शनि 30 वर्ष के बाद अपने राशि कुम्भ राशि में प्रवेश करेगे.  शनि के प्रवेश के बाद कुंडली के बारह राशियों में तूफान मचेगा.  न्याय के देवता शनि इंसान के अपने कर्म के अनुसार फल देते है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि जब कुम्भ राशि में प्रवेश करेगे जिससे पंचमहापुरुष योग बन रहा है. साथ में शश योग बन रहा है.

शनि के बारे में लोगो का गलत धरना बन जाता है कही शनि का यह गोचर मुझे परेशानी करेगा.  आप यह जानकारी रखे शनि जातक को विशेष लाभ देता है. सिर्फ अपने कर्म ठीक रखे कुछ राशियों पर साढ़े साती का प्रभाव खत्म होगा किसी का साढ़ेसाती खत्म होगा कई राशि पर साढ़ेसाती लगेगे तो कुछ राशि पर ढैया का प्रभाव प्रारंभ होगा.

कब करेगे गोचर :
17 जनवरी 2023, रात्रि 08 : 02 दिन मंगलवार मकर राशि से निकलकर कुम्भ राशि में गोचर करेगे.

शनि के इस गोचर से चन्द्र कुंडली के बारह राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

मेष राशि :
मेष राशि में शनि दशम भाव तथा एकादस भाव का स्वामी है शनि इस राशि में एकादस भाव में गोचर कर रहे है जिसे आय खूब बनी रहेगी विभिन्न- विभिन्न जगहों से एमका सप्तम दृष्टि 
पंचम भाव में होने से साइंस शिक्षा करने वाले को सफलता मिलेगा. संतान के शिक्षा में रुकावट बनेगा। दसवी दृष्टि आठवे भाव में होने के कारण स्वास्थ में बाधा उत्पन करेगा.

वृष राशि :
इस राशि के शनि नवम एवं दसम भाव के स्वामी होकर दसम भाव में ही गोचर करेगे जिसे भाग्य भाव से निकलकर दसम भाव कर्म भाव को देखेगे जिसे उतम फल की प्राप्ति होगी.
विजय प्राप्त होगा .लोहे ,केमिकल मेडिसिन के व्योपार करने वाले लोगो को उतम लाभ मिलेगा. काम के विषय में विदेश यात्रा बनेगा.इनकी तीसरी दिर्ष्टि बारह भाव पर पड़ेगा खर्च
बढ़ जायेगा.सातवी दिर्ष्टि चौथे घर पर होने से माता तथा भौतिक सुख में कमी करेगा. परिवारिक जीवन में कमी बनेगा.

मिथुन :
इस राशि में शनि अष्टम भाव तथा नवम भाव के स्वामी होकर शनि नवम भाव में गोचर करेगे. जिसे शनि की ढैया से मुक्ति होंगे यात्रा बनेगी.आय में उतार चढ़ाव बनेगा .भाई बहन
के सुख का अभाव बना रहेगा.जो लोग नौकरी कर रहे है उनको स्थान्तरण होगा. कर्ज काम होंगे, पेट सम्बंधित समस्या होगा विरोधी परास्त होंगे.

कर्क
इस राशि शनि सप्तम तथा अष्टम भाव के स्वामी होकर शनि अष्टम भाव में गोचर कर रहे है जिसे इस राशि के लोगो को शनि के ढैया शुरु होंगे जिसे ससुराल पक्ष से मदद मिलेगा .
लेकिन इसमे कुछ बाधा बनेगा लेकिन आप सफल होंगे. आयु में वृद्धि होगी नौकरी में बदलाव होगा .गुप्त विद्या का गायन होगा व्योपार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा .कुटुम्ब सुख में कमी
बनेगा.छात्रो के पढाई में कठिन परिश्रम करना पड़ेगा .संतान को लेकर कुछ चिंतित रहेगे .

सिह
इस राशि में शनि छठे भाव तथा सप्तम भाव के होकर सप्तम भाव में गोचर कर रहे है जिसे पत्नी के साथ संबध मधुर बनेगा .जो लोग अविवाहित है विवाह जल्द होगी .व्योपार में
सफलता मिलेगी जितना निवेश करे उतना लाभ होगा .स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा .मकान तथा वाहन की खरीदारी करसकते है कंस्ट्रक्शन के काम होने का उम्मीद है .माता के सुख में कमी बनेगा. घर के खर्च में वृद्धि होगी .

कन्या :
इस राशि में शनि पंचम तथा छठे भाव को होकर छठे भाव में गोचर कर रहे है .जिसे शनि आपको शक्तिशाली बनाएगा .विरोधी परास्त होंगे .विजय की प्राप्ति होगी .पेट सम्बंधित समस्या
बनेगा .खर्च पर नियंत्रण करे कर्ज बढ़ जायेगे .भाई बहनों के सुख में कमी बनेगा ,विदेश यात्रा का योग बनेगा ,बेवजह के बात में नहीं उलझे .

तुला:
इस राशि में शनि चौथे तथा पंचम भाव को होकर पंचम भाव में गोचर कर रहे है जिसे शनि की ढैया समाप्त होगा जिसे आप समस्या से मुक्त होंगे. शिक्षा उतम रहेगा .जो लोग साइंस की
शिक्षा कर रहे है उनके लिए उतम रहेगा .संतान सुख उतम बना रहेगा.लेकिन कड़ी मेहनत करना पड़ेगा .आप कर्ज ज्यादा नहीं बढ़ाये सामाजिक रिश्ता मजबूत बनेगा .दाम्पत्य जीवन में उतार -चढ़ाव बनेगा. आप अपने प्रेमी के साथ संबंध ठीक रहेगा इस राशि के लोग प्रेम विवाह होने का प्रबल योग बन रहा है .सभी मनोकामना पूर्ण होंगे .मन प्रशन्न बना रहेगा .

वृश्चिक:
इस राशि में शनि तीसरे तथा चर्तुथ भाव के होकर चर्तुर्थ भाव में गोचर करेगे जिसे आपके राशि में शनि का ढैया की सुरुआत हो जायेगा .जिसे पारिवारिक दुरी बन जाएगी.माता का
सुख मिलेगा स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या बनेगा .पेट कमर तथा घुटने में समस्या बनेगा .पिता के स्वास्थ्य प्राभवित रहेगा .व्योपारी अपने व्योपार पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है .
करियर के लिए उतम रहेगा स्थान का परिवर्तन हो सकता है .किसी भी पेपर पर हस्ताक्षर करने के पहले पढ़ कर करे थकान ज्यादा बनेगा.

धनु :
इस राशि में शनि दुसरे तथा तीसरे भाव के स्वामी होकर तीसरे भाव में गोचर कर रहे है जिसे इस राशि पर शनि का साढ़ेसाती पूर्ण रूप से खत्म हो जायेगे .जिसे सभी भाग्य के दरवाजे
खुल जायेगे .जिस काम को आप करेगे उसमे सफलता मिलेगी .सभी लोग आपके काम में सहयोग करेगे .आप पराक्रमी होंगे साहसी होंगे भाई -बहन का सुख मिलेगा ,छात्रो को
सफलता मिलेगी.लव अफेयर में सफलता मिलेगी संतान का सुख प्राप्त होगा .लम्बी यात्रा बनेगी .जो लोग विदेश जाने के तैयारी कर रहे है उनको सफलता मिलेगी .

मकर :
इस राशि में शनि प्रथम तथा दुसरे भाव के स्वामी होकर दुसरे भाव धन तथा कुटुम्ब भाव में गोचर करेगे जिसे शनि का साढ़ेसाती का दूसरा चरण समाप्त होकर तीसरे चरण की शुरुआत
होगा जिसे इस राशि वाले को मिलाजुला परिणाम मिलेगा.जीवन में तनाव बनेगा .कुटुम्ब का सुख माध्यम का रहेगा .अपनी वाणी पर नियंत्रण में रखे .आर्थिक स्थिति ठीक रहेगा .
पेट सम्बंधित समस्या बनेगा.परिवार में मान-प्रतिष्ठा भरपुर मिलेगा .समाज में सम्मान भरपुर मिलेगा .खर्च पर ध्यान दे आपको बचत अच्छी होगी .जो लोग नौकरी कर रहे है उनके लिए उतम रहेगा .

कुम्भ :
इस राशि में शनि बारह तथा प्रथम भाव के स्वामी होकर प्रथम भाव को देख रहे है .जिसे इस राशि वाले लोग को शनि का साढ़ेसाती का प्रथम चरण समाप्त होगा तथा दुसरे चरण की
शुरुआत करेगे.अपने दैनिक कार्य को ठीक ढंग से करना पड़ेगा .आपका कर्म ठीक होगा तथा उसमे सफलता मिलेगी .आपके करियर के लिए यह समय उतम रहेगा.भाई बहनों के
सुख मिलेगा.परिवार आपका सम्मान मिलेगा .पत्नी के साथ संबंध में दुरी बनेगी . व्योपारी के लिए यह समय उतम का रहेगा .

मीन :
इस राशि में शनि का एकादस तथा बारह भाव के होकर बारह भाव में गोचर करेगे जिसे इस राशि के लोगो को शनि की साढ़ेसाती की प्रथम चरण की शुरुआत होगा जिसे इस राशि को अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना पड़ेगा .कमर के निचे भाग को प्राभवित करेगा .आलस बनेगा,नींद ज्यादा लगेगा कोर्ट कचहरी के कार्य में ज्यादा खर्च होंगे लेकिन विजयी होंगे धन सम्बंधित समस्या बनेगा.जो लोग विदेश यात्रा करने की तैयारी कर रहे है वह सफल होंगे .आप सही रस्ते चलिए आपका सभी कार्य पूर्ण होगा .रास्ते ख़राब होगा बहुत परेशानी होगी .

साभार ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष ,वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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सबके मन में बहुत ही संशय बना हुआ है कब मनाया जायेगा. ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा के अनुसार मकर संक्रांति (खिचरी) हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. भारत में इसे अलग -अलग स्थानीय नाम से जाना जाता है.

हर साल संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाता है इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है. दिन भी बड़ा होने लगता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते है इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति नाम से जाना जाता है. भगवान सूर्य अपने पुत्र की राशि कुम्भ राशि के घर में गोचर करते है.

धार्मिक तथा सांस्कृतिक आधार के अनुसार सूर्य का राशि परिवर्तन बहुत ही शुभ होता है.  इस दिन से मांगलिक कार्य जैसे भवन निर्माण, गृह प्रवेश, विवाह तथा अन्य धार्मिक कार्य की शुरुआत हो जाता है.

अन्य कथा के अनुसार भगवान विष्णु की विजय की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य से तथा पूजन करे. इस दिन दिन पुण्य करने से कष्ट दूर होते है. जिनके कुंडली में पितृ दोष बना हुआ है या जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर है वह लोग इस दिन दान करे तो दोष दूर होता है तथा भगवान सूर्य की इनके उपर कृपा बन जाता है. इस दिन तिल तथा गुड़ खाने का विशेष महत्व रहता है. तिल गुड खाने से शरीर में गर्मी बना रहता है साथ ही अन्य पोषक तत्व मिल जाता है. तील खाने से मैग्नीशियम की मात्र ज्यादा पाया जाता है.

मकर सक्रांति का शुभ समय
14 जनवरी 2023, दिन शनिवार समय 08: 57 रात्रि, धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगे. (मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जायेगा) कारण यह है की रात्रि में सूर्य का गोचर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में परिवर्तन कर रहे है. इसलिए उदिया तिथि के अनुसार 15 जनवरी 2023 को मनायी जायेगी.  मकर संक्रांति का महापुण्य काल 15 जनवरी 2023 दिन रविवार सुबह 06 :37 से 08:26 सुबह अवधि 01:48 मिनट तक है. 

साभार ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष ,वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/95455290847

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14 जनवरी को सूर्य शनि की राशि मकर राशि में गोचर करेगे. सूर्य के गोचर के बाद खरमास की समाप्ति होगी तथा इस दिन से सभी शुभ कार्य होने लगते है जैसे विवाह, गृहप्रवेश इस दिन से देवताओ का दिन शुरु हो जाता है. सूर्य नव ग्रहों का मंत्री है इनका गोचर बहुत ही जीवन पर प्रभावित करते है. वैज्ञानिक तरीके से देखा जाये तो सूर्य हमारे शरीर में स्कीन सम्बंधित समस्या तथा खून के संचार में सहायक होते है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य कमजोर होने के कारण नेत्र सम्बंधित समस्या तथा आलसी, क्रोधी, लम्बे कद वाला बनाता है सूर्य जन्म कुंडली में उच्च का रहे तो जातक यशस्वी होते है बलवान, बड़े अधिकारी, निरोगी, परोपकारी, साहसी माता -पिता के सहायक होते है. सूर्य के गोचर से तीन राशि के भाग्य उदय होंगे. मिलेगा इन राशियों के करियर में लाभ.

वृष:
इस राशि में भगवान भास्कर चौथे भाव के स्वामी होते है अब यह नवे भाव को देखेगे जिसे जातक के आत्मविश्वास बढेगा, आस्तिक, धार्मिक, यशस्वी तथा कीर्ति की प्राप्ती मिलेगी. आपका मान सम्मान भरपुर बना रहेगा. आपका साहस और पराक्रम भी बढ़ा हुआ रहेगा आपके करियर में तरक्की होगी इनका सातवा दृष्टि तीसरे भाव पर होगा जिसे भाई का सुख मिलेगा, धार्मिक यात्रा होगी. भरपुर सुख मिलेगा, बड़ो का आशीर्वाद मिलेगा. यह अवधि आपके करियर से लेकर स्थाई सम्पति तक भरपुर लाभ मिलेगा. 

सिह:
इस राशि में सूर्य लग्नेश में रहते है.इस भाव में छठे भाव में गोचर कर रहे है जिसे इस भाव में रोग ,शत्रु ,मामा का घर, कर्ज, शत्रु को देखा जाता है. इस भाव में गोचर करने से इस राशि को बलवान बनाएगा तथा शत्रु पर विजय मिलेगा, नये नौकरी के कई अवसर मिलेगे. सूर्य का सातवा दिर्ष्टि बारह भाव पर पर रहा है जिसे व्योपारी के लिए उतम रहेगा जो लोग आयात निर्यात से जुड़े हुए है उनके लिए फायदेमंद रहेगा.सरकारी कार्य में जो लोग संलगन है उनके लिए यह गोचर बेहतर रहेगा .जो लोग कोर्ट कचहरी के के काम में लगे हुए है उनके लिए फायदेमंद
रहेगा .

वृश्चिक:
इस राशि में सूर्य दशम भाव के स्वामी होते है इस भाव से जातक को नौकरी बिजनेश का पता चलता है इस भाव में सूर्य तीसरे घर में गोचर कर रहे है जिसे भाई -बहन का सुख, आपका साहस का देखा जाता है. इस अवधि में यात्रा बनेगा इससे लाभ मिलेगा यश प्राप्त करेगे निडर होंगे तथा साहसी होंगे दुसरे के सहायता करेगे जो लोग सरकारी नौकरी की तैयारी के रहे है उनको सफलता मिलेगा.धार्मिक कार्य में रूचि बनेगा. आपके भाग्य साथ देंगा.

 

साभार ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष ,वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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वाराणसी:  नव वर्ष 2023 के पहले दिन रविवार को घने कोहरे और भीषण ठंड के बावजूद धर्म नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा सहित प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए युवाओं की भारी भीड़ जुटी रही। भोर से ही युवा और आस्थावान नागरिक गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर बाबा विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा, कालभैरव के दर्शन पूजन के लिए कतारबद्ध होते रहे। दिन चढ़ने के बाद भी घने कोहरे की चादर शहर को अपने आगोश में लपेटे रही। इसके बावजूद युवा नई उम्मीद और पूरे जोश के साथ दर्शन पूजन कर साल के पहले दिन की शुरूआत करते रहे।

इस दौरान युवाओं में बाबा विश्वनाथ, कालभैरव, अन्नपूर्णा, संकटमोचन दरबार के प्रति श्रद्धा गंगा की मौजों की तरह उफान मारती रही। दुर्गाकुण्ड स्थित कुष्मांडा दरबार, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विश्वनाथ मंदिर, लक्ष्मीकुंड स्थित लक्ष्मी मंदिर, सारनाथ स्थित सारंग महादेव दरबार, रोहनिया स्थित शूलटंकेश्वर महादेव, दुर्गाकुंड स्थित त्रिदेव मंदिर में युवाओं की भीड़ दर्शन पूजन के लिए जुटी रही। नये साल का गर्मजोशी से स्वागत के बाद युवाओं ने गंगाघाटों के साथ उस पार रेती में, सारनाथ, बीएचयू परिसर, माल्स और सार्वजनिक पार्को में जमकर मस्ती की। युवाओंं के भीड़ को देखते हुए नगर के सभी सार्वजनिक जगहों पर सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया था।

सारनाथ में पुरातात्विक खंडहर परिसर, चौखंडी स्तूप, मूलगंधकुटी बौद्ध मंदिर परिसर, डियर पार्क, आशापुर चौराहा, हवेलिया चौराहा पर पुलिस कर्मी मुस्तैद नजर आये। गंगाघाटों पर बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने नववर्ष के पहले दिन सजे-धजे बजड़ों, स्टीमर और नावों पर सवार होकर नौकायन का आनन्द लिया। गंगा उस पार रेती में भी नव वर्ष मनाने के लिए लोग परिवार के साथ जुटे रहे। रेती पर लोगों ने बच्चों के साथ घुड़सवारी का जमकर आनन्द उठाया। नगर के सभी माल्स में स्थित सिनेमाघर युवाओं के चलते हाउसफुल नजर आये। शहर में आटो चालक अपने वाहनों को सजाकर गुब्बारे लगा चल रहे थे। सड़कों पर भी चूने से लिखकर आंग्ल नववर्ष 2023 का स्वागत किया गया।

आंग्ल नव वर्ष के पहले दिन जमकर बिका गुलाब और फूलों का गुलदस्ता

नव वर्ष के पहले दिन रविवार को नगर में जगह-जगह अस्थायी फूलों, गुलदस्तों की दुकान सजी थी। इंग्लिशिया लाइन और बांसफाटक स्थित फूल बाजार में फूलों के राजा गुलाब, बुके और गेंदा को खरीदने के लिए फुटकर विक्रेताओं का आना-जाना दिन भर लगा रहा। विदेशी फूल भी युवाओं ने जमकर खरीदा और इसे उपहार के रूप में दिया। न्यू कपल्स की पहली पसंद देसी गुलाब के साथ अमेरिकी गुलाब, इसके गुलदस्ते व बुके बनी रही। नव वर्ष पर चौतरफा हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच हैप्पी न्यू ईयर का शोर सुनाई देता रहा। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर भी नव वर्ष की बधाई का तांता लगा रहा रहा। लोग अपने मित्रों और परिचितों को नववर्ष की बधाई देते रहे।

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पटना: नव वर्ष के पहले दिन रविवार को पटना सहित प्रदेश के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पटना के महावीर मंदिर में अहले सुबह से भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया। मंदिर में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही।

भक्त अपनी बारी आते ही बजरंगबली समेत तमाम देवी-देवताओं का दर्शन किया। इस दौरान जय श्री राम के उद्घोष से पूरा मंदिर भक्तिमय हो गया। मंदिर में भक्तों का उत्तरी प्रवेश द्वार से प्रवेश प्रातः पांच बजे शुरू हुआ। महिला और पुरुष भक्तों की अलग-अलग पंक्तियां बनाई गईं थी। ठंड के बाद भी पटना के महावीर मंदिर समेत अलग-अलग मंदिरों में श्रद्धालुओं का पहुंचना नववर्ष पर दिनभर बना रहा।

महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि सुबह पांच बजे ही भक्तों ने मंदिर में दर्शन करना शुरू कर दिया था। श्रद्धालुओं का आना लगातार जारी है। रात 11 बजे तक मंदिर का पट खुला रहेगा। नए साल को लेकर मंदिर प्रशासन की तरफ से तमाम व्यवस्था की गयी है। महावीर मंदिर में भक्त खुद व्यवस्था के साथ चलते हुए भगवान का दर्शन करते हैं। इसीलिए किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है।

दूसरी ओर पटना सीटी के पटन देवी मंदिर को खूबसूरत फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था। यहां दूर-दराज से भक्तगण पूजा दर्शन के लिए पहुंचे थे। सुबह से ही पूजा दर्शन करने के लिए महिला-पुरुष बच्चों का तांता लगा रहा। शनिवार की रात से ही मंदिरों को रंग-बिरंगी रोशनी और खूबसूरत फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था। रविवार की सुबह से ही ठंड के बीच भक्तगण मंदिर में पूजा दर्शन के लिए पहुंचे।

मंदिर के महंत ने बताया कि पिछले दो सालों के कोरोना काल के बाद इस वर्ष मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है। रविवार की सुबह एक जनवरी को लेकर नव वर्ष को मनाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। उन्होंने बताया कि इससे पहले मंदिर को फूलों से सजाया गया। सुबह से ही शंखनाद, मंत्रोच्चारण के साथ माता के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की लंबी लंबी कतारें देखी जा रही है।

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24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ कलश यात्रा के साथ हुआ प्रारंभ

Chhapra: शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण कथा गायत्री शक्तिपीठ पुरानी पुलिस क्लब सलेमपुर छपरा के प्रांगण में 31 दिसंबर 2022 से 6 जनवरी 2023 तक चलेगा. शनिवार को हजारों की संख्या में महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली जो छपरा शहर के प्रमुख मार्गो से होकर यज्ञ स्थल पर पहुंची.

शोभायात्रा में विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र के साथ सम्मिलित महिलाएं हम बदलेंगे युग बदलेगा हम सुधरेंगे युग सुधरेगा गूंजायमान कर रही थी.

शोभायात्रा के माध्यम से समस्त छपरा वासियों को कार्यक्रम में आने का निमंत्रण दिया गया. 1 जनवरी रविवार को प्रातः 7:00 बजे से यज्ञ हवन का कार्यक्रम प्रतिदिन होगा और संध्या 5:00 बजे से कथा प्रवचन का कार्यक्रम चलेगा. 5 जनवरी गुरुवार को संध्या 7:00 बजे दीप यज्ञ होगा.

6 जनवरी 2023 शुक्रवार को पूर्णाहुति एवं विशाल भंडारा का आयोजन है.हरिद्वार से आए हुए संतों का प्रवचन होगा. समस्त कार्यक्रम की जानकारी गायत्री शक्ति पीठ के पुजारी बजरंगी प्रसाद ने दी.

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बद्रीनाथ/जोशीमठ: बद्रीनाथ धाम में एकबार फिर मौसम ने करवट बदली है। जोरदार हिमपात के बाद कड़ाके की ठंड बढ़ गई है।

बद्रीनाथ धाम सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बीती रात्रि से मौसम ने करवट बदलना शुरू कर दिया, सुबह होते बद्रीनाथ धाम सहित नीती- माणा घाटियों में भी हिमपात शुरू हो गया।

बद्रीनाथ धाम में हिमपात के साथ कड़ाके की ठंड तो हुई लेकिन बद्रीनाथ पहुंचे तीर्थ यात्रियों ने बर्फबारी को नजदीक से देख सुखद अनुभव भी किया।

बद्रीनाथ पहुंची उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने भी बर्फबारी व कड़ाके की ठंड के बीच भगवान बद्रीविशाल के दर्शन व पूजन किए।

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देहरादून: बदरीनाथ धाम में अब तक 16 लाख 89 हजार 563 तीर्थ यात्री दर्शन कर चुके हैं। चारधाम में कुल 43 लाख 63 हजार से अधिक यात्री पहुंचे हैं। बदरी धाम के कपाट शीतकाल के लिए 19 नवम्बर को बंद हो जाएंगे, जबकि केदारनाथ, गंगोत्री,यमुनोत्री के कपाट अक्टूबर माह में ही बंद हो गए।

बदरी-केदार मंदिर समिति के मुताबिक 02 नवम्बर रात्रि तक कुल 2069 तीर्थ यात्री धाम में पहुंचे। इस साल के यात्रा में बदरीनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि 8 मई से 2 नवंबर तक 16 लाख 89 हजार 563 लोगों ने दर्शन किए। बदरीनाथ धाम में सर्दी बढ़ी है। फिलहाल मौसम सामान्य। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग सुचारू है। 02 नवंबर तक उत्तराखंड चारधाम पहुंचे तीर्थयात्रियों की संख्या 43 लाख 63 हजार 45 पहुंच गई है।

केदारनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि 6 मई से 27 अक्टूबर कपाट बंद होने तक 15 लाख 63 हजार 278 लोग पहुंचे हैं। कपाट बंद होने तक इनमें से हेलीकॉप्टर से आने 15 लाख 1 हजार 795 तीर्थयात्री शामिल हैं। नवंबर तक बदरीनाथ-केदारनाथ कुल 32 लाख 52 हजार 841यात्री पहुंचे हैं।

यमुनोत्री धाम कपाट खुलने की तिथि 3 मई से 27 अक्टूबर कपाट बंद होने तक तक 4 लाख 85 हजार 688 लोग और गंगोत्री धाम कपाट खुलने की तिथि 3 मई से 26 अक्टूबर कपाट बंद होने तक 6 लाख 24 हजार 516 लोग धाम में तीर्थ यात्री दर्शन को पहुंचे। गंगोत्री-यमुनोत्री दोनों धामों में कुल पहुंचे यात्रियों की संख्या 11 लाख 10 हजार 204 है।

हेमकुंट साहिब-लोकपाल तीर्थ पहुंचे तीर्थयात्रियों की संख्या कपाट खुलने की तिथि 22 मई से 10 अक्टूबर कपाट बंद की तिथि तक 2 लाख 47 हजार है। चारधाम और हेमकुंट साहिब लोकपाल तीर्थ को मिलाकर कुल तीर्थयात्रियों की संख्या 46 लाख 33 हजार 45 है।

कपाट बंद होने की तिथियां:- बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार 19 नवंबर को बंद होंगे। केदारनाथ धाम 27 अक्टूबर, यमुनोत्री धाम 27 अक्टूबर और गंगोत्री धाम के कपाट 26 अक्टूबर को शीतकालीन बंद हो गए।

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पटना: छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार को अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा होगी। इसके बाद सोमवार सुबह उदयीमान सूर्य नारायण को अर्घ्य देने के बाद चार दिनों के अनुष्ठान के इस महापर्व का समापन हो जाएगा। गुप्त काल से ही छठ महापर्व का त्योहार मनाया जा रहा है।

पटना स्थित महावीर न्यास के आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि गहन अध्ययन के बाद यह पता चलता है कि गुप्तकालीन जो सिक्के मिले हैं, उनमें षष्ठीदत्त नाम का सिक्का भी मिलता है। पाणिनी ने जो नामकरण की प्रक्रिया बताई है, उसके अनुसार देवदत्त, ब्रह्मदत्त और षष्ठीदत्त इन शब्दों का अर्थ इस प्रकार लगाया जाता है: देवदत्त का मतलब देवता के आशीर्वाद से जन्म होना, ब्रह्मदत्त का मतलब ब्रह्मा के आशीर्वाद से और षष्ठी देवी के आशीर्वाद से जन्मे हुए पुत्र षष्ठीदत हुए।गुप्त काल में षष्ठीदत नाम का प्रचलन था। इससे प्रमाणित होता है कि छठी मैया की पूजा उस समय भी होती थी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध इतिहास को वासुदेव शरण अग्रवाल ने अपनी पुस्तक पाणिनिकालीन भारतवर्ष में बताया है।A valid URL was not provided.

मिथिला के प्रसिद्ध निबंधकार चंडेश्वर ने 1300 ईस्वी में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक कृत्य रत्नाकर में महापर्व छठ का उल्लेख किया है। उसके बाद मिथिला के दूसरे बड़े निबंधकार रूद्रधर ने 15वीं शताब्दी में कृत्य ग्रंथ में चार दिवसीय छठ पर्व का विधान विस्तृत रूप से दिया है। यह वर्णन ऐसा ही है जैसा आज हम लोग छठ पर्व मनाते हैं। इस प्रकार पिछले 700 वर्षों से यह विवरण मिलता है, जिसके अनुसार आज का छठ व्रत मनाया जाता है।1300 ईसवी के पहले चंदेश्वर ने छठ व्रत के ऊपर प्रकाश डाला। 1285 ईसवी में हेमाद्री ने चतुवर्ग चिंतामणि ग्रंथ में और 1130 ईसवी के आसपास लक्ष्मीधर ने कृत्य कल्पतरू में सूर्योपासना एवं षष्ठी व्रत का विधान बताया है। लक्ष्मीधर गहड़वाल वंश के प्रसिद्ध शासक गोविंद चंद्र के प्रमुख मंत्री और सेनापति थे।

उल्लेखनीय है कि छठ व्रत सनातन धर्मावलंबियों का अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। इस महापर्व पर भगवान भास्कर और छठी मैया की पूजा-अर्चना होती है। सूर्य की उपासना का यह सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। प्रत्येक मास की सप्तमी तिथि विशेषकर शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि सूर्य भगवान की तिथि मानी जाती है और इस दिन इनकी उपासना का विधान है। इसके साथ ही कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि सबसे पावन तिथि मानी जाती है। इसी कारण सूर्य भगवान की पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष में सप्तमी के दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है।

चार दिनों का यह व्रत नहाए खाए, खरना, अस्तगामी सूरज और उदीयमान सूरज को अर्घ्य देकर उनकी पूजा की जाती है। महावीर मंदिर न्यास के आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि यह तथ्य तो सभी लोगों को पता है, लेकिन छठी मैया की जो पूजा होती है, उसमें छठी मैया कौन देवी हैं, इसका ज्ञान बहुत से लोगों को नहीं है। इसमें मैंने बहुत अनुसंधान किया तो पाया कि छठी मैया वास्तव में स्कंदमाता (पार्वती जी) हैं।

सूर्य भगवान की पूजा वैदिक काल से ही देश में प्रचलित है। सूर्य भगवान के मंदिर इस देश के बाहर भी बहुत सारे स्थानों पर बने हुए थे। जिसमें मुल्तान (पाकिस्तान) का भव्य सूर्य मंदिर भी है, जिसका वर्णन अलबरूनी ने किया है। इस मंदिर को मोहम्मद गजनवी ने तोड़ा था।इसी प्रकार काबुल के पास खैर कन्हेर में सूर्य भगवान का प्रसिद्ध मंदिर था, जिसे मोहम्मद गजनवी ने तोड़ा था। किंतु 1936 में खुदाई हुई तो इसमें बहुत सारे देवताओं की मूर्तियां साबूत पाई गई हैं। इसमें सूर्य भगवान की भव्य मूर्ति है, जो अभी काबुल के म्यूजियम में सुरक्षित है।

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Chhapra/ Garkha: आस्था के महापर्व छठ पर जिले के दो सूर्य मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटती है. जिले के गरखा प्रखण्ड के मिठेपुर स्थित इस सूर्य मंदिर में लोगों द्वारा मांगी मन्नत पूरी होती है. घोड़ों पर सवार भगवान सूर्य की आलौकिक विशालकाय प्रतिमा भक्तों को अपने आप अपनी ओर आकर्षित करता है.

आस्था के महापर्व छठ पर यहाँ भक्तो की भाड़ी भीड़ जुटती है. सूर्य उपासना के इस महापर्व पर श्रद्धालु यहाँ रहकर चार दिवसीय अनुष्ठान को पूरा करते है. ऐसी मान्यता है कि इस स्थान से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

भगवान सूर्य का यह मंदिर गरखा प्रखंड के मिठेपुर मुख्य मार्ग पर स्थित है.

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छपरा के बाजारों में मिल रहा है ड्रैगन फ्रूट, करनी है खरीददारी तो पहुंच जाइए यहां…

Chhapra: महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है रविवार को वर्तियो द्वारा पहले दिन का अर्घ्य भगवान सूर्य को दिया जाएगा. इसके लिए तैयारियां जोरो पर है. बाजारों में रौनक है और छोटे बड़े सभी दुकानों पर खरीददारों की भीड़ है.

महापर्व छठ में सभी वस्तुओं के उपयोग की प्राथमिकता रहती है. जिसमे मुख्य रूप से फलों की जरूरत होती है. अर्घ्य के कालसुप में फलों का समूह रहता है. छपरा के बाजारों में इसबार अन्य फलों के साथ ड्रैगन फ्रूट भी उपलब्ध है. शहर के नगरपालिका चौक पर लगे फल दुकानों में यह नया फल लोगों के लिए उपलब्ध है.

फल का नाम सिर्फ ड्रैगन फ्रूट है, बाकी यह देशी फल है जिसकी अब सारण जिले में भी खेती हो रही है. फल ज्यादा ही पौष्टिक एवं लाभदायक होता है.

महापर्व छठ में इस बार ड्रैगन फ्रूट भी लोगों के अर्घ्य में शामिल होगा. अगर आप भी इस फल के बारे में जानते है, अगर आपको भी इस फल को आवश्यकता हो तो आप इसे नगरपालिका चौक से खरीद सकते है.

ड्रैगन फ्रूट की कीमत आम फलों के अनुपात में दुगनी है. जिससे सभी इस फ्रूट को खरीदने में संकोच कर रहे है.

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Chhapra: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान का आज दूसरा दिन है. आज व्रती खरना करेंगी. इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा.

महापर्व छठ को लेकर पूरा वातावरण छठ में हो गया है. बाजारों में जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है. छठ पूजा से जुड़े सामानों की दुकान जगह-जगह सज गए हैं. स्थाई दुकानों के साथ-साथ कुछ अस्थाई दुकान भी सजे हुए हैं. जहां लगातार पहुंचकर लोग छठ पूजा के लिए जरूरी सामानों की खरीदारी कर रहे हैं.

छपरा शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के अपने घर आना जारी है. रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर काफी भीड़ देखने को मिल रही है. दूर प्रदेश और विदेश में रहने वाले लोग अपने घर लौट रहे हैं. छठ पूजा को लेकर सभी में उत्साह देखने को मिल रहा है.

दूसरी ओर घाटों के निर्माण में जुटी समितियां अब उसे अंतिम रूप देने के लिए लगी है. वहीं जिला प्रशासन सुरक्षा के तमाम उपायों के मद्देनजर कार्य कर रहा है. पुलिस प्रशासन भी सतर्क है और दंडाधिकारी समेत पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति भी जगह-जगह की गई है.

कुल मिलाकर छठ मय वातावरण से सभी उत्साहित हैं. महापर्व छठ बिहार का सबसे बड़ा त्यौहार है. जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. छठ पूजा को लेकर साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. इसे लेकर भी स्थानीय लोगों और सरकारी एजेंसियों के द्वारा कार्य किया जा रहा है. अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को रविवार को अर्घ्य दिया जाएगा. जिसके बाद सोमवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ अनुष्ठान संपन्न हो जायेगा.

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