बेगूसराय: आजादी के बाद देश में स्थापित होने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का पहला और बिहार का एकलौता रिफाइनरी आइओसीएल बरौनी 57 साल का हो गया।
देश प्रथम के लक्ष्य पर काम करने वाली इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की बरौनी रिफाइनरी बिहार और आसपास के राज्यों के साथ नेपाल में पेट्रोलियम जरूरतों को पूरा कर रही है। इसके साथ ही मेक इन इंडिया पहल को भी तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रिफाइनरी विस्तार परियोजना के तहत कच्चे तेल की संसाधन क्षमता को छह से बढ़ाकर नौ मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष करने का शिलान्यास किया है। यह विशाल परियोजना मौजूदा रिफाइनरी परिसर में नई यूनिटों की स्थापना, यूनिटों के पुनरुद्धार, ऑफसाइट सुविधाओं में सुधार आदि द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। इसके साथ ही विश्वस्तरीय पॉलिप्रोपिलीन यूनिट भी कमीशन होगी, जिससे डाउनस्ट्रीम प्लास्टिक उद्योगों का मार्ग प्रशस्त होगा।
बरौनी रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल की स्थापना से बिहार में प्लास्टिक उद्योगों में बड़ी क्रांति आएगी, स्वरोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे। रिफाइनरी के ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा और यह कच्चे तेल के आयात को कम करने में भी मददगार होगा। परियोजना का कई यूनिट इंडियन ऑयल के आरएंडडी केंद्र द्वारा मेक इन इंडिया के तहत स्वदेश में ही विकसित किया गया है। वहीं, स्वदेशी तकनीक से इंडजेट यूनिट से जेट ईंधन (एटीएफ या विमान टर्बाइन इंधन) उत्पादन के लिए यूनिट स्थापित किया गया है तथा जल्द ही हवाई ईंधन का उत्पादन शुरू हो जाएगा तथा बिहार एवं आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन की आवश्यकता पूरी होगी।
उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी 1965 को तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रो. हुमायूं कबीर द्वारा एक मिलियन मैट्रिक टन शोधन क्षमता के बरौनी रिफाइनरी का उद्घाटन किया गया था। 1969 में इसकी क्षमता एक से बढ़ाकर तीन एमएमटीपीए कर दिया गया। इसके बाद 1999 में रिफाइनरी की क्षमता का नवीकरण कर तीन से छह एमएमटीपीए किया गया था। अब नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा इसकी क्षमता छह से बढ़ाकर नौ एमएमटीपीए कर रही है तथा 2024 तक यह क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है।
बरौनी रिफाइनरी को 1965 में असम के कम सल्फर कच्चे तेल (स्वीट क्रूड) को संसाधित करने के लिए डिजाइन किया गया था। पूर्वोत्तर में अन्य रिफाइनरियों की स्थापना के बाद असम में कच्चे तेल की उपलब्धता कम हो रही थी। इसलिए स्वीट क्रूड अफ्रीका, नाइजीरिया और मलेशिया से मंगाया जा रहा था। वर्तमान में रिफाइनरी को हल्दिया के माध्यम से पूर्वी तट पर स्थित पारादीप से पाइपलाइन द्वारा कच्चा तेल प्राप्त होता है। बरौनी रिफाइनरी में विभिन्न सुधारों और विस्तार परियोजनाओं के साथ उच्च सल्फर क्रूड को संसाधित करने की क्षमता को जोड़ा गया है। जो सऊदी अरब और इराक जैसे मध्य पूर्व के देशों से आयातित होता है।
उच्च सल्फर कच्चा तेल, कम सल्फर कच्चे तेल से सस्ता होता है। बरौनी रिफाइनरी मुख्य रूप से डीजल उत्पादक रिफाइनरी है, इसका 54 प्रतिशत से अधिक उत्पाद मिश्रण एचएसडी के रूप में है। अन्य उत्पादों में केरोसिन, पेट्रोल, एलपीजी, नेप्था, कच्चा पेट्रोलियम कोक, फर्नेस ऑयल, कार्बन ब्लैक फीड स्टॉक, सल्फर और कोलतार है। जो कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मांग पूरा करती है। नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन भी बरौनी रिफाइनरी से एलपीजी समेत अन्य ईंधन आयात करता है।
आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए सदा समर्पित इंडियन ऑयल के लिए हमेशा पहले देश है, फिर व्यापार। आज इंडियन ऑयल केवल ईंधन ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ऊर्जा समाधान के साथ देश के सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इंडियन ऑयल लगातार वैकल्पिक ऊर्जा समाधानों के माध्यम से सतत विकास के लिए अपनी सीमाओं का विस्तार कर रहा है। जिसमें सीएनजी, सीबीजी, इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल, बायोडीजल, ऑटोगैस और हाइड्रोजन ऊर्जा शामिल है।

									
									
									
									
									
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																





                        
				
				
				
				
				
				
				
				
				
				