18 मई: इतिहास के पन्नों में दर्ज एक गौरवशाली दिन

आज का दिन भारतीय इतिहास में विज्ञान, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक चेतना के लिए एक मील का पत्थर है। 18 मई को भारत ने 1974 में राजस्थान के पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था। इस परीक्षण का कोडनेम “स्माइलिंग बुद्धा” रखा गया था और यह शांतिपूर्ण उद्देश्य से किया गया भूमिगत परीक्षण था। इस ऐतिहासिक घटना ने भारत को विश्व के परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल कर दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में यह सफलता भारत की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता और सामरिक क्षमता का प्रतीक बन गई

ऐसे हुई पोखरण परमाणु परीक्षण की शुरुआत

1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने यह परीक्षण किया था। इसका उद्देश्य था भारत की वैज्ञानिक क्षमता को प्रदर्शित करना और एक आत्मनिर्भर परमाणु नीति की ओर कदम बढ़ाना। परीक्षण को पूरी तरह गोपनीय रखा गया और इसे शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट के रूप में प्रस्तुत किया गया।

भारतीय वैज्ञानिकों की टीम:
इस परीक्षण के पीछे भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों का एक दल था, जिसमें डॉ. राजा रामन्ना, डॉ. होमी सेठना, और पी.के. अय्यंगार जैसे नाम शामिल थे। इस परीक्षण का सफल निष्पादन भारत की तकनीकी क्षमता और अनुसंधान की उत्कृष्टता का बेहतर परिचायक बना।

भारत के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया क्या रही ?

इस परीक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं। कुछ देशों ने इसका विरोध किया, जबकि कई ने भारत की वैज्ञानिक उपलब्धि को सराहा। इसके बाद भारत ने ‘नो फर्स्ट यूज़’ (पहले उपयोग न करने) की नीति अपनाई।

1998 में पोखरण का महत्व फिर से बढ़ा

24 साल बाद, 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में ही भारत ने पुनः परमाणु परीक्षण किए, जिन्हें पोखरण-II के नाम से जाना जाता है। इसके बाद भारत ने खुद को एक “परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र” घोषित किया।

..जब गांधीजी को धक्के देकर ट्रेन से उताराः 07 जून राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा के लिए जाना जाता है, जब उन्होंने पहली बार इसे आजमाया। हुआ यह कि 1893 में महात्मा गांधी एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर वकालत करने दक्षिण अफ्रीका गए और वहां नटाल प्रांत में रह रहे थे। एकदिन वे वैध टिकट के साथ एक ट्रेन के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफ़र कर रहे थे लेकिन इसी दौरान उन्हें नस्लभेद का सामना करना पड़ा। गोरी चमड़ी नहीं होने के कारण रेलवे अधिकारियों ने उनसे थर्ड क्लास डिब्बे में जाने को कहा। गांधीजी ने यह कहते हुए आदेश मानने से साफ इनकार कर दिया कि अगर वे चाहें तो उन्हें डिब्बे से बाहर फेंक दें लेकिन वे अपनी मर्जी से हरगिज बाहर नहीं जाएंगे। हुआ भी ऐसा ही। ट्रेन पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन पहुंची, उन्हें धक्के देकर नीचे उतार दिया गया। वह 7 जून की तारीख़ थी। कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी और वे स्टेशन के वेटिंग रूम में पहुंचे। पूरी रात यह सोचते हुए जागते रहे कि इसका प्रतिकार कैसे किया जाए। एकबार इरादा किया कि वे बिना कोई प्रतिक्रिया दिये स्वदेश लौट जाएं लेकिन आखिरकार निर्णय लिया कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे जुल्मों को लेकर लोगों को एकजुट करेंगे। इस घटना ने गांधीजी की जीवनधारा पूरी तरह से बदलकर रख दी। यहीं से उनमें सविनय अवज्ञा की नींव पड़ी जो आंदोलन का रूप लेकर न सिर्फ दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय को उसका हक दिलाने में कामयाब रहा, बल्कि भारत में भी अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ प्रभावी रहा।

अन्य अहम घटनाएंः

1539ः बक्सर के निकट चौसा की लड़ाई में अफगान शेरशाह सूरी ने मुगल बादशाह हुमायूं को शिकस्त दी।

1631ः मुगल बादशाह शाहजहां की बीवी मुमताज बेगम की बुरहानपुर में 39 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गयी।

1914ः प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और उर्दू लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास का जन्म।

1974ः भारत के प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति का जन्म।

1989ः भारत के दूसरे उपग्रह भास्कर प्रथम का सोवियत रॉकेट से प्रक्षेपण किया गया।

1995ः नार्मन थेगार्ड अंतरिक्ष की कक्षा में सबसे लंबे समय तक रहने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बने।

2006ः भारत ने नेपाल को आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए एक अरुब रुपये देने का निर्णय किया।