Chhapra: रंगों का त्यौहार होली मंगलवार को छिटपुट घटनाओ के साथ संपन्न हो चुका है. देश के विभिन्न क्षेत्रों से अपने घर होली मनाने आये परदेशियों का जाना भी शुरू हो चुका है. बुधवार को सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली गाडियों में खड़े होने तक कि जगह नही दिख रही थी. वही सड़कों पर भी छोटी गाड़ियों की संख्या भी अधिक दिख रही थी.

जीविकोपार्जन के लिए देश के विभिन्न राज्यो में जाकर नौकरी करने वाले लोगों का हुजूम छपरा जंक्शन पर दिख रहा है. जक्शन से दोनों ही दिशाओं में जाने वाले लगभग सभी ट्रेन पूर्व से ही यात्रियों से भड़ी पड़ी है. इसके बावजूद भी लोग उसमें बैठ रहे है.

होली पर लगभग सभी अपने घर आते है. परिवार से मिलना और एक दूसरे को रंग गुलाल लगाना समरसता का त्यौहार है. जिससे कोई अछूत नही रहना चाहता. होली के बाद अपने अपने गंतव्य को जाने के लिए जिन्होंने पूर्व में ही अपना टिकट कटा लिया है उन्हें कोई परेशानी नही है लेकिन जिनका टिकट कन्फर्म नही हो पाया है वह टिकट को टकटकी लगाए बैठे है. हालांकि वैसे यात्रियों की संख्या भी अधिक है जिन्होंने अभी टिकट लिया ही नही है. जिसका समाधान करीब 30 मार्च तक नही दिख रहा है.बहरहाल दिल्ली जाने वाले यात्रियों के लिए बस एक विकल्प साबित हो रहा है. लेकिन उसमें भी पूर्व आरक्षण के कारण एक से दो दिनों का समय लगने वाला है.

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Chhapra: रंगो के त्योहार होली पर शहर से लेकर गांव तक लोगों के ऊपर होली का खुमार चढ़ा रहा. शहर में जहां एक और अबीर और गुलाल लगाकर होली मनाई गई वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में देहाती रूप से ठेठ गंवई अंदाज में में होली गीतों को गाकर होली का त्यौहार मनाया गया.

जिले के कई प्रखंडों में होली गीतों का आयोजन टोली बनाकर लोगों ने किया. इसके साथ साथ गोबर की कीचड़ एवं रंगों की होली खेली गई.

इस अवसर पर पुआ, पूरी, गुजिया का आनंद भी लोगों ने जमकर उठाया. शहरी क्षेत्रों में डीजे के धुन पर युवा थिरकते नजर आए. लगभग चारों तरफ रंगो के त्यौहार होली में एकता का माहौल दिखा. सभी ने गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाया साथ ही सुख शांति समृद्धि के लिए भगवान से आशीर्वाद मांगा.

इस अवसर पर मंदिरों में भी अच्छी खासी भीड़ देखी गई जहां महिलाओं ने पूजा अर्चना की.

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Chhapra: सारण जिला वैश्य महासभा के तत्वावधान में छपरा नगर निगम के वार्ड संख्या 33, 34, 35 मौना पंचायत तथा नेवाजी टोला के क्षेत्रों में असहाय तथा निशक्तों के बीच वस्त्र वितरण किया गया.

इस अवसर पर सारण जिला वैश्य महासभा के महासचिव श्याम बिहारी अग्रवाल ने कहा कि सच्ची होली तो ये हैं जिनके पास होली मनाने का साधन नहीं हैं, जो नि सहाय हैं उनके चेहरे पर मुस्कान लाना.

इस अवसर पर पुर्व जिला परिषद राज कुमार गुप्ता उर्फ राजू जी, डाॅक्टर सन्तोष कुमार शर्मा, धर्मेन्द्र साह, सुनील कुमार ब्याहुत, चंदन कुमार, मोहन प्रसाद, सुनील जायसवाल, राजू कुमार ब्याहुत अधिवक्ता, प्रोफेसर सिया शरण प्रसाद, धनेश्वर साहू उपस्थित हुए.

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Chhapra: महाशिवरात्रि के मौके पर छपरा में निकलने वाली शिव बारात शोभा यात्रा की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई है. इस बार मनोकामना नाथ मंदिर से निकलने वाली शिव बारात बेहद भव्य रूप से निकलेगी. बुधवार को मनोकामना नाथ मंदिर समिति के सदस्यों ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी. इस दौरान अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने बताया कि सुबह 10:00 बजे से मनोकामना नाथ मंदिर कटरा, छपरा से बेहद भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी जो छपरा के मुख्य मार्गो से होते हुए पूरे शहर का भ्रमण करेगी.

इन रास्तों से गुजरेगी बारात

यह शोभा यात्रा अस्पताल चौक, मलखाना चौक, रामराज चौक होते हुए नगर थाना चौक, साहेबगंज चौक, मैना चौक, नगरपालिका चौक, राजेंद्र सरोवर पथ होकर दरोगा राय चौक होते हुए, भगवान बाजार, राजेंद्र कॉलेज रोड, गुदरी बाजार धर्मनाथ मंदिर, कटरा बारादरी होते हुए वापस मनोकामना नाथ मंदिर पहुंचेगी.

विशेषताएं

इस शोभायात्रा में भगवान शिव के साथ देवगन, ब्रह्मा, विष्णु महेश, विश्वकर्मा, मां गंगा, माता लक्ष्मी तथा भूत प्रेत राक्षस आदि शिव बारात में चलेंगे. इस दौरान भारत माता, विशाल नदी एवं डमरु पर भगवान शिव की झांकी शोभायात्रा के प्रमुख आकर्षण केंद्र होगी.0आयोजन समिति ने ज्यादा से ज्यादा लोगों कोई शोभायात्रा में शामिल होने के लिए कहा है.

शिव के अनेक रूप
इस बार की शोभायात्रा में अनेक विशेषताएं हैं, जिसमें लोगों को भगवान शंकर के अनेक रूपों का दर्शन होगा. जिसमें विराट स्वरूप के साथ कई वृहद स्वरूप देखने करने को मिलेंगे.  इसके अलावा गोरखपुर और मथुरा से आए कलाकारों द्वारा इस शोभायात्रा में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे इसके अलावा विशेष तौर पर पंकज सिनेमा रोड के समीप कार्यक्रम प्रस्तुति होगी. वहीं विभिन्न चौक चौराहों पर भगवान शिव द्वारा तांडव नृत्य किया जाएगा, जिसे देखने के लिए हजारों लोग जुटते हैं.


छपरा शहर में मनोकामना नाथ मंदिर और राम जानकी मंदिर से शिव बारात निकलती है. दोनों में गाजे-बाजे, हाथी- घोड़े,ऊंट के साथ लाखों लोग शामिल होते हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में आम लोग भी शामिल होंगे.

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Chhapra: शहर के साहेबगंज सोनारपट्टी स्थित रामअयोध्या ठाकुरबाड़ी का नया महंत, रंगनाथ रामानुजा दास जी को बनाया गया. इस मौके पर जिले व राज्य के विभिन्न स्थानों से पहुंचे साधु संतों की मौजूदगी में गुरू पीठाधीश्वर राज्यसभा अयोध्या के स्वामी योगेंद्राचार्य ने रंगनाथ रामानुज दास जी को तिलक लगाकर तथा चादर ओढ़ाकर मंदिर का महंत घोषित किया.

उन्होंने कहा कि ठाकुरबारी के पुराने महंत अवधेश रामानुज दास का देहांत 17 जनवरी को हो गया. उनके बैकुंठोत्सव के उपलक्ष में आयोजित समारोह में नए महंथ के रूप में रंगनाथ रामानुज दास को घोषित किया जा रहा है. इस मौके पर भजन, पूजन तथा कीर्तन का आयोजन किया गया. समारोह में काफी संख्या में साधु संतों के अलावा स्थानीय गणमान्य लोग मौजूद थे.

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Chhapra/Dighwara: आमतौर पर वैवाहिक आयोजनों के पूर्व भगवान को न्योता दिए जाने की परंपरा है. लेकिन जब विवाह स्वयं भगवान की हो तो भक्त ने उसे खास अंदाज देने में जुटे है. नगर पंचायत दिघवारा के चकनूर अवस्थित बाबा गुप्तेश्वरनाथ मंदिर में 21 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव पार्वती विवाह संपन्न होगा.

शिव विवाह शोभा यात्रा समिति द्वारा भव्य शिव बारात निकलेगी. जिसमें झांकी में देवी देवताओं के साथ भूत पिशाच व हजारों श्रद्धालु आस्था भाव से हिस्सा लेंगे. बैंड बाजा, हाथी-घोड़े के बीच जब बारात मंदिर से नगर भ्रमण को निकलेगा तो आस्था का सैलाब उमड़ पड़ेगा. पहले बरात निकलेगी फिर परछावन, जयमाला व विवाह संपन्न होगा.

इस अद्भुत विवाह को लेकर पिछले एक महीने से आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इतना ही नहीं अब तक गुप्तेश्वर नाथ मंदिर से निकलने वाली शिव बारात में जहां श्रद्धालुओं को मौखिक तौर पर निमंत्रण भेजा जाता था, वहीं इस बार आयोजन समिति के सदस्यों ने सर्वसम्मति से निमंत्रण भेजने एक अनोखा तरीका अपनाया है. घर के वैवाहिक आयोजनों में जिस तरीके का कार्ड छपवाया जाता है, वैसा ही कार्ड इस बार आयोजन समिति के सदस्यों ने छपवाया है. जिसमें देवाधिदेव महादेव व जगत जननी माता पार्वती के विवाह का जिक्र करते हुए समस्त श्रद्धालुओं से शोभायात्रा व विवाह में शामिल होने की अपील की जा रही है.

रौशन मिश्रा ने बताया कि भक्तों के घरों तक जो भी कार्ड भेजे जा रहे हैं. उसमें 19 फरवरी को हल्दी कलश व कथा मटकोर व 21 फरवरी को विवाह के कार्यक्रम के साथ सपरिवार शब्द का जिक्र है ताकि सभी श्रद्धालु इस विवाह का हिस्सा बन सके.

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Chhapra: सरस्वती पूजा को मनाने को लेकर उत्साह देखा जाता है. खासकर युवाओं में पूजा को लेकर उत्साह होता है. पूजा की तैयारियों में इन दिनों सभी जुटे है.

शिक्षण संस्थानों, पूजा पंडालों और घरों में सरस्वती पूजा को लेकर तैयारी की जा रही है. मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए है.

छपरा शहर के श्यामचक में मूर्तिकारों के यहाँ मूर्ति ख़रीदने और अपनी मूर्ति को ली जाने के लिए युवा अब जुटने लगे है. छपरा में निर्मित इन मूर्तियों को पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के बलिया, गोरखपुर आदि ज़िलों से लोग ख़रीदने पहुँचते है.

30 को मनायी जाएगी सरस्वती पूजा
इस साल सरस्वती पूजा 30 जनवरी को मनायी जाएगी. पूजा को लेकरशहर के बाज़ारों में भी रौनक़ देखने को मिल रही है. पूजा से जुड़े सामानों की दुकानों के साथ फल मंडी में लोग ख़रीदारी के लिए पहुँच रहे है.

स्कूलों और कोचिंग संस्थानों में ख़ास तैयारी
सरस्वती पूजा मनाने को लेकर स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों, कोचिंग में ख़ास तैयारी की जा रही है. कई स्कूलों के बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाती है. जिसे लेकर बच्चे तैयारी में जुटे है.

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Chhapra (Dharm Desk): माघ कृष्ण पंचमी बुधवार 15 जनवरी काे मकर संक्रांति पर 10 घंटे पुण्यकाल का संयाेग है. नए साल की शुरुअात भी बुधवार से हुई थी थी अाैर संक्रांति भी बुधवार काे है. बुधवार के अधिपति देव बुध हैं. बुध के अाधिपत्य में अाने वाले शिक्षा, सेना, श्रम, कला, शिल्प, साहित्य अाैर कृषि से जुड़े लाेगाें काे सफलता मिलेगी. मकर संक्रांति का संयाेग बनने से साैम्यायन संक्रांति का पुण्य काल सुबह 8.24 से 6.42 बजे तक रहेगा. अाठ घंटे में उत्तरायण हाे रहे सूर्य की पूजा, नदियाें में स्नान, देव दर्शन व दान-पुण्य से विशिष्ट फल मिलेगा.

ज्याेतिषाचार्याें के अनुसार मकर संक्रांति का वाहन खर, उप वाहन मेढ़क हाेने से सीमा पार युद्ध की स्थिति बन सकती है. इस बार एक संयाेग यह भी बन रहा है कि संक्रांति की अवस्था तरुण हाेने से युवाअाें में उत्साह रहेगा अाैर उन्हें राेजगार के नए अवसर मिलेंगे.

इस बार संक्रांति का राशियों पर असर

मेष: ज्ञान में बढ़ाेतरी,
वृषभ: लाभ के साथ घर में कलह भी,
मिथुन: शुभ फल की प्राप्ति, कर्क: सुख संताेष,
सिंह: धन लाभ,
कन्या: शारीरिक कष्ट,
तुला: व्यापार में लाभ,
वृश्चिक: इस्ट सिद्धि व संताेष, धनु: सम्मान प्राप्ति,
मकर: तनाव, यात्रा,
कुंभ: धन लाभ व सुख
मीन: असंताेष.

आचार्य हरेराम शास्त्री के अनुसार मकर संक्रांति के दिन काे तिला संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन से सूर्य उत्तरायण हाे जाते हैं अाैर देवताअाें का प्रात:काल भी अारंभ हाेता है. सत्यव्रत भीष्म ने भी बाणाें की शैय्या पर रहकर मृत्यु के लिए मकर संक्रांति की प्रतीक्षा की थी. मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में मृत्यु हाेने के बाद माेक्ष की प्राप्ति सुगम हाेती है. इसी दिन से प्रयाग में कल्पवास का भी अारंभ हाेता है. शास्त्राें में माता गायत्री की उपासना के लिए इससे बढ़कर अाैर काेई समय नहीं बताया गया है. तिल, गुड़ व वस्त्र दान से ग्रहाें का दुष्प्रभाव कम इस बार संक्रांति के हाथ में केतकी का फूल रहेगा. पुष्प दर्शाता है शिव अाराधना से लाभ हाेगा.

राजनीतिक हलचल तेजी हाेगी. तिल, गुड़ व वस्त्र दान से अनिष्ट ग्रहाें का दुष्प्रभाव कम हाेगा. 2019 में भी 15 जनवरी काे मकर संक्रांति थी. 2020 में भी 15 जनवरी काे मकर संक्रांति मनेगी. 2016 में संक्रांति 15 काे मनाई गई थी. संक्रांति माघ कृष्ण पक्ष की पंचमी पर सिंह में चंद्र, कुंभ लग्न व पूर्वा फाल्गुनी व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में मनेगी. 2021 में 14 जनवरी को मनेगी मकर संक्रांति आचार्य हरेराम शास्त्री की माने तो अगले साल यानि 2021 में 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनायी जायेगी. इस संवत में अधिकमास होने की वजह एवं खगोलीय ज्योतिष कालचक्र के कारण 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनेगी.

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Chhapra: मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा. जिसको लेकर शहर के विभिन्न बाजारों में लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं. तील-तिलकुट, दूध-दही की दुकानों पर खरीदारी के लिए काफी भीड़ हो रही है. कई दुकानों पर अभी सही सामान नहीं मिल रहा है.

शहर के मौना चौक, गुदरी बाजार, साहेबगंज चौक आदि जगहों पर चूड़ा, तिलकुट, गुड़ आदि की खरीदारी जमकर हो रही है. खरीदारी को लेकर हुई भीड़ से दिनभर जाम का नजारा देखने को मिल रहा है. वही शहर के विभिन्न इलाकों में ठेले पर भी लोग खरीदारी कर रहे हैं.

तिलकुट 130 रुपये से लेकर 220 रुपये तक मिल रहा है. वहीं तील दो सौ से लेकर 230 रुपये किलो तक मिल रहा है. गुड़ का तिलकुट 160 रुपये से लेकर 180 रुपये तक मिल रहा है. चूड़ा 30 रुपये किलो, गुड 40 रुपये किलो और बासमती का चूड़ा 100 रुपये किलो तक मिल रहा है.

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Chhapra: क्रिसमस को लेकर शहर के गिरजाघरों को सजाया गया है. क्रिसमस पर छपरा शहर के डाकबंगला रोड स्थित गिरजाघर में सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर प्रार्थना सभा का आयोजन होगा. इसको लेकर गिरजाघर में तैयारी पूरी कर ली गयी है. वही मिशन कंपाउंड स्थित गिरजाघर में भी तैयारी की गयी है.  

गिरजाघर को आकर्षक तरीके से सजाया गया है. प्रभु ईसा मसीह की जयंती को लेकर गिरजाघर में तैयारी की गयी है. प्रार्थना के लिए पहुँचाने वाले लोगों को झांकी भी एखाने को मिलेगी जिसके माध्यम से गौशाला में प्रभु ईसा मसीह के जन्म और माता मरियम को दिखाया गया है.

क्रिसमस या  बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है. यह 25 दिसम्बर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व मे अवकाश रहता है. क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है.

यहाँ देखिये गिरजाघर का आकर्षक VIDEO

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Chhapra: शहर के रामलीला मठिया स्थित श्रीचित्रगुप्त मंदिर के प्रांगण में रविवार को श्री इंद्र चित्रगुप्त ट्रस्ट का वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने कहा कि भारत के निर्माण में कायस्थ समाज का अतुनीय योगदान है. कायस्थ को अपने इतिहास को हमेशा याद रखना होगा. देश के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर भारत के निर्माण में कायस्थ समाज के लोगों ने निस्वार्थ भाव से कार्य किया है. लेकिन वर्तमान में राजनीति दल अपनी क्षमता के आधार पर राजनीति हक नहीं दे रही है. जिसका मुख्य कारण हमारी एकता में कमी है. अपनी प्रतिभा एवं नेतृत्व क्षमता का लाभ समाज के अंतिम आदमी तक नहीं पहुंच पा रहा है. अपनी एकता को मजबूत से पेश करने की जरूरत है.


कायस्थ समाज के आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े हुए लोगों को सहयोग करने की जरूरत है. देश के अन्य प्रदेशों में श्री चित्रगुप्त पूजा में सार्वजनिक अवकाश रहता है लेकिन बिहार में अवकाश नहीं होता है. राज्य सरकार को भी अवकाश की घोषणा करनी चाहिए.

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सामूहिक सह भोज का आयोजन किया गया. सम्मेलन की अध्यक्षता अध्यक्ष दुर्गेश नारायण सिन्हा ने की. इस मौके पर महासचिव विमल कुमार वर्मा, सुरेश प्रसाद श्रीवास्तव, नागेंद्र कुमार वर्मा, जर्नादन प्रसाद श्रीवास्तव, शिवशंकर वर्मा, सुभाष चंद्र श्रीवास्तव, राकेश नारायण सिन्हा, अभिषेक रंजन, अभय कुमार श्रीवास्तव, हरिकिशोर प्रसाद श्रीवास्तव, हरिशंकर प्रसाद श्रीवास्तव, गुंजेश्वर कुमार वर्मा, प्रमाेद रंजन सिन्हा, मनोज कुमार, अनिता कुमारी, योगेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे.

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Rivilganj: कार्तिक पूर्णिमा के दिन रिविलगंज के गंगा, सरयू नदी में स्नान का अलग ही महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर महर्षि गौतम और श्रृंगी की भूमि पर प्रत्येक वर्ष मेला लगता है. दिन प्रतिदिन मेले की ख्याति जरूर बढ़ी है साथ ही साथ इससे जुड़े तथ्यों के आधार पर लोगो की भीड़ भी बढ़ी है. लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस मेले का स्वरूप नही बदला.

प्रतिवर्ष उद्घाटन के दौरान जिला प्रशासन और राजनीतिक वक्ताओं द्वारा विकास को लेकर लाख दावे किए जाते है लेकिन बावजूद इसके यह मेला अब सिमटता जा रहा है.

गोदना-सेमरिया मेलें में दिखती है सामाजिक सांस्कृतिक झलक 
यहाँ आने वाले लोग और सामाजिक सांस्कृतिक की झलक गोदना-सेमरिया मेलें में ही देखने को मिलती है. मोक्ष दायिनी गंगा एवं मानस नंदिनी सरयू नदी के पावन पवित्र संगम तट पर अवस्थित नगर पंचायत रिविलगंज का इतिहास काफी पुराना है. इस क्षेत्र का वर्णन धार्मिक ग्रंथो में विद्यमान है.

रिविलगंज मुगलकाल एवं ब्रिटिश काल में प्रमुख व्यवसायिक केंद्र के रूप में चर्चित था. गोदना सेमरिया के नाम से प्रसिद्ध इस मेले के संदर्भ में अनेकों दंत कथा एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार न्याय शास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम ऋषि की पत्नी आहिल्या का उद्धार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम द्वारा जनकपुर जाने के क्रम में किया गया था. उसी दिन से यहाँ से जाने के साथ ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन से मेला लगता है.

स्थानीय बुजुर्ग बताते है कि यहां भगवान श्रीराम ने अपने चरण रज से आहिल्य्या का उद्धार किया था. जिसके कारण यहां की महत्ता आज भी बरकरार है. यह क्षेत्र हनुमान जी के ननिहाल से भी जाना जाता है. इसके अलावे भगवान श्री राम समेत तीनों भाईयो के अवतार से जुड़ी हुई है. राम चरित मानस में इसकी चर्चा है कि सरयू नदी के घाट पर ही वेदज्ञ महर्षि ऋषि राज श्रृंगी ऋषि ने पुत्रेश्टियज्ञ कराया था इस को लेकर भी यह मेला लगता है.

जिसके कारण लाखो श्रद्धालु मोक्ष की प्राप्ति हेतु पवित्र स्नान कर दान पुण्य एवं पूजा अर्चना करते है. कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पूर्व श्रद्धालु आकर यहाँ कल्पवास करते है तथा अगले दिन नदी में स्नान करते है.

जिला प्रशासन द्वारा नगर पंचायत के सौजन्य से यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रात्रि विश्राम, शौचालय, रौशनी की व्यवस्था की जाती है. लेकिन धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार ना होने से इसके प्रति लोगो का आकर्षण कम है.

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File Photo

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