क़ामयाबी का आसमानः गुलामी की लंबी क़ैद के बाद आज़ाद मुल्क भारत भविष्य के सुनहरे ख़्वाब संजो रहा था। इन्हीं सपनों में शामिल था- भारत की अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा। भारतीय सिविल एविएशन के क्षेत्र में नित नयी सफलता अपने नाम करने वाली एयर इंडिया की पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान 08 जून 1948 को मुंबई और लंदन के बीच थी, जो काहिरा और जेनेवा होकर गंतव्य तक पहुंची।

लंबी शुरुआती तैयारियों के बाद 08 जून की शाम मुंबई एयरपोर्ट से मालाबार प्रिंसेज नाम के 40 सीटर एल-749 कॉन्स्टलेशन ने कैप्टन के.आर.गुजदार की अगुवाई में 35 यात्रियों को लेकर उड़ान भरी। 08 जून से शुरू हुआ सफ़र 10 जून को लंदन पहुंचकर ख़त्म हुआ। यानी पांच हजार मील की यात्रा दो दिनों में पूरी हुई। मुसाफिरों में इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच देखने के लिए जा रहे महाराजा दिलीप सिंह, गुलाम मोहम्मद भट्टी, आर.आर. नोबेल जैसे नामी-गिरामी और रसूखदार लोग शामिल थे।

इस सेवा के शुरू होने से पहले घरेलू उड़ानों का अनुभव रखने वाली एयर इंडिया ने काहिरा, जेनेवा और लंदन में अपना कार्यालय खोला। जिसमें लंदन एयरपोर्ट पर अपना कार्यालय खोलने के लिए एयर इंडिया को कड़ी मशक्क़त के बाद एक छोटी-सी जगह दी गयी। एयर इंडिया की पहली उड़ान का विज्ञापन 03 जून 1948 को एक अंग्रेजी अख़बार में प्रकाशित हुआ, जिसका संदेश था- ‘हमारे साथ हर मंगलवार काहिरा और जेनेवा होते हुए लंदन के लिए उड़ान भरिये, सिर्फ 1720 रुपये में।’

एयर इंडिया की स्थापना 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस के रूप में की थी। इसकी पहली उड़ान कराची से मुंबई के बीच थी। जेआरडी टाटा स्वयं उस सिंगल इंजन प्लेन में सवार थे। 29 जुलाई 1946 को एयर इंडिया के नाम से यह पब्लिक लिमिटेड कम्पनी बन गयी और देश की आज़ादी के बाद सरकार ने 1948 में इसकी 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली। जेआरडी टाटा 1977 तक इसके चेयरमैन रहे। आज भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया 94 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूटों पर उड़ान भरती है।

अन्य अहम घटनाएंः

1658ः औरंगजेब ने आगरा के किले पर कब्जा कर शाहजहां को कैद कर लिया।

1936ः भारत की सरकारी रेडियो सेवा इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया।

2004ः भारत सहित दुनिया के कई देशों में 122 वर्षों बाद शुक्र पारगमन का अद्भुत नजारा देखा गया।

2009ः मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, अभिनेता व कवि हबीब तनवीर का निधन।

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..जब गांधीजी को धक्के देकर ट्रेन से उताराः 07 जून राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा के लिए जाना जाता है, जब उन्होंने पहली बार इसे आजमाया। हुआ यह कि 1893 में महात्मा गांधी एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर वकालत करने दक्षिण अफ्रीका गए और वहां नटाल प्रांत में रह रहे थे। एकदिन वे वैध टिकट के साथ एक ट्रेन के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफ़र कर रहे थे लेकिन इसी दौरान उन्हें नस्लभेद का सामना करना पड़ा। गोरी चमड़ी नहीं होने के कारण रेलवे अधिकारियों ने उनसे थर्ड क्लास डिब्बे में जाने को कहा। गांधीजी ने यह कहते हुए आदेश मानने से साफ इनकार कर दिया कि अगर वे चाहें तो उन्हें डिब्बे से बाहर फेंक दें लेकिन वे अपनी मर्जी से हरगिज बाहर नहीं जाएंगे। हुआ भी ऐसा ही। ट्रेन पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन पहुंची, उन्हें धक्के देकर नीचे उतार दिया गया। वह 7 जून की तारीख़ थी। कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी और वे स्टेशन के वेटिंग रूम में पहुंचे। पूरी रात यह सोचते हुए जागते रहे कि इसका प्रतिकार कैसे किया जाए। एकबार इरादा किया कि वे बिना कोई प्रतिक्रिया दिये स्वदेश लौट जाएं लेकिन आखिरकार निर्णय लिया कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे जुल्मों को लेकर लोगों को एकजुट करेंगे। इस घटना ने गांधीजी की जीवनधारा पूरी तरह से बदलकर रख दी। यहीं से उनमें सविनय अवज्ञा की नींव पड़ी जो आंदोलन का रूप लेकर न सिर्फ दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय को उसका हक दिलाने में कामयाब रहा, बल्कि भारत में भी अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ प्रभावी रहा।

अन्य अहम घटनाएंः

1539ः बक्सर के निकट चौसा की लड़ाई में अफगान शेरशाह सूरी ने मुगल बादशाह हुमायूं को शिकस्त दी।

1631ः मुगल बादशाह शाहजहां की बीवी मुमताज बेगम की बुरहानपुर में 39 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गयी।

1914ः प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और उर्दू लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास का जन्म।

1974ः भारत के प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति का जन्म।

1989ः भारत के दूसरे उपग्रह भास्कर प्रथम का सोवियत रॉकेट से प्रक्षेपण किया गया।

1995ः नार्मन थेगार्ड अंतरिक्ष की कक्षा में सबसे लंबे समय तक रहने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बने।

2006ः भारत ने नेपाल को आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए एक अरुब रुपये देने का निर्णय किया।

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उसे याद कर आज भी सिहर उठेंगे: 6 जून 1981 का वह वृतांत आज भी सुनने-पढ़ने वालों को हिला कर रख देगा। उस दिन बिहार के मानसी से सहरसा जा रही ट्रेन कोसी क्षेत्र में दुर्घटना का शिकार हो गई। उस हादसे में करीब 800 लोगों की जान चली गई थी।

हादसा मानसी-सहरसा रेल खंड पर बदला घाट-धमारा घाट स्टेशन के बीच बागमती नदी पर बने पुल संख्या-51 पर हुआ था। इसी पुल से वह ट्रेन उफनती बागमती नदी में जा गिरी थी। तब 300 लोगों के मरने की खबर आयी थी। हालांकि, स्थानीय लोगों के अनुसार हादसे में 800 के करीब लोग मारे गये थे। बाद में रेलवे के दो बड़े अधिकारियों ने तो मरने वालों की संख्या 800 से 1000 के करीब बतायी थी। हाल ये थे कि कुछ लोगों के शव कई दिनों तक ट्रेन की बोगियों में फंसे रहे। इस दुर्घटना को देश के सबके बड़े रेल हादसे के रूप में याद किया जाता है। बहरहाल, उस समय जल्दी घर पहुंचने की ललक लिए ट्रेन में सवार लोगों को क्या पता था कि वे अब कभी अपनों से नहीं मिल पाएंगे।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं-

1674: छत्रपति शिवाजी महाराज का रायगढ़ के किले में राज्याभिषेक।

1916: अमेरिका के ईस्ट क्लीवलैंड में महिलाओं को वोट का अधिकार मिला।

1919: बोलशेविक के खिलाफ फिनलैंड की युद्ध की घोषणा।

1967: इजरायली सेना का गाजा पर कब्जा।

1995: पाकिस्तान में बाल अपराधियों को कोड़े मारने और फांसी की सज़ा पर रोक।

1997: बैंकॉक में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका एवं थाईलैंड ने ‘बिस्टेक’ नामक आर्थिक सहयोग समूह बनाया।

2004: भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का निधन।

2005: ईरान गैस पाइप लाइन योजना पर भारत और पाकिस्तान में सहमति।

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सुशील द्विवेदी
संयुक्त राष्ट्र ने साल 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा की थी, लेकिन पहला विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1974 को मनाया गया और इस प्रकार दुनियां इस साल 48वां विश्व पर्यावरण दिवस मना रही है। हर बार अलग- अलग देश विश्व पर्यावरण दिवस की मेज़बानी करते हैं। इस वर्ष अर्थात् 2021 में इसकी मेज़बानी पाकिस्तान को दी गई है। संयुक्त राष्ट्र मेजबान देश पाकिस्तान के साथ मिलकर  ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ के तहत  लोगों के मन में पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति चेतना जागृत करने सम्बन्धी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।  हर वर्ष पर्यावरण दिवस की कोई न कोई थीम रखी जाती है।  इस बार  की थीम पारिस्थितिकी तंत्र बहाली (Ecosystem Restoration) है। प्रकृति के बिना मानव जीवन संभव नहीं है। हमारे लिए पेड़-पौधे, जंगल, नदियां, झीलें, जमीन, पहाड़ बहुत जरूरी हैं। इसलिए पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण की बहाली का संकल्प लेना चाहिए। संपूर्ण मानवता का अस्तित्व प्रकृति पर निर्भर है। इसलिए एक स्वस्थ एवं सुरक्षित पर्यावरण के बिना मानव समाज की कल्पना अधूरी है। प्रकृति को बचाने के लिए हमसब को मिलकर कुछ संकल्प लेना होगा। हम तय करें कि वर्ष में कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं और उसे बचाएं तथा पेड़-पौधों के संरक्षण में सहयोग करें। आज के समय की प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएं जल प्रदूषण,वायु प्रदूषण,ध्वनि प्रदूषण,भूमि प्रदूषण तथा जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरण की घटती गुणवत्ता है।
ई वेस्ट या ई-कचरा एक नया संकट
सच यह है कि  स्वच्छ भारत अभियान और स्मार्ट शहर परियोजना पर जोर दिए जाने के बाद भी भारत ई-कचरा पैदा पैदा करने वाले शीर्ष पांच देशों में बना हुआ है। एसोचैम-नेक की ओर से हाल ही में कराए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। ई-कचरे में आम तौर पर हटाए गए कंप्यूटर मॉनीटर, मदरबोर्ड, कैथोड रे ट्यूब (सीआरटी), प्रिंटिड सर्किट बोड (पीसीबी), मोबाइल फोन व चार्जर, कॉम्पैक्ट डिस्क, हेडफोन के साथ लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी)/प्लाज्मा टीवी, एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर शामिल हैं। रिपोर्ट में सामने आया है कि ‘असुरक्षित ई-कचरे की की रीसाइकिलिंग के दौरान उत्सर्जित रसायनों/प्रदूषकों के संपर्क में आने से तंत्रिका तंत्र, रक्त प्रणाली, गुर्दे व मस्तिष्क विकार, श्वसन संबंधी विकार, विकार, गले में सूजन, फेफड़ों का कैंसर, दिल, यकृत को नुकसान पहुंचता है।
 पारिस्थितिक तंत्र पर मंडराता खतरा
मानव जनित ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं। शोध के मुताबिक कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले 10-15 साल में 40 गुणा बढ़ गया है। वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ गई है। एक गर्म जलवायु में, वायुमंडल अधिक पानी एकत्र कर सकता है और बारिश कर सकता है, जिससे वर्षा के पैटर्न में बदलाव हो रहा है।वैश्विक तापमान मैं बढ़ोत्तरी से ग्लेशिएर पिघल रहे है, जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। ग्लेशियर पिघलने की स्थिति में दुनिया में कुल 293 शहरों पर खतरा जताया गया है। इनमें भारत के तीन शहरों के नाम भी हैं- कर्नाटक का मंगलोर, महाराष्ट्र का महाराष्ट्र का मुंबई और आंध्र प्रदेश का काकिंदा। 
एक अध्ययन से पता चला है कि कुछ साल में ही एक अरब से ज्यादा लोगों को जलवायु की समस्याओं के चलते विस्थापित होना पड़ सकता है।हाल ही  इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमी एंड पीस की रिपोर्ट में यह अनुमान बताया गया है। यह संस्था हर साल वैश्विक आतंकवाद और शांति के इंडेक्सेस जारी करता है। इस संस्था ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य स्रोतों के आंकड़ों का उपयोग कर 157 देशों में आठ पारिस्थितिकीय खतरों से सामना होने के नतीजों की गणना की। इसके बाद उन्होंने उस देश की इन खतरों से निपटने की क्षमता का भी आंकलन किया। इस अध्ययन में, द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन और तेजी से बढ़ती जनसंख्या जैसे कारकों की वजह से 31 देशों के 1.2 अरब से अधिक लोगो के समाने अपनी जगह से विस्थापित होने के जोखिम का खतरा आ जाएगा क्योंकि यह पारिस्तिथिकी खतरों का पर्याप्त प्रतिरोध नहीं कर सकेंगे। इनमें से शीर्ष 19 देशों में खाद्य और पानी की कमी होगी जो कि दुनिया के 40 सबसे कम शांतिपूर्ण देशों में शामिल होंगे। इस अध्ययन में कहा गया है कि साल 250 तक कुल 141 देश ऐसे होंगे जो कम से कम एक पारिस्थिकी खतरे का सामना कर रहे होंगे। इनमें से सबसे ज्यादा खतरा अफ्रीका के उप साहरा, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के देशों में होगा। वहीं पानी की कमी के मामले में भारत चीन के साथ शीर्ष पर है।
कुछ अच्छी हरित कोशिशें ला सकतीं हैं बदलाव
जहां भी हो सके, जैसे भी हो ऊर्जा बचाएँ। यह बचत आपके फालतू के खर्च भी कम करेगी। समान्य बल्ब तथा सीएफएल बल्बों के स्थान पर एल ई डी लेंपों का इस्तेमाल करें।  किसान पोषक तत्वों से भरपूर सूखा प्रतिरोधी कम पानी मैं उगने वाले मोटे अनाज खेतों मैं उगाएं। वाशिंग मशीन तभी चलाएँ जब उचित मात्रा में कपड़े हों।कपड़े सुखाने हेतु ड्रायर का प्रयोग रोककर बिज़ली बचाएं। स्टार लेवल वाले उपकरण प्रयोग करें ये15 प्रतिशत तक बिजली बचाते हैं। गाड़ी के टायरों में हवा सही रखकर 3 प्रतिशत ईंधन बचा सकते हैं।अधिक से अधिक वृक्ष लगाएँ। एक अकेला वृक्ष अपनी जिन्दगी में एक टन कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है। स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल से ऊर्जा की खपत आधी की जा सकती है। खाना बर्बाद न करें। इसे तैयार करने में बहुत ऊर्जा लगती है। फ्रोजन फूड की जगह ताजा खाना खाएँ। डिब्बाबन्द चीजों से बचें। आपकी किफायत दुनिया को बचा सकती है। अगर हो सके तो प्राकृतिक (अक्षय) ऊर्जा प्रयोग में लाएँ।नहाते समय बाथरूम मैं फव्वारा के स्थान पर बाल्टी -मग से नहाकर पानी बचाएं।घर मैं खिड़की हों तथा बच्चे अपनी पढ़ाई की टेबल कुर्सी खिड़की तरफ लगाकर प्राकृतिक लाइट का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर बिजली बचा सकते हैं
(लेखक पर्यावरणविद् तथा अर्थ डे नेटवर्क स्टार अवार्ड 2020 विजेता हैं)
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Chhapra: मारवाड़ी युवा मंच छपरा शाखा के नेतृत्व में सारण पिंजरापोल गौशाला हीरानी बाग छपरा में पर्यावरण सप्ताह के अंतर्गत पौधारोपण किया गया। पौधारोपण मुख्य अतिथि बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष हरी कृष्ण चांदगोठिया तथा संगठन सचिव सह प्रवक्ता श्याम बिहारी अग्रवाल ने फलदार आम का पौधा लगाया। पौधारोपण के पश्चात बिहार प्रदेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के संगठन मंत्री सह प्रवक्ता श्याम बिहारी अग्रवाल ने कहा वर्तमान समय में कई प्रजाति के जीव जंतु एवं वनस्पतियां अर्थात् पेड़ पौधे विलुप्त हो रहे हैं। जो प्रकृति के संतुलन के लिए बहुत ही भयावह है। ऐसे में मनुष्य होने के नाते हमारी जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है,अपने आसपास के वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं की रक्षा करने का संकल्प लें। मारवाड़ी युवा मंच के मीडिया प्रभारी सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया इस अवसर पर फलदार 10 आम के पौधे गौशाला परिसर में लगाए गए हैं।

पौधारोपण मारवाड़ी युवा मंच छपरा शाखा के अध्यक्ष सुमित चांदगोठिया, प्रकाश शर्मा कार्यक्रम संयोजक, गोपाल अग्रवाल, विशाल जगनानी, संदीप मिश्रा, राहुल पोद्दार, रचित पोद्दार, नितिन माहेश्वरी, कुणाल शर्मा, रोशन शर्मा आदि ने किया।

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Chhapra: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिलेवासियों का टीकाकरण किया जा रहा है। टीकाकरण अभियान को गति देने व आसान बनाने के उद्देश्य से कई अहम निर्णय लिये जा रहे है। अब लाभार्थियों को कोविड टीका लेने के बाद टीकाकरण कार्ड उपलब्ध कराया जायेगा।

प्रथम डोज लेने के बाद टीकाकरण कार्ड उपलब्ध कराया जायेगा। जिसमें नाम, पता, वैक्सीन का नाम, वैक्सीन लेने की तिथि तथा सेकेंड डोज लेने की तिथि लिखा रहेगा। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र जारी कर सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से योग्य लाभार्थियों का टीकाकरण भारत सरकार के निदेशानुसार राज्य में 16 जवनरी से किया जा रहा है, जिसके तहत लाभार्थी को एक ही निर्माता द्वारा निर्मित वैक्सिन से टीके की दोनों खुराक दिया जाना। प्रथम खुराक से आच्छादित लाभार्थियों को टीकाकरण प्रमाण पत्र देने का निर्देश् दिया गया है।

दूसरा डोज लेने के बाद देना होगा घोषणा पत्र
कोविड टीका के द्वितीय खुराक लेने के लिए आने वाले लाभार्थियों से घोषणा प्रपत्र में भरवाकर सत्यापनकर्ता द्वारा प्राप्त कर खुराक दिया जाए तथा भरे हुए घोषणा पत्र का संधारण संबंधित संस्थान / मुख्यालय में किया जाए। टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के उद्देश्य से टीका एक्सप्रेस का संचालन गांव व शहरी क्षेत्र में किया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक लाभुकों का टीकाकरण किया जा सके। घोषणा पत्र में लाभार्थियों को लिखना होगा- मैं कोविड टीका के प्रथम डोज में कोविशील्ड या कोवैक्सीन का टीका लिया तथा आज दिनांक को कोविशील्ड या कोवैक्सीन टीका का दूसरा डोज लिया। इस घोषण पत्र में लाभार्थियों का हस्ताक्षर भी रहेगा।

संक्रमण से बचने के लिए दोनों डोज जरूरी 
कोविड का टीका दो डोज लेना जरूरी है। जब तक कोई भी लाभार्थी टीके का दोनों डोज नहीं ले लेता, तब तक वह संक्रमण की संभावना से बच नहीं सकता। इसलिए संक्रमण से बचने के लिए टीके की दोनों डोज आवश्यक है। संक्रमण से कोरोना से बचाव के लिए सभी वर्ग के लोगों को टीका लेना बहुत ज्यादा जरूरी है। जिलेवासियों को अपनी एकजुटता का परिचय देते हुए वैश्विक महामारी से लड़ने की आवश्यकता है।

टीकाकरण के प्रति किया जा रहा है जागरूक
विभिन्न माध्यमों के द्वारा भी सामुदाय के लोगों को कोविड-19 टीकाकरण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। मस्जिद के इमाम एवं मंदिर के पुजारी द्वारा समुदाय के लोगों को कोरोना से बचाव तथा इससे सुरक्षित रहने के लिए अधिक से अधिक संख्या में टीकाकरण कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। दूसरी ओर जिले के युवा भी टीकाकरण को लेकर उत्साहित हैं।

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Chhapra: अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था लायंस इंटरनेशनल की स्थानीय युवा इकाई लियो क्लब छपरा सारण ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कई सारे मल्टीपल कार्यक्रम कर पर्यावरण को बचाने का संदेश शहर वासियों को दिया है । इस कार्यक्रम की चेयर पर्सन लियो श्वेता चौहान ने अपनी मुख्य भूमिका निभाते हुए लोगों से आज यह अपील की हैं कि हमें अपने आने वाले कल के लिए अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखना होगा और जल, पौधों, पशु पक्षी को बचाने की कोशिश हमें स्वयं से करनी होगी नहीं तो तेजी से समाप्त होते जंगल, वायु प्रदूषण, विलुप्त हो रहे पशु-पक्षी, जल संकट की वजह से हमें आए दिन कोई ना कोई आपदा का सामना करना पड़ता है ।


इस अवसर पर लियो स्वेता ने अपने आंगन में पौधारोपण किया साथ हीं पक्षियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था की एवं बच्चों के बीच पेंटिग प्रतियोगिता का आयोजन कर लोगों को पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए जागरूक किया ।
इस बेहतरीन कार्यक्रम के लिए लियो क्लब छपरा सारण के चेयरपर्सन लायन डॉक्टर नवीन कुमार द्विवेदी, डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट लियो साकेत श्रीवास्तव, अध्यक्ष लियो धनंजय, सचिव लियो चंदन आदि सदस्यों ने श्वेता चौहान को बहुत-बहुत बधाई दी है ।

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Chhapra: दूषित हो रहे पर्यावरण को संभालने व स्वच्छ बनाने के लिए अधिक से अधिक पौधरोपण करना जरूरी है।छपरा में रोटरी सारण एवं रोट्रैक्ट क्लब ऑफ़ सारण सिटी पर्यावरण को संभालने के लिए लगातार पौधरोपण करने में जुटे हुए है। लॉकडाउन में क्लब के सदस्यों ने पर्यावरण को हरा-भरा बनाने को लक्ष्य मानकर कोरोना काल में अपने घर की छत पर एक बगिया बना डाली तो क्लब ने सोशल मीडिया के जरिए अभियान चलाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश हर घर तक पहुंचाने का प्रयास किया है। इसी दौरान विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर क्लब के सदस्यों ने ऑक्सीजन देने वाले कई पौधो को लगाया।

रोटरी सारण के आगामी अध्यक्ष अजय गुप्ता ने बताया की कोरोना काल में प्रकृति के बदलते स्वरूप ने हमें काफी प्रेरित किया। जिसके बाद हमसभी ने पर्यावरण सरंक्षण के लिए एक पहल शुरू की है।रोट्रैक्ट सारण सिटी के आगामी अध्यक्ष निशांत पांडेय ने कहा की पौधों को लगाने से पर्यावरण में तो सुधार होगा ही साथ ही यह पौधें हमारे आसपास के वातावरण को भी शुद्ध रखते है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है।
शहर में क्लब के सदस्य पर्यावरण संरक्षण के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे है।रोटरी सारण एवं रोट्रैक्ट सारण सिटी ने कोरोना काल में भी अपने अभियान को रुकने नहीं दिया। क्लब ने अपनी टीम के साथ सोशल मीडिया पर मुहीम चलाकर इसे जन-जन पहुंचाया है। सोशल मीडिया के जरिए क्लब की इस मुहिम से न सिर्फ छपरा के लोग जुड़े बल्कि आसपास के गावों कस्बो के लोगों ने अपने अपने घरों पर पौधरोपण पहल की शुरूआत की।
कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन संकट ने कई लोगों से उनके अपनों को छीन लिया है। ऑक्सीजन के इस संकट को देखते हुए क्लब के सदस्यों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अभियान की शुरूआत की है।इस अभियान में कोरोना काल में ऑक्सीजन के अभाव में मरने वाले लोगों की स्मृति में एक पौधा लगाकर उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में समाज को प्रकृति से मित्रता का संदेश दिया जाएगा।
रोटरी सारण एवं रोट्रैक्ट सारण सिटी के सभी सदस्य मिलकर शहर को हरा-भरा बनाने में सहयोग करेंगी। इसके लिए विश्व पर्यावरण दिवस पर क्लब की ओर से वृहद पौधरोपण अभियान की शुरूआत की गई ।इस दौरान राजेश फैशन,अजय गुप्ता, प्रदीप कुमार,अजय कुमार,निशांत पांडेय,सैनिक कुमार,अवध बिहारी,अजय गुप्ता,अशोक कुमार, उपस्थित थे.

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ऑपरेशन ब्लू स्टारः 70 के दशक से शुरू हुई पंजाब समस्या विभिन्न मोड़ों से होती हुई विस्फोटक कार्रवाई, ऑपरेशन ब्लू स्टार तक जा पहुंची।

भारतीय सेना ने 03-04 जून 1984 को अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब परिसर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले व समर्थकों से मुक्त कराने के लिए अभियान चलाया। भिंडरावाले को पाकिस्तान से भी समर्थन मिल रहा था।

03 जून को भारतीय सेना ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर को घेरकर शहर में कर्फ्यू लगा दिया। 04 जून को सेना ने गोलीबारी शुरू की लेकिन दूसरी तरफ से जबर्दस्त पलटवार हुआ। 05 जून को स्थिति इतनी बिगड़ गयी कि सेना को बख्तरबंद गाड़ियों व टैंकों के इस्तेमाल के लिए मजबूर होना पड़ा।

इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में चरमपंथी मारे गए और गिरफ्तार किए गए। काफी संख्या में सैनिकों की भी मौत हुई। इस कार्रवाई से सिख समुदाय की भावनाएं आहत हुईं। कई प्रमुख सिखों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया और विभिन्न क्षेत्रों के कई प्रमुख सिख शख्सियतों ने घटना के विरोध में अपने पुरस्कार लौटा दिए।



अन्य अहम घटनाएंः

1944ः द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी, इटली और जापान की नाज़ी तिकड़ी वाले देशों की राजधानी में से मित्र सेना के कब्जे में आने वाला पहला शहर रोम था।

1953ः डेनमार्क में आज के दिन ही नया संविधान लागू हुआ।

1967ः इजराइल ने मिस्र पर हमलाकर उसके करीब चार सौ लड़ाकू विमान नष्ट कर दिये। इजराइल मिस्र की सीमा पर शुरू हुई यह लड़ाई जल्द ही कई अन्य अरब मुल्कों तक फैल गयी।

1990ः सोवियत संघ के राष्ट्रपति रहे मिखाइल गोर्बाचोव को आज के दिन ही नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शीतयुद्ध का अंत करने में उनकी अहम भूमिका रही है।

1972: विश्व पर्यावरण दिवस- पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी. इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था. 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया.

 

 

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बर्बर चीन के खिलाफ टैंकमैन का हौसलाः 04 जून 1989- चीन की राजधानी बीजिंग का मशहूर थियानमेन स्कावयर। सुधारवादी कम्युनिस्ट नेता हू याओबांग की अप्रैल में मौत के बाद लोगों में सरकारी नीतियों को लेकर गुस्सा था। राजनीतिक व्यवस्था को लेकर इनका असंतोष अधिक था।

बड़ी संख्या में छात्र व युवा ताक़त की अगुवाई में जनतंत्र की बहाली की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हुआ जो जल्द ही राजधानी बीजिंग स्थित थियानमेन चौक तक पहुंचकर लाखों प्रदर्शनकारियों में बदल गया।

13 मई को सौ से अधिक प्रदर्शनकारी छात्रों ने थियानमेन स्क्वायर पर भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसे इतना व्यापक समर्थन मिला कि 18 मई को यहां 12 लाख प्रदर्शनकारियों की रैली हुई। इसे देखते हुए चीनी सरकार के प्रमुख ली पेंग ने मार्शल लॉ लागू करा दिया। प्रदर्शनकारियों का हौसला इससे भी नहीं टूटा और 02 जून को प्रदर्शनकारियों के समर्थन में गायक हाउ डेजियन का एक कॉन्सर्ट यहां आयोजित किया गया। उसमें लगभग एक लाख लोगों की भीड़ थी।

तीन और चार जून की दरम्यानी रात चीनी सेना ने अपना क्रूर अभियान शुरू करते हुए थियानमेन स्क्वायर पर जमा प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी शुरू कर दी। कई घंटे चली इस कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी छात्रों की जान ले ली गयी। इसी प्रदर्शन के दौरान जब 05 जून की तस्वीर सामने आई तो पूरी दुनिया हैरान रह गयी। इस तस्वीर में साफ था कि चीन के कई टैंक प्रदर्शनकारियों की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन एक अकेला शख़्स अपनी जान की परवाह किये बिना टैंक के ठीक सामने आकर खड़ा हो गया।

चीन ने इस तस्वीर पर वर्षों तक पाबंदी लगाए रखी जो दुनिया में टैंकमैन के नाम से मशहूर है। इस पूरे घटनाक्रम को थियानमेन स्क्वायर नरसंहार के नाम से जाना जाता है। चीन ने आजतक थियानमेन स्क्वायर नरसंहार के दौरान प्रदर्शनकारियों की मौत की वास्तविक संख्या का खुलासा नहीं किया। इसके बावजूद तटस्थ मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि लगभग 10 हजार प्रदर्शनकारी इसमें मारे गए। दुनिया के इतिहास में इसे चीन की दमनकारी नीतियों के बदतरीन उदाहरण के रूप में पेश किया जाता है।

अन्य अहम घटनाएंः

1928ः जापानी एजेंट ने चीन के राष्ट्रपति हांग जोलिन की हत्या कर दी।

1929ः जॉर्ज इस्टमेन ने पहली रंगीन फिल्म का नमूना प्रस्तुत किया।

1936ः जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री नूतन का जन्म।

1940ः द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी की सेना ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में प्रवेश किया।

1944ः अमेरिकी सेना द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान रोम में घुसी।

1959ः सी.राजगोपालाचारी ने स्वतंत्र पार्टी बनाने की घोषणा की।

1964ः मालदीव ने संविधान का निर्माण किया।

1970ः ब्रिटेन से अलग होकर टोंगा स्वतंत्र देश बना।

1975ः अमेरिकी अभिनेत्री एंजलिना जोली का जन्म।

2001ः वीर बिक्रम शाह ने नेपाल के सम्राट का पद संभाला।

2003ः डोमिनिक गणराज्य की 18 वर्षीय एमीलिया वेगा मिस युनिवर्स-2003 बनीं।

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पटना: बिहार में पिछले 24 घंटों के दौरान 1106 कोरोना संक्रमण के नए मरीजों की पहचान हुई है। पटना में 164 नए मरीज मिले हैं।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक विगत 24 घंटे में कुल 1,08,652 सैम्पल की जांच हुई है। अब तक कुल 6,93,472 मरीज ठीक हुए हैं। वर्तमान में कोविड के सक्रिय मरीजों की संख्या 11,430. है। बिहार में कोरोना मरीजों का रिकवरी प्रतिशत 97.64 है।

अब तक बिहार में कोरोना से 5296 लोगों ने जान गवाई है।

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तीन जून और दो हिस्से में बंटवारे का प्लानः अपने-अपने हिस्से की आज़ादी पाने की ख़्वाहिश और ज़िद ने भारत को दो हिस्सों में बांटने की अंग्रेजों की षड्यंत्रकारी नीयत को कामयाब बना दिया।

देश को 300 साल की अंग्रेजों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को आज़ादी तो मिली लेकिन बंटवारे की शर्त पर। भारत को दो हिस्सों में बांटने वाली इसी योजना का नाम था- थर्ड जून प्लान या माउंटबेटन योजना।

दरअसल, फरवरी 1947 को ब्रिटिश सरकार ने जून 1948 तक भारत को स्वतंत्र किये जाने की घोषणा कर दी। भारत की आज़ादी का खाका तैयार करने की जिम्मेदारी देकर माउंटबेटन को वायसराय बनाकर भारत भेजा गया। देश में उस वक्त दंगे हो रहे थे और देश में कांग्रेस की अंतरिम सरकार हालात को काबू नहीं कर पा रही थी।

इस दौरान माउंटबेटन ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं से कई दौर की बातचीत की। आखिरकार राजनीतिक व सांप्रदायिक गतिरोध स्थायी रूप से खत्म करने के समाधान के रूप में तीन जून 1947 को माउंटबेटन ने भारत के बंटवारे और भारत-पाकिस्तान के बीच सत्ता हस्तांतरण के विवरण वाली यह योजना पेश की। इस योजना ने बंटवारे की शर्त पर देश की स्वतंत्रता की पटकथा तैयार कर दी। इसी योजना को भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के रूप में ब्रिटिश सरकार ने मान्यता दी।

अन्य अहम घटनाएंः

1867ः भारत के प्रसिद्ध शिक्षाविद्, समाज सुधारक और लेखक हरविलास शारदा का जन्म।

1901ः ज्ञानपीठ पुरस्कार के पहले विजेता महाकवि जी.शंकर का जन्म।

1915ः ब्रिटिश सरकार ने रविंद्रनाथ टैगोर को नाइटहुड की उपाधि से नवाजा।

1918ः महात्मा गांधी की अध्यक्षता में इंदौर में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का आयोजन।

1924ः तमिलनाडु के पांच बार मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि का जन्म।

1930ः दिग्गज समाजवादी नेता व देश के पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नाडीज का जन्म।

1959ः सिंगापुर को सेल्फ गवर्निंग स्टेट घोषित किया गया।

1974ः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण बल्लभ सहाय का निधन।

1985ः भारत सरकार ने पांच दिनों का कार्य दिवस सप्ताह शुरू किया।

2014ः पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की सड़क दुर्घटना में मौत।

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