नई दिल्ली: आर्थिक र्मोचे पर अच्छी खबर है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 18 फरवरी को समाप्त हफ्ते में 2.762 अरब डॉलर बढ़कर 632.95 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। हालांकि, इससे पूर्व के हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 1.763 अरब डॉलर घटकर 630.19 अरब डॉलर रह गया था। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी।

आरबीआई के जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार में ये बढ़ोतरी मुख्य रूप से आरक्षित स्वर्ण भंडार के मूल्य तथा विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) वृद्धि की वजह से हुई है। एफसीए समग्र भंडार और स्वर्ण भंडार का एक प्रमुख घटक है। इसके अलावा आलोच्य हफ्ते में सोने का भंडार भी 1.274 अरब डॉलर बढ़कर 41.509 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है।

आंकड़ों के मुताबिक 18 फरवरी, 2022 को समाप्त हफ्ते में एफसीए 1.496 अरब डॉलर बढ़कर 567.06 अरब डॉलर हो गया। वहीं, समीक्षाधीन हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 1.1 करोड़ डॉलर घटकर 19.162 अरब डॉलर रह गया। हालांकि, आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 40 लाख डॉलर बढ़कर 5.221 अरब डॉलर हो गया।

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-2017 से 2021 के बीच राज्य को कुल 54,761 करोड़ रुपये निवेश के 1,918 प्रस्ताव
-2020-21 में 6.83 लाख टन मछली का उत्पादन, मछली उत्पादन में बना आत्मनिर्भर
पटना: बिहार विधानमंडल में शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री-सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने राज्य सरकार का सोलहवां आर्थिक सर्वेक्षण (2021-22) प्रस्तुत किया। बिहार की अर्थव्यवस्था का आकार कोरोना काल में भी ढाई फीसदी बढ़ गया है। भारत सरकार के ताजा नेशनल एकाउंट डाटा से इसका पता चलता है। 2019-20 में प्रदेश का राज्य सकल घरेलू उत्पाद चार लाख नौ हजार 645 करोड़ का था, जो 2020-21 में बढ़कर चार लाख 19 हजार 883 करोड़ का हो गया है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था के आकार की यह गणना स्थिर मूल्य के आधार पर की गई है।

अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ने के कारण बिहारवासियों की प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ी है। स्थिर मूल्य पर लगभग 335 रुपये का इजाफा हुआ है। 2019-20 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 33,979 रुपये थी, जो 2020-21 में बढ़कर 34,314 रुपये हो गई। वर्तमान मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय 1283 रुपये बढ़ी है। वर्तमान मूल्य पर बिहार की प्रति व्यक्ति आय 49,272 रुपये थी जो 2020-21 में 50,555 रुपये हो गई।

वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार का कुल व्यय गत वर्ष की अपेक्षा 13.4 प्रतिशत बढ़कर 1,65,696 करोड़ रुपये पहुंच गया। इसमें से 26,203 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय था और 1,39,493 करोड़ रुपये राजस्व व्यय। वर्ष 2020-21 में सामान्य सेवाओं, सामाजिक सेवाओं और आर्थिक सेवाओं पर राज्य सरकार का व्यय गत वर्ष से क्रमश: 11.1 प्रतिशत, 10.4 प्रतिशत और 10.8 प्रतिशत बढ़ा। वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार का राजस्व व्यय 1,28,168 करोड़ रुपये और पूंजीगत व्यय 36,735 करोड़ रुपये था। वहीं, 2020-21 में राज्य सरकार का अपने कर और करेतर स्रोतों से राजस्व 2019-20 के 33,858 करोड़ रुपये से बढ़कर 36,543 करोड़ रुपये रहा।

बिहार में हाल के वर्षों में आशाजनक औद्योगिक विकास हुआ है। साल 2017 से 2021 के बीच राज्य को कुल 54,761 करोड़ रुपये निवेश के 1,918 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। तीन सर्वाधिक आकर्षक उद्योग इथेनॉल, खाद्य प्रसंस्करण और नवीकरणीय ऊर्जा हैं। दिसंबर 2021 तक ईथेनॉल क्षेत्र में कुल 32,454 करोड़ रुपये निवेश वाली 159 इकाइयों को प्रथम स्तर की अनापत्ति दी गई। ईथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने ईथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2021 सूत्रबद्ध की है। राज्य में चिकित्सा संबंधी प्रयोजनों के लिए ऑक्सीजन के उत्पादन में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार ने ऑक्सीजन प्रोत्साहन नीति 2021 भी लागू की है।

बिहार की अर्थव्यस्था में कृषि का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। बिहार में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्रों का लगातार विकास हुआ है। वर्ष 2019-20 में सकल शस्य क्षेत्र (जीसीए) 72.97 लाख हेक्टेयर था और फसल सघनता 1.44 प्रतिशत थी। गत पांच वर्षों में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र 2.1 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा। उप-क्षेत्रों के बीच पशुधन एवं मत्स्यपालन की वृद्धि दर क्रमशः 10 प्रतिशत और 7 प्रतिशत रही है। वर्ष 2020-21 में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 17.95 लाख टन होने का अनुमान है।

वर्ष 2020-21 में 6.83 लाख टन मछली का उत्पादन होने से राज्य मछली उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। बिहार में दूध का कुल उत्पादन 2020-21 में 115.01 लाख टन था। कृषि क्षेत्र के और अधिक विकास के लिए कृषि विभाग द्वारा एन नया मोबाइल ऍप ‘बिहान’ शुरू किया गया है जो कृषि संबंधी विभिन्न डिजिटल उपयोगों को एक ही प्लेटफॉर्म पर ला देता है।

राज्य में कामकाजी उम्र वाले लोगों की बड़ी संख्या और उनमें से अधिकांश को कृषि सहित अनौपचारिक क्षेत्र में लगा देखते हुए राज्य सरकार ने अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने और श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं के लाभार्थी प्रवासी मजदूर, बाल मजदूर, और निर्माण मजदूर हैं। जैसे, बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा की स्थिति का नियमन) नियमावली 2015 के तहत 2016-17 से 2020-21 तक कुल मिलाकर 4.28 लाख मजदूर निबंधित हुए हैं।

वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार ने 11.10 लाख निर्माण मजदूरों को कुल 538 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई है। इसके अलावा विभिन्न आयोगों के जरिए भी राज्य सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। वर्ष 2020-21 में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने 4586 रिक्तियों के लिए विज्ञापन दिया था जो गत चार वर्षों में सर्वाधिक था।

परिवहन विभाग ने नागरिक-हितैषी सेवाओं, पथ सुरक्षा आदि में सुधार लाने के लिए हाल के वर्षों में अनेक पहल किए हैं और 2018 से 2020 तक के तीन वर्षों के अंदर पांच राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए हैं। गत दशक (2011-20) के दौरान देश में परिवहन, भंडारण एवं संचार क्षेत्र में सर्वाधिक 14.4 प्रतिशत वृद्धि दर बिहार में दर्ज हुई। यह सड़क एवं पुल क्षेत्र में गत 15 वर्षों के दौरान किए गए उच्च सार्वजनिक निवेश का परिणाम है। प्रति 1000 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर सड़कों की लंबाई के मामले में केरल (6617 किमी) और पश्चिम बंगाल (3708 किमी) के बाद बिहार (3086 किमी) का ही स्थान है।

राज्य में ग्रामीण सड़क नेटवर्क 2015 के 57,388 किमी से बढ़कर 2021 में 1,02,306 किमी हो गया है। अत्याधुनिक भवनों के निर्माण के लिए भवन निर्माण विभाग का बजट 2008-09 के 260 करोड़ रुपये से 20-गुने से भी अधिक बढ़कर 2020-21 में 5321 करोड़ रुपये हो गया। साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी अधिसंरचना के तेज विकास के जरिए मजबूत हुई है।

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– डिजिटल विश्वविद्यालय का किया जाएगा गठन
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में आम बजट 2022-23 पेश करते हुए कहा कि महामारी के कारण स्कूली बच्चों की औपचारिक शिक्षा के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार डिजिटल और ऑन-एयर मोड की ओर रुख कर रही है।

सीतारमण ने अपने बजट भाषण में आगे कहा कि प्रधानमंत्री ई-विद्या स्कीम के ‘वन क्लास, वन टीवी चैनल’ कार्यक्रम को 12 से 200 टीवी चैनलों तक विस्तारित किया जाएगा। इससे सभी राज्य कक्षा एक से 12वीं तक क्षेत्रीय भाषाओं में पूरक शिक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे ।

उन्होंने एक डिजिटल विश्वविद्यालय के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार देशभर के युवाओं को ऑनलाइन कौशल कार्यक्रम मुहैया कराएगी। उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी।

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नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट संसद में पेश करेंगी। ये लगातार चौथा मौका होगा जब सीतारमण बजट पेश करेंगी। संसद के बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी से होगा, जो 8 अप्रैल, 2022 तक चलेगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को पेश किया जाएगा, जबकि बजट एक फरवरी, 2022 को संसद में 11 बजे वित्त मंत्री पेश करेंगी। बतौर वित्त मंत्री उनके नाम सबसे लंबा बजट भाषण देने का भी रिकॉर्ड है। ऐसे में आइए जानते हैं भारत में कब पेश हुआ था पहला बजट और किसके नाम क्या रिकॉर्ड दर्ज है।

भारत का पहला बजट
भारत में पहली बार 7 अप्रैल, 1860 को बजट पेश किया गया था। ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े स्कॉटिश अर्थशास्त्री एवं नेता जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश साम्राज्ञी के समक्ष भारत का बजट रखा था।

स्वतंत्र भारत का पहला बजट
आजादी मिलने के बाद स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था। उस समय (तत्कालीन) के वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी ने यह बजट पेश किया था।

सबसे लंबा बजट भाषण
सबसे लंबा बजट भाषण का रिकॉर्ड मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ही नाम पर है। उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट का लंबा भाषण दिया था। इस दौरान सीतारमण ने जुलाई 2019 में बनाए गए अपने ही 2 घंटे एवं 17 मिनट के लंबे भाषण का रिकॉर्ड को तोड़ा था।

बजट भाषण में सर्वाधिक शब्द
बतौर वित्त मंत्री पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 1991 में दिए गए बजट भाषण में कुल 18,650 शब्द थे। उसके बाद दूसरा स्थान अरुण जेटली के नाम है, जिनके 2018 के बजट भाषण में 18,604 शब्द थे।

सबसे छोटा बजट भाषण
सबसे छोटा बजट भाषण का रिकॉर्ड तत्कालीन वित्त मंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल के नाम दर्ज है, जिन्होंने 1977 में सिर्फ 800 शब्दों वाला बजट भाषण दिया था।

सबसे ज्यादा बजट भाषण
सबसे ज्यादा बजट भाषण का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम पर दर्ज है, जिन्होंने वर्ष 1962-69 के बीच वित्त मंत्री रहते हुए सबसे ज्यादा 10 बार बजट पेश किया। इसके बाद पी. चिदंबरम ने 9 बार, प्रणव मुखर्जी ने 8 बार, यशवंत सिन्हा ने आठ बार और मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 6 बार बजट पेश किया है।

बजट भाषण के समय में बदलाव
आमतौर पर वर्ष 1999 तक बजट फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को शाम पांच बजे पेश किया जाता था। लेकिन, वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने वर्ष 1999 में इसे बदलकर सुबह 11 बजे पेश करना कर दिया था।

जेटली ने एक फरवरी को पेश किया बजट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री अरुण ने 2017 में बजट एक फरवरी को पेश करने की परंपरा को शुरू किया। उसके बाद से आम बजट एक फरवरी को ही सुबह 11 बजे पेश किया जाता है।

बजट की भाषा में किया गया बदलाव
वर्ष 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही पेश करना शुरू कर दिया था। कोविड-19 महामारी आने के बाद वित्त वर्ष 2021-22 का बजट कागज-रहित पेश किया गया। मोदी सरकार ने इसे मोबाइल ऐप पर हिंदी और अंग्रेजी में जारी करना शुरू कर दिया है।

इंदिरा गांधी पहली महिला वित्त मंत्री
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष 1970 में वित्त मंत्री के तौर पर आम बजट पेश किया था। उसके बाद मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2019 में पूर्णकालिक वित्त मंत्री के तौर बजट पेश करने वाली दूसरी महिला बनीं।

आम बजट के साथ रेल बजट का विलय
वर्ष 2017 तक रेलवे बजट एवं आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। वर्ष 2017 में रेल बजट को आम बजट में समाहित कर दिया गया। अब सिर्फ एक ही बजट पेश किया जाता है।

बजट की छपाई अब सीमित हो गया
वर्ष 1950 तक बजट का मुद्रण राष्ट्रपति भवन में होता था, लेकिन इसके लीक होने के बाद इसकी छपाई नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगा। फिर वर्ष 1980 में वित्त मंत्रालय के भीतर ही सरकारी प्रेस में इसका मुद्रण होता रहा है, जिसे कोरोना काल में सीमित प्रति में छपाई होती है।

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– आम बजट के इतिहास से जुड़े रोचक तथ्य, जानिए कब आया पहला बजट
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट संसद में पेश करेंगी। ये लगातार चौथा मौका होगा जब सीतारमण बजट पेश करेंगी। संसद के बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी से होगा, जो 8 अप्रैल, 2022 तक चलेगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को पेश किया जाएगा, जबकि बजट एक फरवरी, 2022 को संसद में 11 बजे वित्त मंत्री पेश करेंगी। बतौर वित्त मंत्री उनके नाम सबसे लंबा बजट भाषण देने का भी रिकॉर्ड है। ऐसे में आइए जानते हैं भारत में कब पेश हुआ था पहला बजट और किसके नाम क्या रिकॉर्ड दर्ज है।

भारत का पहला बजट
भारत में पहली बार 7 अप्रैल, 1860 को बजट पेश किया गया था। ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े स्कॉटिश अर्थशास्त्री एवं नेता जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश साम्राज्ञी के समक्ष भारत का बजट रखा था।

स्वतंत्र भारत का पहला बजट
आजादी मिलने के बाद स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था। उस समय (तत्कालीन) के वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी ने यह बजट पेश किया था।

सबसे लंबा बजट भाषण
सबसे लंबा बजट भाषण का रिकॉर्ड मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ही नाम पर है। उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट का लंबा भाषण दिया था। इस दौरान सीतारमण ने जुलाई 2019 में बनाए गए अपने ही 2 घंटे एवं 17 मिनट के लंबे भाषण का रिकॉर्ड को तोड़ा था।

बजट भाषण में सर्वाधिक शब्द
बतौर वित्त मंत्री पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 1991 में दिए गए बजट भाषण में कुल 18,650 शब्द थे। उसके बाद दूसरा स्थान अरुण जेटली के नाम है, जिनके 2018 के बजट भाषण में 18,604 शब्द थे।

सबसे छोटा बजट भाषण
सबसे छोटा बजट भाषण का रिकॉर्ड तत्कालीन वित्त मंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल के नाम दर्ज है, जिन्होंने 1977 में सिर्फ 800 शब्दों वाला बजट भाषण दिया था।

सबसे ज्यादा बजट भाषण
सबसे ज्यादा बजट भाषण का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम पर दर्ज है, जिन्होंने वर्ष 1962-69 के बीच वित्त मंत्री रहते हुए सबसे ज्यादा 10 बार बजट पेश किया। इसके बाद पी. चिदंबरम ने 9 बार, प्रणव मुखर्जी ने 8 बार, यशवंत सिन्हा ने आठ बार और मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री 6 बार बजट पेश किया है।

बजट भाषण के समय में बदलाव
आमतौर पर वर्ष 1999 तक बजट फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को शाम पांच बजे पेश किया जाता था। लेकिन, वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने वर्ष 1999 में इसे बदलकर सुबह 11 बजे पेश करना कर दिया था।

जेटली ने एक फरवरी को पेश किया बजट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री अरुण ने 2017 में बजट एक फरवरी को पेश करने की परंपरा को शुरू किया। उसके बाद से आम बजट एक फरवरी को ही सुबह 11 बजे पेश किया जाता है।

बजट की भाषा में किया गया बदलाव
वर्ष 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही पेश करना शुरू कर दिया था। कोविड-19 महामारी आने के बाद वित्त वर्ष 2021-22 का बजट कागज-रहित पेश किया गया। मोदी सरकार ने इसे मोबाइल ऐप पर हिंदी और अंग्रेजी में जारी करना शुरू कर दिया है।

इंदिरा गांधी पहली महिला वित्त मंत्री
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष 1970 में वित्त मंत्री के तौर पर आम बजट पेश किया था। उसके बाद मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2019 में पूर्णकालिक वित्त मंत्री के तौर बजट पेश करने वाली दूसरी महिला बनीं।

आम बजट के साथ रेल बजट का विलय
वर्ष 2017 तक रेलवे बजट एवं आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। वर्ष 2017 में रेल बजट को आम बजट में समाहित कर दिया गया। अब सिर्फ एक ही बजट पेश किया जाता है।

बजट की छपाई अब सीमित हो गया
वर्ष 1950 तक बजट का मुद्रण राष्ट्रपति भवन में होता था, लेकिन इसके लीक होने के बाद इसकी छपाई नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगा। फिर वर्ष 1980 में वित्त मंत्रालय के भीतर ही सरकारी प्रेस में इसका मुद्रण होता रहा है, जिसे कोरोना काल में सीमित प्रति में छपाई होती है।

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-आर्थिक सर्वे पेश होने के बाद प्रेस को संबोधित करेंगे मुख्य आर्थिक सलाहकार

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र की शुरुआत संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में संबोधन के साथ होगी। बजट सत्र के पहले दिन सोमवार, 31 जनवरी को राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद दोनों सदनों में मौजूदा वित्त वर्ष 202122 का आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) डा. वी अनंत अनंत नागेश्वरन संसद में आर्थिक सर्वे के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं आर्थिक सर्वेक्षण का क्या महत्व होता है।

आर्थिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष का लेखा-जोखा होता है, जो आने वाले बजट की तस्वीर को बयां करता है। आमतौर पर यह बजट से एक दिन पहले आता है। हालांकि पिछले साल इसे 29 जनवरी को पेश किया गया था। आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्य आधार होता है। इसमें अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर और लेखा.जोखा रहता है। आर्थिक सर्वे देश की आर्थिक सेहत को भी बयां करता है। इसके जरिए सरकार देश को अर्थव्यवस्था की हालत के बारे में बताती है। इसमें सालभर में विकास का क्या ट्रेंड रहा, किस क्षेत्र में कितनी पूंजी आई, विभिन्न योजनाएं किस तरह लागू हुई आदि की जानकारी होती है। इसके साथ ही इसमें सरकारी नीतियों की पूरी जानकारी होती है।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है। इसे वित्त मंत्री के अनुमोदित करने बाद संसद में बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है। पहली बार देश का आर्थिक सर्वेक्षण वित्त वर्ष 1950-51 में पेश किया गया था। इसके बाद वर्ष 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण को जारी करता रहा है। पिछले कुछ सालों में आर्थिक सर्वेक्षण को दो खंडों में प्रस्तुत होता रहा है। लेकिन, इस बार देश में कोरोना की तीसरी के चलते आर्थिक सर्वे एक खंड में पेश किया जा सकता है।

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-आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी और बजट एक फरवरी को होगा पेश

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को संसद में वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश करेंगी। कोरोना महामारी और महंगाई की दोहरी मार झेल रहे आम आदमी को इस बार बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। देश की जनता के जख्मों पर सरकार बजट के जरिए जरूर मरहम लगाने का काम करेगी। इसमें आयकर छूट, बचत और रेल किराये जैसे जरूरी क्षेत्रों को लेकर राहतों का ऐलान हो सकता है।

देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को देश की जनता को वित्तीय लेखा-जोखा से जनता को अवगत कराएंगी। साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से जहां 2022-23 का बजट नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का 10वां बजट होगा, वहीं 2019 में वित्त मंत्री का पद संभालने के बाद से निर्मला सीतारमण का यह चौथा बजट होगा।

बजट भाषण का प्रसारण आधिकारिक चैनल संसद टीवी और राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन पर किया जाएगा। दर्शक आम बजट के लाइव एड्रेस को संसद टीवी यूट्यूब चैनल पर भी देख सकते हैं। इसके अलावा बजट को देशभर के राष्ट्रीय के साथ-साथ निजी समाचार चैनलों के द्वारा भी लाइव कवर किया जाएगा। आम बजट पेश करने से एक दिन पहले 31 जनवरी को केंद्र सरकार की ओर से संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय का एक प्रमुख वार्षिक दस्तावेज होता है, जो पिछले वित्तीय वर्ष में देश के आर्थिक विकास की समीक्षा करता है। आर्थिक सर्वे सभी क्षेत्रों-औद्योगिक, कृषि, विनिर्माण सहित अन्य क्षेत्र के आंकडों (डाटा) का पूरा विवरण देता है। भारत में पहला आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 1950-51 में प्रस्तुत किया गया था। साल 1964 तक बजट और आर्थिक सर्वेक्षण एक साथ पेश किए गए। साल 1964 के बाद आर्थिक सर्वेक्षण और आम बजट दोनों अलग हो गए।

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-यूनियन बजट मोबाइल ऐप http:ndiabudget.gov.in कर सकते हैं डाउनलोड

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेपरलेस रूप में पेश करेंगी। वह 1 फरवरी को पूर्वाह्न 11 बजे संसद में केंद्रीय बजट पेश करेंगी। जाे आने वाले वित्त वर्ष में सरकार की आर्थिक नीतियों की दशा और दिशा को तय करेगा।

इस बार आम बजट आपके मोबाइल पर भी उपलब्ध होगा। यूनियन बजट मोबाइल ऐप का उपयोग करने लिए कोई भी व्यक्ति http:ndiabudget.gov.in से इसे डाउनलोड कर सकता है। इसके अलावा गूगल प्ले स्टोर से भी आप इस मोबाइल ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं।

वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट का लाइव प्रसारण डीडी न्यूज और संसद टीवी पर भी उपलब्ध होगा। इसके साथ ही यह डीडी न्यूज, संसद टीवी, और अन्य समाचार चैनलों पर भी उपलब्ध होगा। इसके साथ ही सरकार के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जैसे फेसबुक, वित्त मंत्रालय के ट्विटर हैंडल और यूट्यूब पर भी आम बजट का सीधा प्रसारण देख सकते हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना बजट भाषण जब पूरा कर लेंगी, तब मोबाइल ऐप पर आम बजट के डॉक्यूमेंट उपलब्ध होंगे। यह मोबाइल ऐप हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषा में है, जो एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे। गौरतलब है कि सरकार ने साल 2021 में पहली बार पेपरलेस बजट पेश किया था। उस वक्त संसद सदस्यों और आम जनता को बजट डॉक्यूमेंट एक्सेस कराने के लिए यूनियन बजट मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया था।

उल्लेखनीय है कि इस बार वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट से विभिन्न सेक्टर को बड़ी उम्मीदें हैं। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार का मुख्य फोकस स्वास्थ्य और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास था लेकिन इस साल कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वेरिएंट ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। कोरोना और महंगाई की दोहरी मार झेल रहे आम आदमी को भी इस बार बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। ऐसे में देश की जनता के जख्मों पर सरकार आम बजट के जरिए अवश्य मरहम लगाने का काम करेगी।

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Chhapra: चर्चित युवा नेता सह वाईपीएल संयोजक युवराज सुधीर सिंह द्वारा शुक्रवार को शहर के दरोगा राय चौक स्थित शिव भवानी बजाज में बजाज की नई पल्सर मॉडल को लांच किया. इस दौरान युवराज सुधीर सिंह ने पल्सर N250 और  NS350 का भव्य रूप से लांच किया.

इस दौरान श्री सिंह ने बताया कि पल्सर सीरीज में 250 सीसी की यह पहली बाइक है. कीमत क्रमश 1.45 लाख, 1.40 लाख है. लॉन्चिंग इवेंट के दौरान उन्होंने बताया कि यह बाइक अपने आप मे बेहद खास है. उन्होंने बताया कि पल्सर के इस मॉडल में मोबाइल चार्जिंग पॉइंट की भी सुविधा दी गयी है. साथ ही साथ यह 35 किमी माइलेज के साथ बाइक में स्लीपर क्लच के साथ इनफिनिटी डिस्पले व एन्टी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम इस बाइक की खासियत है.

लॉन्चिंग इवेंट के दौरान ग्राहक भी गाड़ियों की बुकिंग व खरीदारी करने पहुंचे. वही शिव भवानी बजाज के एमडी अभिषेक सिंह ने

बताया कि पल्सर का यह नया मॉडल लोगों को बेहद पसंद आएगा. इस मौके पर रूपेश सिंह, मशरख प्रमुख मंटू सिंह, पानापुर प्रमुख लोटा सिंह, अजीत सिंह, डॉ जितेंद्र सिंह, शो रूम मैनेजर अमरेश कुमार सिंह, राजकुमार राय आदि मौजूद रहे.

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Chhapra:  शादियों का मौसम शुरू होने वाला है. ऐसे मेंं सोने और चांदी के गहनों की बिक्री बढ़ जाता है. बिक्री बढ़ने के साथ सरांफ़ा बाजार में गहनों के दामों में भी तेजी आई है.

सोना और चांदी के भाव अचानक तेजी से उछल गये. चांदी का भाव 2000 रुपये प्रति किलो बढ़ गया तो सोना के भाव में भी 750 रुपये प्रति 10 ग्राम की उछाल आई. इसके पीछे बड़ा कारण शादी-विवाह के लग्न की मांग को माना जा रहा है. 14 नवंबर से वैवाहिक मुहूर्त शुरू होने वाले हैं. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सोना-चांदी की मांग और बढ़ेगी, जिस कारण उनके दाम भी और बढ़ेंगे.

छठ महापर्व के दो दिवसीय अवकाश के बाद शुक्रवार को सराफा बाजार भारी बढ़त के साथ खुला. चांदी का भाव 2000 रुपये प्रति किलो बढ़कर 68,000 रुपये पर पहुंच गया. इसी तरह सोना बिठूर का भाव 750 रुपये प्रति 10 ग्राम बढ़कर 50,500 रुपये पर पहुंच गया. सोना 22 कैरेट का भाव भी 750 रुपये प्रति 10 ग्राम बढ़कर 50,350 रुपये पर पहुंच गया. अचानक इस बड़ी तेजी का कारण शादी-विवाह के लग्न की मांग है.

नवंबर एवं दिसंबर के दौरान शुभ मुहूर्त कम हैं, लेकिन शादियों की संख्या ज्यादा है. बाजार सूत्रों का कहना है कि कोरोना के कारण वर्ष 2020 से ही शादियां टल रहीं हैं. तीन सीजन की शादियां टलीं हैं, इसलिए बाजार का आकार भी तीन गुना बढ़ा है. आभूषणों की बिक्री में तीन गुना ग्रोथ की वजह से सोना और चांदी की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है.

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Chhapra: कोरोना काल में मंद पड़े व्यापार बाजार को संजीवनी मिली है. बाजार के लिए धनतेरस पर्व मंगलकारी साबित हुआ. पर्व पर मंगलवार को आटोमोबाइल्स, सराफा, इलेक्ट्रॉनिक सामान, रीयल स्टेट, फूलमाला और मिष्ठान के अलावा बर्तनों के बाजार में धन की जमकर बारिश हुई.

पर्व पर अपरान्ह से ही बाजारों में खरीददारों की भीड़ उमड़ने लगी. शहर के सभी प्रमुख बाजारों में शाम ढलते-ढलते खरीदारों का सैलाब उमड़ पड़ा. स्वर्ण आभूषण, आटोमोबाइल, फर्नीचर, इलेक्ट्रानिक्स सामान, स्टील के बर्तन, लाई, लावा, चूड़ा व रेवड़ी के साथ साथ चीनी का खिलौना व गट्टों की भी खूब बिक्री हुई.

झालरों व बच्चों के खिलौनों,पटाखों की दुकानों पर भी खरीदारों की भीड़ रही. खरीददारों की देर रात तक ठसाठस भीड़ रही. पटरियों पर गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों, विद्युत झालरों, फूल-माला, बर्तनों की भी खूब बिक्री हुई. लोगों ने स्टील के चम्मच से लेकर घर-मकान, गाड़ी तक खरीदे. दुकानों पर ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आकर्षक इलेक्ट्रिक झालरों से प्रतिष्ठानों की शानदार सजावट की गई थी. सराफा बाजार में सोने-चांदी के सिक्के की बिक्री जमकर हुई. लोगों ने पहले बुकिंग करा कर सिक्के लिए. लक्ष्मी-गणेश के साथ पुराने सिक्के जिसमें विक्टोरिया की मांग सबसे ज्यादा रही. दीपावली पर उपहार देने व पूजा करने के लिए सोने व चांदी के सिक्के खूब बिके.

ऑटोमोबाइल शोरूम में भी भारी भीड़ रही. इसमें दो पहिया, चार पहिया के साथ ट्रैक्टर व कामर्शियल वाहन भी बिके. टीवी, होम थिएटर, फ्रीज, एसी, वाशिंग मशीन, ओवन, होम अप्लाइंसेस, किचन अप्लाइंसेस आदि सामान लेने के लिए लोग बेहद उत्सुक दिखे. विभिन्न कंपनियों ने शून्य फीसद ब्याज पर सामान देने के साथ कैशबैक ऑफर, स्कीम, निश्चित उपहार की घोषणा भी की थी.

लगातार दो साल कोरोना काल के चलते चौपट हो चुकी अर्थव्यवस्था में धनतेरस बाजार ने नयी जान फूंक दी. कोरोना के खौफ को भुलाकर लोगों ने खरीददारी की. 

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Patna: धनतेरस पर कार बाजार ऊंचाइयों को छू रहा है. कार खरीदने को बिहार में करीब 7000 लोगों ने बुकिंग कराई है. हालांकि महज 2000 से 2200 लोगों को ही कार मिलनी संभव होगी. शेष खाली हाथ रह जाएंगे. वजह यह कि शोरूमों में कारों की कमी है. कंपनियों से जितनी डिमांड की गई थी, उसके अनुरूप कारों की आपूर्ति ही नहीं हो सकी.

मारुति के अधिकृत डीलर अलंकार आटोमोबाइल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि शोरूम में 1000 कारों की बुकिंग है. महज 440 ग्राहकों को धनतेरस पर डिलीवरी दी जा सकेगी. उन्होंने कहा कि मारुति कारों के लिए सिर्फ पटना में करीब 1800 बुकिंग मिली है.

सभी कंपनियों को मिलाकर पटना में 3500 कारों के लिए बुकिंग का अनुमान है. इसी तरह से पूरे बिहार में 7000 के करीब ग्राहकों ने कारों के लिए बुकिंग कराई है. फाडा के सदस्य व महिंद्रा एंड महिंद्रा के अधिकृत डीलर लीडर आटोमोबाइल्स के निदेशक पुष्पेश सरस ने कहा कि पटना में 1000 से 1200 कारों की ही डिलीवरी हो पाएगी. अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि बिहार में 2000 से 2200 ग्राहकों को कारें मिल पाएंगी. शेष ग्राहकों को बाद में डिलीवरी होगी.

उन्होंने कहा कि मारुति के पास सीएनजी वर्जन है लेकिन इसका भी शार्टेज है. हुंडई के डीलर इम्पेरियल शोरूम के निदेशक उदय शंकर ओझा ने कहा कि औरा, सेंट्रो का सीएनजी वर्जन के लिए एक माह की वेङ्क्षटग हैं. धनतेरस पर कुल 50 गाडियों की ही डिलीवरी हो पाएगी इसमें 12 सीएनजी माडल है. मेरे यहां कुल  175 बुकिंग हुई है. 125 ग्राहकों को गाड़ी नहीं दे पाएंगे.

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