नई दिल्ली, 27 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की स्मृति में शोक प्रस्ताव पारित किया। मंत्रिमंडल ने दो मिनट का मौन रखकर डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी।मंत्रिमंडल की बैठक में रखे शोक प्रस्ताव के अनुसार देश में 01.01.2025 तक सात दिनों के लिए राजकीय शोक घोषित किया गया है।इस शोक अवधि के दौरान, पूरे भारत में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। सात दिनों के लिए विदेश में सभी भारतीय मिशनों/उच्चायोगों में भी राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।

डॉ. मनमोहन सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के दिन, सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालयों और सीपीएसयू में आधे दिन का अवकाश घोषित किया जाएगा।इसके साथ बैठक में संकल्प भी रखा गया जिसमें कहा गया “मंत्रिमंडल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के 26 दिसंबर, 2024 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में हुए दुखद निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता है।

अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के पश्चिमी पंजाब के गाह गांव में 26 सितंबर, 1932 को जन्मे डॉ. सिंह का शैक्षणिक जीवन शानदार रहा। उन्होंने 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी सम्मान के साथ अर्थशास्त्र में ट्राइपोस प्राप्त किया। उन्हें 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा डी. फिल की उपाधि प्रदान की गई।

डॉ. सिंह ने अपना करियर पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में वरिष्ठ व्याख्याता के रूप में शुरू किया और उसी विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने। 1969 में वे दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर बने। डॉ. मनमोहन सिंह 1971 में तत्कालीन विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने। वे वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-76), आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव (नवंबर 1976 से अप्रैल 1980), योजना आयोग के सदस्य सचिव (अप्रैल 1980 से सितंबर 1982) और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (सितंबर 1982 से जनवरी 1985) रहे।

डॉ. सिंह को उनके करियर में मिले कई पुरस्कारों और सम्मानों में सबसे प्रमुख हैं भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (1987), भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995), वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी पुरस्कार (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार (1956)।

डॉ. मनमोहन सिंह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे। आर्थिक सुधारों की व्यापक नीति लाने में उनकी भूमिका सर्वविदित है। डॉ. सिंह 22 मई, 2004 को भारत के प्रधानमंत्री बने और मई, 2009 तक प्रधानमंत्री रहे। वे मई 2009 से 2014 तक दूसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बने।

प्रस्ताव में कहा गया कि मनमोहन सिंह ने हमारे राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी है। उनके निधन से राष्ट्र ने एक प्रख्यात राजनेता, प्रख्यात अर्थशास्त्री और एक प्रतिष्ठित नेता खो दिया है।मंत्रिमंडल सरकार और पूरे देश की ओर से शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है।”

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नई दिल्ली, 27 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और सीमावर्ती राज्यों के शहरों में रहने वालों को आज सुबह बूंदाबांदी का सामना करना पड़ा। इस दौरान दिल्ली के कई हिस्सों में तेज बरसात हुई है। ठंडी हवा चल रही है। इससे शीतलहर का असर और बढ़ गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने आज और कल उत्तर-पश्चिमी और मध्य भारत में आंधी, ओलावृष्टि और मध्यम वर्षा का पूर्वानुमान जताया है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि आज सुबह 7:23 बजे दिल्ली में तापमान 13 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। समूचे महानगर में चल रही ठंडी हवा से मौसम और सर्द हो गया। इन दो दिनों में तापमान में उतार-चढ़ाव और घना कोहरा भी देखने को मिल सकता है। आज अधिकतम तापमान 20 और न्यूनतम 12 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। दिल्ली के आसमान पर अगले 48 घंटे तक बादल छाए रहने का पूर्वानुमान है। साथ ही नोएडा में आज न्यूनतम तापमान 14 और अधिकतम 24 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और गाजियाबाद के कुछ हिस्सों में सुबह-सुबह बूंदाबांदी हुई है।

विभागीय अधिकारियों के अनुसार, आज हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ओलावृष्टि हो सकती है। 27 और 28 दिसंबर को पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में भारी बर्फबारी के कारण उत्तरी राज्यों के तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने की उम्मीद है।

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– डेट ट्रैप में फंसे भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में निभाई मुख्य भूमिका

नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। भारत में जब भी उदारीकरण की शुरुआत और लाइसेंस राज के खात्मे की बात की जाएगी तो इसकी शुरुआत डॉ मनमोहन सिंह के नाम के साथ ही होगी। डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और देश का वित्त मंत्री रहने के पहले विदेश व्यापार विभाग में आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के सचिव, भारतीय रिजर्व बैंक के डायरेक्टर और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रह चुके थे। अर्थशास्त्री से राजनेता बने डॉ मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों और उदारीकरण का जनक माना जाता है। पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्रालय संभालने वाले डॉक्टर मनमोहन सिंह ने देश की इकोनॉमी को एक नई दिशा दी थी, जिससे खस्ताहाल हो चुकी देश की अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर लौट सकी थी।

आजादी के बाद से ही जारी लाइसेंस राज और क्लोज डोर इकोनॉमी के कारण 90 के दशक की शुरुआत में देश का खजाना लगभग खाली हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि भारत कर्ज के फंदे में फंसता जा रहा था। विदेशी कर्जों की किस्तों का भुगतान करने के लिए भी भारत के सामने नए कर्ज लेने की मजबूरी बन गई थी। विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 06 अरब डॉलर की राशि बची थी, जिससे एक महीने तक भी आयत नहीं किया जा सकता था। खाड़ी युद्ध के कारण मिडिल ईस्ट में काम करने वाले भारतीय नागरिकों द्वारा भेजी जाने वाली धनराशि में भी कमी आ गई थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में डॉक्टर मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने की कोशिश की। इस काम में उन्हें तब के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की ओर से पूरा समर्थन मिला।

प्रधानमंत्री का साथ मिलने पर वित्त मंत्री के रूप में डॉ मनमोहन सिंह ने जो किया, उससे न केवल देश की इकोनॉमी सुदृढ़ हुई, बल्कि उसे एक नई दिशा भी मिली। उन्होंने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए तात्कालिक उपाय करते हुए भारत के स्वर्ण भंडार के एक हिस्से को गिरवी रखवा दिया। इसी तरह दो चरणों में रुपये का 20 प्रतिशत अवमूल्यन किया। ऐसा होने से भारतीय निर्यात को प्रतिस्पर्धी बना पाना संभव हो सका, जिससे विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ने लगी।

वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने जो सबसे बड़ा काम किया, वो था औद्योगिक नीति का उदारीकरण और देश की व्यापार नीति में बदलाव। आयात निर्भरता कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मनमोहन सिंह ने लाइसेंस राज की जटिलताओं को काम करने का काम किया। इसके साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में सरकारी कंपनियों के एकाधिकार को कम करने के लिए नीतिगत बदलाव करने का फैसला किया। इसके तहत विदेशी निवेश की सीमा बढ़कर 51 प्रतिशत तक कर दी गई। इसी तरह टैक्स सुधारों और सब्सिडी में कटौती के जरिए डॉ मनमोहन सिंह ने राजकोषीय घाटा कम करने की भी कोशिश की।

आर्थिक उदारीकरण की अपनी कोशिश को आगे बढ़ाते हुए डॉ मनमोहन सिंह ने 1991 के आम बजट में कई ऐसे प्रावधानों को शामिल किया, जिससे देश की इकोनॉमी को नई दिशा मिलने लगी। इसी बजट में टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) की शुरुआत की गई और कॉरपोरेट टैक्स को बढ़ाया गया। इसी तरह मनमोहन सिंह के इसी बजट में प्राइवेट सेक्टर को म्युचुअल फंड में भागीदारी करने की इजाजत दी गई।

1991 में जब डॉक्टर मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार के लिए ये कदम उठाए, तब इसको लेकर कई तरह के सवाल भी उठाए गए, लेकिन मनमोहन सिंह की इन नीतियों की वजह से देश उदारीकरण की राह पर चल पड़ा जिससे आर्थिक प्रगति के दरवाजे खुलते चले गए और उनकी बनाई नीतियों के कारण भारत को ग्लोबल मार्केट में अपनी जगह बनाने का अवसर मिला।

प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल की कई मुद्दों पर आलोचना भी की जाती है, लेकिन इस तथ्य से इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि उनके कार्यकाल में ही भारत का जीडीपी ग्रोथ 9 प्रतिशत की ऊंचाई तक पहुंच गया था। साल 2007 में भारत की विकास दर 9 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचने के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की दूसरी सबसे तेज अर्थव्यवस्था बन गई थी।

डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में टैक्स सुधार की दिशा में भी कई कदम उठाए गए। इनमें वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है, जिसके जरिए पुरानी जटिल टैक्स व्यवस्था को खत्म किया गया था। वैट के अलावा मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सर्विस टैक्स व्यवस्था की भी शुरुआत की गई, जिससे देश के खजाने को ताकत मिली। इसके अलावा 2006 में मनमोहन सिंह के निर्देश पर ही देश में स्पेशल इकोनॉमिक जोन की शुरुआत की गई। मनमोहन सिंह की उपलब्धियां में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) का नाम भी लिया जा सकता है, जिसे अब मनरेगा कहा जाता है। कहा जाता है कि इस योजना की वजह से ही तमाम घोटालों में तब की यूपीए सरकार के मंत्रियों का नाम आने के बावजूद कांग्रेस लगातार दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीतने में सफल रही थी।

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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दिल्ली के एम्स में गुरुवार रात निधन हो गया। डॉ. मनमोहन सिंह ने रात 9 बजकर 51 मिनट पर अंतिम सांस ली। केंद्र सरकार इस दुख की इस घड़ी में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित करेगी। भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को 11 बजे पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देने के लिए कैबिनेट की बैठक होगी। इसके साथ कल होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द किए जाएंगे। डॉ मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

डॉ. मनमोहन लंबे समय से अस्वस्थ थे। गुरुवार को रात आठ बजे उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। जिसके बाद वे बेहोश होगे। उन्हें तुरंत दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का निधन

मनमोहन सिंह के निधन को लेकर दिल्ली एम्स ने विज्ञप्ति के जरिए बयान जारी किया। एम्स की ओर से बताया गया कि मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है। वो उम्र से संबंधित बीमारियों से ग्रसित थे। आज अपने घर पर अचानक बेहोश हो गए थे। उन्हें रात 8:06 बजे एम्स के मेडिकल इमरजेंसी में लाया गया। हालांकि तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया।

मनमोहन सिंह एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, शिक्षक और ब्यूरोक्रेट रहे। उन्होंने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया और वह जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेन्द्र मोदी के बाद चौथे सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री है। उन्होंने लोकसभा का सदस्य बनने के बजाय राज्यसभा में असम से 1991 से 2019 और फिर राजस्थान से 2019 से 2024 तक सदस्य के रूप में कार्य किया।

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पश्चिम पंजाब के गाह (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। 1947 में भारत विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया। सिंह ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट किया और 1966 से 1969 तक संयुक्त राष्ट्र में काम किया। इसके बाद उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपनी शुरुआत की और कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

1991 में, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री के रूप में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। सिंह ने अपनी नीतियों से भारत की अर्थव्यवस्था को उदारीकरण की दिशा में आगे बढ़ाया, जिससे भारत ने आर्थिक संकट से उबरकर तेज़ी से विकास किया। उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार किए गए।

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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की गुरुवार रात अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के आईसीयू में भर्ती कराया गया। जहां उन्होंने रात्रि 9:51 बजे अंतिम सांस ली। एम्स ने बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की। 

इस बीच कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बेलगावी से दिल्ली रवाना हो गए हैं। ऐसे में बताया जा रहा है कि बेलगावी में होने वाली कांग्रेस की रैली को रद्द कर दिया गया है।

वहीं, एम्स के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी एम्स पहुंच गई हैं। जबकि सोनिया गांधी थोड़ी देर में अस्पताल पहुंचने वाली हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

 

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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर भारत में भीषण शीत लहर जारी है, वहीं दिल्ली में भी कोहरे की स्थिति बनी हुई है, जिससे दृश्यता प्रभावित हुई है। मौसम विभाग ने अगले दो दिन यानि 27 और 28 दिसंबर को पश्चिमी विक्षोभ के चलते बारिश का अनुमान जताया है। वहीं, कोहरे की स्थिति को देखते हुए गुरुवार को दिल्ली एयरपोर्ट ने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर कम दृश्यता प्रक्रियाओं के बारे में यात्रियों को सूचित करने के लिए सलाह जारी की है। कोहरे के कारण गुरुवार को 34 ट्रेनें देरी से चली।

ट्रेनों पर कोहरे की मार

घने कोहरे के कारण गुरुवार को दिल्ली से देश के विभिन्न भागों में जाने वाली 34 रेलगाड़ियां देरी से चल रही हैं।

प्रभावित ट्रेनों में आनंद विहार जनसाधारण एक्सप्रेस और पद्मावत एक्सप्रेस आठ घंटे से अधिक देरी से चल रही है। अवध असम एक्सप्रेस और ऊंचाहार एक्सप्रेस चार घंटे देरी से चल रही है। इसी तरह विक्रमशिला एक्सप्रेस 07:20 बजे आने वाली थी वह एक घंटा देरी से चल रही है।

देरी से आने वाली अन्य ट्रेनों में एस क्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शिव गंगा एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, पूर्वा एक्सप्रेस चार घंटे की देरी का सामना कर रही है।

गुरुवार को सुबह 07 बजे दृश्यता 500 मीटर दर्ज की गई। मौसम विज्ञान विभाग ने पूर्वानुमान लगाया है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में घना कोहरा छाया रहेगा, 26 दिसंबर तक दृश्यता की स्थिति खराब रहने की उम्मीद है। 27 दिसंबर से तापमान में और गिरावट आने का अनुमान है, जिससे 29 दिसंबर तक मौसम और भी ठंडा हो जाएगा।

ट्रेनें देरी से चल रही हैं

कोहरे की स्थिति के कारण रेल सेवाओं में भी व्यवधान आया है, दुरंतो एक्सप्रेस और अवध असम एक्सप्रेस जैसी प्रमुख सेवाओं सहित 18 से अधिक ट्रेनें देरी से चल रही हैं।

एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई ) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है। कोहरे के कारण यह समस्या और गंभीर हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, गुरुवार शाम चार बजे एक्यूआई 345 दर्ज किया गया। आनंद विहार, अशोक विहार और बवाना सहित शहर के कई इलाकों में एक्यूआई का स्तर 370 से ज़्यादा दर्ज किया गया, जो व्यापक प्रदूषण को दर्शाता है।

उल्लेखनीय है कि 301 से 400 की सीमा में एक एक्यूआई को ‘बहुत खराब’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, और 400 से ऊपर के स्तर को ‘गंभीर’ माना जाता है, जो निवासियों के लिए महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।

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– महिलाओं और दिव्यांग मतदाताओं ने भी बनाया नया रिकॉर्ड, थर्ड-जेंडर मतदाताओं में 46.4% का इजाफा

नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। इस साल सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में 64.64 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग करके विश्व रिकॉर्ड बनाया। 2024 में दाखिल नामांकनों की संख्या 12,459 थी जबकि 2019 में यह संख्या 11,692 थी। इसी तरह 2019 में जहां 8,054 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा वहीं 2024 में कुल 8,360 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। यह जानकारी भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 पर जारी रिपोर्ट में दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस चुनाव में महिला मतदाताओं ने अपनी उपस्थिति और भागीदारी से लोकतंत्र को नई ऊंचाई दी, जो महिलाओं के मताधिकार के नए मानक का संकेत है। महिला मतदाताओं का मतदान औसत 65.78 प्रतिशत रहा जबकि पुरुष मतदाताओं का यह औसत 65.55 प्रतिशत था। महिला उम्मीदवारों की संख्या 800 थी जबकि 2019 में यह संख्या 726 थी। 2019 की तुलना में थर्ड-जेंडर मतदाताओं में 46.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2024 में जहां 90,28,696 पंजीकृत दिव्यांग मतदाता रहे वहीं 2019 में यह संख्या 61,67,482 थी। वर्ष 2019 में 540 मतदान केंद्रों की तुलना में वर्ष 2024 में केवल 40 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान हुआ।

दरअसल, भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 पर 42 सांख्यिकीय रिपोर्ट और एक साथ कराए गए चार राज्य विधानसभा चुनावों पर 14-14 रिपोर्टें जारी की हैं। आयोग का कहना है कि ये लगभग 100 सांख्यिकीय रिपोर्ट गहन विश्लेषण और नीतिगत अंतर्दृष्टि के लिए दुनिया भर के शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और चुनाव पर्यवेक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण खजाने की तरह होंगी।

आयोग के अनुसार इस रिपोर्ट में उपलब्ध डेटा सेट संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और राज्यवार मतदाताओं, मतदान केंद्रों की संख्या, राज्य तथा संसदीय निर्वाचन क्षेत्रवार मतदाता मतदान, पार्टी के आधार पर वोट शेयर, लिंग आधारित मतदान व्यवहार, महिला मतदाताओं की राज्यवार भागीदारी, क्षेत्रीय विविधताएं, निर्वाचन क्षेत्र डेटा सारांश रिपोर्ट, राष्ट्रीय पार्टियों, राज्य स्तरीय पार्टियों, पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (आरयूपीपी) का प्रदर्शन, जीतने वाले उम्मीदवारों का विश्लेषण, निर्वाचन क्षेत्रवार विस्तृत परिणाम और बहुत कुछ का विवरण प्रदान करते हैं। यह विस्तृत डेटा सेट हितधारकों को भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर पहले से उपलब्ध पिछले चुनावों के डेटा सेट से तुलना के साथ बारीक स्तर के विश्लेषण के लिए डेटा को काटने-छांटने का अधिकार देता है। आयोग का कहना है कि ये रिपोर्ट चुनावी और राजनीतिक परिदृश्य में दीर्घकालिक दृष्टिकोण और बदलावों को ट्रैक करने के लिए समय-शृंखला विश्लेषण की सुविधा प्रदान करेगी।

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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) की वेबसाइट और मोबाइल ऐप गुरुवार को डाउन हो गई। हालांकि लगभग डेढ़ घंटे ठप रहने के बाद अब दोनों सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। सभी सेवाएं पूरी तरह से बहाल हो गई हैं।

आईआरसीटीसी की वेबसाइट के माध्यम से टिकट बुक करने में समस्या आने पर कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर इसकी शिकायत दर्ज की। उन्होंने लिखा कि वह टिकट बुक नहीं कर पा रहे हैं।

ऑनलाइन आउटेज को ट्रैक करने वाले प्लेटफॉर्म डाउन डिटेक्टर ने आउटेज रिपोर्ट में उछाल दिखाया। इसमें 2,500 से ज़्यादा उपयोगकर्ता प्रभावित हुए। ज़्यादातर शिकायतें वेबसाइट को लेकर थीं, जबकि 28 प्रतिशत रिपोर्ट मोबाइल ऐप से संबंधित थीं।

ऐप का इस्तेमाल करने वालों को टिकट बुक करने के समय एक त्रुटि संदेश मिला। इसमें लिखा था कि रखरखाव गतिविधि के कारण कार्रवाई करने में असमर्थ है। आईआरसीटीसी की ओर से अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत समूचा उत्तर भारत शीत लहर के आगोश में है। पहाड़ों पर गिर रही बर्फ से मैदानों में ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिल्ली समेत कई राज्यों में हल्की बारिश होने और कोहरा छाने की संभावना है। दिल्ली में आज अधिकतम तापमान 23 और न्यूनतम 7 डिग्री सेल्सियस दर्ज होने की संभावना है। अगले तीन दिन के लिए घने कोहरे की चेतावनी (येलो अलर्ट) जारी की गई है।

राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में आज सुबह कोहरे की पतली परत छाई रही और न्यूनतम तापमान गिरकर 7 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। विभाग के अनुसार एक पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने कारण 27 और 28 दिसंबर को उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में ओलावृष्टि के साथ हल्की से मध्यम वर्षा या गरज के साथ आंधी-तूफान आने की संभावना है।

साथ ही दिल्ली में अगले कुछ दिनों तक कोहरा गिरने और हल्की बारिश की संभावना है। इससे ठंड में इजाफा होने की उम्मीद है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, अगले तीन दिनों तक सुबह के समय हल्का कोहरा छाए रहने की संभावना है। रविवार को कोहरा घना हो सकता है। दिल्ली में आज दिनभर आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना है। शाम और रात के समय हल्की बारिश हो सकती है। इस दौरान अधिकतम तापमान 23 और न्यूनतम 7 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। कल 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। समूचा हिमाचल प्रदेश शीत लहर की चपेट में है। कहीं-कहीं तो पारा शून्य से नीचे है।

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शिमला, 24 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के हिल्स स्टेशनों में सोमवार को हुई भारी बर्फबारी ने पर्यटकों के लिए बड़ा संकट खड़ा कर दिया। मनाली के अटल टनल रोहतांग के समीप भारी बर्फबारी के कारण सैंकड़ों पर्यटक वाहन फंस गए थे। इन्हें निकलने के लिए मनाली प्रशासन और पुलिस की टीम ने कड़ी मेहनत की। रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन चला और अंततः सभी पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

मनाली से लाहौल-स्पीति जिला के केलांग जाने वाली सड़क बर्फबारी के कारण पूरी तरह से बंद हो गई थीं।

बर्फबारी का यह सिलसिला दोपहर बाद शुरू हुआ और इसके बाद स्थितियां लगातार खराब होती गई। सोलंगनाला से धुंधी के बीच बर्फबारी के कारण वाहनों की गति धीमी हो गई और कई पर्यटक वाहन अटल टनल। रोहतांग के पास पूरी तरह से फंस गए। इन वाहनों में पर्यटकों का एक बड़ा समूह था, जो अटल टनल के पास स्थित इलाकों से घूमकर मनाली लौट रहा था। इसी बीच बर्फबारी शुरू हो गई। इन वाहनों में स्थानीय और बाहर से आए पर्यटक दोनों ही थे। बर्फबारी के कारण सड़क पर फिसलन बढ़ गई, जिससे वाहन आगे बढ़ने में असमर्थ हो गए थे।

सूचना मिलते ही मनाली प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया, जिसमें मनाली के डीएसपी, एसडीएम, पुलिस के जवान और अन्य प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान अधिकारियों ने बर्फबारी में अत्यधिक ठंड के बावजूद पूरी रात काम किया। उनकी प्राथमिकता यह थी कि सभी पर्यटकों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया जाए। डीएसपी मनाली केडी शर्मा ने बताया कि सभी पर्यटकों को अटल टनल के समीप से सुरक्षित निकाल लिया गया और उन्हें सोलंगनाला तक भेज दिया गया।

प्रशासन की ओर से यह भी जानकारी दी गई कि अब सोलंगनाला तक ही वाहनों की आवाजाही की अनुमति दी जा रही है। इसके आगे जाने की अनुमति फिलहाल नहीं दी जा रही है क्योंकि सड़कों की स्थिति अभी भी ठीक नहीं है। प्रशासन ने लोगों से आग्रह किया है कि वे मौसम के हिसाब से अपनी यात्रा की योजना बनाएं और यदि सोलंगनाला तक यात्रा करनी हो तो केवल इमरजेंसी वाहनों को ही अनुमति दी जा रही है।

इस बीच मनाली के ऊपरी क्षेत्रों में मंगलवार को भी मौसम खराब बना हुआ है। आसमान में घने बादल हैं और बर्फबारी के और भी संकेत मिल रहे हैं। इस मौसम को देखते हुए प्रशासन ने सभी यात्रियों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। बर्फबारी और ठंड के चलते प्रशासन ने चेतावनी जारी की है कि केवल सुरक्षित और सुसज्जित वाहन ही यात्रा करें और किसी भी अनावश्यक जोखिम से बचें।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य के उच्च पर्वतीय व मध्यवर्ती इलाकों में आज वर्षा-बर्फबारी का अनुमान है, जबकि मैदानी भागों में मौसम साफ रहेगा। 25 व 26 दिसम्बर को पूरे प्रदेश में मौसम के साफ रहने के आसार हैं। 27 से 29 तक पश्चिम विक्षोभ के सक्रिय होने से दोबारा वर्षा व बर्फबारी होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि राज्य के कई हिस्सों में वर्षा व बर्फ़बारी की ज्यादा सम्भावना 28 दिसम्बर को है। उन्होंने यह भी कहा कि 24 से 26 दिसम्बर तक मैदानी इलाकों में घने कोहरे व शीतलहर का अलर्ट रहेगा।

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—रंगीन टिकटों का उपयोग यात्रियों के गंतव्य की पहचान और उनके यात्रा मार्ग को स्पष्ट करेंगा

वाराणसी,23 दिसम्बर (हि.स.)। प्रयागराज महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की सुविधा और यात्रा को सुव्यवस्थित बनाने के लिए रेलवे ने पहले से ही पूरी तैयारी की है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रेलवे ने एक विशेष रंगीन टिकट प्रणाली की शुरुआत की है। यह रंगीन टिकट प्रणाली यात्रियों को उनकी ट्रेन, प्लेटफार्म और आश्रय स्थल तक आसानी से पहुँचने में मार्गदर्शन करेगी। इस अभिनव पहल का उद्देश्य महाकुम्भ के दौरान भीड़ प्रबंधन को बेहतर बनाना और यात्रियों की यात्रा को अधिक सरल और सुरक्षित बनाना है। रेलवे के अफसरों के अनुसार रंगीन टिकटों का उपयोग श्रद्धालुओं के गंतव्य की पहचान और उनके यात्रा मार्ग को स्पष्ट करने के लिए किया जाएगा। प्रत्येक टिकट का एक विशिष्ट रंग होगा जो यात्रियों को सही आश्रय स्थल तक पहुँचने में सहायक होगा । इससे महाकुम्भ के दौरान श्रद्धालु भ्रमित नहीं होंगे और भीड़-भाड़ को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।

महाकुम्भ के दौरान सभी यात्रियों को कलर कोडेड टिकट जारी किए जाएंगे। इसमें प्रयागराज जंक्शन, नैनी जंक्शन और छिवकी स्टेशन सहित प्रमुख स्टेशनों पर कलर-कोडेड टिकट प्रणाली लागू की जाएगी।

प्रयागराज जंक्शन पर, लखनऊ और वाराणसी की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए लाल रंग की टिकट रहेगी। ये श्रद्धालु गेट नंबर 1 से प्रवेश करेंगे और लाल रंग के आश्रय नंबर 1 में जाएंगे। वहीं, पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए नीले रंग की टिकट रहेगी। ये यात्री गेट नंबर 2 से प्रवेश करेंगे और नीले रंग के आश्रय नंबर 2 में जाएंगे।

मानिकपुर, सतना और झाँसी की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए पीले रंग की टिकट रहेगी और ये यात्री गेट नंबर 3 से प्रवेश करेंगे और पीले रंग के आश्रय नंबर 3 में जाएंगे। फतेहपुर, कानपुर और दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए हरे रंग की टिकट रहेगी। वह स्टेशन के गेट नंबर 4 से प्रवेश करेंगे और हरे रंग के आश्रय नंबर 4 में जाएंगे।

इसी तरह नैनी जंक्शन पर, कानपुर की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए हरे रंग की टिकट रहेगी। ये यात्री गेट नंबर 1 से प्रवेश करेंगे और हरे रंग के आश्रय नंबर 1 में जाएंगे। मानिकपुर और झाँसी की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए नीले रंग की टिकट रहेगी। वह गेट नंबर 1 से प्रवेश करेंगे और नीले रंग के आश्रय नंबर 2 में जाएंगे।

मानिकपुर और सतना की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए लाल रंग की टिकट रहेगी। वह यात्री गेट नंबर 1 से प्रवेश करेंगे और लाल रंग के आश्रय नंबर 3 में जाएंगे। पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए पीले रंग की टिकट रहेगी। ये यात्री गेट नंबर 3 और 4 से प्रवेश करेंगे और पीले रंग के आश्रय नंबर 4ए और 4बी में जाएंगे। इसी क्रम में प्रयागराज छिवकी स्टेशन पर, मानिकपुर, सतना और झाँसी की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए लाल रंग की टिकट रहेगी।

इस रंग की टिकट के साथ श्रद्धालु गेट नंबर 1ए से प्रवेश करेंगे और लाल रंग के आश्रय नंबर 1 में जाएंगे। पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए हरे रंग की टिकट रहेगी। ये यात्री गेट नंबर 1बी से प्रवेश करेंगे और हरे रंग के आश्रय नंबर 2 में जाएंगे।

रेलवे प्रशासन का यह कदम महाकुम्भ के आयोजन को और भी सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यात्रियों को उनके टिकट के अनुसार सही दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त होगा, जिससे यात्रा में सहजता आएगी और यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। यह प्रणाली न केवल यात्रियों के लिए, बल्कि रेलवे प्रशासन के लिए भी भीड़ प्रबंधन और यात्रियों की सुविधा में सुधार लाएगी।

रेलवे प्रशासन यात्रियों से इस नई प्रणाली के प्रति सहयोग की अपेक्षा करता है ताकि महाकुम्भ 2025 के दौरान उनकी यात्रा को यादगार और सुगम बनाया जा सके।

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मुरादाबाद, 23 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की चार सदस्यीय टीम का सर्वे लगातार चौथे दिन सोमवार को भी जारी रहा। सर्वे के दौरान संभल के प्राचीन नैमिषारण्य तीर्थ में एक और प्राचीन कुआं सामने आया है, जिसमें करीब 20 फुट पर पानी मिला है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि पुराने समय में इस कुएं में 20 फुट नीचे ही पानी था, जबकि वर्तमान में संभल में जल स्तर 100 फुट से ज्यादा नीचे है।

अधिकारियों ने बताया कि एएसआई ने शुक्रवार और शनिवार को संभल में छह तीर्थ स्थलों और 19 कुओं का सर्वे किया था। रविवार को चंदौसी तहसील के प्राचीन बावड़ी में खुदाई की, जिसमें प्राचीन बावड़ी मिली। संभल के 19 प्राचीन कुओं और 68 तीर्थों का वर्णन तमाम धर्मग्रंथों में मिलता है।

संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने धर्मग्रंथों में वर्णिंत इन कुओं सहित तमाम प्राचीन कुओं को खोजकर उन्हें पुनर्जीवित कराने की मुहिम चला रखी है। संभल में 46 साल पुराने मंदिर मिलने के बाद जिलाधिकारी ने जांच के लिए एएसआई को पत्र लिखकर जिले के प्राचीन तीर्थस्थलों और कुओं का निरीक्षण कराने की मांग की थी। एएसआई ने भी संभल में कई तीर्थ स्थलों और मंदिरों के साथ ही प्राचीन कुओं का सर्वे पिछले तीन दिन में किया है। संभल में जल स्तर 100 फुट से ज्यादा नीचे है लेकिन तीर्थ परिसरों में मिल रहे कुओं में पहले 20 फुट नीचे ही पानी हुआ करता था।

संभल निवासी 95 वर्षीय मंहत पंडित लाल किशोर शास्त्री ने बताया कि आजादी से पहले संभल में जल स्तर 20 से 25 फुट पर था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई, जल स्तर कम होता गया।

संभल के प्राचीन नैमिषारण्य तीर्थ पर जल प्रवाहित कूप मिलने की जानकारी पर तमाम श्रद्धालु कूप के दर्शन के लिए पहुंचे। महंत बाल योगी दीनानाथ ने कूप पर पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरित किया। प्राचीन नैमिषारण्य तीर्थ के महंत बाल दीनानाथ ने कहा कि इस तीर्थ पर बाबा क्षेमनाथ की कृपा से भक्तों का कल्याण होता है।

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