Chhapra: मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने नदी, सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाई.

शहर से सटे गंडक नदी घाट, सहित रिविलगंज, मांझी और डोरीगंज के आधा दर्जन से अधिक नदी घाट पर मंगलवार की अहले सुबह से श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी था. प्रातः काल मे नदी में स्नान ध्यान कर श्रद्धालुओ ने तील, चूड़ा, गुड़, लाई का दान भी किया.एक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन नदी में स्नान करना तथा उसके बाद तील, चूड़ा तथा लाई का दान करके खुद सेवन भी करना शुभ माना जाता है. वैज्ञानिक रूप से भी इसका बड़ा महत्व है.

दाउदपुर: साधपुर-करैलिया मुख्य मार्ग पर पिलुई और बलेसरा गांव के बीच गंडक नहर पर बना पूल मौत को दावत दे रहा है. अब तक इस संकड़े पूल पर करीब आधा दर्जन दुर्घटनाएं हो चुकी है. दोनों साइड की रेलिंग का अधिकांश हिस्सा क्षति-ग्रस्त होकर गिर चुका है. पुल की चौड़ाई काफी कम होने और दक्षिणी हिस्से में अचानक टर्निंग(मोड़)आने के कारण किसी भी बड़े वाहन को पार करने में भाड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. रेलिंग की मरम्मत कराई जाती है और कुछ ही दिनों में किसी न किसी वाहन के टकराने से ध्वस्त हो जाता है.

क्षेत्रीय ग्रामीणों और उधर से गुजरने वाले यात्रियों का कहना है कि जब तक पुल की चौड़ाई नही बढाई जाती है. तब तक भविष्य में भयंकर घटनाओं से इंकार नही किया जा सकता. गंडक नहर परियोजना के अधिकारियों का भी मानना है कि चौड़ाई बढ़ाकर समस्या का स्थाई समाधान किया जा सकता है. अगर क्षेत्रीय जन-प्रतिनिधि थोड़ी रूचि लें तो उनके मद से समस्या का समाधान हो सकता है. इसके लिये क्षेत्रीय लोगों को भी आगे आना होगा.

पानापुर: गंडक नदी में बुधवार को डूबे मजदूर की लाश गुरुवार को सारंगपुर डाकबंगला घाट से बरामद किया गया. गुरुवार की सुबह ग्रामीणों ने नदी में डूबे सारंगपुर गांव निवासी 40 वर्षीय परमा ठाकुर के शव को तैरते हुये देखा. ग्रामीणों की सूचना पर स्थानीय थाने की पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिये छपरा भेज दिया.

स्थानीय पुलिस एवं ग्रामीणों के अथक प्रयास के बावजूद बुधवार की देर शाम तक मृतक का शव बरामद नही हो सका था. पुलिस ने मृतक की पत्नी सुमन देवी के बयान पर यूडी केस दर्ज किया है. शव को लेकर जैसे ही ग्रामीण उसके दरवाजे पहुँचे, वहाँ का माहौल उसके परिजनों के चीत्कार से गमगीन हो गया . पत्नी सुमन देवी एवं 8 नाबालिग बच्चों के क्रंदन से उपस्थित लोग भी अपने आंसू नही रोक पा रहे थे. 

मृतक नाई का काम करता था और मौसमी मजदूरी भी करता था. परिजनों के अनुसार तरबूज लाने के लिये वह गंडक नदी के दियारे जाने की बात कहकर घर से निकला था.