नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 से पता चलता है कि भारत में उच्च शिक्षा में कुल नामांकन ने वित्त वर्ष 2015 के मुकाबले 2022 में 26.5 प्रतिशत की वृद्धि की है।

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश किया। इसमें कहा गया है कि उच्च शिक्षा क्षेत्र में विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों में तृतीयक और स्कूल के बाद की शिक्षा शामिल है, ने पिछले आठ वर्षों में कुल नामांकन में तेजी के साथ-साथ ‘नामांकन इक्विटी’ में वृद्धि देखी है।

उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2021-22 के अनुसार, उच्च शिक्षा में कुल नामांकन वित्त वर्ष 2022 में लगभग 4.33 करोड़ हो गया है, जो वित्त वर्ष 2021 में 4.14 करोड़ और वित्त वर्ष 2015 में 3.42 करोड़ था।

सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि उच्च शिक्षा में नामांकन में वृद्धि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की प्रमुख रूप से दर्ज की गई है। वहीं सभी वर्गों में महिला नामांकन में तेज़ वृद्धि हुई है। उच्च शिक्षा में महिला नामांकन वित्त वर्ष 2015 में 1.57 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 2.07 करोड़ हो गया, यानी 31.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

सर्वेक्षण में बताया गया है कि भारत में 26.52 करोड़ छात्र स्कूल में हैं, 4.33 करोड़ उच्च शिक्षा में हैं और 11 करोड़ से ज़्यादा छात्र कौशल विकास संस्थानों में पढ़ रहे हैं। शैक्षिक परिदृश्य के विशाल विस्तार में 14.89 लाख स्कूल, 1.50 लाख माध्यमिक विद्यालय, 1.42 लाख उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, 1,168 विश्वविद्यालय, 45,473 कॉलेज, 12,002 स्वतंत्र संस्थान, स्कूली शिक्षा में 94.8 लाख शिक्षक और उच्च शिक्षा में 15.98 लाख शिक्षक शामिल हैं।

सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि भारत अनुसंधान एवं विकास में तेजी से प्रगति कर रहा है, वित्त वर्ष 2024 में लगभग 1,00,000 पेटेंट दिए गए, जबकि वित्त वर्ष 2020 में 25,000 से भी कम पेटेंट दिए गए।

डब्ल्यूआईपीओ के अनुसार, भारत ने 2022 में पेटेंट फाइलिंग में सबसे अधिक वृद्धि (31.6%) देखी। जीआईआई (2023) के अनुसार, भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में अपनी रैंक में लगातार सुधार किया है, जो 2015 में 81वें स्थान से बढ़कर 2023 में 40वें स्थान पर पहुंच गया है।

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। कांग्रेस ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी का कहना है कि आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की मनमानी तस्वीर दिखा रहा है। इसमें अर्थव्यवस्था की सब ठीक है, वाली गुलाबी तस्वीर पेश करने की कोशिश की गई है जबकि स्थिति निराशाजनक है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि भारत पिछले कई वर्षों से आर्थिक रूप से सबसे अधिक अनिश्चितता और संकट से जूझ रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की मनमानी तस्वीर दिखा सकता है, लेकिन हमें उम्मीद है कि कल का बजट देश की वास्तविकताओं के अनुरूप होगा।

उन्होंने अपने बयान में कहा कि खाद्य पदार्थों की महंगाई दर अनियंत्रित है। कोविड के बाद आर्थिक सुधार बेहद असामान हैं। वहीं आयात निर्यात असंतुलन से किसानों को नुकसान हो रहा है।

रमेश ने कहा कि समय की मांग है प्रशिक्षुता का अधिकार, गिग श्रमिकों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सुरक्षा, न्यूनतम वेतन में 400 रुपये प्रति दिन की बढ़ोत्तरी, ‘कर आतंकवाद’ का अंत और आंगनबाड़ियों जैसी सामाजिक-सुरक्षा योजनाओं का विस्तार जरूरी है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में सबसे शर्मनाक और आश्चर्यजनक दावा है कि ‘भयानक गरीबी पूरी तरह से समाप्त हो गई है।’ वहीं वास्तविकता यह है कि सभी भारतीयों में से आधे लोग प्रति दिन 3 वक्त के भोजन का ख़र्च भी वहन नहीं कर सकते, एनएफएचएस-5 के अनुसार, 3 में से 1 बच्चा अविकसित है और 4 में से 1 बच्चा पूरी तरह से प्रतिरक्षित नहीं है। देश का लगभग दो-तिहाई हिस्सा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिलने वाले मुफ़्त खाद्यान्न पर निर्भर है।

रमेश ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने बेरोजगारी की स्थिति को स्वीकारा है। इसके अनुसार अगले 20 वर्षों तक हर साल लगभग 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी। सर्वेक्षण बताता है कि मेक इन इंडिया के तमाम प्रकार और दावे के बावजूद मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में रोजगार सृजन पिछले दशक में कम हुआ है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण निजी निवेश उत्पन्न करने की केन्द्र सरकार की नीति निर्धारण की विफलता को स्वीकार करता है। कार्पोरेट क्षेत्र के लिए मोदी सरकार का दृष्टिकोण बेहद उदार है।

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री के साेमवार काे लाेकसभा में पेश किए गए

इकाेनाॅमिक सर्वे की विपक्ष ने कड़ी आलाेचना की है।लाेकसभा में कांग्रेस के उप नेता गाैरव गाेगाेई ने कहा कि सरकार द्वारा जाे इकाेनाॅमिक सर्वे प्रस्तुत किया गया है, उस इकोनॉमिक सर्वे से जमीनी हालात बिल्कुल परे हैं। उन्हाेंने कहा कि इकोनॉमिक सर्वे में सरकार का पक्ष ‘सब चंगा सी’ जैसा है। जबकि असलियत में लोगों की हालत ठीक नहीं है। सरकार आज भी महंगाई को नियंत्रित नहीं कर पाई है।गाेगाेई ने कांग्रेस मुख्यालय में आयाेजित प्रेस वार्ता में पत्रकाराें काे संबाेधित करते हुए ये बातें कहीं।

उपनेता गाेगाेई ने कहा कि अमीर को महंगाई से फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन गरीब-मध्यम वर्ग के लिए यह एक बड़ी समस्या है।

महंगाई कब कम होगी, इसका जवाब इकोनॉमिक सर्वे में नहीं मिलता। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को तो महंगाई दिखती ही नहीं।

उन्हाेंने कहा कि कोविड के बाद देश में असमानता बढ़ी है। आज ट्रेन में महंगी एसी कोच वाले टिकट मिल रहे हैं, लेकिन जनरल और स्लीपर क्लास में जो सुविधा होनी चाहिए, वो नहीं है। अधिकतर ट्रेन यात्री जनरल और स्लीपर क्लास में जाते हैं, लेकिन सरकार का पूरा ध्यान एसी कोच पर है। जनरल, स्लीपर और सेकेंड सिटिंग रिजर्व कम्पार्टमेंट में भीड़ के कारण आज लोगों को सीट मिलना मुश्किल हाे रहा है।

उन्हाेंने कहा कि आज का आर्थिक सर्वेक्षण मोदी सरकार की नाकामियों पर चमचमाते हुए खाेखले लिफ़ाफ़े की तरह है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री सदन में झूठ फ़ैलाते हैं, नीट पेपर लीक पर ज़िम्मेदारी लेने से बचते हैं। बेरोज़गारी दर 9.2 प्रतिशत पर है। नौकरियों के लिए भगदड़ मच रही है। कमरतोड़ महंगाई ने देश के परिवारों की बचत 50 वर्षों में सबसे निम्न स्तर पर कर दी है। खाद्य महंगाई 9.4 प्रतिशत पर है, अनाज की महंगाई 8.75 प्रतिशत, दलहन की महंगाई 16.07 प्रतिशत और सब्ज़ी की महंगाई 29.32 प्रतिशत पर है।

उन्हाेंने कहा कि किसानों की हालत ख़राब है। अब मोदी सरकार पिछले दरवाज़े से किसान विरोधी तीन काले क़ानून फिर से लागू करना चाहती है। अन्नदाता किसानों की राष्ट्रीय औसत मासिक कृषि आय मात्र 5,298 रुपये है। आर्थिक सर्वेक्षण सफ़ेद झूठ बोलकर दावा करता है कि ग़रीबी लगभग ख़त्म हो गई है। सच्चाई ये है कि देश में अमीरों और ग़रीबों के बीच अंतर 100 वर्षों में सबसे अधिक है !

गाेगाेई ने कहा इकाेनॅामिक सर्वे बड़ी-बड़ी कंपनियों का मुनाफा बढ़ता हुआ दिखा रहा है, अगर ऐसा है तो कंपनियों में नौकरियां कितने लोगों को मिली हैं। ये सर्वे अगर इतना ही अच्छा है, तो भारत का युवा रूस की सेना में भर्ती क्यों हो रहा है। अगर इकाेनाॅमी अच्छी होती तो बाहर के लोग यहां आ रहे होते, लेकिन आज इसके उलट पलायन हो रहा है।

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण हमारी अर्थव्यवस्था की मौजूदा ताकत को उजागर करता है और सरकार द्वारा लाए गए विभिन्न सुधारों के परिणामों को भी प्रदर्शित करता है।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया, “आर्थिक सर्वेक्षण हमारी अर्थव्यवस्था की मौजूदा ताकत को उजागर करता है और सरकार द्वारा लाए गए विभिन्न सुधारों के परिणामों को भी प्रदर्शित करता है। यह आगे विकास और प्रगति के क्षेत्रों की भी पहचान करता है क्योंकि हम एक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में वित्त वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इस आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। आर्थिक सर्वेक्षण में जोखिम को संतुलित रखा गया है।

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। मुफ्त बिजली योजना के तहत ‘डिस्कॉम को प्रोत्साहन’ के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार ने दिशा निर्देश

अधिसूचित किया है। यह अधिसूचना 18 जुलाई काे जारी की गई। ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक इस योजना पर 75,021 करोड़ रुपये व्यय हाेने

का अनुमान है। इसे वित्त वर्ष 2026-27 तक लागू किया जाना है। ऊर्जा मंत्रालय ने साेमवार काे यह जानकारी दी।

ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक स्कीम के अंतर्गत, डिस्काम को राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (एसआईए) के रूप में पदनामित किया गया है जो नेट मीटर की उपलब्धता, समय पर निरीक्षण और संस्थापनाओं को चालू करने सहित विभिन्न उपायों को सुकर बनाने के लिए उत्तरदायी हैं। पीएम सूर्य मुफ्त बिजली योजना को भारत सरकार द्वारा 29 फरवरी 2024 को मंजूरी दी गई थी, जिसका उद्देश्य सोलर रूफटॉप क्षमता की हिस्सेदारी बढ़ाना और आवासीय परिवारों को अपनी बिजली पैदा करने के लिए सशक्त बनाना था।

ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, डिस्कॉम को प्रोत्साहन’ घटक के लिए कुल वित्तीय परिव्यय 4,950 करोड़ रुपये है। डिस्काॅम को बेसलाइन स्तर से परे अतिरिक्त ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सोलर क्षमता की स्थापना में उनकी उपलब्धि के आधार पर प्रोत्साहन मिलेगा। इसमें डिस्कॉम के फील्ड स्टाफ को पहचानने और प्रेरित करने के लिए सांकेतिक पुरस्कार प्रणाली का भी प्रावधान है।

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नई दिल्ली, 22 जून (हि.स.)। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शनिवार को वस्तु एवं सेवा कर परिषद की बैठक हुई। 53वीं जीएसटी परिषद की बैठक में व्यापार सुविधा, अनुपालन बोझ को कम करने और अनुपालन को आसान बनाने के मामले में करदाताओं को राहत देने पर कई निर्णय लिए गए हैं।

बैठक में कुछ सेवाओं पर जीएसटी छूट दी गई है और कुछ समानों पर जीएसटी की एक समान दर तय की गई है। इसके अलावा आधार प्रमाणीकरण को रोल आउट किया जाएगा, जिससे फर्जी कंपनी और धोखाधड़ी वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों से निपटा जा सकेगा।

ऑनलाइन गेमिंग जीएसटी परिषद के एजेंडे में नहीं रहा। रियल-मनी गेमिंग पर पिछले साल अक्टूबर में 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया था। ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां 28 प्रतिशत कर व्यवस्था की समीक्षा का इंतजार कर रही हैं।

सभी दूध के डिब्बों अर्थात् स्टील, लोहा, एल्युमीनियम पर 12 प्रतिशत की एक समान दर निर्धारित करने की सिफारिश की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक के बाद पत्रकार वार्ता कर फैसलों और चर्चा की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन्हें दूध का डिब्बा कहा जाता है लेकिन जहां भी इनका उपयोग किया जाएगा वही दर लागू होगी ताकि इससे कोई विवाद न हो।

परिषद ने सभी कार्टन बक्सों और नालीदार तथा गैर-नालीदार कागज या पेपर बोर्ड दोनों के मामलों पर 12 प्रतिशत की एक समान जीएसटी दर निर्धारित करने की भी सिफारिश की। इससे विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के सेब उत्पादकों को मदद मिलेगी। जीएसटी परिषद ने सभी सोलर कुकर पर 12 प्रतिशत जीएसटी दर की सिफारिश की है चाहे उसमें एकल या दोहरा ऊर्जा स्रोत हो।

जीएसटी परिषद ने शैक्षणिक संस्थानों के बाहर छात्रावास आवास के माध्यम से प्रति व्यक्ति 20,000 रुपये तक की सेवाओं को छूट दी है। शर्त है कि इन आवास में कम से कम 90 दिन की रिहाइश हो।

भारतीय रेलवे द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं जैसे प्लेटफ़ॉर्म टिकट को जीएसटी से छूट दी गई है। इसमें प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री, रिटायरिंग रूम की सुविधा, वेटिंग रूम, क्लॉकरूम सेवाएं, बैटरी चालित कार सेवा शामिल है। इसके अलावा इंट्रा-रेलवे आपूर्ति को भी छूट दी जाएगी।

एक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आयें। यह अब राज्यों पर है कि वे इस बारे में मिलकर निर्णय लें।

वित्त मंत्री ने बताया कि छोटे करदाताओं की मदद के लिए परिषद ने जीएसटीआर 4 फॉर्म में विवरण और रिटर्न भरने की समय सीमा 30 अप्रैल से बढ़ाकर 30 जून किए जाने की सिफारिश की है। यह वित्तीय वर्ष 2024-25 के बाद के रिटर्न पर लागू होगा।

परिषद ने जीएसटी अधिनियम की धारा 73 के तहत जारी किए गए मांग नोटिसों के लिए ब्याज और जुर्माने को माफ करने की सिफारिश की है। इसमें धोखाधड़ी, दमन या गलत विवरण से जुड़े मामले शामिल नहीं हैं। वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए धारा 73 के तहत जारी किए गए सभी नोटिसों के लिए परिषद ने ब्याज और जुर्माना माफ करने की सिफारिश की है।

मंत्री ने बताया कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16(4) के तहत वित्तीय वर्ष 17-18, 18-19, 19-20 और 20-21 के लिए 30-11-2021 तक दायर किसी भी चालान या डेबिट नोट के संबंध में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने की समय सीमा को 2011 से 2021 माना जा सकता है। 01 जुलाई 2017 से पूर्वव्यापी प्रभाव से उसी अपेक्षित संशोधन के लिए परिषद ने एक सिफारिश की है।

वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि अखिल भारतीय आधार पर बायोमेट्रिक-आधारित आधार प्रमाणीकरण शुरू होने जा रहा है। इससे हमें मामलों में फर्जी चालान के माध्यम से किए गए धोखाधड़ी वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों से निपटने में मदद मिलेगी।

सरकारी मुकदमेबाजी को कम करने के लिए परिषद ने विभाग द्वारा अपील दायर करने के लिए जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के लिए 20 लाख रुपये, उच्च न्यायालय के लिए 01 करोड़ रुपये और उच्चतम न्यायालय के लिए 02 करोड़ रुपये की मौद्रिक सीमा की सिफारिश की है। परिषद ने यह भी सिफारिश की है कि अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर करने के लिए पूर्व-जमा की अधिकतम राशि 25 करोड़ रुपये सीजीएसटी और एसजीएसटी से घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दी जाएगी।

सीतारमण ने बताया कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को दर युक्तिकरण के जीओएम का अध्यक्ष बनाया गया है। अगली बैठक में सम्राट चौधरी रेट रेशनलाइजेशन के लिए किये गये काम पर यथास्थिति रिपोर्ट सौंपेंगे। इसके बाद हम स्टार्ट रेट रेशनलाइजेशन पर काम शुरू करेंगे।

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नई दिल्ली, 27 मई (हि.स.)। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण से पहले घरेलू शेयर बाजार ने फिर ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया । हफ्ते के पहले दिन शुरुआती कारोबार के दौरान सोमवार को सेंसेक्स ने 75,679 का स्तर छुआ। वहीं, निफ्टी ने 23,043 का ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया।

फिलहाल बॉम्बे स्टॉक एकसचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 147.58 अंक यानी 0.20 फीसदी की तेजी के साथ 75,557.97 पर ट्रेंड कर रहा है। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएसई का (निफ्टी) भी 19.95 अंक यानी 0.087 फीसदी की तेजी के साथ 22,977.05 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इससे पहले 24 मई और 3 मई को भी ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बना था।

कारोबार के दौरान 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स में सूचीबद्ध कंपनियों में से टाटा स्टील, भारती एयरटेल, जेएसडब्ल्यू स्टील, सन फार्मा, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर सबसे अधिक लाभ में दिख रहे हैं। वहीं, विप्रो, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति सुजुकी और एशियन पेंट्स के शेयरों में गिरावट दिख रही है।

उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते अंतिम कारोबारी दिन शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक में शामिल सेंसेक्स ने 75,636 अंक का रिकॉर्ड बनाया। वहीं, निफ्टी ने 23,026 का हाई बनाया था। हालांकि, कारोबार के अंत में शेयर बाजार मामूली मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ सेंसेक्स 7 अंक की गिरावट के साथ 75,410 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 10 अंक की गिरावट के साथ 22,957 के स्तर पर बंद हुआ था।

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नई दिल्ली, 01 अप्रैल (हि.स.)। एक अप्रैल से नए वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत हो गई है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस विपणन कंपनियों ने सोमवार को 19 किलोग्राम वाले कॉमर्शियल गैस के दाम में 32 रुपये प्रति सिलेंडर तक की कटौती की गई है। नई दरें आज से लागू हो गई हैं।

इंडियन ऑयल की वेबसाइट के मुताबिक कॉमर्शियल गैस के दाम में की गई कटौती के बाद दिल्ली में इसकी कीमत 30.50 रुपये घट कर 1764.50 रुपये हो गयी है, जो पहले 1795 रुपये में मिल रहा था। वहीं, कोलकाता में कॉमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत 32 रुपये घटकर 1879 रुपये हो गयी है, जो पहले 1911 रुपये था। मुंबई में इसका भाव 31.50 रुपये सस्ता होकर 1749 रुपये प्रति सिलेंडर की जगह 1717.50 रुपये हो गया है। इसके अलावा चेन्नई में कॉमर्शियल गैस 1930 रुपये का मिल रहा है।

हालांकि, तेल एवं गैस विपणन कंपनियों ने 14.2 किलोग्राम वाले घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया है। दिल्ली में यह 803 रुपये, कोलकाता में 829 रुपये, मुंबई में 802.50 रुपये और चेन्नई में 818.50 रुपये का मिल रहा है।

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नई दिल्ली, 30 मार्च (हि.स.)। चालू वित्त वर्ष 2023-24 को समाप्त होने में एक दिन शेष बचे हैं। यदि आपने आकलन वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के लिए अद्यतन (अपडेटेड) आयकर रिटर्न (आईटीआर) अबतक नहीं दाखिल किया है, तो 31 मार्च, 2024 तक अपना अपडेटेड आईटीआर (आईटीआर-यू) आप दाखिल कर सकते हैं।

आयकर विभाग ने शनिवार को को ‘एक्स; पोस्ट पर जारी एक बयान में कहा कि अपडेटेड आईटीआर दाखिल करने की अतिम तिथि 31 मार्च, 2024 तक है। विभाग के मुताबिक आकलन वर्ष 2021-2022 के साथ निर्धारण वर्ष 2022-23 और निर्धारण वर्ष 2023-24 के लिए अपना अद्यतन आईटीआर भी आप 31 मार्च, 2024 तक दाखिल कर सकते हैं।

विभाग ने करदाताओं से अपील कर कहा है कि अवसर समाप्त होने से पहले इसका लाभ उठाएं, अपनी अपडेटेड रिटर्न आज ही दाखिल करें। इसके साथ ही आयकर विभाग ने कहा है कि आकलन वर्ष 2021-23, 2022-23 और 2023-24 के लिए आप अपडेटेड आईटीआर फाइल कर सकते हैं। आयकर विभाग ने करदाताओं से अपील करते हुए कहा कि समय पर आईटीआर दाखिल कर आप बाद में उच्च कर का भुगतान करने से खुद को बचा सकते हैं। इसलिए देर न करें, आज ही फाइल करें!

उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग ने इस प्रोविजन को 2022 के फाइनेंस एक्ट में शामिल किया था। इसके तहत जो टैक्सपेयर्स वित्त वर्ष 2020-21 का आईटीआर दाखिल नहीं कर सके हैं, वे अपना अपडेटेड आईटीआर 31 मार्च, 2024 तक कर सकते हैं।

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नई दिल्ली, 14 मार्च (हि.स.)। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने गुरुवार को पेटीएम को बड़ी राहत दी है। एनपीसीआई ने वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड (ओसीएल) को मल्टी-बैंक मॉडल के तहत थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन प्रोवाइडर (टीपीएपी) के तौर पर यूपीआई सेवाओं में भाग लेने की मंजूरी दे दी है।

एनपीसीआई ने एक्स पोस्ट पर दी जानकारी में बताया कि पेटीएम को थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन प्रोवाइडर (टीपीएपी) के लाइसेंस की मंजूरी दी गई है। ये लाइसेंस वन97 कम्यूनिकेशंस लिमिटेड (ओसीएल) को मल्टी-बैंक मॉडल के तहत यूपीआई में भाग लेने की इजाजत मुहैया कराएगा। एनपीसीआई के अनुसार चार बैंक जिनमें एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, यस बैंक शामिल हैं, ओसीएल के लिए भुगतान प्रणाली प्रदाता (पीएसपी) बैंक के रूप में कार्य करेंगे।

एनपीसीआई की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक यस बैंक ओसीएल (पेटीएम) के लिए मौजूदा और नए यूपीआई व्यापारियों के अधिग्रहण बैंक के रूप में कार्य करेगा। साथ ही “@Paytm” हैंडल को यस बैंक पर रीडायरेक्ट किया जाएगा। यह मौजूदा उपयोगकर्ताओं और व्यापारियों को निर्बाध तरीके से यूपीआई लेनदेन और ऑटोपे मैंडेट से जुड़ी सेवाएं जारी रखने में सक्षम बनाएगा। एनपीसीआई की ओर से ओसीएल को सलाह दी गई है कि जहां भी जरूरत हो, सभी मौजूदा हैंडल और मैंडेट को जल्द से जल्द नए पीएसपी बैंकों में स्थानांतरित किया जाए।

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नई दिल्ली, 14 मार्च (हि.स.)। केंद्र सरकार ने आम आदमी को बड़ी राहत दी है। सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर दी है। नई दरें 15 मार्च, शुक्रवार सुबह से लागू हो गई हैं।

केंद्रीय पेट्रोलियक मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट जारी कर यह जानकारी दी है। पुरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के दाम 2 रुपये प्रति लीटर कम करके देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर साबित किया है कि करोड़ों भारतीयों के अपने परिवार का हित और उनकी सुविधा सदैव उनका लक्ष्य है।

हरदीप सिंह पुरी ने इस संबंध में जारी पोस्ट में भारत में पेट्रोल और डीजल की उपलब्धता के इतिहास की भी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि कैसे जब विश्व मुश्किल दौर से गुजर रहा था, तब विकसित और विकासशील देशों में पेट्रोल के दामों में 50 से 72 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। उन्होंने आगे लिखा है कि भारत के आस-पास के कई देशों में पेट्रोल मिलना ही बंद हो गया। साल 1973 के बाद आए 50 साल के सबसे बड़े तेल संकट के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता के चलते पिछले ढाई वर्षों में पेट्रोल के दाम 4.65 फीसदी कम हुए हैं। इस कौटती के बाद देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.62 रुपये प्रति लीटर हो जाएगा। मुंबई में पेट्रोल 104.21 रुपये और डीजल 92.15 रुपये प्रति लीटर मिलेगा। वहीं, कोलकाता में पेट्रोल 103.94.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल 90.76 रुपये में मिलेगा। इसके अलावा चेन्नई में पेट्रोल 100.75 रुपये और डीजल 92.34 रुपये प्रति लीटर मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि आज की कटौती को मिला दिया जाए तो नवंबर 2021 से पेट्रोल 15 रुपये और डीजल 17 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता हो गया है। दरअसल सरकार ने आखिरी बार 21 मई, 2022 को राष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव किया था। सरकार ने पेट्रोल पर 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। इससे पेट्रोल 9.5 रुपये और डीजल 7 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता हुआ था।

इसके अलावा राजस्थान सरकार ने भी आज पेट्रोल-डीजल पर दो फीसदी वैट कम करने का फैसला लिया है। इससे राज्य के अलग-अलग शहरों में पेट्रोल की कीमत 1.40 रुपये प्रति लीटर से लेकर 5.30 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता हो जाएगा। वहीं, डीजल के दाम में 1.34 रुपये प्रति लीटर से लेकर 4.85 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आएगी। 

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