति नहीं है। इसको लेकर श्राइन बोर्ड ने कटड़ा में सभी पंजीकरण केंद्रों को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया है। ये केंद्र सुबह 4:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुले रहते हैं जहां श्रद्धालु आसानी से अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। कटड़ा के मुख्य बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, अंतरराज्यीय बस अड्डा, निहारिका भवन और कटड़ा हेलीपैड सहित विभिन्न स्थानों पर यात्रा पंजीकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा रात के समय ऑनलाइन पंजीकरण करने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दर्शन ड्योढ़ी और ताराकोट मार्ग के प्रवेश द्वार पर भी पंजीकरण केंद्र बनाए गए हैं।

मां वैष्णो देवी की यात्रा में श्रद्धालु अपने अनुसार विभिन्न तरीकों से यात्रा कर रहे हैं। कुछ भक्त लेटकर या दंडवत प्रणाम करते हुए यात्रा कर रहे हैं जबकि अन्य पैदल, घोड़े, पिट्ठू, पालकी, बैटरी कार, हेलीकॉप्टर और रोपवे का सहारा ले रहे हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तों की भक्ति का अनोखा नजारा देखने को मिल रहा है।

भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए श्राइन बोर्ड ने सभी सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित किया है। इनमें घोड़ा, पिट्ठू, पालकी, बैटरी कार सेवा, हेलीकॉप्टर सेवा और भवन से भैरव घाटी तक चलने वाली रोपवे केबल कार सेवा शामिल हैं। मौसम भी साफ रहने से श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही है।

श्राइन बोर्ड और प्रशासन ने यात्रा के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। यात्रा मार्ग को छह सेक्टरों में विभाजित किया गया है जिनमें कटड़ा आधार शिविर, बाणगंगा, अर्धकुंवारी, सांझीछत, हिमकोटी और भवन परिसर शामिल हैं। हर सेक्टर में श्राइन बोर्ड के डिप्टी सीईओ स्तर के अधिकारी और पुलिस अधिकारी तैनात किए गए हैं ताकि सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद बनी रहे। भवन परिसर और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए भवन परिसर में लगातार अनाउंसमेंट की जा रही है कि जो भक्त मां वैष्णो देवी के दर्शन कर चुके हैं, वे कटड़ा की ओर प्रस्थान करें ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और बाकी श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन का अवसर मिले।

चैत्र नवरात्रि के पहले तीन दिनों में सवा लाख से अधिक श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के दर्शन कर चुके हैं। प्रतिदिन 45,000 से 50,000 श्रद्धालु यात्रा के लिए कटड़ा पहुंच रहे हैं। पहले नवरात्रि (30 मार्च) को 48,802 श्रद्धालु पहुंचे, दूसरे नवरात्रि (31 मार्च) को 45,780 भक्तों ने दर्शन किए, तीसरे नवरात्रि (1 अप्रैल) को शाम 4 बजे तक 24,800 से अधिक श्रद्धालु पंजीकरण करवा चुके थे और यह संख्या लगातार बढ़ रही थी।

चैत्र नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और भक्तिमय माहौल ने मां वैष्णो देवी धाम को पूरी तरह आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया है। प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किए गए बेहतर प्रबंधों के चलते यात्रा सुगम बनी हुई है।

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नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ अवतारों या स्वरूपों की पूजा का प्रसिद्ध त्योहार है। जिसे शक्ति या देवी के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार एक बार वसंत ऋतु के दौरान चैत्र नवरात्रि और शरद ऋतु के दौरान शरद नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। शरद नवरात्रि अश्विन के महीने के दौरान मनाई जाती है जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में आती है। वहीं, चैत्र नवरात्रि हिन्दू कैलेंडर के चैत्र महीने के दौरान मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि आमतौर पर मार्च या अप्रैल महीने में मनाई जाती है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति-देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवां दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है।

नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख को हटाने वाली होता है। नवरात्रि एक प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि का त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है। हिंदी महीनों के मुताबिक पहला नवरात्रि चैत्र महीने में मनाया जाता है और दूसरी बार अश्विन महीने में मनाया जाता है। नवरात्रि नौ दिनों तक निरंतर चलता है जिसमे देवी माँ के अलग अलग स्वरूपों की लोग भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करते हैं। भारत में नवरात्रि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न तरीकों और विधियों के संग मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है। उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।

नवरात्रि पर्व के नौ दिनों के दौरान आदिशक्ति जगदम्बा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। ये नौ दिन वर्ष के सर्वाधिक पवित्र दिवस माने गए हैं। इन नौ दिनों का भारतीय धर्म एवं दर्शन में ऐतिहासिक महत्व है और इन्हीं दिनों में बहुत सी दिव्य घटनाओं के घटने की जानकारी हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों में मिलती है। माता के इन नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है जो इस प्रकार हैं -शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चन्द्रघन्टा, कूष्माण्डा, स्कन्द माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिध्दिदात्री।

नवरात्रि से हमें अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई के जीत की सीख मिलती है। यह हमें बताती है कि इंसान अपने अंदर की मूलभूत अच्छाइयों से नकारात्मकता पर विजय प्राप्ती और स्वयं के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कैसे कर सकता है। भारतीय जन-जीवन में धर्म की महत्ता अपरम्पार है। यह भारत की गंगा-जमुना तहजीब का ही नतीजा है कि सब धर्मों को मानने वाले लोग अपने-अपने धर्म को मानते हुए इस देश में भाईचारे की भावना के साथ सदियों से एक साथ रहते चले आ रहे हैं। यही कारण है कि पूरे विश्व में भारत की धर्म व संस्कृति सर्वोतम मानी गयी है। विभिन्न धर्मों के साथ जुड़े कई पर्व भी है जिसे भारत के कोने कोने में श्रध्दा, भक्ति और धूमधाम से मनाया जाता है। उन्हीं में से एक है नवरात्रि।

नवरात्रि के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है, उसकि पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी-समृद्धि और शांति की देवी की पूजा करने के लिए समर्पित है। आठवें दिन एक यज्ञ किया जाता है। नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन नौ लड़कियों की पूजा होती है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े, वस्तुयें, फल प्रदान किए जाते हैं।

शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।

इस पर्व से जुड़ी एक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने एक भैंस रूपी असुर अर्थात महिषासुर का वध किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया। उसको वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा। महिषासुर ने अपने साम्राज्य का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देख देवता विस्मय की स्थिति में आ गए। महिषासुर ने सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु, चन्द्रमा, यम, वरुण और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए और स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की।

ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और कहा जाता है कि इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गईं थी। इन नौ दिन देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अन्ततरू महिषासुर-वध कर महिषासुर मर्दिनी कहलायीं। नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।

वसन्त की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। ये दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते हैं। त्योहार की तिथियां चन्द्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। यह पूजा वैदिक युग से पहले प्रागैतिहासिक काल से है। नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं। यह पूजा उनकी ऊर्जा और शक्ति की होती है। प्रत्येक दिन दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित हैं।

नवरात्रि के दौरान उपवास करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है। नवरात्रि के दौरान ध्यान, योग और भक्ति करने से मन को शांति मिलती है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। नवरात्रि व्रत का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय। वस्तुत: नवरात्र अंत:शुद्धि का महापर्व है। आज वातावरण में चारों तरफ विचारों का प्रदूषण है। ऐसी स्थिति में नवरात्र का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

(लेखक रमेश सर्राफ धमोरा, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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Chhapra: नहाए खाय के साथ चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज से शुरू हो गया है। चैती छठ में 2 अप्रैल को खरना, 3 अप्रैल को संध्या अर्घ्य और 4 अप्रैल को उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा।

चैती छठ को लेकर बाजारों में रौनक देखी जा रही है। साथ ही अर्घ्य के लिए पूजा घाटों का निर्माण भी शुरू हो गया है। 

 

फाइल फोटो 

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Chhapra: श्री हनुमत प्राण प्रतिष्ठा सह रुद्र महायज्ञ हेतु छपरा जंक्शन परिसर में जल संग्रह का वृहद आयोजन किया गया। जिसमें सारण जिला के सभी प्रखंडों तथा 307 पंचायत से मठ मंदिरों का पवित्र जल पंचायतवासियों के द्वारा मंदिर पर लाया गया। जिनका स्वागत पुष्प वर्षा एवं ढोल ताशे बजाकर किया गया।

पूरा स्टेशन परिसर जय श्री राम, जय हनुमान के नारों से गुंजमान हो गया। राहुल मेहता ने जानकारी दी कि यह बहुत ही पौराणिक समय का सिद्ध मंदिर है और इसका जीर्णोद्धार कर इसी पवित्र जल से हनुमान जी का जलाधिवास 10 अप्रैल 2025 को किया जाएगा तथा यज्ञ 8 अप्रैल को जल यात्रा से शुरू होगा। जिसमे विद्वान आचार्यों के द्वारा प्राण प्रतिष्ठा के कार्य को पूर्ण किया जाएगा।

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नई दिल्ली, 31 मार्च (हि.स.)। देशभर में आज ईद का त्योहार परंपरागत तरीके से धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। लोग एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दे रहे हैं। ईद-उल-फितर के मौके पर सुबह प्रमुख मस्जिदों में नमाज अदा कर मुल्क में अमन और शांति के लिए दुआ मांगी गई।

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की जामा मस्जिद, फतेहपुरी मस्जिद, भोपाल की ईदगाह मस्जिद, पटना के गांधी मैदान, हैदराबाद, लखनऊ, बेंगलुरु, मुंबई और अन्य शहरों और कस्बों में लोगों ने सुबह ईद की नमाज अदा की।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और नोएडा में लगभग सभी मस्जिदों के बाहर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। हरियाणा गुरुग्राम जिले में भी ईद का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया जा रहा है। दिल्ली की जामा मस्जिद में सुबह 6:45 बजे और फतेहपुरी मस्जिद में 7:30 बजे नमाज अदा की गई।

इस दौरान बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले में पूर्व वादी इकबाल अंसारी ने अयोध्या में कहा कि आज का दिन ईद का है। और इसे ईद मिलन कहा जाता है। ईद के त्योहार की हिंदू और मुसलमान दोनों ही एक साथ खुशियां मानते हैं। आज का दिन सभी के लिए शुभ है। हिंदुओं के लिए भी क्योंकि नवरात्रि भी चल रही है। कहीं कोई भेदभाव नहीं है।

दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कल देरशाम अलग-अलग जगहों पर ईद का चांद दिखने का एलान किया था। उन्होंने घोषणा की थी कि रमजान महीने की समाप्ति के साथ सोमवार को देशभर में ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा।

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नई दिल्ली, 30 मार्च (हि.स.)। ईद उल फितर का चांद आज (रविवार को) नजर आ गया है। राजधानी दिल्ली सहित देशभर में चांद के दिखाई देने की तस्दीक की गई है। जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम शाबान बुखारी ने घोषणा करते हुए कहा कि कल यानी सोमवार के दिन ईद का पर्व मनाया जाएगा।

शाही जामा मस्जिद की मर्कजी रुयत-ए-हिलाल कमेटी, शाही मस्जिद फतेहपुरी की मर्कजी रुयत-ए-हिलाल कमेटी, इमारत-ए-शरिया हिन्द की मर्कजी रुयत-ए-हिलाल कमेटी, मर्कजी जमीअत अहले हदीस की मर्कजी रुयत-ए-हिलाल कमेटी ने आज मगरिब की नमाज के बाद चांद देखने की कोशिश की और उन्हें चाद दिखाई पड़ा। इसके अलावा देश भर के अन्य भागों से भी चांद के दिखाई देने की तस्दीक हुई है।

जामा मस्जिद के सैयद शाबान बुखारी ने चांद दिखाई देने की तस्दीक करते हुए घोषणा की कि आज रमजान की 29 तारीख यानी 30 मार्च को ईद का चांद देशभर में नजर आ गया है, इसलिए कल सोमवार 31 मार्च को देशभर में ईद उल फितर का पर्व मनाया जाएगा

उन्होंने सभी देशवासियों को ईद उल फितर की मुबारकबाद भी दी है।

मस्जिद फतेहपुरी के इमाम डॉ मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने भी ईद के चांद के निकलने की तस्दीक करते हुए कल ईद मनाए जाने की घोषणा की है। इमारत-ए-शरिया हिंद के केंद्रीय दफ्तर मस्जिद अब्दुल नबी में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें ईद का चांद देखने का एइतेमाल किया गया। अन्य राज्यों और शहरों से भी चांद के दिखाई देने की की तस्दीक होने के बाद कल सोमवार के दिन ईद मनाने का ऐलान किया गया है।

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देहरादून, 28 मार्च (हि.स.)। उत्तराखंड में 30 अप्रैल से यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। सरकारी स्तर पर यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी बीच केदारनाथ-बदरीनाथ पंडा समाज ने केदारनाथ मंदिर परिसर में वीडियो और रील बनाने पर पूरी तरह रोक लगाने का निर्णय लिया है।

पंडा समाज के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मंदिर परिसर में वीडियो या रील बनाता हुआ पाया गया, तो उसे दर्शन किए बिना ही वापस भेज दिया जाएगा और भविष्य में प्रवेश पर भी रोक लगाई जा सकती है। इस संबंध में प्रशासन को भी पत्र भेजकर सूचना दी गई है।

केदारनाथ सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने बताया कि पिछले साल यात्रा के दौरान वीडियो और रील बनाने वालों की भीड़ बढ़ गई थी। ग्लेशियर के ठीक नीचे, 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम में ढोल-नगाड़ों के शोर के साथ वीडियो शूट किए गए, जिससे उच्च हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और यात्रियों को भी असुविधा हुई।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार केदारनाथ धाम में बैक डोर एंट्री भी पूरी तरह से बंद रहेगी, जिससे मंदिर की पवित्रता और श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित की

जा सके।

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