बिहार का सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग हुआ पेपरलेस

बिहार का सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग हुआ पेपरलेस

पटना: बिहार सरकार में श्रम संसाधन और आईटी मंत्री जीवेश मिश्रा ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में बने ई-ऑफिस का उद्घाटन किया। ई-ऑफिस के उद्घाटन के बाद सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग अब पूरी तरह से पेपरलेस हो गया है।

मंत्री जीवेश कुमार ने प्रेसवार्ता में कहा कि विभाग में कोई भी फाइल ऑनलाइन ही एक दूसरे के पास जाएगी। विभाग का शत प्रतिशत काम अब ऑनलाइन ही होगा। इसके लिए सभी फाइलों का स्कैन कर कंप्यूटर में अपलोड कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार के सूचना एवं प्रावैधिकी की विभाग में अब अलमारियों में फाइलें धूल नहीं खाएंगी। विभाग ने यहां की पूरी व्यवस्था में बदलाव करते हुए पूरी तरह डिजिटलाइज्ड कर दिया है। अब यहां सारे काम पेपरलैस तरीके से की जाएगी।

जीवेश मिश्र ने कहा कि चार माह से इस विभाग से जुड़े हुए हैं। इस दौरान विभाग को पेपरलेस करने के लिए प्रयास किया जा रहा था। अब इसे पूरा कर दिया गया है। अब इस विभाग में सभी कार्य पेपरलेस तरीके से किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि यहां तक कि डाक से जुड़े मामले भी पेपरलेस कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे ट्रांसपेरेंसी आएगी। साथ ही कार्य के प्रति लोगों में जिम्मेदारी बढ़ेगी। फाइलों को खोजने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आएगी।

जीवेश मिश्रा ने कहा कि यह बिहार का पहला विभाग है जिसे पूरी तरह से पेपरलेस कर दिया गया। पेपरलेस होने का बड़ा फायदा पर्यावरण को भी होगा। क्योंकि कागज की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही काम में तेजी आएगी और फाइलों के बारे में तुरंत जारी कर दी जाएगी। जीवेश मिश्र ने कहा इससे लोगों को भी फायदा होगा।इससे पहले दूसरे विभाग ने कोशिश की थी लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। इस दौरान उन्होंने बताया कि इसे पूरी तरह से सुरक्षित बनाया गया है और सारे डाटा की एक सुरक्षित फाइल भी तैयार की गई है,ताकि उसकी चोरी होने की संभावना को खत्म किया जा सके।

नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था के 15वें पायदान पर रहने यानी सबसे नीचे पहुंचने को लेकर विपक्ष के प्रश्न का करारा जवाब देते हुए मंत्री जीवेश ने कहा कि लालू-राबड़ी शासनकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था का जो हाल था उसे दुरुस्त किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि 1990 से 2005 तक जब विपक्ष के लोग सत्ता में थे तब तो उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।

अब जब हमारी सरकार सत्ता में आई है तो पहले की खामियों को ही पहले दुरुस्त करने में काफी समय लग रहा है। जाहिर है कि इसमें थोड़ा समय लगेगा। सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। रिपोर्ट में अभी बिहार 15वें नंबर पर जरूर है लेकिन उसे नंबर 1 बनाने के लिए हर संभव प्रयास जारी है।

उल्लेखनीय है कि नीति आयोग ने बिहार सरकार की व्यवस्था की पोल खोल दी है। देशभर में बिहार के अस्पतालों का सबसे बुरा हाल है। केंद्र सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार में एक लाख की आबादी पर मात्र 6 ही बेड हैं। भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की लिस्ट में बिहार नीचे से नंबर वन है। यानी कि बिहार इस मामले में सबसे फिसड्डी राज्य है।

नीति आयोग की ओर से ‘जिला अस्पतालों के कामकाज में बेहतर गतिविधियों’ पर रिपोर्ट पेश की गई है। इस रिपोर्ट को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ इंडिया ने आपसी सहयोग से तैयार किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख आबादी पर औसतन 24 बिस्तरें हैं। इसमें पुडुचेरी में जिला अस्पतालों में सबसे ज्यादा औसतन 222 बिस्तरे उपलब्ध हैं जबकि इस मामले बिहार के जिला अस्पतालों का सबसे बुरा हाल है। बिहार के जिला अस्पतालों की बात करें तो यहां प्रति एक लाख आबादी पर मात्र छह बेड उपलब्ध है।

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