गुलामी का संदेश लेकर आनेवाला जहाजः 15वीं शताब्दी में यूरोप के घटनाक्रमों के बाद भारत सहित पूर्वी देशों को लेकर यूरोप की दिलचस्पी बढ़ी। खासतौर पर यूरोप की औद्योगिक क्रांति ने नये बाजार तलाशने का रास्ता तैयार किया जो उन्हें भारत तक लेकर आ गया। इसी के चलते पुर्तगाली और डच व्यापारियों का भारत आना हुआ और व्यापार को बढ़ावा मिला। 24 अगस्त 1608 को कैप्टन हॉकिन्स की अगुवाई में ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाजी बेड़ा ‘हेक्टर’ भारत में सूरत के तट पर पहुंचा। उस समय भारत पर मुगल सम्राट जहांगीर का शासन था। व्यापार से शुरू हुआ यह सिलसिला आखिरकार भारत के भाग्य में अंग्रेजों की गुलामी की लकीरें खींच दीं।

अन्य अहम घटनाएंः

1690ः कलकत्ता शहर की स्थापना।
1814ः ब्रिटिश सेना ने व्हाइट हाउस को आग के हवाले कर दिया था।
1891ः थॉमस एडिसन काइनटोग्राफिक कैमरा और काइनेटोस्कोप का पेटेंट हासिल किया। यही तकनीक आगे चलकर चलचित्र में बदली।
1891ः वीवी गिरि भारत के चौथे राष्ट्रपति बने।
1974ः फखरुद्दीन अली अहम भारत के पांचवें राष्ट्रपति बने।
1991ः सोवियत संघ से अलग होकर यूक्रेन स्वतंत्र देश बना।
1993ः पॉप स्टार माइकल जैक्सन के खिलाफ लॉस एंजेल्स पुलिस ने यौन शोषण के आरोपों की जांच शुरू की।
2000ः बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद इरशाद को पांच वर्षों की सजा।
2006ः अंतरराष्ट्रीय खगोल संघ ने प्लूटो (यम) का ग्रह का दर्जा खत्म किया।

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Chhapra:  कोविड से बचाव के लिए टीकाकरण को काफी अहम माना जा रहा है। अभी तक अपने देश में यह दो डोज में उपलब्ध हैं, जिसके बीच में एक निश्चित अवधि होती है। ऐसा देखा गया है कि टीकाकरण के प्रथम डोज के बाद भी लोग संक्रमण की जद में आए हैं, हालांकि उनमें संक्रमण के हल्के लक्षण ही मौजूद थे। ऐसे लोगों के मन में यह शंका जरूर होती होगी कि क्या वह दूसरा डोज ले सकते हैं या उन्हें अभी रुकना होगा। ऐसे ही बातों का जवाब मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर विभाग भारत सरकार दे रही है। जिसमें दोनों डोजों के बीच में ही संक्रमण होने की स्थिति का जवाब है।

तीन महीने का हो अंतर:
जिन्होंने टीके की पहली खुराक ले ली है, उनमें संक्रमण के हल्के या मध्यम लक्षण होने की संभावना होती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि टीकाकरण के कितने दिनों बाद वायरस का जोखिम हुआ। यदि पहली खुराक (कोवैक्सीन या कोविशील्ड) लेने के 1 से 3 सप्ताह के भीतर वायरस का एक्सपोजर होता है, तो टीके का असर होने की संभावना रहती है और संक्रमण होने की आशंका नहीं होती है। वहीं यदि कोई व्यक्ति अपनी पहली खुराक से 3 सप्ताह के बाद संक्रमित पाया जाता है, तो उनमें कोविड-19 के हल्के लक्षण नजर आने की संभावन होती है। एक बार जब किसी व्यक्ति को कोविड-19 संक्रमण हो जाता है, तो उसका शरीर उसके प्रति एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है। इसलिए, विशेषज्ञ दूसरी खुराक लेने से पहले कोविड-19 से ठीक होने के 3 महीने बाद तक की प्रतीक्षा करने का सुझाव देते हैं।

टीकाकरण के बाद भी नियमों का पालन जरूरी:
भविष्य में कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए दूसरी खुराक लेना महत्वपूर्ण है। यह हर किसी (टीका लगा चुके और बिना टीका लगवाये) के लिए जरूरी है कि कोविड को रोकने में मदद करने के लिए मास्क पहनें, अपने हाथ धोएं और दूसरों से शारीरिक दूरी बनाए रखें।

इन मानकों का रखें ख्याल, कोविड-19 संक्रमण से रहें दूर :-
– मास्क का उपयोग और शारीरिक दूरी का पालन जारी रखें।
– विटामिन-सी युक्त पदार्थों का अधिक सेवन करें।
– लक्षण महसूस होने पर कोविड-19 जाँच कराएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।
– अनावश्यक घरों से बाहर नहीं निकलें और भीड़-भाड़ वाले जगहों से परहेज करें।
– साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें और सैनिटाइजर का उपयोग करें।

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बंटवारे का दिनः 14 अगस्त 1947 का दिन इतिहास का एक गहरा जख्म है। यह वही दिन है जब देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया। बंटवारे की शर्त पर भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। इस विभाजन में भारतीय उप महाद्वीप के दो टुकड़े किये। साथ ही बंगाल का भी विभाजन किया गया जिसमें बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया जो 1971 में बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बना।

भारत का बंटवारा सबसे खूनी घटनाक्रम का दस्तावेज बन गया। दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातोंरात लाखों लोग अपने ही देश में बेगाने हो गए और अपने हिस्से के देश में जाने को मजबूर हुए। इस अदला-बदली में लाखों लोगों का कत्लेआम, सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गया। यह किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था।

अन्य अहम घटनाएंः

1862ः बंबई उच्च न्यायालय की स्थापना हुई।
1908ः इंग्लैंड के फोकेस्टोन में पहली सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन।
1924: जाने-माने लेखक और पत्रकार कुलदीप नैयर का जन्म।
1968ः मोरारजी देसाई पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित।
1971ः बहरीन 110 वर्षों बाद ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ।
1975ः पाकिस्तानी सेना ने राष्ट्रपति मुजीब उर-रहमान का तख्तापलट किया।

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Chhapra: मारवाड़ी युवा मंच छपरा शाखा के तत्वाधान में कोरोना वैक्सीन शिविर का आयोजन होटल सेंटर प्वाइंट सलेमपुर चौक पर किया गया। जिसमें 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को दोनों दोज दिलवाई गई। आज के इस शिविर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। यहाँ के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह का शिविर का आयोजन बार बार होना चाहिए।
बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के संगठन सचिव श्याम बिहारी अग्रवाल ने कहा वैक्सीन की दोनों डोज लेना अति आवश्यक है कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन कारगर उपाय है। इस शिविर में 385 लोगों को वैक्सीन का डोज दिया गया जिसकी जानकारी मारवाड़ी युवा मंच के मीडिया प्रभारी सिद्धार्थ अग्रवाल ने दी।

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पहले हिन्दुस्तानी विमान ने भरी उड़ानः 13 अगस्त 1951 का दिन भारतीय विमानन उद्योग के लिए मील का पत्थर है, जब भारत में बने पहले विमान हिंदुस्तान ट्रेनर 2 ने पहली उड़ान भरी। वर्ष 1953 में दो सीट वाले इस विमान का भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए उत्पादन शुरू हुआ। इसका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के साथ भारतीय विमानन स्कूलों में भी किया गया। देश को आजाद हुए कुछेक साल हुए थे, लेकिन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स ने पहला विमान डिजाइन कर आनेवाली अपनी बेशुमार कामयाबियों का संकेत दे दिया।

अन्य अहम घटनाएंः

1645ः स्वीडन और डेनमार्क ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1784ः भारत में प्रशासनिक सुधारों के लिए पिट्स इंडिया विधेयक ब्रिटिश संसद में पेश।
1814ः दासों का व्यापार खत्म करने के लिए ब्रिटेन और हॉलैंड में समझौता।
1898ः अमेरिकी सेना ने फिलिपींस की राजधानी मनीला पर कब्जा किया।
1936ः भारतीय फिल्म अभिनेत्री वैजयंती माला का जन्म।
1956ः लोकसभा में राष्ट्रीय राजमार्ग विधेयक पारित।
1960ः अफ्रीका फ्रांस के कब्जे से मुक्त हुआ।
1999ः लेखिका तसलीमा नसरीन की पुस्तक आमारमऐबेला (मेरा बचपन) पर बांग्लादेश सरकार ने प्रतिबंध लगाया।

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• 20 सितंबर से चलेगा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम
• मास्टर ट्रेनरों को दिया गया प्रशिक्षण
• सिविल सर्जन ने किया प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ


छपरा। जिले में फाईलेरिया नियंत्रण को लेकर 20 सितंबर से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जायेगा। जिसके तहत घर-घर लाभार्थियों को दवा खिलायी जायेगी। इस अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर सदर अस्पताल स्थित जीएनएम स्कूल में एक दिवसीय ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर का प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, बीसीएम, भीबीडीएस, बीसी को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार और डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। सिविल सर्जन ने कहा कि फाइलेरिया चक्र में सभी स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने दवा खिलाना सुनिश्चित करें। पूर्व के कार्यक्रम की उपलब्धियों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अक्सर लोग आशा एवं अन्य कर्मीयों द्वारा दी गई फाइलेरिया की दवा को नहीं खाते हैं। इसलिए उन्हें अपने सामने दवा खिलाएं। इस प्रशिक्षण शिविर में सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार, डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एचसी प्रसाद, टीबी ऑफिसर डॉ. आरपी सिंह, केयर इंडिया के डीपीओ भीएल आदित्य कुमार, पीसीआई के आरएमसी संजय कुमार, सीफार के जिला समन्वयक विनोद श्रीवास्तव समेत अन्य मौजूद थे।
आशा के सामने खानी होगी दवा
डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि 20 सितंबर से सर्वजन दवा सेवन का चक्र 14 दिनों का होगा। जिसमें कोविड के प्रोटोकॉल के तहत कटोरी मेथड से दवा खिलायी जाएगी। जिसमें दवा को कटोरी में आशा रख देगी और लोगों को सामने में वह गोली खानी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा फाइलेरिया मरीजों का मुफ्त इलाज एवं आर्थिक सहायता भी दी जाती है। एक टीम एक दिन में 40 से 50 घरों का दौरा कर लक्षित समूह को सिर्फ दवा ही वितरण नहीं करेगी बल्कि उन्हें अपने सामने दवा खिलाएंगे। अभियान के दौरान प्रतिदिन छूटे हुए व्यक्तियों को पुर्नभ्रमण कर दवा खिलाई जाएगी। इसके अतिरिक्त 7 वें एवं 14 वें दिन पूर्ण रूप से पुर्नभ्रमण करते हुए छूटे हुए सभी लोगों को दवा खिलाई जाएगी। इसके अलावा जीविका कार्यकर्ता, स्कूली बच्चे एवं पंचायत सदस्यों द्वारा सामुदायिक स्तर पर फाइलेरिया एवं एमडीए के विषय में जागरूकता भी फैलाई जाएगी।

ऐसे खानी है दवा
इस अभियान में डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियाँ लोगों की दी जाएगी। 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी। एलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है। अभियान के छठे और 14वें दिन छुटे हुए लोगों को दवा खिलाई जाएगी।

ये होंगे लक्षित समूह
हर व्यक्ति को इन दवाओं का सेवन करना है। केवल गर्भवती महिलाओं, दो साल से कम उम्र के बच्चों एवं गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को यह दवा सेवन नहीं करनी है। दो साल से पांच साल तक के बच्चे भी फाइलेरिया दवाओं का सेवन कर सकते हैं और स्वास्थ्य कर्मी की निगरानी में ही दवा का सेवन करना है।

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• सार्वजनिक स्थलों सामुदायिक व सरकारी भवनों की दिवालों पर लिखा जाएगा स्लोगन

• कालाजार से बचाव व लक्षणों के बारे में दी जाएगी जानकारी

Chhapra:  जिले को कालाजार मुक्त बनाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। कालाजार उन्मूलन की दिशा में लगातार अभियान चलाया जा रहा है। कालाजार के प्रति आमजनों को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है। कालाजार के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विभाग ने एक अच्छी पहल की है। अब जिले में दीवार लेखन के माध्यम से कालाजार के प्रति आम जनों को जागरूक किया जाएगा। इस संबंध में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अंजनी कुमार ने जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी को पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया है। जारी पत्र के माध्यम से निर्देश दिया गया है कि कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य प्राप्ति के लिए जिले में जन जागरूकता अभियान में गति लाने पर विशेष ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है| जन जागरूकता के चल रहे कार्यक्रमों के साथ दिवाल लेखन कार्यक्रम भी प्रस्तावित है।

सार्वजनिक स्थलों पर लिखा जाएगा कालाजार के लक्षण व बचाव की जानकारी

पत्र के माध्यम से निर्देश दिया गया है कि जिले के अति आक्रांत प्रखंडों के ग्रामों के सार्वजनिक स्थलों सामुदायिक व सरकारी भवनों की दीवारों पर कालाजार से बचाव के लिए कालाजार के लक्षण के बारे में लेखन किया जाएगा। ताकि अधिक से अधिक समुदाय को इसके प्रति जागरूक किया जा सके। दीवार लेखन कार्यक्रम की फोटोग्राफी भी विभाग के द्वारा कराई जाएगी। दीवार लेखन के दौरान जागरूकता संदेश के साथ-साथ जिले के सिविल सर्जन, डीएम जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी तथा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का मोबाइल नंबर भी अंकित किया जाएगा।

कालाजार के प्रमुख लक्षण एवं उपचार

दो हफ्तों से अधिक बुखार एवं चमड़े पर यदि दाग-धब्बा दिखता है, तो यह भी कालाजार हो सकता है। यदि ऐसे लक्षण दिखे तो तुरंत अपने गाँव की आशा दीदी से संपर्क करें या नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र सरकारी अस्पताल में जाएँ । कालाजार की जाँच एवं सर्वोतम इलाज सरकारी अस्पताल में निःशुल्क उपलब्ध है। सरकारी अस्पताल में इलाज के बाद मरीजों को मुख्यमंत्री सहायता कोष से 6600/ रुपये एवं भारत सरकार द्वारा 500/रुपये श्रम क्षतिपूर्ति राशि भुगतान का प्रावधान है।

कालाजार से बचाव के उपाय

•घर के सभी कमरों यथा सोने का कमरा, गोशाला, पूजा घर, रसोई घर आदि के सभी दीवारों पर छिड़काव कराएँ।

•छिड़काव के बाद कम से कम ढाई महीने तक दीवारों पर लिपाई-पुताई न करें।

• जमीन से ऊंचे स्थान यथा खटिया, चौकी पर सोएं एवं मच्छरदानी का प्रयोग करें।

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शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ का जन्मः आधुनिक भारत में शास्त्रीय संगीत के पुनर्जागरण के अग्रदूत पंडित विष्णु नारायण भातखंडे का जन्म हुआ। बंबई प्रांत के बालकेश्वर नामक गांव में 10 अगस्त 1860 को पैदा हुए भातखंडे हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विद्वान थे। बाल्यावस्था से ही संगीत के प्रति उनकी मेधा को देखते हुए माता-पिता ने उनकी अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की। साथ ही बंबई आकर उन्होंने गायक उत्तेजन मंडल में संगीत की शिक्षा प्राप्त की।

उन्होंने संगीत के विकास के लिए देश के तमाम हिस्सों की यात्रा की, जिसकी शुरुआत 1907 में उनकी दक्षिण भारत की एतिहासिक यात्रा से हुई। इस सिलसिले में कई नगरों में विद्वानों, मठों, मंदिरों, संग्रहालयों सहित तमाम स्थानों पर संगीत चर्चा में वे सम्मिलित हुए। इन स्थानों पर हस्तलिखित संगीत ग्रंथों का अध्ययन और संयोजन किया। इसके बाद उन्होंने विजयनगरम, हैदराबाद, जगन्नाथपुरी, नागपुर और कलकत्ता, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की ऐसी ही संगीत यात्राएं कीं।

देशभर के राजकीय, देसी राज्यांतर्गत, संस्थागत संग्रहालयों में संगीत ग्रंथों की खोज और उनके नामों का अपने ग्रंथों में प्रकाशन किया। भातखंडे ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के विकास के लिए भातखंडे संगीत-शास्त्र की रचना की और शास्त्रीय संगीत से जुड़ी संस्थाओं और शिक्षा केंद्रों की स्थापना की। इसके साथ ही उन्होंने संगीत पर प्रथम आधुनिक टीका भी लिखी। संगीत शास्त्र पर हिंदुस्तानी संगीत पद्धति नाम ग्रंथ चार भागों में प्रकाशित किया। ध्रुपद, धमार और ख्यात का संग्रह कर क्रमिकपुस्तकमालिका नामक ग्रंथ छह खंडों में प्रकाशित किया। 19 सितंबर 1936 को तीन साल की लंबी बीमारी के बाद भारतीय शास्त्रीय संगीत के इस महान विद्वान का निधन हो गया।

अन्य अहम घटनाएंः
1809ः इक्वाडोर को स्पेन से स्वतंत्रता मिली।
1822ः सीरिया में विनाशकारी भूकंप ने 20 हजार लोगों की जान ली।
1894ः देश के चौथे राष्ट्रपति वी.वी. गिरी का जन्म।
1977ः झंडा गीत विजय विश्व तिरंगा प्यारा के रचयिता श्यामलाल गुप्त पार्षद का निधन।
1980ः भारत की पहली महिला संगीतकार मानी जाने वाली सरस्वती देवी का निधन।
1995ः सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का निधन।

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Chhapra: अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था लायंस इंटरनेशनल की स्थानीय युवा इकाई लियो क्लब ऑफ छपरा फेमिना की सदस्यों द्वारा आज 9 अगस्त बिहार पृथ्वी दिवस पर पर्यावरण को संरक्षित करने एवंं प्रदूषण से बचाव हेतु शहर के जयप्रकाश यूनिवर्सिटी में पौधारोपण किया गया।
इस कार्यक्रम में अध्यक्ष लियो हर्षाली ने लोगों से आज यह अपील की हैं कि हमें अपने आने वाले कल के लिए अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखना होगा और जल, पौधों, पशु पक्षी को बचाने की कोशिश हमें स्वयं से करनी होगी नहीं तो तेजी से समाप्त होते जंगल, वायु प्रदूषण, विलुप्त हो रहे पशु-पक्षी, जल संकट की वजह से हमें आए दिन कोई ना कोई आपदा का सामना करना पड़ता है। इस मौके पर अध्यक्ष लियो हर्षाली, सेक्रेटरी लियो शालिनी, लियो नूतन , बच्चें एवंं अन्य सभी सदस्य शामिल थे। इस बेहतरीन कार्यक्रम के लिए लियो क्लब ऑफ फेमिना के चेयरपर्सन लायन डॉक्टर नवीन कुमार द्विवेदी ने लियो क्लब ऑफ फेमिना को बहुत-बहुत बधाई दी है ।

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Chhapra: अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था लायंस क्लब छपरा टाउन के द्वारा मिशन गरिमा प्रोजेक्ट के अंतर्गत 20 बच्चियों को आजीवन निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। इसकी घोषणा अध्यक्ष लायन धीरज कुमार सिंह ने अपने जन्मदिन के अवसर पर किया।

मिशन गरिमा प्रोजेक्ट के अंतर्गत महिलाओं को सशक्त सफल बनाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। अध्यक्ष लायन धीरज सिंह ने कहा कि मिशन गरिमा प्रोजेक्ट के अंतर्गत 20 बच्चियों को निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। उसका पंजीयन पत्र सभी बच्चियों को दिया गया है। एसएस अकैडमी के द्वारा यह शिक्षा बच्चियों को प्रदान की जाएगी। इसके साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को लेकर के वृक्षारोपण का कार्यक्रम भी किया गया।

इस अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष कुंवर जायसवाल, संस्थापक सचिव कबीर, सचिव गोविंद सोनी, कोषाध्यक्ष आदित्य सोनी, विकास कुमार, अली अहमद अभी लियो के कई सदस्य शामिल हुए।

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Chhapra: बिहार पृथ्वी दिवस के अवसर पर रोटरी क्लब सारण ने रिविलगंज में पौधारोपण किया गया। पौधारोपण करते हुए रोटरी क्लब सारण के संस्थापक अध्यक्ष श्याम बिहारी अग्रवाल ने कहा वर्तमान समय में कई प्रजाति के जीव जंतु एवं वनस्पतियां अर्थात् पेड़ पौधे विलुप्त हो रहे हैं जो प्रकृति के संतुलन के लिए बहुत ही भयावह है ऐसे में मनुष्य होने के नाते हमारी जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है,अपने आसपास के वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं की रक्षा करने का संकल्प लें। एक पेड़ सौ पुत्रों के समान होता है,अत: हमें पेड़ लगाकर मानव जाति के कल्याण में सहभागी बनना चाहिए। विश्व में प्राचीनतम् संस्कृति हमारी भारतीय सनातन हिन्दू संस्कृति है जिसमें पर्यावरण को देवतुल्य स्थान दिया गया है। यहीं कारण है कि पर्यावरण के सभी अंगों को जैसे जल, वायु, धरती आदि को देवता ही माना गया है। यहाँ तक हिन्दू दर्शन में मूल ईकाई जीव में मनुष्य में पंच तत्वों का समावेश माना गया है। मनुष्य पांच तत्वों जल, अग्नि, आकाश, पृथ्वी और वायु से मिलकर बना है। इसी कारण पर्यावरण हर दृष्टि से हमारे लिए बेहद खास है। आओ हम सब मिलकर पेड़-पौधे लगाने और अपनी धरती को हरी-भरी रखने एवं संरक्षण करने का संकल्प करें। पेड़ लगाना, प्रदूषण को नियंत्रित करना एवं पर्यावरण का संरक्षण करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
रोटरी क्लब सारण के अध्यक्ष अजय कुमार गुप्ता तथा सचिव प्रदीप कुमार ने बताया बिहार पृथ्वी दिवस पर रोटरी क्लब सारण द्वारा रिविलगंज में विजय भास्कर के खेत में आम, जामुन, अनार, आंवला, अमरूद, तुलसी, शम्मी पत्ता के फलदार पौधे लगाए गए है। जिसके संरक्षण की जिम्मेवारी संयोजक विजय भास्कर को दी गई है।
इस अवसर पर रोटरी क्लब सारण के संस्थापक अध्यक्ष श्याम बिहारी अग्रवाल, संस्थापक सचिव राजेश फैशन, अध्यक्ष अजय कुमार गुप्ता, सचिव प्रदीप कुमार, संयोजक विजय भास्कर, कोषाध्यक्ष दिनेश कुमार गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष पंकज कुमार, राजेश जायसवाल, राकेश कुमार, अजय कुमार, सुनील कुमार सिंह, राजेश गोल्ड, डाॅ मदन प्रसाद, चन्द्रकांत द्विवेदी, सोहन कुमार गुप्ता, दिलीप पोद्दार, मनोज कुमार गुप्ता, बासुकी गुप्ता, विजय रंजन, दीनानाथ प्रसाद, अजय प्रसाद आदि ने सराहनीय सहयोग किया।

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Chhapra: लायंस क्लब छपरा टाउन के द्वारा शहर से 5 किलोमीटर दूर है खैरा में बिहार पृथ्वी दिवस के अवसर पर पौधारोपण का कार्य किया गया। वहीं पांच पौधों युक्त गमला शैक्षणिक संस्थान में दिया गया और बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया। पौधारोपण के उपरांत बिहार कृषि दिवस की महत्वता को बताया गया और बच्चों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर शपथ भी दिलाई गई

अध्यक्ष लायन धीरज कुमार सिंह ने कहा कि कार्यकाल के पहले दिन से ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर क्लब के द्वारा पौधारोपण एवं जागरूकता का कार्य किया जा रहा है। आने वाले दिनों में उसके संरक्षण को लेकर कई कार्यक्रमों का आयोजन होना है। वही थाना चौक पर शहर वासियों के बीच पौधारोपण का कार्य किया जाएगा।

इस अवसर पर क्लब के संस्थापक अध्यक्ष लायन कुंवर जयसवाल, संस्थापक सचिव कबीर, उपाध्यक्ष सतीश पांडे, सचिव गोविंद सोनी, कोषाध्यक्ष आदित्य सोनी, विकास कुमार आदि उपस्थित थे।

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