• 6 फीट की दूरी और मास्क जरूरी
• कोविड के अनुरूप व्यवहारों का हर समय पालन करें
• स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वीडियो जारी कर किया जागरूक

Chhapra: जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने के संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। जैसे-जैसे तेजी से जांच हो रहा है वैसे वैसे पॉजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार कमी भी देखी जा रही है। लेकिन इन सबके बीच कोरोना संक्रमण से उबर चुके व्यक्तियों को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर विभाग की ओर से लगातार जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर हो रहे सामाजिक भेदभाव के प्रति लोगों को जागरूक करने की एक पहल शुरू की है। वीडियो के माध्यम से कोरोना संक्रमण से उबर चुके व्यक्तियों के साथ भेदभाव नहीं करने का संदेश दिया गया है। उसमे बताया गया है, कोरोना संक्रमण से उबर चुके व्यक्तियों के साथ सामाजिक भेदभाव नहीं करें बल्कि उनके और उनके परिवारों के प्रति सहानुभूति रखें। कोरोना संक्रमण भी एक आम बीमारी की तरह है इससे ठीक हो चुके व्यक्तियों से कोई खतरा नहीं रहता है। इसलिए उनके साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना संक्रमण से अधिकतर व्यक्ति स्वस्थ हो रहे हैं। लगातार स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़ रही है।

वीडियो के माध्यम से दिया गया संदेश

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर भेदभाव के खिलाफ जागरूकता फैलाने की पहल शुरू की है । इस वीडियो में एक कार्यालय के कर्मचारी और उसके बॉस आपस में बातचीत कर रहे हैं… “कर्मी कहता है- सर, सुना है सुनिल कोविड-19 से ठीक होने के बाद वापस से काम शुरू कर रहा है, बॉस- हां सही है सुना है.. कर्मी- उसको कोई अलग कमरा दे दीजिएगा और खाना भी वहीं खायेगा। बॉस- तुम्हे भी तो एक साल पहले टायफाइड हुआ था तो क्या तुम सबके साथ नही खाते थे। यह भी एक आम बीमारी की तरह है। ठीक होने के बाद बीमार से कोई खतरा नहीं है।”

6 फीट की दूरी और मास्क जरूरी

कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए 6 फीट की दूरी और मास्क का उपयोग बहुत ही जरूरी है। इसलिए मास्क का उपयोग अवश्य करें। एक दूसरे के बीच 6 फीट का शारीरिक दूरी भी अपनाएं। आपकी सुरक्षा पूरी तरह से आपके हाथों में है। इसलिए अपनी आंख नाक और मुंह को छूने से बचे। अपने हाथ को साबुन और पानी से नियमित तौर पर अच्छी तरह से धोएं।

कोविड-19 अनुरूप व्यवहारों को हर समय पालन करें

सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने बताया, कोविड-19 रूप व्यवहारों को हर समय पालन करें और अपने आसपास के लोगों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाएं। करोना की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। कोविड-19 से स्वयं को सुरक्षित रखने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है कि हम सफाई से रहे, मास्क लगाएं और सभी से 2 गज की दूरी बनाकर रखें।

सम्मानजनक व्यवहार जरूरी: सीएस

सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने बताया, किसी व्यक्ति के संक्रमित हो जाने के बाद उनके साथ सामाजिक भेदभाव हो रहा है तो यह गलत है। समाज में इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए। संक्रमित के ठीक होने के उपरांत उनसे सम्मानजनक व्यवहार हो। प्रायः देखा जा रहा है कि उन्हें बीमारी फैलाने का जिम्मेवार ठहराकर सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है यह भी गलत है। इसके कारण लोग अपनी समस्याएं छिपाते है। इसलिए किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।

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• मानसिक तनाव से संबंधित परार्मश के लिए टॉल फ्री नंबर 080-46110007 पर कॉल करें
• स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने पोस्टर जारी कर किया जागरूक
Chhapra:  कोरोना संकट काल में लोगों में मानसिक तनाव की समस्या भी सामने आ रही है। संक्रमण के बढ़ते मामलों के बारे में जान कर एवं इसे लागतार टेलीविजन के जरिए देखने और सुनने के कारण लोगों के मन में कई तरह चिंतायें आ रही है. लोग अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं. जो लोगों में तनाव एवं अवसाद पैदा कर रहा है. इसलिए जरुरी है कि ऐसे दौर में लोग अपना ख्याल रखें. शारीरिक एवं मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ रखें. लक्षणों को समझें एवं सतर्क रहें। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। साथ ही कोरोना के उपाचाराधीन मरीजों को मानसिक तनाव से दूर रहने के लिए कर्मियों द्वारा काउंसलिंग भी की जा रही है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी पोस्टर जारी कर कोरोना काल में मानसिक तनाव से दूर रहने की सलाह दी है। इसके साथ ही मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्तियों के लिए निमहांस की ओर से टॉल फ्री नंबर भी जारी किया गया जिसपर कॉल करके मानसिक तनाव से जुड़ी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। निमहासं द्वारा जारी टॉल फ्री नंबर 080-46110007 पर कॉल कर मानसिक समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

ये हैं मानसिक तनाव के लक्षण
जय प्रकाश विश्वविद्यालय के जेपीएम कॉलेज के साइकोलॉजिकल विभाग सहायक प्रोफेसर डॉ. नीतू सिंह ने बताया कि तनाव होने के कारण शारीरिक एवं मानसिक दोनों स्तर पर बदलाव देखने को मिलते हैं। तनाव होने के कारण शरीर स्तर पर अधिक पसीना का आना, अत्यधिक थकान का होना, मुँह का बार-बार सूखना एवं साँस लेने में तकलीफ़ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जबकि तनाव से मानसिक स्तर पर भी बदलाव आते हैं, जिसमें अत्यधिक चिंता एवं ध्यान केन्द्रित करने में समस्या होती है।

मानसिक तनाव को दूर करने में मेडिटेशन कारगर

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि मेडिटेशन हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में हमारी मदद करता है, वहीं नकारात्मक विचार भी मन में नहीं आते जिससे हम मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ तो रख ही सकते हैं, साथ ही सूकून भी मिलता है और ऐसे वक्त में हमें मेडिटेशन की बहुत जरूरत है ताकि हम खुद को इन विचारों से दूर रख सकें। इन्हें खुद पर हावी न होने दें। मेडिटेशन से कई फायदे होते हैं, जैसे भावनात्मक स्थिरता में सुधार, रचनात्मकता में वृद्धि, प्रसन्नता में संवृद्धि, मानसिक शांति एवं स्पष्टता, परेशानियों का छोटा होना आदि।

सोशल मीडिया से दूरी बनाएं
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि अगर आप इन खबरों से व्याप्त नकारात्मकता से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले सोशल मीडिया से दूर हो जाएं, क्योंकि दिन-रात सिर्फ यही खबरें पढ़ व सुनकर आप परेशान हो सकते हैं इसलिए दूरी ही भली।

अकेले न रहें, परिवार के साथ समय बिताएं

इस समय खुद को मोबाइल के साथ ही व्यस्त न रखें बल्कि अपने परिवार के साथ वक्त बिताएं। अगर आप अकेले बैठते हैं तो कई तरह के विचार मन में आते हैं अत: इनसे बचें और परिवार के साथ समय बिताएं।

इन बातों का जरूर रखें ख्याल
• लोगों को ज्यादा से ज्यादा समय रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्यों में जरूर व्यतीत करना चाहिए.
• अधिकतर समय परिवार, दोस्त, सहकर्मी के साथ बिताए, एक-दूसरे का ख्याल रखें. उनसे अपनी मन की बात शेयर जरूर करें.
• रूचि के अनुरूप वाले काम में वक्त बिताए, जिससे आपको खुशी मिले.
• शराब, तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला, किसी भी प्रकार के नशे के सेवन से बचें.
• सोशल मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे भ्रामक अफवाहों से दूरी बनाए रखें.
• नियमित दिनचर्या को बनाए रखें. हमेशा की तरह समय पर सोकर पर्याप्त नींद ले और संतुलित डाइट का सेवन करें.
• थोड़ा समय योग, ध्यान और एक्सरसाइज करने में जरूर लगाएं. इससे शरीर में धनात्मक ऊर्जा का संचार होगा

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•अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान और रेफरल एवं प्रबंधन की होगी सुविधा

• स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा प्रचार प्रसार
• जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान कराना किया जाएगा सुनिश्चित

Chhapra: वर्ष 2022 तक देश में कुपोषण की दर में सुधार लाने के लिए सरकार कृत संकल्पित है। इसी क्रम में सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। पिछले वर्ष की तरह 1 से 30 सितंबर तक पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। पोषण माह के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी कई गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र लिखकर सभी जिला पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है। साथ ही पोषण माह के अंतर्गत आयोजित किए जाने वाले गतिविधियों का कैलेंडर जारी किया गया है।

इन कार्यक्रमों पर गतिविधियों का होगा आयोजन

•अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान रेफरल एवं प्रबंधन
• स्तनपान को बढ़ावा
• गृह आधारित नवजात की देखभाल
• सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा
• राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम
• विटामिन ए की खुराक अभियान
• आयरन फोलिक एसिड गोली का वितरण
• टीकाकरण
• वीएचएसएनडी

अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन

पत्र में बताया गया है अतिगंभीर कुपोषित बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में 9 से 11 गुना मृत्यु का खतरा अधिक होता है तथा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की लगभग 45% मृत्यु में अति गंभीर कुपोषण एक अंतर्निहित कारक होता है। इसलिए पोषण माह 2020 के अंतर्गत सभी अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान रेफरल एवं प्रबंधन का लक्ष्य रखा गया है।


समुदाय स्तर पर गतिविधियों का आयोजन

समुदाय स्तर पर आशा द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से समन्वय स्थापित कर लंबाई ऊंचाई के अनुसार 3SD से कम वजन वाले बच्चों की लाइनलिस्टिंग तैयार कर आरोग्य दिवस पर एएनएम से जांच करवाना, स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करवाना सुनिश्चित किया जाएगा। आशा द्वारा बीमार, सुस्त दिखाई देने वाले दुबलेपन, स्तनपान व भूख में कमी एवं दोनों पैरों से सूजन वाले बच्चों की लाइन लिस्ट तैयार कर आरोग्य दिवस पर उनकी जांच सुनिश्चित की जाएगी. उक्त बच्चो में सांस का तेज चलना, छाती का धंसना, फरका आना एवं लगातार उल्टी दस्त होना इत्यादि लक्षण पाए जाने पर आशा द्वारा उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या पोषण पुर्नवास केंद्र पर रेफर किया जाएगा। अतिकुपोषित बच्चे जिन्हें चिकित्सकीय जटिलता नहीं है एवं मध्यम गंभीर कुपोषित बच्चे की माताओं को एएनएम एमसीपी कार्ड में पोषण संबंधित दिए गए परामर्श देंगी। इन बच्चों के माता-पिता अभिभावक को नियमित आईएफए, अनुपूरक, छमाही विटामिन-ए सिरप एवं एल्बेंडाजोल टेबलेट के बारे में परामर्श दिया जाएगा।

स्वास्थ्य संस्थान स्तर पर गतिविधियां

स्वास्थ्य संस्थानों के ओपीडी आईपीडी अथवा टीकाकरण के लिए आए 0 से 5 वर्ष तक के दिखाई देने वाले दुबलेपन आशा/आंगनबाड़ी एवं द्वारा रेफर किए गए कुपोषित बच्चों की लंबाई /ऊंचाई के अनुपात में वजन का आकलन सुनिश्चित किया जाएगा । डब्ल्यूएचओ के संदर्भ सारणी (एमसीपी कार्ड ग्रोथ चार्ट) के अनुसार 3SD से कम वजन वाले बच्चों में खतरे के लक्षण जैसे ( चमकी आना, दोनों पैरों में सूजन, सांस तेज चलना, छाती का धसना, लगातार उल्टी दस्त होना, तेज बुखार या शरीर का ठंडा पड़ना, भूख में कमी, खून की कमी होना, त्वचा पर घाव एवं विटामिन ए की कमी से आंख में होने वाली बीमारी को पोषण पुनर्वास केंद्र के लिए रेफर करना सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही स्वास्थ्य संस्थानों में आने वाले अभिभावकों को पोषण संबंधित परामर्श दिया जाएगा पोषण स्तर के आकलन के लिए स्वास्थ्य संस्थानों पर डिजिटल वेट मशीन, इन्फेंटोमीटर, स्टेडियोमीटर, एमयूएसी टेप, एमसीपी कार्ड की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

पोषण पुर्नवास केंद्र में मिलेगी गुणवत्तापूर्ण उपचार की सुविधा

पोषण माह के दौरान सभी पोषण पुर्नवास केंद्र क्रियाशील रहेंगे तथा कोविड-19 प्रोटेक्शन प्रोटोकॉल अपनाते हुए चिकित्सकीय जटिलता युक्त अति गंभीर कुपोषित बच्चों का गुणवत्तापूर्ण उपचार सुनिश्चित की जाएगी. उपचार के उपरांत डिस्चार्ज हुए बच्चों का दूरभाष के माध्यम से फॉलोअप कार्य नवनियुक्त सीबीसीई से करवाना सुनिश्चित किया जाएगा एवं डिस्चार्ज हुए बच्चों की सूचना संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सीडीपीओ आशा फैसिलिटेटर एवं आशा को उपलब्ध कराया जाएगा।


स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा जागरूक

संस्थागत एवं घर पर जन्म लेने वाले सभी नवजातो को जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान शुरू कराना सुनिश्चित किया जाएगा। संस्थान में स्वास्थ्य कर्मी तथा समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य कर्मी आशा इस कार्य को सुनिश्चित करेंगे.स्वास्थ्य संस्थानों में एएनसी टीकाकरण के दौरान आने वाली गर्भवती एवं धात्री माताओं को गर्भावस्था के अनुसार तथा बच्चों के उम्र के अनुसार स्तनपान एवं पोषण संबंधित परामर्श दिया जाएगा। समुदाय स्तर पर आशा मां कार्यक्रम के अंतर्गत 3 माह से ऊपर के गर्भवती एवं धात्री माताओं को गृह भ्रमण के दौरान जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान शुरू कराना, 6 माह तक सिर्फ स्तनपान कराना, 6 माह पूर्ण होने पर पूरक आहार शुरू करने के साथ स्तनपान को कम से कम 2 वर्ष तक जारी रखने एवं इनके लाभ के बारे में चर्चा करेंगी। कोविड-19 को देखते हुए बैठक के स्थान पर लाभार्थी से चर्चा करेंगे.

गृह आधारित नवजात की देखभाल

पोषण माह के दौरान आशा द्वारा होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर कार्यक्रम के अंतर्गत अपने संबंधित क्षेत्र में शत-प्रतिशत नवजात के घर पर भ्रमण कर शिशु एवं माता के जांच तथा पोषण संबंधित सलाह देंगी। आयरन फोलिक एसिड गोली: 6 से 59 माह तथा 5 से 10 वर्ष के बच्चों किशोर किशोरियों तथा गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के रोकथाम के लिए आईएफ़ए सिरप, आईएफए गुलाबी गोली, आईएफ़ए की नीली गोली एवं आईएफ़ए लाल गोली की उपलब्धता लाभार्थियों तक सुनिश्चित की जाएगी।

आरोग्य दिवस

नियमित टीकाकरण के साथ आशा आंगनबाड़ी, सेविका, एएनएम, स्वयं सहायता समूह, महिला मंडल एवं पंचायती राज के प्रतिनिधि कुपोषण एनीमिया स्वच्छता आदि विषय पर चर्चा करेंगे। ऐसे सत्रों की फोटो खींचकर पोषण अभियान की डैशबोर्ड पर अपलोड करना होगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक आरोग्य दिवस पर स्वास्थ्य पोषण विकास एवं स्वच्छता से संबंधित सेवाएं एवं जानकारियां वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को अवश्य दी जा रही हो एवं ऐसे प्रयासों की फोटो भी प्रतिवेदित की जाएगी।

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Chhapra: रोट्रेक्ट क्लब ऑफ सारण सिटी के तत्वावधान में शहर के थाना चौक पर मास्क का वितरण किया गया.

मास्क वितरण करते हुए मुख्य अतिथि पीडीआरआर श्याम बिहारी अग्रवाल ने कहा कि कोरोना महामारी के बचाव के लिए मास्क का उपयोग नितांत आवश्यक हैं. कोरोना महामारी से बचने के लिए मास्क तीन गज की दूरी तथा सैनिटाइजर का उपयोग नितांत आवश्यक हैं. इन सब के उपयोग से कोरोना महामारी पर विजय प्राप्त की जा सकती हैं. रोट्रेक्ट क्लब ऑफ सारण सिटी द्वारा मास्क वितरण एक सराहनीय कार्य हैं.

इस अवसर पर अध्यक्ष मो0 इरशाद, सचिव अभिषेक श्रीवास्तव, निशान्त कुमार पाण्डेय, आलोक कुमार सिंह, अवध बिहारी, अनिल कुमार आदि ने सराहनीय सहयोग किया.

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Chhapra: सारण जिले बाढ़ से कई प्रखंडों के लाखों लोगों का जीवन प्रभावित है. ऐसे में बिहार समाज अमेरिका के अप्रवासी भारतीयों ने द्वारा मदद का हाथ बढ़ाया गया है.

जिले में युवा क्रांति रोटी बैंक की मदद से गरखा क्षेत्र में 2000 बाढ़ पीड़ितों के बीच भोजन का वितरण किया गया. जरुरतमंदो को पोशाक की व्यवस्था भी की गयी. पीड़ितों ने इस पुनीत कार्य को काफ़ी सराहा.

युवा क्रान्ति रोटी बैंक के संस्थापक ई० विजय राज का कहना है की मेरी टीम इंसानियत के लिए सेवा भाव से पीड़ितों की सहायत के लिए तत्पर है. सलाहकार सुधाकर प्रसाद ने कहा कि मजबूर और परेशान लोगों के साथ हम लोग हमेशा खड़े रहेंगे. अध्यक्ष आकृति रचना ने बिहार समाज अमेरिका के कुमार प्रशांत, प्रविंद श्रीवास्तव, निश्चल श्रीवास्तव को इस नेक कार्य मे हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद दिया.

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Chhapra: एक ओर कोरोना की महामारी, उस पर से बाढ़ की बर्बादी, दोनो बिहार में कहर कम होने का नाम नही ले रहा है। जिस प्रकार हर दिन छपरा जिले के विभिन्न प्रखंडों में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। लोग अपने घर छोड़ सड़को पर रहने के लिए मजबूर हो चुके है। इसी सब समस्याओं को देखते हुए गाईड लाइन क्लासेस के निर्देशक विकाश कुमार की देख रेख में लायंस/लियो क्लब छपरा टाउन के द्वारा कपड़ा बैंक के तहत तरैया प्रखंड के विभिन्न पंचायतो में जरूरतमंद परिवारों के बीच कपड़ा और सूखे राशन की वितरण किया गया।

लायन क्लब छपरा टाउन के संस्थापक कुँवर जायसवाल ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में भी हम और हमारी टीम हर सम्भव मदद करने का प्रयास करते है। आज लायंस और लियो क्लब के माध्यम से बाढ़ से पीड़ित परिवारों के बीच एक किलो चना की सतुई और एक किलो मक्के की सतु, नमक, मिर्चा, प्याज आदि का वितरण किया गया।

लायंस क्लब छपरा टाउन के अध्यक्ष कबीर ने कहा कि जब हम सब पिछले वर्ष बाढ़ पीड़ितों के बीच खाद्य सामग्री का वितरण कर रहे थे तभी कई परिवारों के शरीर पर कपड़ा नही देखे जाने के बाद एक संकल्प था कि शहर में एक कपड़ा बैंक भी हो जिससे गरीब व असहाय लोगों को सम्मान मिले। छपरा शहर के सम्मानित लोगो की मदद और सहयोग की बदौलत लायंस , लियो क्लब के माध्यम से कपड़ा बैंक का गठन किया गया। ताकि गरीब व असहाय लोगों तक कपड़े की मदद पहुँचाई जाये। इस लिए आज हम सब छपरा से तरैया तक जरूरतमंद लोगों बीच कपड़े का वितरण किया है।

तरैया प्रखंड के तरैया पंचायत, पोखरेरा, खराटी, चैनपुर, पिपरा, सिरमी गाँव मे कपड़े और खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। इस अवसर पर रमन सिंह, सुकेश कुमार, आकाश कुमार, मोहित कुमार, अकबर अली, विकी कुमार, द्विवेदी प्रशांत, निशांत कुमार, राहुल कुमार, नीतीश कुमार, मनीष मनी आदि उपस्थित थे।

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• ऑनलाइन दिया जाएगा प्रशिक्षण

• कोरोना संकट के बीच आरोग्य दिवस के सभी सेवाओं को किया गया नियमित

•कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में वीएचएसएनसी निभा सकती है महत्वपूर्ण भूमिका

Chhapra: कोविड-19 संक्रमण के दौरान आरोग्य दिवस के आयोजन एवं संक्रमण के प्रसार और रोकथाम के लिए पंचायत प्रतिनिधियों वीएचएसएनसी( विलेज हेल्थ, न्यूट्रिशन एंड सैनिटेशन कमिटी) के सदस्यों की भूमिकाएं एवं जिम्मेदारियां विषय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है। जारी पत्र में बताया गया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एडवाइजरी ग्रुप ऑन कम्युनिटी एक्शन के द्वारा कोविड-19 संक्रमण के दौरान आरोग्य दिवस के आयोजन एवं वीएचएसएनसी की बदलती भूमिका पर ऑनलाइन प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षण के अंतर्गत कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति में योग दिवस के आयोजन एवं भी एचएसएनसी की भूमिका के संबंध में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण के प्रथम चरण में जिला स्तर पर कार्यरत जिला समुदायिक उत्प्रेरक एवं द्वितीय चरण में प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक को प्रशिक्षण दिया जाएगा। कोविड-19 महामारी के दौरान रोग दिवस पर सभी सेवाओं को नियमित किया गया है। अतः इस महामारी को देखते हुए आरोग्य दिवस सत्र स्थल पर बेहतर प्रबंधन एवं सेवा प्रदाता और लाभार्थियों को संपूर्ण सुरक्षा देते हुए आरोग्य दिवस संचालित किए जाने की आवश्यकता है। यह दिशानिर्देश समुदाय और स्तर पर कोविड-19 प्रसार के जोखिम को कम करने में मदद करेगा।

पंचायत प्रतिनिधियों और वीएचएसएनसी के सदस्यों की भूमिका एवं जिम्मेदारियां

ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 के संक्रमण के प्रसार को रोकने में वीएचएसएनसी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके लिए भूमिका का विस्तार किया जा रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों एवं वीएचएसएनसी के सदस्यों के द्वारा समुदाय को कोविड-19 के संक्रमण की वर्तमान स्थिति और उसके रोकथाम के उपायों के बारे में जागरूक किया जाएगा। यह सुनिश्चित करना कि समुदाय एवं सेवा प्रदाता के द्वारा कोविड-19 के रोकथाम से संबंधित उपायों को पालन किया जा रहा है। कोविड-19 संक्रमण से संबंधित भ्रांतियों के बारे में ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा तथा उसके विरुद्ध आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। निगरानी पत्र के माध्यम से समुदाय अस्तर की स्थिति से प्रत्येक 15 दिनों के अंतराल पर वीएचएसएनसी सदस्यों द्वारा भरा जाना चाहिए। जिससे स्थानीय स्तर पर योजना के निर्माण और समस्याओं के निवारण में सहायता मिलेगी। समिति को अपने कार्य का विस्तार करते हुए स्थानीय स्तर पर कोविड-19 से संबंधित भ्रांतियों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा। होम क्वॉरेंटाइन सरकारी आइसोलेशन में रहने वाले लोगों की मदद करना होगा। कोविड-19 के दौरान क्या करें, क्या नहीं करें के संबंध में व्यापक प्रचार प्रसार में सहयोग करना होगा।

पीआरआई और वीएचएसएनसी सदस्य कोविड-19 के रोकथाम में करेंगे सहयोग

•कोविड19 पर सभी सदस्यों की समाज को बढ़ावा बढ़ाना और उन्हें जागरूक करना जिसमें लोगों को कोई 19 के संक्रमण के दौरान क्या करें क्या नहीं करें रोग के लक्षण बिना लक्षण वाले लोगों का प्रबंधन, कोविड 19 पॉजीटिव केस, प्रवासी मजदूर, क्वॉरेंटाइन एवं आइसोलेशन केंद्र से संबंधित भ्रांतियों को दूर करना

• प्रत्येक लाभार्थी नामित एवं विशिष्ट आमंत्रित सदस्य महिला समूह के सदस्य और मनरेगा समन्वयक आदि की भूमिका एवं उनसे अपेक्षित सहयोग का निर्धारण करना। ताकि प्रत्येक लाभार्थी कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए योगदान दे।

•आरोग्य दिवस सत्र का प्रबंधन और रखरखाव जैसे सैनिटाइजेशन धुलाई और सत्र में भाग लेने वाले लोगों का प्रबंधन करना

• गरीब परिवारों के लिए सैनिटाइजर और फेस मास्क उपलब्ध कराना
• शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए सत्र स्थल और सार्वजनिक स्थानों पर गोला बनाकर सीमा का निर्धारण करना

• आर्थिक रुप से कमजोर परिवार जो घर पर क्वारेंटिंन में है उनको सरकारी एवं सामुदायिक सहभागिता से सहायता प्रदान करना ताकि वे अपना देखभाल अच्छे से कर सके

• बुजुर्ग और क्षयरोग, मधुमेह, डायलिसिस, कैंसर आदि जैसे गंभीर मरीजों का विशेष ध्यान देना

•आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने को बढ़ावा देना

•जो व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित थे लेकिन अब ठीक हो गए हैं उनकी देखभाल और लोगों के भ्रांतियों को दूर करने में मदद करना उनके प्रति सकारात्मक छवि बनाना

आरोग्य दिवस का आयोजन

रोग दिवस सत्र स्थल पर अधिकतम 4 से अधिक लाभार्थियों को आने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उन्हें कम से कम 2 मीटर की दूरी बनाए रखने आरोग्य दिवस सत्र स्थल पर अधिकतम चार से अधिक लाभार्थियों को आने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उनका कम से काम दो मीटर की दूरी बनाए रखने के लिए प्रेरित किया जाएगा। लाभार्थी और उनके सहयोगी को कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोने के बाद ही आरोग्य दिवस सत्र स्थल में प्रवेश करना चाहिए। लाभार्थी और उनके सहयोगी को चेहरे पर मास्क का उपयोग करना अनिवार्य होगा । एएनएम आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पूरे आरोग्यव सत्र के दौरान चेहरे पर मास्क लगाकर रहना होगा। आरोग्य दिवस पर आने वाले लाभार्थियों को कोविड-19 से बचने के बारे में जानकारी दी जाएगी। जैसे- शारीरिक दूरी ,नियमित रूप से हाथ धोना, चेहरे पर मास्क का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

एएनएम के लिए निर्देश

•प्रत्येक प्रसव पूर्व जांच से पहले नए सर्जिकल दस्ताने का उपयोग करें

•तीव्र परीक्षणों -रक्त और मूत्र परीक्षण के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतें
• प्रत्येक लाभार्थी के बाद बीपी मशीन,फिटोस्कोप , स्टेथोस्कोप, वजन मशीन तथा अन्य उपयोग किए गए सामग्रियों सहित अपने हाथों को भी कीटाणु रहित करें

•वैक्सीन कैरियर बॉक्स को कीटाणु रहित और जैव चिकित्सा अपशिष्ट ओ का निपटान अच्छी तरीके से किया जाना चाहिए

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कानपुर से एक अनोखी प्रेम कहानी सामने आई है, ज‍िसमें एक लड़की अपने ‘वॉट्सऐप प्रेमी’ से शादी करने के लिए 300 किलोमीटर का सफर करके अकेले ही उसके घर जा पहुंची. लेकिन जब उसका ‘वॉट्सऐप प्रेमी’ नाबाल‍िग न‍िकला तो जैसे उसके सपने ही चकनाचूर हो गए. लेकिन मामले में नया मोड़ तब आया, जब लड़की ने अपने ‘वॉट्सऐप प्रेमी’ को छोडकर उसके बड़े भाई से ही शादी करने की ज‍िद पकड़ ली.

प्रेमिका के मुताब‍िक, उसकी दोस्ती कानपुर के परौली गांव न‍िवासी प्रेमी से वॉट्सऐेप पर हुई थी. प्रेमिका शाहजहांपुर से 300 किलोमीटर का सफर करके बुधवार को अपने प्रेमी से शादी करने उसके कानपुर के परौली गांव स्थित घर पहुंच गई. इस सफर के दौरान उसे कई किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा और रास्ते में लोगों की मदद से बस का टिकट भी खरीदा. लेकिन यहां जब उसे अमित के नाबालिग होने का पता चला तो उसका शादी का बुखार उतर गया. प्रेमिका की उम्र 24 साल है और प्रेमी उससे पांच साल छोटा है.

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Chhapra: अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था लायंस क्लब छपरा टाउन और लिओ क्लब छपरा टाउन के द्वारा छपरा जंक्शन पर गरीबों असहाय लोगों के बीच कपड़ा बैंक के तहत कपड़ा का वितरण किया गया. कपड़ा वितरण के दौरान रेलवे चाइल्ड हेल्प लाइन के सदस्यों का अहम योगदान रहा.

लायंस क्लब छपरा टाउन के अध्यक्ष कबीर ने कहा कि लोगों का भरपूर सहयोग इस कार्यक्रम के दौरान मिल रहा है. छपरा शहर वासियों द्वारा लगातार कपड़ा दान किया जा रहा है और क्लब के द्वारा उन कपड़ों को जरूरतमंद व गरीब लोगों के बीच पहुंचाया जा रहा है. पिछले दिनों बाढ़ ग्रस्त इलाकों में लोगों के बीच कपड़ा का वितरण किया गया था. वही छपरा जंक्शन पर बुधवार को कपड़ा का वितरण किया गया.

इस अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष कुंवर जयसवाल, संतोष साह, अकबर अली, विकास कुमार, सौरभ राज, धीरज सिंह, लियो अध्यक्ष विकास समर आंनद, अभिषेक गुप्ता, सलमान खान, मनीष मणि आदि सदस्य उपस्थित थे.

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Chhapra: राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वेयँ सेवक/स्वयं सेविका ने बाढ़ पीड़ितों की सहायतार्थ भिक्षाटन प्रारम्भ किया. जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के अंतर्गत सभी एन एस एस इकाईयों ने अपने अपने यूनिट में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए भिक्षाटन का कार्य प्रारंभ किया. राष्ट्रपति पदक विजेता कुमारी अनिशा एवं मामता कुमारी जो कि क्रमशः जगदम महाविद्यालय और जयप्रकाश महिला महाविद्यालय की स्वयसेविकाओ ने जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा मुख्यालय में आकर कुलसचिव महोदय ग्रुप कैप्टन श्रीकृष्णा, परीक्षा नियंत्रक महोदय डॉ अनिल कुमार सिंह, वित्त पदाधिकारी श्रीराम किशोर सिंह तथा विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारी एवं मजहरूल हक डिग्री महाविद्यालय, तरवरा के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो.अवधेश शर्मा और दरोगा प्रसाद राय डिग्री महाविद्यालय सिवान के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ उमेश चौधरी ने सहृदय पूर्वक दान किया.

स्वयंसेविका कुमारी अनिशा और मामता कुमारी ने कहा कि इस एकत्रित राशि तथा पूर्व की एकत्रित राशि से खाद्य सामग्री(चूड़ा, मीठा) को लेकर स्वतः गड़खा एवं भेल्दी के बाढ़ पीड़ितों के सहायतार्थ लेकर जायेंगे. राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रोफेसर हरिश्चन्द्र ने बताया कि इन स्वयं सेविकाओं ने कई दिनों से कठिन परिश्रम कर छपरा बाजार में भी घूम घूम कर और घर घर जाकर राहत सामग्री खरीदने के लिए भिक्षाटन का कार्य किया. इसके लिए ये सभी बधाई के पात्र है. कूलसचिव, ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत) श्रीकृष्णा ने भी स्वयंसेविकाओं का मनोबल बढ़ाया एवं भविष्य में किसी भी तरह का सहायता करने का आश्वासन दिया.

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Chhapra: जैसे-जैसे जिले कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते गये, वैसे-वैसे जिले में जांच का दायरा भी बढ़ता गया। हाल यह है कि अब जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में रैपिड एंटीजन टेस्ट किट से तेजी से जांच होने लगी है। यही कारण है कि अब कोविड-19 के जांच के लिए लोगों को दूर-दराज कहीं जाना नहीं पड़ रहा है, बल्कि आसानी से अपने नजदीकी किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में जांच करा रहे हैं। इससे आम जनता को काफी सहुलियत हुई है। यह जांच मरीजों के लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर पूरी तरह से नि:शुल्क है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते स्तर को देखते हुए सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों में रैपिड एंटीजन कीट के माध्यम से जांच के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य केंद्र में सैम्पल कलेक्ट करने और उसकी जांच करने को लेकर दो स्वास्थकर्मी पीपीई किट में मुस्तैद रहकर तमाम सावधानियों के साथ सैम्पल कलेक्ट करते हैं।

जांच के लिए दूर-दराज नहीं जाना पड़ता
रिविलगंज प्रखंड के कचनार निवासी डॉ. बीएन यादव कहते हैं कि पहले कोरोना के जांच के लिए काफी परेशानी होती थी। जांच के लिए छपरा सदर अस्पताल जाना पड़ता था। वहां सैंपल लेकर पटना भेजा जाता था। रिपोर्ट आने में एक सप्ताह से अधिक समय लग जाता था। लेकिन अब कोरोना की जांच में तेजी आयी है और आसानी से जांच हो रही है। रैपिड एंटिजन किट से आधा घंटे में ही रिपोर्ट का पता चल जा रहा है। इससे काफी सहुलियत हो रही है। सरकार की इस पहल से कोरोना संक्रमण के प्रसार पर रोक लगाना संभव हो सकेगा।

आसानी से मिल रही है जांच रिपोर्ट
छपरा शहर के ब्रहम्पुर निवासी इंद्रजीत कुमार का कहना है कि रैपिड एंटिजन किट से कोरोना जांच रिपोर्ट में तेजी आयी है और जांच रिपोर्ट भी समय से मिल रही है। जिससे लोगों को पता चल रहा है कि कौन पॉजिटिव है कौन निगेटिव। रिपोर्ट जल्द मिलने लोगों को सहुलियत हो रही है और जो पॉजिटिव है वह तुरंत चिकित्सीय परामर्श के अनुसार आईसोलेट हो रहे है। जिससे संक्रमण के प्रसार पर रोक लग रहा है। वहीं आरटी-पीसीआर में रिजल्ट आने में 6 से 24 घंटे लग जाते हैं। तब तक तो संक्रमित व्यक्ति को पता नहीं होता कि वो पॉजिटिव है और वो कई लोगों के संपर्क में आ चुका होता है। रैपिड एंटीजन में आधे घंटे के अंदर ही रिपोर्ट सामने आ जाती है, ऐसे में शख्स को तुरंत आइसोलेट किया जा सकता है।

पंचायत स्तर पर हो रही है जांच
मोहब्बत परसा पंचायत के मुखिया रेखा मिश्रा ने बताया अब तो पंचायत स्तर पर भी कैंप लगाकर कोरोना की जांच की जा रही है। जिससे ग्रामीणों को अब दूर नहीं जाना पड़ रहा है। इसको लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। वह खुद गांव-गांव में ग्रामीणों को इसके प्रति जागरूक भी कर रही हैं। यह जानकारी दे रहीं है कि अगर कोई लक्षण दिख रहा है तो तुरंत जाकर अपना जांच करा लें। ताकि अपना और अपना परिवार की सुरक्षा खुद कर सकें। लोगों में इसके प्रति जागरूकता भी आयी है तथा कैंप में पहुंचकर अपना जांच खुद करा रहें है।

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Chhapra: कोरोना संक्रमण काल में कई स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रभावित हुए हैं. यद्यपि, कोरोना रोकथाम के साथ इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों को नियमित करने में राज्य के समस्त स्वास्थ्य कर्मीयों की भूमिका काफ़ी अहम रही है. संक्रमण के कारण स्वास्थ्य कार्यक्रमों की गति में आयी कमी को पुनः कायम करने के लिहाज से 16 सितंबर से 29 सितंबर तक सघन डायरिया नियंत्रण कार्यक्रम, कृमि मुक्ति कार्यक्रम एवं विटामिन ए अनुपूरण पखवाड़े का संयुक्त रूप से आयोजन किया जा रहा. उक्त बातें राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने मंगलवार को आयोजित राज्य स्तरीय वेबिनार में कही.

कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि बिहार में नवजात मृत्यु दर एवं अंडर-5 (5 साल के कम उम्र के बच्चे) मृत्यु दर में कमी आयी है. लेकिन अभी भी वांछित कमी नहीं हो सकी है. इस दिशा में इन तीनों कार्यक्रमों का एक साथ आयोजन एक सकारात्मक पहल साबित होगा. उन्होंने बताया कि इन तीनों कार्यक्रमों के एक साथ आयोजन करने से अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा बेहतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित हो सकेगी. कोरोना संक्रमण काल में आशा द्वारा घर-घर जाकर जागरूकता फैलाई जा रही है. इन तीनों कार्यक्रमों को एक साथ आयोजित करने से आशा गृह भ्रमण के दौरान ही कार्यक्रम से संबंधित सेवाएं भी प्रदान कर सकेगी. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर आशाएं एलबेंडाजोल की दवाओं को चूरकर अपने सामने अभिभावक द्वारा खिलाया जाना सुनिश्चित कराएगी. उन्होंने तीनों कार्यक्रमों में सम्मिलित विभागों एवं सहयोगी संस्थाओं से कार्यक्रम को सफ़ल बनाने की भी अपील की.

पांच साल से कम आयु वर्ग में होने वाले कुल मौतों में 9.2% बच्चों की डायरिया से होती है मौत 
राज्य शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. वीपी राय ने बताया कि पाँच साल से कम आयु वर्ग में होने वाले कुल मौतों में 9.2% बच्चों की मृत्यु डायरिया के कारण हो जाती है. इस लिहाज से 16 सितंबर से 29 सितंबर तक चलने वाला सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा काफ़ी महत्वपूर्ण साबित होगा. उन्होंने बताया कि पखवाड़े का मुख्य उद्देश्य डायरिया से होने वाली मौतों को शून्य करना है. डायरिया से होने वाले सभी मौतों को ओआरएस एवं जिंक की सहायता से रोका जा सकता है. इसलिए पखवाड़े के दौरान ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा. उन्होंने बताया डायरिया से सुरक्षा, इसकी बेहतर रोकथाम एवं ईलाज के जरिए डायरिया से होने वाली मौतों पर लगाम लगायी जा सकती है. उन्होंने डायरिया से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए 6 माह तक केवल स्तनपान, 6 माह के बाद संपूरक आहार की शुरुआत एवं विटामिन ए अनुपूरण को महत्वपूर्ण बताया. वहीं टीकाकरण( मीजिल्स टीका एवं रोटावायरस), साबुन से नियमित हाथ साफ़ करने, शौच के लिए शौचालय का इस्तेमाल करना एवं एचआईवी से सुरक्षा को डायरिया के रोकथाम के लिए उपयोगी बताया. डायरिया के उपचार के लिए उन्होंने ओआरएस एवं जिंक के इस्तेमाल को सबसे प्रभावी बताया. उन्होंने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े में केयर इण्डिया, पिरामल फाउंडेशन एवं यूनिसेफ द्वारा सहयोग किया जा रहा है. साथ ही आईसीडीएस, शिक्षा विभाग एवं पंचायती राज आदि विभाग भी इसे सफ़ल बनाने में सहयोग करेंगे.

वर्ष 2030 तक अंडर-5 मृत्यु दर को 25 एवं नवजात मृत्यु दर को 12 करने का लक्ष्य

यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सैय्यद हुबे अली ने बताया एसडीजी( सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल) लक्ष्य के मुताबिक बिहार को वर्ष 2030 तक अंडर-5 (पांच साल से कम आयु के बच्चों) मृत्यु दर को 25 एवं नवजात मृत्यु दर(प्रति 1000 जीवित जन्म) को 12 करने का लक्ष्य प्राप्त है. इस लिहाज से लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य को प्रतिवर्ष 5.9% की कमी लानी होगी, जो अभी फिलाहल राज्य में नहीं है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बच्चों एवं नवजातों में होने वाली मौतों को रोकने के लिए टीकाकरण, नवजातों में संक्रमण की रोकथाम , स्तनपान को बढ़ावा, बेहतर साफ़-सफाई, विटामिन ए अनुपूरण एवं दस्त नियंत्रण काफी प्रभावी है.

कृमि मुक्ति के लिए 3.8 करोड़ दवाएं हुयी प्राप्त
वेबिनार के दौरान बताया गया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत 16 सितम्बर से 29 सितम्बर तक राज्य के 25 जिलों में 1 साल से 19 साल तक के बच्चों को एलबेंडाजोल की दवा दी जाएगी. इसके लिए एलबेंडाजोल की 3.8 करोड़ दवाएं बीएसएमआईसीएल से प्राप्त हुयी है. साथ ही गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता अपने कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 9 माह से 5 वर्ष तक के उम्र के बच्चों को विटामिन ए सिरप की खुराक पिलाना भी सुनिश्चित करेगी. इसके लिए आशा पहले विटामिन ए सिरप के साथ उपलब्ध चम्मच में खुराक डालने के बाद उक्त लाभार्थी के चम्मच में खुराक डालकर संबंधित परिवार के द्वारा ही चम्मच से बच्चों को अनुपूरण सुनिश्चित कराएगी.

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