छपरा: लगातार हो रही बारिश से शहर की सड़कों पर जलजमाव हो गया है. विगत एक सप्ताह से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने शहर की कई मुख्य सड़कों को जलमग्न कर दिया है.

आलम यह है कि उन सड़कों पर पैदल चलना दूभर है. सबसे खराब साहेबगंज से मौना चौक, साढा रोड, गुदरी बाजार, नेहरू चौक, कटहरी बाग, गांधी चौक, पुलिस क्लब जाने वाली सड़क की स्थिति है. जहां सड़कों पर एक फुट से अधिक पानी जम चुका है.

वहीं शहर के मुख्य बाजार तिनकोनिया एवं सरकारी बाजार में घुटनों तक पानी जमा हो चुका है. इस बाजार में दुकानदार किसी तरह अपनी दुकानों को खोल रहे हैं. वही कई निचले दुकानों में बारिश और नाले का पानी भी घुस चुका है. जिसके कारण दुकानदार काफी चिंतित है. उन्हें अपने सामानों को बचाने के लिए जतन करना पड़ रहा है. बारिश को लेकर अगर ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में और दुकानों में पानी घुसने के आसार दिख रहे हैं. बहरहाल सफाई नही होने के कारण खनुआ नाले की स्थिति खराब है. पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है. जिससे दुकानदार एवं उस सड़क से गुजरने वाले के साथ साथ घर वाले भी चिंतित हैं.

Chhapra: आस्था के महापर्व छठ को लेकर चार दिवसीय अनुष्ठान रविवार से प्रारंभ हो गया है. मंगलवार को व्रती अपने तीसरे अनुष्ठान के तहत अस्ताचल गामी भगवान् को अर्घ देंगे. भगवान को अर्घ देने के लिए मंगलवार को प्रातः से ही व्रतियों ने अपने परिवार के सहयोग से प्रसाद बनाया.

वहीं अर्घ्य के लिए कलसूप को भी सजाया है. कलसूप में रखे जाने वाले फल फूल की खरीदारी को लेकर बाजारों में पूरी रौनक है.

अर्घ्य को लेकर सरोवर, तालाब एवं नदी घाटों को आकर्षक रूप से सजाया गया है. कई घाटों पर व्रतियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई है, जिससे कि उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हो.

शहर से सटे सरयू नदी के किनारे एक दर्जन से अधिक अर्घ्य को लेकर घाट बनाए गए हैं. जहां व्रती अनुष्ठान के तीसरे दिन भगवान को अर्घ्य देंगे.

शहर से सटे साहेबगंज के समीप चचरी पुल बनाया गया है. नदी में पानी की कमी को लेकर आयोजकों द्वारा चचरी पूल का निर्माण किया गया है जिससे कि व्रती और उनके परिवार वाले नदी के उस पार जाकर छठ पर्व को कर सके.

साथ ही इस घाट पर बालू से मां गंगा की छवि बनाई गई है. कलाकार ने मां गंगा की छवि बनाते हुए लोगों से अपील की है कि वह गंगा को स्वच्छ बनाएं, पेड़ लगाएं जिससे कि हमारी मां गंगा भविष्य में भी अपनी निर्मलता से सभी को लाभ पहुंचाए.

उनका कहना है कि सिर्फ छठ के मौके पर ही हम लोग नदी घाटों की सफाई करते हैं. अन्यथा अन्य दिनों में अपने घर का सभी कूड़ा कचरा इसी मां गंगा में प्रवाहित कर देते हैं, जिससे मां गंगा की निर्मलता समाप्त हो रही है. साथ ही साथ नदी के जल स्तर में भी कमी आ रही है.ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने और स्वच्छ रखने से यह कमी पूरी हो जाएगी.

इसके अलावे उमानाथ मंदिर, धर्मनाथ मंदिर घाट, सीढ़ी घाट सहित सभी छठ घाटों के साथ शहर के राजेंद्र सरोवर में व्रतियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है.

यहां जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के मद्देनजर अधिकारियों एवं पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति की गई है. विशेष रूप से गोताखोरों की नियुक्ति की गई है. जिससे कि महापर्व के दौरान कोई अप्रिय घटना ना हो सकें.

छपरा: छपरा शहर को अब नगर निगम का दर्जा मिलने जा रहा है. एक वर्ष में सफाई के नाम पर करोडो रूपये खर्च होने के बावजूद भी शहर की सफाई व्यवस्था भगवान के भरोसे ही रहती है. यानि भगवान ने बारिश कर दी तो सड़क पर पैर भी नही रखा जा सकता है. वही अगर धुप हो गयी तो लोगों के वारे न्यारे हो गयें. कुछ काम धाम हो जाता हैं.14359617_1826421784311116_1008566566_o

इसके बावजूद शहर में ऐसे कई स्थान है जो सदाबहार है या यू कहे कि जाड़ा, गर्मी, बरसात सब दिन एक सामान. जहां से गुजरने के बाद अचानक नाक बंद हो जाती हैं. ऐसे तो शहर में दर्जनों स्थान है जहाँ पहुचने के बाद अपने आप नाक के उपर रुमाल और पैंट को उपर करना पड़ता है.

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शहर के पूर्व मौना पकड़ी के समीप गली में वर्ष भर सड़कों पर जल का जमाव रहता है. करीब 50 हजार की आबादी प्रतिदिन नाक पर रुमाल और पैन्ट को उपर चढ़ा कर इस रास्ते से होकर गुजरती हैं.

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कमोबेश यही स्थिति सलेमपुर चौक के समीप की है जहाँ बीच सड़क पर कचड़ा फेका जाता हैं. आस पास के दुकानदार की हालत ऐसी है कि ग्राहक दुकान पर आना नही चाहते है. शहर की हृदयस्थली मौना साढा रोड का भी यही हाल है. एक तो खनुआ नाला उपर से सड़क पर कचड़ा साथ साथ पुरे दिन वाहनों की भगा भागी से कचड़ा का सड़क पर आना अमूमन लोगो के लिए नई परेशानी खड़ा कर देता हैं. यहाँ से गुजरने वाले लोग नाक पर रुमाल जरुर रखते है.

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सदर अस्पताल के चिराई घर के समीप की हालत तो जगजाहिर है. अस्पताल चौक, काशी बाजार, शिव बाजार की तरफ से आने वाले लोगो की हालत बेहद दर्द भरी है. इस रास्ते से पैदल गुजरना यानि बिमारी को न्योता देने के समान हैं.

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कुछ यही हाल राजेंद्र कालेज के पास का है जहाँ नाला का पानी सड़कों पर लगा रहता है. काशी बाजार मंदिर से लेकर शाह बनवारी लाल पोखरा तक किसी तरह गिरते पड़ते लोग पहुँचते है. सबसे ज्यादा परेशानी छात्रो को होती है. पैदल है तो पानी में चलने का आदत या साइकिल और मोटर साइकिल से होने पर पानी में गिरने का डर. दोनों ही स्थितियों में नाले के पानी में चलना ही पड़ता है.