• जिलाधिकारी ने किया कार्यक्रम का उद्घाटन
• पदाधिकारियों-कर्मियों व सेविका-सहायिकाओं को दिलायी गयी शपथ
• गीत व नाटक के माध्यम से किया गया जागरूक


Chhapra: राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत शहर के एकता भवन में आईसीडीएस की ओर से पोषण सेमिनार का आयोजन शनिवार को किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन, डीडीसी डॉ. आदित्य प्रकाश, सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि सारण को सुपोषित बनाने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के पांच मंत्र तैयार किये गये है। 5 मंत्रों से सारण को कुपोषण मुक्त किया जायेगा। इसके लिए आईसीडीएस, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग समेत नौ विभागों के द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। प्रतिदिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहें हैं। जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए पोषण सूत्र बताए गए हैं। जिसमें पहले 1000 दिनों का फर्मूला है उसे पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुधार की संभावना है। बच्चों को नियमित टीकारण, गर्भवती महिलाओं की जांच, प्रसव पूर्व व प्रसव के बाद काउंसलिंग, साफ-सफाई आदि कार्यों बेहतर ढंग से करने की आवश्यकता है। इसके लिए समुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इस अवसर सिविल सर्जन डा. माधवेश्वर झा, डीपीओ वंदना पांडेय, डीपीएम धीरज कुमार, केयर इंडिया के डीटीओ प्रणव कुमार कमल समेत अन्य कर्मी मौजूद थे।
सेविका-सहायिकाओं को दिलायी गयी शपथ
जिलाधिकारी ने वहां मौजूद सभी पदाधिकारियों-कर्मियों व सेविका-सहायिकाओं को शपथ भी दिलाई । सभी ने शपथ लिया कि- आज मैं भारत के बच्चों, किशोरों व महिलाओं को कुपोषण मुक्त स्वस्थ्य व मजबूत करने का वचन देती हूं/देता हूँ। राष्ट्रीय पोषण माह अभियान के तहत घर घर सही पोषण का संदेश पहुंचाने का काम करूंगी। इन बातों की शपथ दिलाई गई। जिसमें सभी ने अभियान को सफल बनाने की शपथ ली।

गोद भराई कार्यक्रम का हुआ आयोजन
इस दौरान गर्भवती महिलाओं का गोदभराई रस्म का आयोजन किया गया। सदर सीडीपीओ कुमारी उर्वशी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्र पर बुलाकर उसको डलिया भेंट सामग्री भेंट की जाती है। परंपरा के मुताबिक मौसमी फल, नारियल, अंकुरित अनाज, गुड़, भूना दिया गया। कार्यक्रम के दौरान चुनरी ओढ़ाकर परम्परागत तौर से टीका लगा कर महिला की गोदभराई की रसम पूरी हुई।

पांच मंत्रों के पालन से सुपोषित होगा सारण
डीडीसी डॉ. आदित्य प्रकाश ने सुपोषण के पांच सूत्रों के बारे में बताते हुए कहा कि शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले 6 माह तक केवल माँ का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। गर्भवती माता, किशोरियाँ एवं बच्चों में अनीमिया की रोकथाम जरूरी है। गर्भवती महिला को 180 दिन तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। साफ-सफाई एवं स्वच्छ भोजन डायरिया से बचाव करता है।
नाटक व गीत के माध्यम से किया जागरूक
कार्यक्रम दौरान दलित ग्रामीण विकास सेवा संस्थान के कलाकारों के द्वारा गीत-संगीत व नुक्कड़ नाटक के माध्यम से कुपोषण से बचाव के लिए जागरूक किया गया तथा पोषण के महत्व के बारे में बताया गया।

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  • घरेलू हिंसा की घटनाओं से 85 प्रतिशत से अधिक पुरुष अवगत
  • 90 प्रतिशत से अधिक पुरुष दैनिक कार्यों में महिलाओं की नहीं करते सहयोग
  • सहयोगी संस्था द्वारा कराये गए सर्वेक्षण से हुआ खुलासा
  • 1600 घरों के 1015 पुरुषों से ली गयी राय

पटना: नारी सशक्तिकरण के इस दौर में लिंग आधारित भेदभाव एवं घरेलू हिंसा की घटनाओं में कमी आने की जगह बढ़ोतरी ही देखने को मिल रही है. इन विषयों पर सिर्फ़ बौद्धिक चर्चा समस्या का निदान नहीं है, अपितु इसके लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने की बेहद जरूरत है. लिंग आधारित भेदभाव एवं घरेलू हिंसा जैसे सामयिक मुद्दों पर आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर जूझते समुदाय के साथ कार्य करने वाली सहयोगी संस्था द्वारा पटना जिले के सेमी अर्बन एवं ग्रामीण क्षेत्रों के 1600 घरों में घर-घर जाकर इन मुद्दों पर 1015 पुरुषों से राय ली गयी.

सर्वेक्षण के बाद कुछ चौंकाने वाले आंकड़े प्राप्त हुए. एक तरफ़ लिंग आधारित भेदभाव पुरुष प्रधान समाज की परिभाषा को सार्थक करता प्रतीत होता है, वहीं दूसरी तरफ घरेलू हिंसा रोज आस-पास होने वाली एक सामान्य घटना तक ही सीमित रह जाती है.

लिंग आधारित भेदभाव प्रत्येक घर में

लिंग आधारित भेदभाव की सर्वप्रथम शुरुआत घर से हो जाती है. महिलाओं को घर का खाना बनाने, कपड़े साफ करने एवं घर की सफाई करने जैसे अन्य घरेलू कार्यों को अकेले ही करने की सामाजिक ज़िम्मेदारी जन्म के बाद ही प्राप्त हो जाती है. सहयोगी संस्था द्वारा कराये गए सर्वेक्षण से भी ज्ञात होता है कि लगभग 98 प्रतिशत पुरुष घर में खाना नहीं बनाते एवं रसोई में महिला को सहयोग भी नहीं करते हैं. लगभग 95 प्रतिशत पुरुष अपने कपड़े खुद साफ़ नहीं करते. लगभग 60 प्रतिशत पुरुष घर कि साफ़-सफाई में कोई योगदान नहीं देते. लगभग 66 प्रतिशत महिलाएं घर में सभी के खाना खाने के बाद आखिरी में खाना खातीं है. यह कुछ ऐसे आंकड़ें हैं जो लिंग आधारित भेदभाव के हिस्से होकर भी हमारे मन में कोई सवाल खड़े करने में असफल रहते हैं. कारण यह है कि हमारी परवरिश ही ऐसे माहौल में हुई है जहाँ घर के कामों को सिर्फ माँ या बहनों को ही करते हुए देखा गया है. हम इसे लिंग आधारित भेदभाव की श्रेणी में रखते ही नहीं है.

घरेलू हिंसा को रोकना चुनौती

सहयोगी कि कार्यकारी निदेशिका रजनी ने बताया कि घरेलु हिंसा एवं जेंडर आधारित हिंसा में और घर में पुरुषों की भागीदारी में सीधा सम्बन्ध है, जिसको समझने के लिए यह अध्ययन किया गया. सहयोगी द्वारा कराये गए इस सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि लगभग 90 प्रतिशत पुरुष अपने समाज या गाँव में घरेलू हिंसा की घटनाओं से वाकिफ़ हैं. लगभग 11 प्रतिशत पुरुष प्रायः ऐसी घटनाओं को देखते हैं, जबकि 79 प्रतिशत पुरुष कभी ना कभी ऐसी घटनाओं के विषय में अवगत होते रहते हैं. इससे यह साबित होता है कि घरेलू हिंसा आज भी हमारे समाज में एक सामान्य घटना है. जबकि 5 प्रतिशत पुरुष इस बात को स्वीकार भी करते हैं कि उनके द्वारा घर या परिवार के महिलाओं के साथ कभी ना कभी घरेलू हिंसा की गयी है. घरेलू हिंसा को रोकने में सबसे बड़ी चुनौती है समुदाय में इसके प्रति संवेदनाओं का विकसित ना होना. घर से लेकर आस-पास में होने वाली घरेलू हिंसा के प्रति पुरुषों की उदासीनता इसकी गंभीरता को व्यक्त करने में अभी भी असमर्थ है.

एक कदम समाधान की ओर

लिंग आधारित भेदभाव एवं घरेलू हिंसा सामाजिक, वैयक्तिक एवं आर्थिक संरचना से प्रभावित होती है. इसके लिए प्रत्येक स्तर पर समान रूप से कार्य करने की जरूरत है. सहयोगी संस्था द्वारा लिंग आधारित भेदभाव एवं घरेलू हिंसा में कमी लाने के कुछ उपाय भी बताए गए हैं.

 विद्यालय स्तर पर लड़कों एवं लड़कियों दोनों को जेंडर आधारित गैरबराबरी के प्रति जागरूक करना
 लड़का एवं लड़की दोनों को एक दुसरे के अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाना
 दोनों को एक दुसरे का सम्मान करने के लिए तैयार करना
 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को जेंडर आधारित व्यवहार के प्रति संवेदनशील बनाना
 बेटियों को शिक्षा एवं रोजगार के सामान अवसर उपलब्ध करना
 किशोरों को नियमित रूप से परामर्श प्रदान करना
 बेटियों को भी बेटे की तरह संपत्ति में अधिकार प्रदान करना
 शादी के विषय में बेटियों से भी राय लेना
 समुदाय के लोगों को आय बढ़ाने वाली गतिविधियों से जोड़ना
 लड़कों को घर के काम में हाथ बंटाने के लिए प्रोत्साहित करना

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Chhapra: छपरा के कला पंक्ति आर्ट स्कूल में सप्तरंग पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा. 31 अगस्त को इस पेंटिंग प्रदर्शनी का उदघाट्न होगा. जिसमें विश्व विख्यात चित्रकार मेहंदी शॉ के साथ तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे. पेंटिंग प्रदर्शनी का उद्घाटन दोपहर 1:00 बजे किया जाएगा.

इस प्रदर्शनी में 40 से अधिक कलाकारों द्वारा बनाये पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाई जाएगा. इन पेंटिग्स के जरिये कलाकार अपना हुनर दिखाने के साथ साथ समाज को जागरुक करने का भी काम करेंगे. जिससे समाज की कुरीतियां दूर हो.

कला पंक्ति अशोक कुमार ने बताया कि हर साल उनके द्वारा यहां के युवा कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. जिसमें बहुत सारे युवा कलाकर अपनी अपनी बेहतरीन पेंटिंग का प्रदर्शन करेंगे. साथ ही समाज में जो कुछ भी चल रहा है उसको दिखाने का प्रदर्शन करेंगे.

उन्होंने बताया कि पेंटिंग प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य कलाकारों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ समाज में एक जागरूकता फैलाने से लेकर पर्यावरण बचाओ बेटी बचाओ समेत तमाम चीजों पर फोकस किया गया है.

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•25 से 31 अगस्त तक लगेगा कैम्प
• चयनित लाभुकों के बीच राशि का होगा वितरण

Chhapra: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ अधिकतम लाभार्थियों को दिलाने व इसमें गति लाने के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्राें पर 25 से 31 अगस्त तक विशेष कैम्प आयोजित करने का निर्देश दिया गया है। कैम्प के माध्यम से लाभुकों से आवेदन लिया जाना है। इसको लेकर आईसीडीएस के निदेशक ने एक पत्र जारी कर सभी जिला पदाधिकारी को निर्देश दिया है। इस विशेष कैम्प के माध्यम से शत प्रतिशत लाभुकों को याेजनाओं का लाभ दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

डीपीओ को मोनिटरिंग करने का निर्देश 
आईसीडीएस विभाग द्वारा जारी पत्र में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि कैम्प के दौरान लगातार आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यान्वयन की मूल्यांकन एवं न समीक्षा करेंगी। यह भी निर्देश दिया गया है कैम्प के दौरान ध्यान रखें कि कोई भी योग्य लाभुक योजना से वंचित न रहे।

प्रत्येक आंगनबाड़ी के मिला 11 का लक्ष्य

विशेष कैम्प के दौरान प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों को लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दौरान प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र को 11 लाभुकों का आवेदन रेजिस्ट्रेशन करना है। साथ यह भी निर्देश दिया गया है कि कैम्प के दौरान प्राप्त आवेदन को 2 सितंबर तक परियोजना कार्यालय में जमा करना सुनिश्चित करेंगे।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

संस्थागत प्रसव में इजाफा एवं गर्भवती महिलाओं को विशेष सुविधा मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत प्रथम बार मां बनने वाली माताओं को 5000 रुपये की सहायक धनराशि दी जाती है जो सीधे गर्भवती महिलाओं के खाते में पहुंचती है। इस योजना के तहत दी जाने वाली धनराशि को तीन किस्तों में दिया जाता है। पहली किस्त 1000 रुपये की तब दी जाती है जब गर्भवती महिला अपना पंजीकरण कराती है। दूसरी किस्त में 2000 रुपये गर्भवती महिला को छह माह बाद होने प्रसव पूर्व जांच के उपरान्त दी जाती है, तीसरी और अंतिम किस्त में 2000 रुपये बच्चे के जन्म पंजीकरण के उपरांत एवं प्रथम चक्र का टीकाकरण पूर्ण होने के बाद दिया जाता है।

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पटना के एक लड़के ने IIT मुंबई से B.Tech और M.Tech करने के बाद बी रेलवे ग्रुप डी की नौकरी ज्वाइन की है. यह खबर सोशल मीडिया पर इन दिनों चर्चा का विषय बन गई है. लोग कह रहे हैं देश की सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में शुमार IIT से बीटेक और एमटेक करने के बाद कुमार श्रवण ने रेलवे की ग्रुप डी में नौकरी ज्वॉइन की है. जो थोड़ा चौकाने वाला है.

पटना, बिहटा के पालीगंज निवासी कुमार श्रवण IIT से बीटेक और M.Tech करने के बाद भी ट्रैक मेंटेनर बने. श्रवण के अनुसार कोई नौकरी छोटी या बड़ी नहीं होती. जीवन में जो अवसर मिले उसे छोड़ना नहीं चाहिए. सरकारी जॉब में जो सिक्यूरिटी है, वह प्राइवेट में नहीं

श्रवण का मानना है कि सरकारी जॉब में जो सिक्यूरिटी है, वह प्राइवेट जॉब में नहीं. रेलवे की बात ही अलग है. रेलवे से जुड़ कर वे काफी खुश हैं. एक सवाल के जवाब में श्रवण ने बताया कि कोर्स पूरा होने के बाद आईआईटी में कैंपस के लिए कई कंपनियां आईं थीं लेकिन सभी नन कोर सेक्टर में जॉब दे रही थीं. उन्हें कोर सेक्टर में काम करना था. यह पहली नौकरी है.


श्रवण ने 30 जुलाई को धनबाद रेल मंडल में योगदान दिया. उनकी पोस्टिंग फिलहाल चंद्रपुरा पीडब्ल्यूआई के अधीन तेलो में की गई है. श्रवण के टीम में शामिल होने से उनके साथी जहां उत्साहित हैं, वहीं रेलवे के लिए भी ग्रुप डी पद पर आईआईटीएन मिलना गौरव की बात है.

2010 में आईआईटी में मिली थी सफलता

कुमार श्रवण को 2010 में IIT JEE में सफलता मिली थी,. उनकी कटेगरी रैंक (सीएमएल) 1,570 था. श्रवण ने IIT मुंबई में इंटीग्रेटेड डुएल डिग्री कोर्स में दाखिला लिया था. 2015 में उन्होंने एक साथ बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल की. फिलहाल वे पूरी निष्ठा से रेलवे की ओर से मिली जिम्मेवारी का वहन कर रहे हैं.

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गोपालगंज:  जिले में परिवार नियोजन पखवाड़ा के दौरान 429 महिलाओं ने बंध्याकरण कराई है। वहीं 10 पुरुषों का भी नसबंदी किया गया है। वही गोपालगंज जिला पूरे बिहार में अंतरा सुई देने के मामले में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। जिले में 2038 महिलाओं को अंतरा की सुई दी गयी है। जबकि अररिया जिला पहले स्थान पर है। यहां बता दें कि जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा 11 से 31 जुलाई तक चलाया गया। बंध्याकरण कराने वाली एवं कॉपर टी लगवाने वाली महिलाओं को परिवार नियोजन के तहत प्रोत्साहन राशि भी दी गयी है। इस दौरान परिवार नियोजन के स्थायी एवं अस्थायी साधनों के अत्यधिक इस्तेमाल पर ज़ोर देने के साथ विभिन्न गतिविधियों के जरिए सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया गया। यहां बता दें कि 11 जुलाई से जिलों में परिवार नियोजन जागरूकता के लिए चलायी जा रही सारथी जागरूकता रथ का संचालन 31 जुलाई तक किया गया परिवार नियोजन के दूरगामी फ़ायदों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों में तेजी लायी गई । परिवार नियोजन के स्थायी एवं अस्थायी साधनों के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन पर विशेष बल दिया गया ।

जिला सिविल सर्जन डॉ. नन्दकिशोर प्रसाद सिंह ने बताया कि परिवार नियोजन के दूरगामी फ़ायदों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सारथी रथ के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया गया।परिवार नियोजन के स्थायी एवं अस्थायी साधनों के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन पर विशेष बल दिया गया।

आशा कार्यकर्ता व एएनएम का कार्य सराहनीय

आशा एवं एएनएम के सहयोग से 15 साल से 49 साल तक के योग्य दंपतियों को परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के साथ सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रोत्साहन राशि के विषय में भी जानकारी दी गई । परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों के इस्तेमाल में गति लाने के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र के साथ जिला सदर अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कोंडोम ,गर्भनिरोधक गोली एवं अंतरा इंजेक्शन की उपलब्धता भी बढ़ायी गई ।

परिवार नियोजन के तहत प्रोत्साहन धनराशि

परिवार नियोजन के स्थायी एवं अस्थायी साधनों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी के लिए सरकार द्वारा लाभार्थियों को प्रोत्साहन धनराशि दी गयी है।
• महिला नसबंदी के लिए 2000 रुपए
• पुरुष नसबंदी के लिए 3000 रुपए
• प्रसव के बाद महिला नसबंदी कराने पर 3000 रुपए
• प्रसव के बाद कॉपर-टी लगवाने पर 300 रुपए
• गर्भपात के बाद कॉपर-टी लगवाने पर 300 रुपए
• अंतरा सुई लगाने पर महिला को 100 रुपए

कितने लोगों ने लिया लाभ

पखवाड़ा के दौरान 433 लोगों ने परिवार नियोजन के स्थायी साधन अपनाया है। जिसमे 429 महिलाओं एवं 4 पुरुषों ने नसबंदी कराई है। 2038 महिलाओं ने अंतरा की सुई (गर्भनिरोधक सुई) लिया है ।

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Chhapra: रोट्रेक्ट क्लब ऑफ़ सारण सिटी ने अपने पूर्व अध्यक्ष सुधांसु कुमार कश्यप के जन्मदिन पर अपने प्रोजेक्ट “सेभ ट्री” के अंतर्गत हथुआ मार्केट में पौधरोपण किया. इसके बाद क्लब ने अपने प्रोजेक्ट “इटअप” के तहत 44 नंबर ढ़ाला के पास कुमारी अनिशा एवं ममता के द्वारा संचालित संस्थान के बच्चों के बीच खाद्य सामग्री एवं उनके बीच पेंसिल बॉक्स, रबर, शार्पनर, पेंसिल का वितरण किया.

इस दौरान क्लब के अध्यक्ष रो अलोक कुमार सिंह ने बताया की रोट्रेक्ट क्लब ऑफ़ सारण सिटी अपने सदस्यों के जन्मदिन के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण एवं जरुरतमंदो के बीच हमेशा से जाता है, आगे भी ये कार्य जारी रहेगा.
इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में पीडीआरआर रोटेरियन श्याम बिहारी अग्रवाल ने कहा कि रोट्रेक्ट सारण सिटी सदैव से जनहित मे जमीन से जुड़ा कार्य कर रहा है, जो काबिलेतारीफ है.

इस दौरान रोट्रेक्ट सारण सिटी के सचिव सैनिक कुमार, पंकज कुमार, उज्जवल रमन, अवध बिहारी, सत्यम कुमार, निकुंज कुमार, रोटरी सारण के राजेश जयसवाल उपस्थित थे.

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चिन्हित क्षेत्रों में घरेलू प्रसव में कमी लाने का सफल प्रयास

•केयर इंडिया के सहयोग से संस्थागत प्रसव में हुई बढ़ोतरी

Chhapra: सुरक्षित मातृत्व के लिए संस्थागत प्रसव बेहद जरूरी होता है। जिले के कुछ चिन्हित क्षेत्रों में घरेलू प्रसव में कमी लाने के लिए केयर इंडिया के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा नई पहल की गयी है। अब आशा एवं एएनएम के साथ संस्थागत प्रसव को बढावा देने के लिए पंचायत के मुखिया व जन-प्रतिनिधि घर-घर जाकर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। इससे संस्थागत प्रसव को लेकर आम-जनों के बीच जागरूकता बढ़ी है एवं घरेलू प्रसव में कमी देखने को मिल रही है।

जन-प्रतिनिधियों के साथ बैठक: केयर इंडिया के डीटीओ ऑन प्रणव कुमार कमल ने बताया भौतिक सत्यापन में पता चला कि सारण जिले के पानापुर प्रखंड के पृथ्वीपुर, गढ़ भगवानपुर, सतजोड़ा, खरवट,तुर्की नट टोला व मकेर, इसुआपुर, तरैया के नंदनपुर, पोखरेरा, सरायवसंत जैसे कई ऐसे गांव हैं। जहां पर संस्थागत प्रसव कम होते थे। इसको ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के मुखिया एवं वार्ड पार्षदों के साथ केयर इंडिया के अधिकारियों द्वारा बैठक की गयी एवं उन्हें क्षेत्र में संस्थागत प्रसव की स्थिति से अवगत कराया गया। उन्हें घरेलू प्रसव से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में होने वाली बढ़ोतरी के बारे विस्तार से चर्चा कर जानकारी दी गयी। साथ ही मुखिया व वार्ड पार्षदों से अपील की गयी है कि अपने क्षेत्र में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को जागरूक करें। अभी भी कई ऐसे गांव है जिसे चिन्हित किया जा रहा है। ऐसे गाँवों में क्षेत्रीय समस्या को समझकर लोगों को जागरूक करने से संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी संभव है। आशा एवं एएनएम के साथ जन-प्रतिनिधियों के सहयोग का नतीजा रहा कि चिन्हित क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।

क्या कहते है विकास मित्र

पानापुर प्रखंड के धेनुकी पंचायत के विकास मित्र अम्बिका राम ने बताया पहले जानकारी के अभाव में गर्भवती महिलाओं का प्रसव घर पर होती थी। लेकिन केयर के द्वारा मीटिंग में हम लोगों को जानकारी मिली जिसके बाद हम लोग महिलाओं को अस्पताल में जाने के लिए प्रेरित करते है। यहां की आशा पाशपति देवी गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों में लेकर जाती हैं।

मकेर प्रखंड के हैजलपुर गांव के विकास मित्र अजय राम ने बताया कि जब से केयर के द्वारा यह मीटिंग हुई है। तब से अधिकांश महिलाओं का प्रसव अस्पताल में ही कराया जाता है। इसके लिए घर-घर जाकर जागरूक करते है। जागरूकता का प्रभाव समुदाय में देखने को मिला है। घरेलू प्रसव की संख्या में काफी कमी आयी है।

संथागत प्रसव में हुआ सुधार

आशा एवं एनएम के साथ जन-प्रतिनिधियों के सहयोग के कारण पनापुर एवं मकेर प्रखंड में संस्थागत प्रसव की संख्या में बढ़ोतरी हुयी है। केयर के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग द्वारा संस्थागत प्रसव को लेकर जन-प्रतिनिधियों के साथ हुयी बैठक के बाद बदलाव देखने को मिले हैं। बैठक के बाद पानापुर प्रखंड के के धेनुकी गांव में कुल 15 से अधिक प्रसव हुए हैं। जिसमें सारे प्रसव सरकारी अस्पताल पर ही हुए। जबकि मकेर प्रखंड के हैजलपुर गांव में भी कुल 10 से अधिक प्रसव हुए हैं। जिसमें एक भी प्रसव घर पर नहीं हुआ है।

शिशु मृत्यु दर में कमी लाने का प्रयास

शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पतालों, अनुमंडलीय अस्पतालों तथा सदर अस्पताल में न्यू बॉर्न केयर कॉर्नर की स्थापना की गई है, जिसमें कम वजन वाले बच्चे, निर्धारित समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे एवं जन्म से ही गंभीर रोगों से ग्रसित बच्चों को भर्ती किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल लाने तथा अस्पताल से प्रसव के उपरांत माताओं और शिशुओं को घर तक पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवा भी कारगर साबित हो रही है।

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Chhapra: अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था लायंस क्लब छपरा सारण के बैनर तले उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय, औली को निवर्तमान जिलापाल लायन डॉ एस के पांडे द्वारा अपनी माता जी के स्मृति मे वाटर फ्रीजर तथा झुला प्रदान किया गया तथा साथ ही साथ सक्रिय सदस्य लायन शैलेंद्र कुमार द्वारा अपनी माता जी की पुण्यतिथि के अवसर पर वहाँ पढ़ने वाले जरूरतमंद बच्चों को स्कूल ड्रेस, स्कूल बैग, कॉपी तथा कलम प्रदान किया गया.

निवर्तमान जिलापाल लायन डॉ एस के पांडे ने विद्यालय प्रशासन को सदैव भविष्य मे सहयोग देते रहने का आश्वासन दिया तथा क्लब के अन्य सदस्यों को भी आगे आकर यहा सहयोग करने का आह्वान किया. इस अवसर पर लायंस क्लब छपरा सारण के अध्यक्ष लायन प्रकाश कुमार सिंह ने कहा कि लायंस क्लब छपरा सारण हमेशा यहाँ समय-समय पर विभिन्न तरह के समाज उत्थान के कार्यक्रम आयोजित करेगा तथा विद्यालय को तन-मन-धन से सहयोग करेगा.

प्राचार्य अवधेश पांडे तथा पूर्व प्राचार्य विनय दुबे ने लायंस क्लब छपरा सारण को बहुत-बहुत साधुवाद दिया तथा कहा कि पूर्व मे भी सदैव क्लब का सहयोग हमे मिलता रहा है. जिससे विद्यालय के बच्चे लाभान्वित होते रहे है. इस अवसर पर जोन चेयरपर्सन लायन प्रह्लाद कुमार सोनी, पूर्व अध्यक्ष लायन आशुतोष शर्मा, वि एन गुप्ता, अनिल सिंह, सत्यनारायण प्रसाद, पी के सिंह, उपाध्यक्ष राजीव दास, प्रमोद मिश्रा, लायंस क्लब महराजगंज रघु-शांति के अध्यक्ष अजय कुमार सिन्हा, सचिव रविंद्र कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष रजनीश कुमार सहित कई अन्य लायंस सदस्य उपस्थित थे. उक्त जानकारी क्लब के जनसंपर्क पदाधिकारी विजय कुमार सोनी ने दी.

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Chhapra: ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) सारण जिला इकाई ने मंजर रिजवी भवन, सलेमपुर, छपरा में स्वतंत्रता आंदोलन के नायक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पुण्यतिथि पर उनके तैल-चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर नमन किया.

अध्यक्षता जिला अध्यक्ष राजीव कुमार ने किया. श्रद्धांजलि देने के बाद वहीं एक सभा आयोजित की गई. सभा में अतिथि के रूप में मौजूद शिक्षक नेता सह सीनेटर चुल्हन प्रसाद सिंह ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस को हम सब नेता जी के नाम से भी जानते हैं, वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में शामिल थे. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था. उनके द्वारा दिया गया मुख्य रूप से जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बना और तुम मुझे खून दो में तुम्हें आजादी दूंगा का नारे ने क्रांतिकारियों में जोश भर दिया. आज के दौर में नेताजी के गढे़ गए नारे और भी प्रासंगिक हो गए हैं. छात्र-युवाओं को नेताजी के बातों से प्रेरणा लेकर जीवन पथ पर आगे बढ़ना चाहिए.

वहीं जिला सचिव राहुल कुमार यादव ने कहा कि नेताजी अपने बचपन के दिनों से हीं एक विलक्षण छात्र थे और राष्ट्रहित में किए जा रहे हैं सभी क्रियाकलापों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे. नेताजी ने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय सिविल सेवा की आरामदेह नौकरी ठुकरा दी. जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि, वे भारत की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. आज हम एआईएसएफ के लोग सुभाष चंद्र बोस के सपनों का भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. संगठन के राज्य-पार्षद अमित नयन ने कहा कि नेताजी का एक कथन काफी प्रासंगिक है. गुलामी में हलवे खाने से कहीं अच्छा आजादी के लिए लोहे के चने चबाना है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जज्बे कभी भी प्रासंगिक एवं अनुकरणीय रहेंगे.

सभा में मुख्य रूप से आलोक रंजन, गुड्डू यादव, अनरजीत कुमार गांगुली, निरज सिंह,सुरज कुमार, मुकेश कुमार राय, अविनाश कुमार, अमित कुमार, विकास कुमार, राजू कुमार, हिमांशु कुमार, कुमार बब्लू सहित दर्जनों छात्र मौजूद थे.

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Chhapra: किशोरावस्था में निरंतर शारीरिक एवं मानसिक बदलाव होते हैं। इसलिए इस दौरान बेहतर मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की जरूरत बढ़ जाती है। इसको लेकर जिले में किशोर एवं किशोरियों के बेहतर स्वास्थ्य एवं सुरक्षित भविष्य के लिए राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना की शुरूआत की गयी है। इस कार्यक्रम के तहत स्वच्छता, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, किशोरों में व्यसन, मासिक चक्र की पूर्ण जानकारी, एनीमिया के लक्षण व बचाव की जानकारी, खान-पान, संतुलन आहार के बारे में परस्पर चर्चा के माध्यम से जानकारी दी जाती है। विद्यालयों में प्रत्येक सोमवार को तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रत्येक गुरुवार को वितरण की जाने वाली आयरन की गोलियां दी जाती हैं। यह कार्यक्रम किशोरों के स्वास्थ्य मिशन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। आरकेएसके का सोच है कि वे किशोरों को उनकी क्षमताओं का एहसास करा कर उन्हें उनके स्वास्थ्य एवं भलाई संबंधि फैसला करने में मदद करे।


इन पांच जगहों पर चल रहा है कार्यक्रम
जिले में सदर अस्पताल, रिविलगंज, मढ़ौरा, सोनपुर, अमनौर स्वास्थ्य केंद्रों पर राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 10 -19 वर्ष के किशोर एवं किशोरियों का इलाज किया जाता है।
दो तरह से है इलाज का प्रावधान
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किशोर-किशोरियों का दो तरीके से इलाज किया जाता है। पहला आईएसडी (इंटीग्रेटेड सेक्सुअल डिजीज) है। इसमें बिना जाँच के इलाज किया जाता है। दूसरा एसटीडी (सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज) इलाज जाँच के बाद प्रांरभ होती है। डीसीएम ब्रजेन्द्र सिंह ने बताया कि फिलहाल सदर अस्पताल के ओपीडी में ही सेवा प्रदान की जा रही है। आगे अलग से इसका वार्ड का निर्माण कराया जायेगा।
तीन विभागों के तहत चलता है यह कार्यक्रम
कार्यक्रम तीन विभाग स्वास्थ्य, शिक्षा और बाल विकास विभाग की संयुक्त तत्वाधन में चलाया जाता है। कार्यक्रम को धरातल पर लाने के लिए तीनों विभागों की मदद से लाभार्थियों को चिह्नित किया जा सकता है। इसके तहत 10 से 19 वर्ष तक किशोर-किशोरियों में कुपोषण, शारीरिक बदलाव के कारण उत्पन्न विकृति मानसिक विकृति, व्यक्तिगत साफ-सफाई के प्रति जागरूकता, सेनेटरी नैपकीन आदि के प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है।

किशोर स्वास्थ्य मंच का होता है आयोजन
जिले के विद्यालयों में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ कार्यक्रम के तहत किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन किया जाता है। जहां पर आरकेएसके के काउंसलर के द्वारा किशोर-किशोरियों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी जाती है। विशेषज्ञों के द्वारा किशोर-किशोरियों का काउंसलिंग की जाती है।
लाभार्थियों को दी जाती है ये सुविधाएं:
• प्रजनन स्वास्थ्य समबंधित परामर्श सेवाएं
• किशोरावस्था दौरान पोषण समबंधित सलाह
• एनेमिया जाँच, उपचार तथा रोकथाम का परामर्श
• माहवारी से समबंधित स्वच्छता एवं समस्याओं के निराकरण पर सलाह एवं उपचार
• प्रजनन तंत्र संक्रमण व यौन जनित रोगों पर परामर्श
• प्रसव पूर्व जाँच एवं सलाह
• सुरक्षित गर्भपात हेतु मार्गदर्शन एवं सलाह
• समुचित रेफरल सेवा
• विवाह के सही उम्र की जानकारी हेतू परामर्श
• अन्य रोग एवं समस्याएं ( चर्म रोग, मानसिक तनाव, निराशा, नशापान, घरेलू एवं यौन हिंसा)

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• प्रसव कक्ष तथा ऑपरेशन थियेटर को किया गया सुसज्जित
• लक्ष्य पूरा करने वाले अस्पताल को प्रोत्साहन राशि
• 70 प्रतिशत उपलब्धि पर सांत्वना पुरस्कार
• तय मानकों को पूरा करने पर मिलेगा पुरस्कार
Chhapra: लक्ष्य कार्यक्रम के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जिला सदर अस्पताल द्वारा तैयारी शुरू कर दी गयी है। इसको लेकर केयर इंडिया के एक्सट्रनल मुल्यांकनकर्ता अतुल गुप्ते ने तैयारियों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होने मेटरनिटी वार्ड का जायजा लिया। उन्होने वहां मौजूद चिकित्सक व हेल्थ मैनेजर से तैयारियों के बारे में जानकारी ली। इस दौरान केयर इंडिया के डीटीएल संजय विश्वास, प्रशांत कुमार, मेटरनिटी वार्ड के चिकित्सक व स्टाफ नर्स मौजूद थी।


लक्ष्य पूरा करने वाले को प्रोत्साहन राशि
अतुल गुप्ते ने बताया कि लक्ष्य कार्यक्रम के तहत अस्पताल की गुणवत्ता की मैपिंग की जाती है। जिसमें कुल आठ तरह के मूल्यांकन पैमाने बनाए गए हैं। इसमें अस्पताल की आधारिक संरचना के साथ अस्पताल में साफ़-सफाई का स्तर, स्टाफ की उपलब्धता, लेबर रूम के अंदर जरुरी संसाधनों की उपलब्धता के साथ ऑपरेशन थिएटर की भी मैपिंग की जाती है। इस कार्यक्रम के बेहतर कार्यान्वयन के लिए जिला स्तरीय टीम में सिविल सर्जन को अध्यक्ष, एसीएमओ को नोडल और एक गायनकलोजीस्ट और युनिसेफ तथा केयर के अधिकारियों को सदस्य बनाया गया है। उन्होंने बताया निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने वाले जिला स्तरीय अस्पताल को प्रोत्साहन राशि के रूप में पांच लाख तथा पीएचसी स्तर पर तीन लाख रूपये की धनराशि और प्रमाणपत्र देने का प्रावधान है। सदर अस्पताल का लक्ष्य कार्यक्रम के तहत प्रमाणिकरण करना है। इस दौरान उन्होने निर्देश दिया कि केंद्रीय टीम के आने से पहले तैयारी पूरी कर लें।

सदर अस्पताल के अस्पताल मैनेजर राजेश्वर प्रसाद ने कहा लगभग सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है। कुछ कार्य शेष बचे हैं। जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जायेगा । लक्ष्य कार्यक्रम के तहत तय किए गए मापदंडों के बारे में जानकारी देते हुए बताया सरकारी अस्पतालों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए लक्ष्य कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। उन्होंने तय मूल्यांकन पैमाने में सुधार कर लक्ष्य कार्यक्रम को सफ़ल बनाने के लिए निर्देश दिया।

प्रसव कक्ष तथा ऑपरेशन थियेटर को किया गया सुसज्जित
लक्ष्य कार्यक्रम के तहत सभी संसाधनों व सुविधा उपलब्ध कराया गया है और लक्ष्य कार्यक्रम के मानकों के अनुरूप सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष तथा ऑपरेशन थियेटर को सुसज्जित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रसव कक्ष और ऑपरेशन थियेटर को बेहतर बनाने से मरीजों को सुविधा व सहुलियत हो रही है। उन्होंने कहा कि मैन पावर की कमी को भी दूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में अग्नि सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक संसाधनों को विकसित किया गया है ।
तीन स्तर पर रैंकिंग
लक्ष्य कार्यक्रम के तहत तीन स्तरों पर रैंकिंग की जाती है। पहले जिला स्तर पर, उसके बाद रिजनल स्तर पर और तृतीय चरण में राष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग की जाती है। प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए न्यूनतम 75 अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है।
70 प्रतिशत उपलब्धि पर सांत्वना पुरस्कार
तय मानकों के सापेक्ष 70 प्रतिशत उपलब्धि पर सांत्वना पुरस्कार दिए जाने का भी प्रावधान बनाया गया है। सांत्वना पुरस्कार के रूप में सदर अस्पताल को 3 लाख, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों या अनुमंडलीय अस्पतालों को 1 लाख एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को 50 हजार रुपए दिए जाते हैं।

इन मानकों पर तय होते हैं पुरस्कार
• अस्पताल की आधारभूत संरचना
• साफ-सफाई एवं स्वच्छता
• जैविक कचरा निस्तारण
• संक्रमण रोकथाम
• अस्पताल की अन्य सहायक प्रणाली
• स्वच्छता एवं साफ़-सफाई को बढ़ावा देना

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