पटना: बिहार में बक्सर जिले के चौसा प्रखंड अन्तर्गत गंगा घाटों पर लाश मिलने के मामले में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की पीठ ने बुधवार को स्वत संज्ञान लेते हुए शवों के संबंध में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
हाईकोर्ट ने नदी में लाश मिलने को परेशान करने वाला करार देते हुए सरकार से जानना चाहा कि इस मामले में क्या किया गया है. इस पर जवाब देते हुए बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने जानकारी दी कि सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और बक्सर और कैमूर के जिलाधिकारियों ने उप्र के बलिया और गाजीपुर जिले में अपने समकक्षों से बात की है ताकि ऐसी किसी भी स्थिति की पुनरावृत्ति को रोका जा सके.
एडवोकेट जनरल ने हाईकोर्ट को बताया कि बिहार और यूपी की सीमा से सटे दोनों जिले कैमूर और बक्सर में कोरोना संक्रमण की दर बहुत ही कम है. यह 2-3 प्रतिशत है. यूपी के अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान बक्सर और कैमूर के डीएम, जिन्होंने बलिया और गाजीपुर का दौरा किया, को ‘डोम राजा’ (श्मशान घाट के प्रभारी) द्वारा सूचित किया गया कि 40 शवों को नदी में फेंक दिया गया था क्योंकि, लोगों ने शव का अंतिम संस्कार नहीं किया. अफसरों के पास उसका वीडियो भी है. बिहार सरकार ने भी नदी में जाल का उपयोग किया है.
संजय करोल की पीठ ने जानना चाहा कि शवों का क्या हुआ और क्या उनका धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया. पीठ ने ग्रीन ट्रिब्यूनल का भी हवाला दिया जो नदी में फेंके गए शवों के मामले को देखे. ललित किशोर ने इस पर कहा कि संबंधित अधिकारियों से इस मामले पर पूरी जानकारी लेने के बाद गुरुवार को हाईकोर्ट में एक विस्तृत जवाब देंगे.
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले बक्सर जिले में गंगा नदी के किनारे एक साथ कई लाशें मिलने से हड़कंप मच गया था.