इकोनॉमिक सर्वे में सरकार का पक्ष ‘सब चंगा सी’ जैसा है : गाैरव गाेगाेई

इकोनॉमिक सर्वे में सरकार का पक्ष ‘सब चंगा सी’ जैसा है : गाैरव गाेगाेई

नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री के साेमवार काे लाेकसभा में पेश किए गए

इकाेनाॅमिक सर्वे की विपक्ष ने कड़ी आलाेचना की है।लाेकसभा में कांग्रेस के उप नेता गाैरव गाेगाेई ने कहा कि सरकार द्वारा जाे इकाेनाॅमिक सर्वे प्रस्तुत किया गया है, उस इकोनॉमिक सर्वे से जमीनी हालात बिल्कुल परे हैं। उन्हाेंने कहा कि इकोनॉमिक सर्वे में सरकार का पक्ष ‘सब चंगा सी’ जैसा है। जबकि असलियत में लोगों की हालत ठीक नहीं है। सरकार आज भी महंगाई को नियंत्रित नहीं कर पाई है।गाेगाेई ने कांग्रेस मुख्यालय में आयाेजित प्रेस वार्ता में पत्रकाराें काे संबाेधित करते हुए ये बातें कहीं।

उपनेता गाेगाेई ने कहा कि अमीर को महंगाई से फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन गरीब-मध्यम वर्ग के लिए यह एक बड़ी समस्या है।

महंगाई कब कम होगी, इसका जवाब इकोनॉमिक सर्वे में नहीं मिलता। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को तो महंगाई दिखती ही नहीं।

उन्हाेंने कहा कि कोविड के बाद देश में असमानता बढ़ी है। आज ट्रेन में महंगी एसी कोच वाले टिकट मिल रहे हैं, लेकिन जनरल और स्लीपर क्लास में जो सुविधा होनी चाहिए, वो नहीं है। अधिकतर ट्रेन यात्री जनरल और स्लीपर क्लास में जाते हैं, लेकिन सरकार का पूरा ध्यान एसी कोच पर है। जनरल, स्लीपर और सेकेंड सिटिंग रिजर्व कम्पार्टमेंट में भीड़ के कारण आज लोगों को सीट मिलना मुश्किल हाे रहा है।

उन्हाेंने कहा कि आज का आर्थिक सर्वेक्षण मोदी सरकार की नाकामियों पर चमचमाते हुए खाेखले लिफ़ाफ़े की तरह है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री सदन में झूठ फ़ैलाते हैं, नीट पेपर लीक पर ज़िम्मेदारी लेने से बचते हैं। बेरोज़गारी दर 9.2 प्रतिशत पर है। नौकरियों के लिए भगदड़ मच रही है। कमरतोड़ महंगाई ने देश के परिवारों की बचत 50 वर्षों में सबसे निम्न स्तर पर कर दी है। खाद्य महंगाई 9.4 प्रतिशत पर है, अनाज की महंगाई 8.75 प्रतिशत, दलहन की महंगाई 16.07 प्रतिशत और सब्ज़ी की महंगाई 29.32 प्रतिशत पर है।

उन्हाेंने कहा कि किसानों की हालत ख़राब है। अब मोदी सरकार पिछले दरवाज़े से किसान विरोधी तीन काले क़ानून फिर से लागू करना चाहती है। अन्नदाता किसानों की राष्ट्रीय औसत मासिक कृषि आय मात्र 5,298 रुपये है। आर्थिक सर्वेक्षण सफ़ेद झूठ बोलकर दावा करता है कि ग़रीबी लगभग ख़त्म हो गई है। सच्चाई ये है कि देश में अमीरों और ग़रीबों के बीच अंतर 100 वर्षों में सबसे अधिक है !

गाेगाेई ने कहा इकाेनॅामिक सर्वे बड़ी-बड़ी कंपनियों का मुनाफा बढ़ता हुआ दिखा रहा है, अगर ऐसा है तो कंपनियों में नौकरियां कितने लोगों को मिली हैं। ये सर्वे अगर इतना ही अच्छा है, तो भारत का युवा रूस की सेना में भर्ती क्यों हो रहा है। अगर इकाेनाॅमी अच्छी होती तो बाहर के लोग यहां आ रहे होते, लेकिन आज इसके उलट पलायन हो रहा है।

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