Chhapra: वैश्विक महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है. देश में लॉक डाउन जारी है. प्रधानमंत्री के अपील के बाद पूरा देश अपने अपने घरों में रहकर कोरोना की जंग लड़ रहा है. कोरोना की जंग में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें ना अपनी परवाह है, ना घरवालों की और ना ही शहरवासियों की.

पूरा विश्व इस महामारी से लड़ने के लिए अपने घरों में कैद है, तो वही कुछ लोग जानकारी होते हुए भी अपनी जान खतरे में तो डाल ही रहे हैं. साथ ही साथ परिवार और शहरवासियों की जान खतरे में डाल रहे हैं. कोरोना से लड़ने के लिए पुलिस वाले अपनी जिम्मेदारी तो निभा ही रहे हैं, जो लोग इस चीज को नहीं समझ रहे है तो उन पर शक्ति भी बरत रहे हैं. छपरा शहर में चौक चौराहे पर पुलिस की तैनाती की गई है और लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है. तब भी कुछ लोग चौकसी के बाद भी मटरगश्ती करते दिखाई दे रहे हैं.

शहर के नदी तट पर बालू की रेत पर कई दिनों से बच्चे कबड्डी खेलते देखे जा रहे हैं. वही इसका लाइव प्रसारण भी फेसबुक के माध्यम से कर रहे हैं. इन्हें ना तो अपनी जान की परवाह है और ना ही अपने घर वालों की.

छपरा टुडे आपसे अपील करता है कि वैश्विक संकट की घड़ी में घर में रहकर कोरोना महामारी के चेन को तोड़ने का बेहतर विकल्प है. खुद भी घर से ना निकले और बच्चों को भी घर से ना निकलने दें.

• 6वें से 5वें स्थान पर पहुंचा

• राज्य स्वास्थ्य समिति ने जारी की रैंकिग

• 34 स्वास्थ्य सूचकांको पर तय की गयी रैंकिंग

Chhapra: जिले के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में बढ़ोतरी हुयी है. इसके लिए राज्य स्वास्थ्य समिति नियमित तौर पर जिला स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा भी करती है. इसी कड़ी में राज्य स्वास्थ्य समिति ने 34 स्वास्थ्य सूचकांकों की समीक्षा कर जिलावार रैंकिंग जारी की है. जिसमें जिले ने निर्धारित सूचकांकों में प्रगति की है. यही वजह है कि राज्य भर में बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले जिलों की सूची में सारण को 5वां स्थान प्राप्त हुआ है। इस साल जनवरी माह की रैंकिंग में जिले को 6वां स्थान प्राप्त हुआ था। फरवरी माह की रैंकिंग में 5 वां स्थान मिला है।

34 स्वास्थ्य सूचकांकों के आधार पर हुयी रैंकिंग

सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति ने 34 स्वास्थ्य सूचकांकों के आधार पर राज्य स्तरीय रैंकिंग जारी की है. जिसमें जिले की स्थिति पहले की तुलना में और बेहतर हुयी है. बेहतर कार्य के बदौलत 5 वां स्थान प्राप्त कर सका है. इससे जिले के समस्त स्वास्थ्य कर्मियों का उत्साह वर्धन भी हुआ है. साथ ही इस रैंकिंग को बरक़रार रखने के साथ आगे बढ़ने की चुनौती भी अब बढ़ गयी है. इसके लिए जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मियों को बेहतर प्रदर्शन करने होंगे. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में जिला टॉप 3 की सूची में शामिल हो सकेगा. इसमे डीपीएम अरविंद कुमार, जिला अनुश्रवण सह मूल्यांकन पदाधिकारी भानु शर्मा , डीपीसी रमेश चन्द्र प्रसाद समेत सभी स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग सराहनीय है।

इन सूचकांकों को किया गया शामिल

34 स्वास्थ्य सूचकांकों पर रैंकिंग तैयार की गयी है. जिसके लिए 800 अंक निर्धारित किये गए थे. जिसमें गर्भवती महिलाओं का निबंधन, प्रसव पूर्व पहली तिमाही में महिलाओं का निबंधन, संस्थागत प्रसव, आधुनिक परिवार कल्याण के उपायों की दर, सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भर्ती बच्चों की संख्या एवं भर्ती रहे दिनों की संख्या , पूर्ण टीकाकरण, खून की कमी दूर करने में आयरन टैबलेट की आपूर्ति, एंबुलेंस का प्रतिदिन परिवहन की दर, पीएचसी स्तर पर प्रति लाख जनसंख्या में हर माह ओपीडी की सेवा उठाने वाले मरीजों की संख्या, लेबोरेटरी में स्वास्थ्य जाँच कराने वाले लोगों की संख्या , अल्ट्रासाउंड की उपयोगिता दर, खोजे गए नए टीबी मरीजों की संख्या, टीबी और कालाजार मरीजों के लिए दवा उपलब्धता की स्थिति , ओपीडी दवाओं की उपलब्धता, पैसे का खर्च, आशा का प्रशिक्षण, आशा का भुगतान, कन्या उत्थान योजना का भुगतान और चिकित्सकों का ओपीडी में प्रदर्शन शामिल किया गया है।

स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में हो रही बढ़ोतरी

क्षेत्रीय अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ अरविंद कुमार गुप्ता ने बताया कि सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है। राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से रैंकिग जारी की गई है। जिसमें जिले को राज्य भर में 5वां स्थान प्राप्त हुआ है. यह स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में हो रही बढ़ोतरी को दर्शाता है. सभी स्वास्थ्य कर्यक्रमों का लाभ समुदाय के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना जरुरी है. इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत है. आने वाले समय में इससे भी बेहतर रैंकिंग की उम्मीद की जा सकती है.

Chhapra: सारण ज़िला में मुस्लिम समुदाय के लोगों के सौजन्य से कोरोना आपदा में हर समुदाय हर वर्ग के मजबूर बेसहारा ग़रीब ज़रूरतमंद परिवारों को राशन मुहैया कराया जा रहा है. अहमद रज़ा वेलफ़ेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष हाजी आफ़ताब आलम खान ने बताया कि छपरा नगर निगम क्षेत्र में लगभग 25 दिनों से हर मुहल्ले में मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा सूखा राशन एवं भोजन वितरण कार्य किया जा रहा हैं. प्रवासी मज़दूरों को भी भोजन पानी की व्यवस्था एवं आर्थिक मदद की जा रही है. ज़िले भर में चिन्हित और दस हज़ार ग़रीब ज़रूरतमंद परिवारों को सूखा राशन मुहैया कराने का लक्ष्य है.

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उन्होंने बताया कि सारण ज़िले में ज़रूरतमंदों की मदद के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग काफ़ी बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे है. सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सूखा राशन का पैकेट तैयार कराया जा रहा है.

इस कार्य में हाजी अब्दुल्लाह खान, परवेज़ आलम खान, हाजी आफताब हुसैन क़ादरी, हाजी जमाल खान, हाजी असलम खान, हाजी फखरूद्दीन अहमद खान, मो० आरिफ़ खान, मेराज खान, मो० यूसुफ़ खान, हाजी आफाक अहमद खान, नासीर हसन खान, शाहीद खान, हाजी फ़हीम अशरफ़ खान, मो० अरमान एवं हाजी मेहरे आलम खान आदि ने मुख्य रूप से हिस्सा ले रहें हैं.

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Chhapra: वैश्विक महामारी को लेकर संपूर्ण लॉकडाउन के बीच ब्रज किशोर किंडरगार्डन की प्राचार्य डॉ उषा सिन्हा ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कराई है. उन्होंने बताया कि कर्मठ, योग्य, कुशल और प्रशिक्षित शिक्षकों के साथ सरकार द्वारा मिले मार्गदर्शन और अनुशासन का पालन करते हुए बच्चों को घर बैठे सुरक्षित रखकर ऑनलाइन पढ़ाई देने का सुअवसर प्रदान किया गया है, ताकि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना हो और उनका पाठ्यक्रम भी समय से पूरा हो.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के वजह से बाधित हो रही पढ़ाई नई मॉडर्न टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़कर निराश बच्चे और उनके अभिभावक काफी खुश और संतोष दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अपनी प्रतिपुष्टि ऑनलाइन के जरिए ही सकारात्मक तरीके से शिक्षकों को देंगे. इस माध्यम से बच्चे घर में रहकर नियमित पढ़ाई और शिक्षकों से मिले गृह कार्य में आई कठिनाई को एक दूसरे से साझा कर हल कर सकेंगे.

इस संबंध में अभिभावकों से मिले योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और घर में स्वस्थ और सुरक्षित रहने का संदेश दिया.

Chhapra: कोरोना संक्रमण के दौरान लॉक डाउन के बीच छपरा का अशोक अलंकार आगे आकर लोगों की मदद कर रहा है. अशोक अलंकार द्वारा आम लोगों को बांटने के लिये 10 हज़ार मास्क दिया गया है. मंगलवार से लोगों के बीच मास्क वितरण का कार्य जारी है. अशोक अलंकार के मालिक अरुण कुमार गुप्ता द्वारा जरूरतमंद लोगों की मदद की जा रही है. इसके तहत इस ज्वेलरी शॉप की ओर से जरूरत मंद लोगों के बीच खाद्य सामग्री वितरण कार्य भी किया जा रहा है.

अशोक अलंकार के अरुण कुमार गुप्ता ने बताया कि युवा क्रांति रोटी बैंक को मास्क व खाद्य सामग्री दी गयी है. ताकि लोगों के बीच इसे बांटा जा सके. गुरुवार को अशोक अलंकार के अश्वनी गुप्त द्वारा शहर कस कई इलाकों में 100 से अधिक जरूरमंद परिवारों को खाद्य सामग्री उपलब्ध करायी गयी. इस दौरान सोशल डिस्टनसिंग का भी पूरा ख्याल रखा गया ताकि किसी भी प्रकार से संक्रमण का खतरा न हो. इस दौरान डॉ सुनील भी मौजूद थे.

इस मौके पर अशोक अलंकार के अश्विनी गुप्ता ने बताया कि फिलहाल लॉक डाउन में दुकानें बंद है ऐसे में व्यापारियों व दुकानदारों को अभी पैसा कमाने का नही सेवा करने का समय है. जितना हो सके हर जरूरतमंद को मदद पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.A valid URL was not provided.

Chhapra: विगत एक महीने के लॉकडाउन में पूरी दुनिया अस्त व्यस्त हो गयी है वहीं विद्यार्थीओं के पठन पाठन पर इसका गहरा असर पड़ा है. शहर के सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल ने विद्यालय की लगभग समस्त गतिविधियों को ऑनलाइन कर दिया है. जिसका सीधा लाभ अभिभावकों और विद्यार्थियों को हो रहा है.

विद्यालय प्रबंधक विकास कुमार ने बताया कि लॉक डाउन के प्रथम सप्ताह में यह समझ आ गया था कि ये लड़ाई लम्बी होने वाली है. तभी से विद्यालय ने बच्चों को ऑनलाइन असाइनमेंट, प्रोजेक्ट देना शुरू कर दिया था. जिसको अभिभावकों ने काफी सराहा और विद्यार्थीओं ने काफी रुचि दिखाई. विगत सप्ताह से विद्यालय अब स्कूल के सहज ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुँच रहा है.

वीडिओज़, ऑडियो कॉन्टेंट, नोट्स और होम असाइनमेंट्स के माध्यम से पढ़ाई हो रही है. जिन बच्चों के पास ऑनलाइन सुविधा नहीं है वो अपने विषय शिक्षक से मोबाइल के माध्यम से अपने प्रश्नों का हल पा रहे है. पाठ्य पुस्तक की प्रतियाँ पूर्व में ही विद्यार्थीओं को ऑनलाइन मुहैया करा दी गयी है. सीपीएस ग्रुप के चेयरमैन डॉ हरेन्द्र सिंह ने आशा व्यक्त किया कि जल्दी ही सारी गतिविधियां पूर्व की तरह समान्य हो जाएंगी.

Chhapra: छपरा के खेमाजी टोला में रविवार की रात ताड़ के पेड़ पर बिजली गिरने से पेड़ में आग लग गई. ताड़ का पेड़ खाली जमीन में था किसके कारण किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि बहुत तेज आवाज के साथ बिजली गिरी. जब घर की बालकनी से देखा तो ताड़ के पेड़ में आग लग गई थी. आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई. फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची. ताड़ का पेड़ जलकर खुद-ब-खुद गिर गया.

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बताते चलें कि रविवार की रात सारण जिला के कई क्षेत्रों में आंधी तूफान के साथ झमाझम बारिश हुई. कई इलाकों में बिजली गिरने की सूचना भी मिल रही है. वही सारण के कई प्रखंडों में ओला गिरने की सूचना भी है.

मुम्बई: बॉलीवुड के दबंग खान, सलमान खान अब अपना यूट्यूब चैनल शुरू कर रहे है. सलमान ने अपने फेसबुक एकाउंट से एक गीत जारी करने की बातें साझा की है. सलमान ने लिखा है कि ‘प्यार करोना’ नाम से एक गीत वे कल अपने नए यूट्यूब चैनल BeingSalmanKhan पर जारी करेंगे.

उन्होंने बताया है कि इस गीत को सलमान खान और हुसैन दलाल ने गाया है. वही संगीत से साजिद- वाजिद ने सजाया है.

टीज़र शेयर करते हुए सलमान ने लिखा- ‘मैं अपने हैंडल से पोस्ट कर रहा हूं ताकि आपको पता चल सके कि मेरे यूट्यूब चैनल पर कल, मेरा क्या? यह हमारा है! गाना कल रिलीज होगा. आशा करता हूं आप इसे हैंडिल कर सकें’.

यहां देखे टीजर

पटना: 20 और 21 अप्रैल को उत्तर-पश्चिम बिहार के पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीवान, सारण, गोपालगंज, उत्तर-मध्य बिहार के सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, शिवहर, समस्तीपुर, उत्तर-पूर्व बिहार के सुपौल, अररिया, मधेपुरा, किशनगंज, सहरसा, पूर्णिया, दक्षिण-पश्चिमी बिहार के बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, दक्षिण मध्य बिहार के पटना, गया, नालंदा, शेखपुरा, बेगूसराय, लखीसराय, नवादा, दक्षिण पूर्व बिहार के कटिहार, भागलपुर, बांका, मुंगर, खगड़िया और जमुई में कुछ स्थानों पर गरज के साथ बारिश होने की संभावना है. एक या दो स्थानों पर बिजली गर्जन के साथ बौछार पड़ने की संभावना है. साथ ही 30 से 40 किमी प्रति घंटे की गति से तेज हवा के चलने की संभावना है.

इस तरह की परिस्थितियां पूर्व भारत में अक्सर बनती हैं. इसे काल बैसाखी भी कहा जाता है़ इस दौरान हवा की रफ्तार 60-70 किलोमीटर प्रति घंटे की हो सकती है़ इसका असर खलिहान में रखी फसल पर पड़ना स्वाभाविक है. बिहार के संदर्भ में आम और लीजी के उत्पादन पर इसका अच्छा खासा असर पड़ सकता है. दरअसल आम के झड़ने के आसार ज्यादा रहते हैं.

-कोरोना को मात देने की तैयारी में जुटी जीविका दीदियाँ

-कोरोना संक्रमण से लोगों के बचाव के लिए बना रहीं मास्क

-1 लाख से अधिक सामुदायिक सदस्यों के मोबाइल नंबर किये एकत्रित

-मोबाइल वाणी मंच की सहायता से वॉयस मैसेज भेज कर फैला रही जागरूकता

Chhapra:  कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने विश्व भर में आपातकालीन स्थिति पैदा कर दी है. धीरे-धीरे संक्रमण का प्रसार देश के साथ बिहार में बढ़ने लगा है. इसकी रोकथाम एवं पीड़ितों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करने की दिशा में सरकार हर संभव प्रयास भी कर रही है. अब इस महामारी को मात देने के लिए जीविका कार्यकर्ता भी जुट गए हैं. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सरकार द्वारा मास्क के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है. अचानक मास्क की मांग बढ़ने के कारण बाजारों में मास्क की कमी भी देखने को मिल रही है. इसलिए जीविका ने इस दिशा में पहल की है. राज्य के सभी जिलों में जीविका दीदियाँ सक्रिय होकर मास्क बनाने में जुट गयी हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें भी जीविका समूहों के माध्यम से चिन्हित कर उनकी मदद की जाएगी.


जागरूकता का उठाया बीड़ा

कोविड-19 के वैश्विक महामारी घोषित होने पर जीविका ने पहल करते हुए कोरोना पर आईईसी मटेरियल तैयार करने का कार्य शुरू कर दिया, ताकि आम लोगों को इस रोग के बारे में जागरूकता फ़ैलाने और इससे निपटने की तैयारियों में मदद कर सके. जीविका अपने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अधिकतम परिवारों तक पहुँचने का प्रयास कर रही है एवं हैण्ड वाशिंग, क्वारंटीन, सामजिक दूरियाँ एवं आईसोलेशन जैसे महतवपूर्ण मुद्दों पर आम जागरूकता फैला रही है. जीविका ने अब तक 1 लाख से अधिक सामुदायिक सदस्यों के मोबाइल नंबर एकत्रित किये हैं और कोविड-19 के बारे में वॉयस मैसेज जारी करने के लिए मोबाइल वाणी मंच का उपयोग कर रहा है और उसी के माध्यम से समुदाय के प्रश्नों का उत्तर भी दे रहा है. साथ ही कोरोना पर जागरूकता बढ़ाने के मकसद से विडियो एवं गानों का भी सहारा लिया जा रहा है.

जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें जीविका समूह का मिलेगा सहयोग

जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि सभी राशन कार्ड धारकों को सरकार द्वारा 1000 रूपये की सहायता राशि दी जा रही है. साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नही हैं, उन्हें भी जीविका समूहों द्वारा चिन्हित कर उनकी मदद की जाएगी. इसके लिए ऐसे लोगों की पहचान करने का कार्य जीविका द्वारा प्रारंभ कर दिया गया है तथा शीघ्र ही इन परिवारों की पहचान कर उनकी भी मदद की जाएगी.

कोरोना को हराने में जीविका का हो सकता है महत्वपूर्ण योगदान

अन्य राज्यों की तुलना में अभी बिहार में कोरोना के कम मामले सामने आए हैं. लेकिन धीरे-धीरे राज्य में भी कोरोना का प्रसार देखने को मिल रहा है. ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि सामुदायिक स्तर पर अधिक से अधिक लोगों को कोरोना संक्रमण के बारे में जानकारी दी जाए एवं उन्हें इस गंभीर रोग से बचने की उचित सलाह दी जाए. जिसमें जीविका की भूमिका अहम् हो सकती है. राज्य के सभी जिलों में जीविका महिला स्वयं सहायता समूह बनाये गए है, जो महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त करने का कार्य कर रहा है. कोरोना काल में जीविका समूह द्वारा लोगों को कोरोना पर जागरूक करने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है.

Patna: तेजस्वी यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सूबे के छात्रों को दूसरे राज्य से वापस बुलाये जाने के फैसले को लेकर ट्विटर पर तारीफ की है. उन्होंने लिखा है कि ”उप्र के मुख्यमंत्री का यह कदम सराहनीय है. लेकिन, बिहार का क्या करे, जहां हजारों छात्र कोटा के जिलाधिकारी से विशेष अनुमति लेकर आएं, लेकिन बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सीमा पर रोक प्रदेश में नहीं घुसने दिया? विद्यार्थी हो या अप्रवासी मजदूर बिहार सरकार ने संकट में सभी को त्याग दिया है.” तेजस्वी यादव ने अब फेसबुक पर मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र लिखा है.


आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी,
बिहार सरकार आखिरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों है? अप्रवासी मजबूर मजदूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुखी भरा व्यवहार क्यों है? विगत कई दिनों से देशभर में फंसे हमारे बिहारी अप्रवासी भाई और छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा कि सरकार के कानों तक जूं भी नहीं रेंग रही. आख़िर उनके प्रति असंवेदनशीलता क्यों है?

गुजरात, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें जहां अपने राज्यवासियों के लिए चिंतित दिखी और राज्य के बाहर फंसे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम किया, वहीं बिहार सरकार ने अपने बाहर फंसे राज्यवासियों को बीच मंझधार में बेसहारा छोड़ दिया है. देशव्यापी लॉकडाउन के मध्य ही गुजरात सरकार ने हरिद्वार से 1800 लोगों को 28 लक्जरी बसों में वापस अपने राज्य में लाने का प्रबंध किया. उत्तर प्रदेश शासन ने 200 बसों के अनेकों ट्रिप से दिल्ली एनसीआर में फंसे अपने राज्यवासियों को उनके घरों तक पहुंचाया, राजस्थान के कोटा से यूपी के 7500 बच्चों को वापस लाने के लिए 250 बसों का इंतजाम किया. वाराणसी में फंसे हजारों यात्रियों को बसों द्वारा अनेक राज्यों में भेजा गया.

आखिर भाजपा शासित अन्य राज्य इतने सक्षम क्यों है और भाजपा के साथ सरकार में रहते हुए भी बिहार सरकार इतनी असहाय क्यों है? बिहार सरकार और केंद्र सरकार में भारी विरोधाभास नजर आ रहा है. केंद्र और राज्य सरकार में समन्वय और सामंजस्य कहीं दिख ही नहीं रहा. आप देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, लेकिन इस आपदा की घड़ी में बिहार के लिए उस वरिष्ठता और गठबंधन का सदुपयोग नहीं हो रहा है.

इस आपदा से निबटने में बिहार सरकार के दृष्टिकोण में भारी अस्पष्टता दिखाई देती है. आज कुछ कहते हैं, कल कुछ और करते हैं. जैसे कि दिल्ली एनसीआर से जब बिहारी मजदूर यूपी की मदद से वापस आने लगे, तो आपने कहा कि उन्हें बिहार में घुसने नहीं देंगे. कोटा से जब छात्र आयें, तो आपने उनको भी बिहार में प्रवेश करने नहीं दिया और उल्टे केंद्र सरकार से वहां के डीएम की शिकायत भी की. अपनी जनता से घुसपैठियों जैसा व्यवहार कोई सरकार कैसे कर सकती है?

जब जन दबाव आया, जगहंसाई हुई, तो सरकार ने उन लोगों को राज्य में प्रवेश की अनुमति दी. सरकार से कोई मदद ना मिलने की स्थिति में अब मेहनतशील मजदूर आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. यह अतिगंभीर मसला है. जैसा कि आप जानते होंगे विगत तीन दिनों में बिहार के तीन अप्रवासी मजदूरों की मृत्यु हुई है. एक की हैदराबाद में और कल पंजाब के अमृतसर और हरियाणा के गुड़गांव में दो युवकों की मृत्यु और हुई. ये लोग नौकरी छूटने, अपना पेट नहीं भरने के कारण मांगकर खाने, वापस घर नहीं जाने और सरकार द्वारा त्याग दिये जाने के कारण मानसिक अवसाद के शिकार हो चुके थे. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि उनके बेचारे परिजन उन मृत व्यक्तियों के अंतिम दर्शन भी ना कर सके और आखिरी समय में उन्हें जन्मभूमि की मिट्टी भी नसीब ना हो.

शुरुआत से कोरोना महामारी की इस लड़ाई में हम सरकार के साथ खड़े होकर उसे रोकने में हरसंभव मदद कर रहे हैं. मैं आपसे पुन: आग्रह कर रहा हूं कि आप पुनर्विचार करें और देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे सभी इच्छुक प्रवासी बिहारियों और छात्रों को सकुशल और सम्मान के साथ बिहार लाने का प्रबंध करें. सभी ट्रेनें खाली खड़ी हैं. आप रेलमंत्री भी रहे हैं, उस अनुभव का उपयोग किया जाये. सामाजिक दूरी और अन्य जनसुरक्षा निर्देशों का पालन कराते हुए बहुत आसानी से इन लोगों को इन ट्रेनों से वापस लाया जा सकता है. यहां आगमन पर अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य जांच, टेस्ट और क्वॉरेंटीन किया जाये.

अपने नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है. अपने राज्यवासियों को गैरबराबरी का अहसास मत कराइये. इस विपदा की घड़ी में बेचारे बाहर फंसे हुए हमारे लोग बड़ी उम्मीद से सरकार की तरफ देख रहे हैं कि सरकार उनको सकुशल घर तक पहुंचाने का इंतजाम करेगी, लेकिन सरकार की अस्पष्टता उनको निराश कर रही है. जितना संपन्न और समृद्ध व्यक्ति की जान की कीमत है, उतना ही एक मजबूर मजदूर की भी जान की कीमत है.

अगर गुजरात, यूपी सरकार और कोई बीजेपी सांसद अपने राज्यवासियों को निकाल सकता है, तो बिहार क्यों नहीं? केंद्र के दिशा-निर्देशों के पालन में समानता की मांग करिये. अगर बिहार के साथ दोहरा रवैया है, तो कड़ा विरोध प्रकट कीजिये. पूरा बिहार आपके साथ खड़ा है.

आखिर बिहारवासी कब तक ऐसे तिरस्कृत होते रहेंगे? इस मुश्किल वक्त में तमाम स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधित उपायों का पालन करते हुए कृपया बाहर फंसे सभी प्रदेशवासियों को यथाशीघ्र बिहार लाने का उचित प्रबंध करे.

सादर धन्यवाद!

तेजस्वी

Chhapra: कोरोना वायरस को लेकर सरकार और जिला प्रशासन सख्त है. आम जनता की सुरक्षा के मद्देनजर वह सभी प्रयास सरकार और प्रशासन द्वारा किये जा रहे है जिससे कोरोना वायरस का प्रसार ना हो सकें.

जिला प्रशासन द्वारा लगातार lockdown के नियमों का पालन करने, सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने और बेवजह घरों से बाहर सड़कों पर घूमने, बैठने, रहने की मनाही की जा रही है. इसके बावजूद भी लोगों के दिलों दिमाग मे इसका भय नही दिख रहा.

पुलिस की सख़्ती के बाद सड़कों पर भले ही भीड़ नही दिख रही हो लेकिन गलियां रौनक है. शहर के अमूमन हर गली में गप्पेबाजी मंडली जुटी हुई है. बेवजह महिलाएं और युवा भीड़ लगाकर पूरे दिन गलियों में गप्पेबाजी कर रहे है. शहर के कुछ इलाकों को छोड़ दे तो लगभग सभी गलियों का हाल एक जैसा है. शहर की गलियों में पुलिस के पेट्रोलिंग नही हो पा रही है जिसका लोग फ़ायदा उठा रहे है. पहले से अब गालियों में चहलकदमी भी बढ़ चली है. मुख्य मार्गो पर पुलिस की सख्ती को देख लोग गलियों से जाना बेहतर समझ रहे है.

देश और दुनिया मे कोरोना को लेकर हालात बिगड़ रहे है. प्रतिदिन आंकड़ों में इजाफा हो रहा है ऐसे में कुछ लोग यह समझने को तैयार नही है कि कोई भी, इसके चपेट में कही भी, कभी भी आ सकता है.

Lockdown कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने का एक प्रयास है. लेकिन गलियों में गप्पेबाजी वाली मंडली इस उद्देश्य की पूर्ति में बाधक बन रही है. जिला और पुलिस प्रशासन को अब गलियों में भी lockdown के नियमो के प्रचार प्रसार पर बल देने के साथ सख्ती बरतनी होगी. जिससे कि जिले में कोरोना का प्रसार ना हो सकें.