ओलंपिक 2028: आईएसएसएफ ने शूटिंग स्पर्धाओं के प्रारूप में किए अहम बदलाव, जानिए नई व्यवस्था

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय शूटिंग खेल महासंघ (आईएसएसएफ) ने गुरुवार को 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए ओलंपिक शूटिंग प्रतियोगिताओं के प्रारूप में कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। ये बदलाव 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे, ताकि खिलाड़ी ओलंपिक चयन चक्र के दौरान नए प्रारूप के अनुसार तैयारी कर सकें।

अब फाइनल में उतरेंगे आठ खिलाड़ी

सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब पुरुषों की 25 मीटर त्वरित अग्नि पिस्तौल (रैपिड फायर पिस्टल) और शॉटगन स्पर्धाओं के फाइनल में छह की जगह आठ खिलाड़ी भाग लेंगे। इससे मुकाबले और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक तथा रोमांचक हो जाएंगे।

50 मीटर राइफल तीन मुद्रा स्पर्धा के फाइनल में केवल ‘खड़े होकर’ शूटिंग

2028 ओलंपिक में 50 मीटर राइफल तीन मुद्रा स्पर्धा के फाइनल में केवल ‘स्टैंडिंग’ (खड़े होकर) स्थिति में ही शूटिंग की जाएगी। यह बदलाव उन खिलाड़ियों के लिए लाभदायक हो सकता है जो वायुराइफल स्पर्धा में भी हिस्सा लेते हैं।

मिक्स्ड टीम स्पर्धाओं में नहीं होंगे स्वर्ण और कांस्य पदक मुकाबले

मिक्स्ड टीम स्पर्धाओं में अब स्वर्ण और कांस्य पदक के लिए अलग-अलग मुकाबले नहीं होंगे। इनकी जगह एक सामान्य विलोपन (एलिमिनेशन) प्रक्रिया से ही विजेता टीमों का निर्धारण किया जाएगा।

2025 में होंगे परीक्षण, 2026 से होंगे लागू


आईएसएसएफ की तकनीकी समिति की फरवरी में हुई बैठक में इन प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया गया। इस बैठक में खिलाड़ियों की समिति और विभिन्न अनुशासन प्रमुखों की भी भागीदारी रही। इन बदलावों से न तो अतिरिक्त तकनीकी संसाधनों की आवश्यकता होगी और न ही अतिरिक्त स्थान की। वर्ष 2025 में इन प्रारूपों का परीक्षण किया जाएगा, ताकि 2026 से पहले खिलाड़ियों और दर्शकों दोनों के लिए अनुभव बेहतर बनाया जा सके।

आईएसएसएफ अध्यक्ष का बयान
आईएसएसएफ अध्यक्ष लुसियानो रोसी ने कहा, “हम लॉस एंजेलिस 2028 के लिए अपनी 15 शूटिंग स्पर्धाओं के ओलंपिक कार्यक्रम में बने रहने को लेकर बेहद प्रसन्न हैं। हम अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने हम पर अपना विश्वास बनाए रखा है। हम ओलंपिक भावना के अनुरूप शूटिंग को और अधिक लोकप्रिय और आकर्षक बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और 2028 में एक शानदार आयोजन की उम्मीद करते हैं।”

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वाशिंगटन/नई दिल्ली, 10 अप्रैल (हि.स.)। अमेरिका से मुंबई आतंकवादी हमले के प्रमुख आरोपित 64 वर्षीय तहव्वुर राणा को लेकर कल शाम लगभग सात बजकर 10 मिनट पर भारत के लिए रवाना विशेष विमान के आज दोपहर लगभग 12 बजे तक राष्ट्रीय राजधानी के पालम एयरपोर्ट पर पहुंचने की संभावना है। एयरपोर्ट पर दिल्ली पुलिस के जवान और स्वाट कमांडो पहुंच चुके हैं।

पालम एयरपोर्ट से उसे बुलेटफ्रूप गाड़ी से सीधे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ( एनआईए) मुख्यालय (लोधी रोड) ले जाया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि मुख्यालय में उसे सबसे पहले एएनआई गिरफ्तार करने की औपचारिकता पूरी करेगी। इसके बाद उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पटियाला हाउस कोर्ट में पेश कर एजेंसी पूछताछ के लिए रिमांड की मांग सकती है। बताया गया है कि विशेष विमान में एनआईए और रॉ की स्पेशल टीम मौजूद है। उड़ान के आज दोपहर तक भारत पहुंचने की संभावना है। पूछताछ की अविध पूरी होने के बाद उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया जा सकता है।

मुंबई हमले से दहला देश, हुआ एनआईए का गठन

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ( एनआईए) का गठन भारत सरकार ने 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले के बाद किया था। यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली के लोधी रोड के सीजीओ कॉम्प्लेक्स में है। यह एजेंसी देश की संप्रभुता, सुरक्षा और एकता को प्रभावित करने वाली आतंकी गतिविधियों की जांच करती है। इसका अधिकार क्षेत्र पूरा देश है।

तहव्वुर अमेरिका में संघीय जेल ब्यूरो की हिरासत में नहीं

अमेरिका में संघीय जेल ब्यूरो ने इस बात की पुष्टि की है कि तहव्वुर हुसैन राणा आठ अप्रैल से उसकी हिरासत में नहीं है। पाकिस्तानी-कनाडाई मूल का राणा 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक पाकिस्तानी अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाउद गिलानी का करीबी सहयोगी है।

मुंबई हमले में पाकिस्तान की भूमिका

एबीसी न्यूज डॉट कॉम की 25 नवंबर, 2009 को प्रसारित खबर में कहा गया था कि पहली बार पाकिस्तान ने अपनी सेना और शिकागो के दो लोगों के बीच संबंधों को स्वीकार किया है। इन पर डेनमार्क में आतंकवादी हमले की योजना बनाने का आरोप है। पाकिस्तान की सेना के तत्कालीन मुख्य प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने पुष्टि की कि डेविड हेडली और तहव्वुर राणा के साथ संबंधों के लिए एक सेवानिवृत्त मेजर को गिरफ्तार किया गया है। पिछले महीने एफबीआई ने 2005 में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशित करने वाले डेनिश अखबार पर आतंकवादी हमले की योजना बनाने के आरोप में इन लोगों को गिरफ्तार किया।

हेडली और राणा के लश्कर-ए-तैयबा संबंध

अदालती दस्तावेज हेडली और राणा को लश्कर-ए-तैयबा से जोड़ते हैं। लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन है। उस पर 2008 में मुंबई (भारत) पर हुए हमलों और 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले का आरोप है। हालांकि इसके बाद पाकिस्तान ने आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया। बावजूद इसके लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान में सक्रिय है। लश्कर-ए-तैयबा अभी भी भारत में हमलों के लिए आतंकियों की भर्ती कर रहा है। इस आतंकवादी समूह का गठन पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई ने 1980 के दशक के अंत में अफगानिस्तान और भारत पर हमला करने के लिए किया था।

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– अनुबंध के तहत 37 महीनों के भीतर पहला राफेल मरीन विमान देने की बाध्यता होगी

नई दिल्ली, 09 अप्रैल (हि.स.)। भारत ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान खरीदने के लिए मेगा डील को मंजूरी दे दी है। 63 हजार करोड़ रुपये से अधिक के इस सरकारी सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस सौदे के तहत भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर विमान मिलेंगे। इससे भारतीय नौसेना की लड़ाकू ताकत और ज्यादा मजबूत होगी। फ्रांस को अनुबंध के तहत सौदे पर हस्ताक्षर करने की तिथि से 37 महीनों के भीतर पहला राफेल मरीन विमान देने की बाध्यता होगी।

भारतीय नौसेना ने स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए बोइंग एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट की जगह फ्रांसीसी राफेल मरीन को चुना है। भारत और फ़्रांस के बीच इस बारे में लम्बे समय से चल रही बातचीत पूरी हो चुकी है। पहले इस वित्तीय वर्ष में ही सौदे पर हस्ताक्षर करने की योजना थी, लेकिन संसद के बजट सत्र के कारण इसमें देरी हुई है। भारतीय नौसेना के मल्टी-रोल कैरियर बोर्न फाइटर के लिए आपातकालीन खरीद नीति के तहत सरकार-से-सरकार सौदे के माध्यम से 26 एयरफ्रेम प्राप्त किए जाएंगे। पहले इस तरह के 57 विमान खरीदे जाने थे, लेकिन बाद में यह संख्या घटाकर 26 कर दी गई है।

भारत की जरूरतों के लिहाज से फ्रांसीसी कंपनी ने परमाणु सक्षम एक ‘राफेल मरीन’ स्की-जंप करने की क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए भारत भेजा था।विमानवाहक आईएनएस ‘विक्रांत’ के लिए भारतीय नौसेना ने पिछले साल जनवरी में गोवा स्थित आईएनएस हंसा में समुद्री लड़ाकू विमान ‘राफेल मरीन’ का परीक्षण किया था। वायु सेना के राफेल जेट और समुद्री संस्करण ‘राफेल मरीन’ में एक अंडरकारेज और नोज व्हील, एक बड़ा अरेस्टर हुक, एक एकीकृत सीढ़ी जैसे कई अन्य मामूली अंतर हैं। ‘राफेल मरीन’ स्की टेक-ऑफ के लिए चार-पांच टन तक बाहरी भार (पूर्ण आंतरिक ईंधन के साथ) ले जा सकता है।

राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन को भरोसा है कि राफेल एम भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के लिए उपयुक्त होगा। राफेल एम का इस्तेमाल अभी भी ग्रीस, इंडोनेशिया और यूएई की सेनाएं कर रही हैं। भारतीय नौसेना का मानना है कि राफेल उसकी जरूरतों को काफी बेहतर तरीके से पूरा कर सकता है। भारतीय नौसेना 43 पुराने रूसी फाइटर जेट मिग-29के और मिग-29के यूबी को अपने बेड़े से हटाना चाहती है।

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पटना, 07 अप्रैल (हि.स.)। बिहार में मौसम करवट लेने वाली है। इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया है। पटना के मौसम विज्ञान केंद्र ने राज्य के 6 जिलों को छोड़कर बाकी 32 जिलों में बारिश, वज्रपात, मेघगर्जन के साथ साथ तेज हवा चलने का अलर्ट जारी किया है।

आईएमडी ने 10 और 11 अप्रैल के लिए यह अलर्ट जारी किया है।

पटना मौसम विज्ञान केंद्र ने 10 और 11 अप्रैल को बिहार के कई जिलों में भयंकर बारिश होने की संभावना जताई है। इन जिलों में पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, औरंगाबाद, बेगूसराय, जहानाबाद, नवादा, नालंदा, मुंगेर, सारण, वैशाली, गोपालगंज, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, मधुबनी, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, सहरसा, सुपौल, खगड़िया, लखीसराय, जमुई, शेखपुरा, समस्तीपुर, शिवहर, बांका, और मधेपुरा शामिल हैं। इस दौरान इन जिलों में 30-40 किमी प्रति घंटा की गति से हवा चलने का भी पूर्वानुमान है।

पटना मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि एक वेस्टर्न विक्षोभ एक्टिव हो रहा है, जिसका असर बिहार में भी दिखाई दे सकता है। इस वजह से 7 से 11 अप्रैल तक प्रदेश का मौसम बदला हुआ रहेगा। इस अवधि में अधिकांश जिलों में बारिश होने की संभावना है, और आइएमडी ने इसके लिए येलो अलर्ट जारी किया है। बारिश के अलावा बिहार के कई जिलों में ठनका गिरने और तेज हवा चलने की भी संभावना है। ऐसे मौसम में किसानों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है।

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जम्मू, 07 अप्रैल (हि.स.)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के अपने तीन दिवसीय दौरे की शुरुआत करने के लिए रविवार शाम यहां पहुंचे हैं। वो आज कठुआ जिले के दौरे के दौरान पाकिस्तान सीमा पर स्थापित एक अग्रिम चौकी विनय पोस्ट तक जाएंगे। घुसपैठ पर अंकुश लगाने के लिए किए गए प्रबंधों की जानकारी लेंगे और अपने दौरे के दौरान सुरक्षा स्थिति और विकास पहलों की समीक्षा करेंगे।

अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान शाह कठुआ आतंकी हमले में बलिदान हुए पुलिस कर्मीयों के परिजनों से मुलाकात करेंगे व उनके स्वजनों को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति पत्र सौंपेंगे। मंगलवार को शाह सबसे पहले श्रीनगर के राजभवन में आयोजित बैठक में केंद्र शासित प्रदेश में विभिन्न विकास कार्यक्रमों का जायजा लेंगे। इसके बाद वो श्रीनगर के राजभवन में एकीकृत मुख्यालय की एक बैठक में भाग लेंगे, जहां जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की जाएगी। दूसरी बैठक श्रीअमरनाथ यात्रा की सुरक्षा तैयारियों को लेकर होगी।

केंद्रशासित प्रदेश में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार के गठन के बाद यह उनका पहला दौरा है। रविवार देर रात उन्होंने पार्टी मुख्यालय त्रिकुटा नगर में भाजपा के विधायकों और अन्य पदाधिकारियों के साथ बंद कमरे में बैठक की। शाह का भाजपा मुख्यालय का दौरा पार्टी के स्थापना दिवस के अवसर पर हुआ। कार्यकर्ताओं और नेताओं ने मुख्यालय में स्थापना दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया। अधिकारियों ने बताया कि शाह के दौरे के मद्देनजर पुलिस और सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

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नई दिल्ली, 5 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रामनवमी की पूर्व संध्या पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।

राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, “रामनवमी के पावन अवसर पर मैं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूं।” उन्होंने कहा कि यह पावन पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्री राम की जीवन गाथा हमें सत्य, धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यह पर्व समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा के साथ मानवता की सेवा करने का संदेश देता है। यह पावन पर्व लोगों को त्याग, निस्वार्थ प्रेम और वचन प्रतिबद्धता जैसे जीवन मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस पावन अवसर पर आइए हम भगवान श्री राम के आदर्शों से सीखें और संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए मिलकर काम करें।

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नई दिल्ली, 5 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 6 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट पंबन रेलवे ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। यह वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज समुद्र के ऊपर से गुजरते हुए रामेश्वरम द्वीप को तमिलनाडु के मंडपम से जोड़ता है। यह पुल केवल दो स्थानों को जोड़ने का माध्यम ही नहीं, बल्कि नई तकनीक, आत्मनिर्भर भारत और तेज गति परिवहन का प्रतीक है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को चेन्नई में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को नवनिर्मित पंबन रेलवे ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने कहा कि पंबन ब्रिज रेलवे के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण पुलों में से एक है। यह समुद्री जल में बना पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज होगा और यह तमिल इतिहास, संस्कृति, प्राचीन तमिल सभ्यता और तमिल भाषा के लिए सबसे महान वास्तुशिल्प चमत्कारों में से एक है। 535 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित यह पुल पुराने ढांचे की जगह लेगा, जो जंग के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था।

रेल मंत्रालय के अनुसार तमिलनाडु के विशाल नीले समंदर पर निर्मित 2.08 किलोमीटर लम्बा ये ब्रिज पुराने पंबन ब्रिज से 3 मीटर अधिक ऊंचा है, ताकि छोटे जहाज आसानी से इसके नीचे से होकर गुजर सकें। इस पूरे ब्रिज को बनाने में 18.3 मीटर के 99 स्पैन का प्रयोग किया गया है। ब्रिज के मध्य में 72.5 मीटर का एक वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है, जिसे जरूरत पड़ने पर बड़े जहाजों के लिए 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है।

नए पंबन ब्रिज की अनूठी लिफ्ट प्रणाली बड़े जहाजों को भी आसानी से गुजरने की अनुमति देती है। मन्नार की खाड़ी पर स्थित यह पुल यातायात को सुगम बनाने के साथ अपने आप में एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी रखता है। आधुनिक तकनीक से निर्मित यह पुल भारतीय रेलवे के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिससे आने वाले समय में समुद्री मार्गों पर निर्भर पर्यटन और व्यापार को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।

इस ब्रिज में 333 पाइल्स और 101 पाइल कैप्स का इस्तेमाल कर मजबूत आधार के साथ दोहरी रेल लाइनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस पर भारी-भरकम मालगाड़ियों के साथ वंदे भारत जैसी तेज गति से चलने वाली अत्याधुनिक सेमी हाई-स्पीड ट्रेनें भी बड़े ही आसानी से गुजर सकती हैं। साथ ही इसकी सतह को 58 वर्षों तक सुरक्षित रखने के लिए उत्कृष्ट सुरक्षा प्रणाली अपनाई गई है।

इस ब्रिज के निर्माण के दौरान समुद्री तूफानों, तेज हवा और ज्वार-भाटा जैसी परिस्थितियों का भी खास ध्यान रखा गया है। पॉलिसिलोक्सेन पेंट, स्टेनलेस स्टील और फाइबर रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक (एफआरपी) के प्रयोग ने समुद्र के खारा पानी के बीच होते हुए भी इसे लंबे समय तक मजबूत और टिकाऊ बनाए रखेगा।

भारत का पहला समुद्री पुल पंबन ब्रिज का निर्माण 1911 में शुरू और 1914 में इसे यातायात के लिए खोल दिया गया था। तब यह भारत का एकमात्र समुद्री पुल था जो सन् 2010 में बान्द्रा-वर्ली समुद्र सेतु के खुलने तक भारत का सबसे लम्बा समुद्री सेतु रहा। अपनी सेवा समय के दौरान इस ब्रिज ने कई विकट परिस्थितियां देखी और उनका डटकर सामना किया। 1964 में आए एक चक्रवाती तूफान ने इस पुल को बहुत नुकसान पहुंचाया था। इसके बावजूद ये समुद्र की लहरों के बीच अडिग खड़ा रहा और लगभग 106 साल तक देशहित में समर्पित रहा।

21वीं सदी और बदलते भारत की परिवहन आवश्यकताओं ने पुराने पंबन ब्रिज के समक्ष कई तरह की नई चुनौतियां रख दी थीं। जिसे देखते हुए आधुनिक ट्रेनों और बड़े समुद्री जहाजों की आवश्यकताओं के अनुरूप एक नई संरचना की जरूरत महसूस की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस नए ब्रिज के निर्माण की आधारशिला रखी गई। नवाचार का जुनून और विकास की अभूतपूर्व गति के कारण मात्र 4 साल में समुद्र पर इस अद्भुत निर्माण को पूरा कर लिया गया।

उल्लेखनीय है कि पंबन ब्रिज का भगवान राम और भगवान शिव के साथ सीधा संबंध है। ये ब्रिज जिस द्वीप रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है, उसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहां स्थित रामेश्वरम मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे, तब उन्होंने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी और भगवान शिव की पूजा की थी।

पंबन ब्रिज से होकर गुजरने वाला मार्ग भगवान राम की लंका यात्रा का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है, जिससे यह धार्मिक रूप से और भी विशेष हो जाता है। रामायण के अनुसार भगवान राम और उनकी वानर सेना ने लंका जाने के लिए रामसेतु का निर्माण किया था, जो वर्तमान पंबन ब्रिज के पास स्थित है।

ऐसे में नया पंबन ब्रिज श्रद्धालुओं के लिए रामेश्वरम की यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाएगा। यह पुल आधुनिक तकनीक से निर्मित है, जिससे श्रद्धालु बिना किसी बाधा के भगवान शिव और भगवान राम से जुड़े स्थलों के दर्शन कर सकते हैं।

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मुंबई, 04 अप्रैल (हि.स.)। मशहूर फिल्म अभिनेता और दिग्गज निर्देशक मनोज कुमार (87) नहीं रहे। उन्होंने यहां के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में आखिरी सांस ली। सारा देश उन्हें उनकी देशभक्ति फिल्मों के लिए जानता है। लोग उन्हें सम्मान से ‘भारत कुमार’ कहते हैं। हरदिल अजीज अभिनेता के निधन से फिल्म उद्योग ही नहीं सारा देश गहरे सदमे में है। कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें भर्ती कराया था। वह आज सुबह 3:30 बजे दुनिया को अलविदा कह गए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मनोज कुमार के निधन पर गहरा शोक जताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ” महान अभिनेता और फिल्मकार श्री मनोज कुमार जी के निधन से बहुत दुःख हुआ। वे भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें खास तौर पर उनकी देशभक्ति के जोश के लिए याद किया जाता था, जो उनकी फिल्मों में भी झलकता था। मनोज जी के कामों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को जगाया और वे पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”

फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने कहा,” दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित, हमारे प्रेरणास्रोत और भारतीय फिल्म उद्योग के ‘शेर’ मनोज कुमार जी अब हमारे बीच नहीं रहे। यह फिल्म उद्योग के लिए बहुत बड़ी क्षति है और पूरी इंडस्ट्री उन्हें याद करेगी।” मनोज कुमार का असल नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था। उनका जन्मे 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद में हुआ। देश के बंटवारे के बाद ऐबटाबाद पाकिस्तान का हिस्सा बना।

मनोज के माता-पिता ने भारत को चुना और दिल्ली आ गए। मनोज कुमार ने बंटवारे के दर्द को अपनी आंखों से देखा है। बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक रहा। वह अशोक कुमार, दिलीप कुमार और कामिनी कौशल के बहुत बड़े प्रशंसक रहे।

1957 में फिल्म फैशन से बढ़े अभिनय की दुनिया में कदम

वह कालेज के दिनों में रंगमच से जुड़ गए और एक दिन दिल्ली से मुंबई पहुंच गए। उन्होंने अभिनय की शुरुआत 1957 में आई फिल्म ‘फैशन’ से की। इसके बाद 1960 में उनकी फिल्म ‘कांच की गुड़िया’ रिलीज हुई। इस फिल्म में उनकी नायक की भूमिका को लोगों ने सराहा। मनोज कुमार ने उपकार, पत्थर के सनम, रोटी कपड़ा और मकान, संन्यासी और क्रांति जैसी कमाल की फिल्में दीं। अधिकतर फिल्मों में मनोज कुमार का नाम भारत कुमार रहा।

लाल बहादुर शास्त्री के आग्रह पर बनाई ‘उपकार’

मनोज कुमार के राजनेताओं से भी अच्छे संबंध रहे। 1965 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था और इस युद्ध के बाद ही मनोज कुमार ने लाल बहादुर शास्त्री से मुलाकात की। शास्त्री ने उनसे युद्ध से होने वाली परेशानियों पर एक फिल्म बनाने का आग्रह किया। मनोज कुमार ने लाल बहादुर शास्त्री के नारे जय जवान-जय किसान को केंद्र में रखकर ‘उपकार’ फिल्म बनाई। इसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिला।

इमरजेंसी का विरोध करने से खफा हो गईं इंदिरा गांधी

मनोज कुमार के लिए इमरजेंसी का दौर काफी मुश्किलों भरा रहा। हालांकि इंदिरा गांधी के साथ उनके संबंध अच्छे थे। अभिनेता मनोज ने इमरजेंसी का विरोध कर उन्हें नाराज कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि मनोज कुमार जब अपनी सुपरहिट फिल्म ‘शोर’ को फिर से सिनेमाघरों में रिलीज करने जा रहे थे। उससे पहले ही यह फिल्म दूरदर्शन पर आ गई। इसके अलावा, फिल्म ‘दस नंबरी’ को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बैन कर दिया।

अमृता प्रीतम से बोले-अंदर का लेखक मर गया क्या

ऐसा कहा जाता है कि सरकार ने मनोज कुमार को इमरजेंसी पर केंद्रित एक वृत्तचित्र को डायरेक्ट करने का प्रस्ताव दिया था। इसकी कहानी अमृता प्रीतम ने लिखी थी। उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। मनोज कुमार ने अमृता प्रीतम को फोन किया और कहा कि क्या आपने अपने भीतर के लेखक को मार दिया है। अमृता प्रीतम इस बात से शर्मिंदा हुईं। मनोज कुमार ने उनसे कहा कि स्क्रिप्ट फाड़ कर फेंक दें।

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New Delhi: राज्यसभा से भी पास हुआ वक्फ संशोधन विधेयक। पक्ष में 128, विपक्ष में पड़े 95 वोट

संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक-2025 पर अपनी मुहर लगा दी। लोकसभा के बाद राज्यसभा में 12 घंटे से अधिक चली मैराथन बहस के बाद इसे पारित कर दिया गया। आधीरात बाद नई तारीख (04 अप्रैल,2025) शुरू होने के कुछ समय बाद विधेयक के समर्थन में 128 और विरोध में 95 मत पड़े। विधेयक पर विपक्ष ने कई संशोधन पेश किए। सदन ने उन्हें खारिज कर दिया। अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। विधेयक पारित करने के लिए लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी आधी रात बाद तक कार्यवाही चली।

राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक- 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। फिर भी हमने इसमें गैर-मुस्लिमों की संख्या सीमित कर दी है। वक्फ विधेयक से मुसलमानों को हम नहीं डरा रहे, बल्कि विपक्षी पार्टियां डरा रही हैं।

उन्होंने पूछा कि मुसलमानों में गरीबी ज्यादा है, तो उन्हें गरीब किसने बनाया? आपने बनाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो सबका साथ, सबका विकास की बात की है, वही तो संविधान की भावना है। वक्फ बोर्ड असंवैधानिक नहीं है। विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष की अधिकांश सीटें खाली दिखीं। इस दौरान लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी सरकार की तरफ से गृहमंत्री अमित शाह मोर्चा संभाले दिखे।

उन्होंने चर्चा के दौरान कई बार खड़े होकर न सिर्फ हस्तक्षेप किया, बल्कि विपक्ष को आईना भी दिखाया। कांग्रेस के नासिर हुसैन को उन्होंने बीच में टोका और कहा कि अब तक ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती थी। नए विधेयक में हम इसे लेकर आए हैं। भाजपा अध्यक्ष और सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में मुस्लिम महिलाओं को दोयम दर्जे की नागरिक बना दिया था। मिस्र, सूडान, बांग्लादेश और सीरिया जैसे मुस्लिम देशों में कई साल पहले तत्काल तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने एक दशक तक सत्ता में रहने के दौरान मुस्लिम महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया। इससे पहले राज्यसभा में विधेयक पेश करते हुए रिजिजू ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज किया कि मुस्लिमों के अधिकार छीने जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाना और सभी मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना है। यह विधेयक मुस्लिमों के खिलाफ बिल्कुल नहीं है, बल्कि उनका उत्थान करने वाला है। यह विधेयक गरीब और पिछड़े मुस्लिमों और उनके परिवारों के विकास का रास्ता खोलने वाला है। इसलिए इसका नाम उम्मीद रखा गया है। उन्होंने उम्मीद (यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) का पूरा नाम भी पढ़कर बताया। उन्होंने कहा कि वैसे भी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को विकसित बनाने की बात करते हैं तो उससे मुस्लिम अलग नहीं हैं।

रिजिजू ने वक्फ बोर्डों पर मनमाने व्यवहार का आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली के भीतर मौजूद शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली विकास प्राधिकरण की 123 संपत्तियों पर वक्फ अपना दावा कर रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कल वक्फ संसद भवन पर भी दावा पेश कर दे। उन्होंने केरल और तमिलनाडु के कुछ और उदाहरण भी गिनाए।

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अब सभी जजों की संपत्ति का ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक होगा

नई दिल्ली:  न्यायपालिका में लोगों का विश्वास मज़बूत करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब सभी जजों की संपत्ति का ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक होगा। एक अप्रैल को हुई फुल कोर्ट बैठक में सभी जजों ने यह फैसला लिया है।

बैठक में यह फैसला लिया गया है कि जजों को पदभार ग्रहण करने पर या जब भी उनकी संपत्ति में कोई महत्वपूर्ण चीज़ जुड़ती है, तो वो अपनी संपत्ति का ब्यौरा चीफ जस्टिस को देंगे। ख़ुद चीफ जस्टिस भी ऐसा करेंगे। इसके बाद इन संपत्ति के ब्यौरे की जानकारी सम्बंधित जज की सहमति से सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। अब तक चीफ जस्टिस समेत 30 जजों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सौंप दिया है।

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घरेलू शेयर बाजार में भी दिखा अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी का असर

– बाजार की गिरावट के बावजूद निवेशकों को 33 हजार करोड़ का मुनाफा

नई दिल्ली:  अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी का असर आज घरेलू शेयर बाजार में भी नजर आया। इस टैरिफ पॉलिसी के कारण आज के कारोबार की शुरुआत जबरदस्त गिरावट के साथ हुई, लेकिन खरीदारी के सपोर्ट से सेंसेक्स और निफ्टी दोनों सूचकांकों ने काफी तेजी से रिकवरी करने की कोशिश की। सुबह 10:30 बजे के बाद बिकवाली का दबाव बन गया, जिसकी वजह से दोनों सूचकांक लगातार गिरते चले गए। पूरे दिन के कारोबार के बाद सेंसेक्स 0.42 प्रतिशत और निफ्टी 0.35 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए।

आज दिन भर के कारोबार के दौरान पीएसयू बैंक, पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज और फार्मास्यूटिकल सेक्टर के शेयरों में लगातार खरीदारी होती रही‌। इसी तरह एनर्जी, एफएमसीजी, कैपिटल गुड्स और कंज्यूमर ड्युरेबल्स इंडेक्स भी मजबूती के साथ बंद हुए। दूसरी ओर ऑटोमोबाइल, आईटी और मेटल सेक्टर के शेयरों में लगातार बिकवाली होती रही। इसी तरह ऑयल एंड गैस, रियल्टी और टेक इंडेक्स भी गिरावट के साथ बंद हुए। ब्रॉडर मार्केट में आज खरीदारी होती रही, जिसके कारण बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.31 प्रतिशत की मजबूती के साथ बंद हुआ। इसी तरह स्मॉलकैप इंडेक्स ने 0.76 प्रतिशत की बढ़त के साथ आज के कारोबार का अंत किया।

आज शेयर बाजार में आई कमजोरी के बावजूद मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में हुई खरीदारी के कारण स्टॉक मार्केट के निवेशकों की संपत्ति में 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हो गई। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन आज के कारोबार के बाद बढ़ कर 413.31 लाख करोड़ रुपये (अस्थाई) हो गया। जबकि पिछले कारोबारी दिन यानी बुधवार को इनका मार्केट कैपिटलाइजेशन 412.98 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह निवेशकों को आज के कारोबार से करीब 33 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा हो गया।

आज दिन भर के कारोबार में बीएसई में 4,055 शेयरों में एक्टिव ट्रेडिंग हुई। इनमें 2,813 शेयर बढ़त के साथ बंद हुए, जबकि 1,170 शेयरों में गिरावट का रुख रहा, वहीं 72 शेयर बिना किसी उतार चढ़ाव के बंद हुए। एनएसई में आज 2,603 शेयरों में एक्टिव ट्रेडिंग हुई। इनमें से 1,851 शेयर मुनाफा कमा कर हरे निशान में और 752 शेयर नुकसान उठा कर लाल निशान में बंद हुए। इसी तरह सेंसेक्स में शामिल 30 शेयरों में से 13 शेयर बढ़त के साथ और 17 शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। जबकि निफ्टी में शामिल 50 शेयरों में से 23 शेयर हरे निशान में और 27 शेयर लाल निशान में बंद हुए।

बीएसई का सेंसेक्स आज 805.58 अंक की कमजोरी के साथ 75,811.86 अंक के स्तर पर खुला। कारोबार की शुरुआत होते ही यह सूचकांक फिसल कर 75,807.55 अंक तक आया, लेकिन इसके तुरंत बाद बाजार में खरीदारी शुरू हो गई, जिससे इसकी चाल में सुधार होने लगा। लगातार हो रही खरीदारी के सपोर्ट से सुबह 10:30 बजे तक यह सूचकांक निचले स्तर से करीब 700 अंक की रिकवरी करके 76,493.74 अंक के स्तर तक पहुंच गया। हालांकि, पहले करीब सवा घंटे के कारोबार में लगातार खरीदारी होने के बावजूद यह सूचकांक हरे निशान में अपनी जगह बनाने में असफल रहा। सुबह 10:30 बजे के बाद बाजार में बिकवाली का दबाव बन गया, जिसकी वजह से इस सूचकांक की चाल में गिरावट आ गई। दिन भर हुई खरीद बिक्री के बाद सेंसेक्स 322.08 अंक की कमजोरी के साथ 76,295.36 अंक के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स की तरह ही एनएसई के निफ्टी ने आज 182.05 अंक टूट कर 23,150.30 अंक के स्तर से कारोबार की शुरुआत की। बाजार खुलते ही बिकवाली के दबाव के कारण यह सूचकांक फिसल कर 23,145.80 अंक तक पहुंच गया। इसके थोड़ी देर बाद ही खरीदारों ने लिवाली का जोर बना दिया, जिसकी वजह से इस सूचकांक ने तेजी से रिकवरी शुरू कर दी। लगातार हो रही खरीदारी के सपोर्ट से पहले सवा घंटे के कारोबार में ही यह सूचकांक उछल कर 23,306.50 अंक तक पहुंच गया। हालांकि खरीदारी का ये दौर अधिक देर तक नहीं टिक सका। इसके बाद बाजार में एक बार फिर बिकवाली शुरू हो गई, जिससे इस सूचकांक की चाल में गिरावट आ गई। पूरे दिन के कारोबार के बाद निफ्टी 82.25 अंक की कमजोरी के साथ 23,250.10 अंक के स्तर पर बंद हुआ।

पूरे दिन हुई खरीद बिक्री के बाद स्टॉक मार्केट के दिग्गज शेयरों में से पावर ग्रिड कॉरपोरेशन 4.31 प्रतिशत, सन फार्मास्यूटिकल्स 3.29 प्रतिशत, अल्ट्राटेक सीमेंट 3.16 प्रतिशत, सिप्ला 2.98 प्रतिशत और श्रीराम फाइनेंस 2.31 प्रतिशत की मजबूती के साथ आज के टॉप 5 गेनर्स की सूची में शामिल हुए। दूसरी ओर टीसीएस 3.97 प्रतिशत, टेक महिंद्रा 3.77 प्रतिशत, एचसीएल टेक्नोलॉजी 3.76 प्रतिशत, इंफोसिस 3.46 प्रतिशत और ओएनजीसी 2.92 प्रतिशत की गिरावट के साथ आज के टॉप 5 लूजर्स की सूची में शामिल हुए।

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अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी से गोल्ड मार्केट में भी हलचल, नए शिखर पर पहुंचा सोना

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान के बाद से ही इंटरनेशनल गोल्ड मार्केट में काफी हलचल मची हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना आज 3,166.96 डॉलर प्रति औंस के नए शिखर पर पहुंच गया। हालांकि बाद में इसकी कीमत में कुछ गिरावट भी आई। इसके बावजूद सोना अपने सर्वोच्च स्तर के करीब पहुंच कर ही कारोबार कर रहा है।

अमेरिका द्वारा नई टैरिफ पॉलिसी का ऐलान होने के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में सेफ इन्वेस्टमेंट के रूप में सोने की खरीद में काफी तेजी आ गई, जिसके कारण ये चमकीली धातु ऑल टाइम हाई का नया रिकार्ड बनाने में सफल रही। माना जा रहा है कि रेसिप्रोकल टैरिफ और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मंदी के चपेट में जाने की आशंका की वजह से सोने की मांग में लगातार तेजी बनी रहने वाली है, जिसके इसकी कीमत में और भी अधिक उछाल आ सकता है।

भारत में भी कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में सोने के कारोबार में लगातार तेजी का रुख नजर आया। आज गोल्ड फ्यूचर 843 रुपये यानी 0.93 प्रतिशत की मजबूती के साथ 91,696 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। हालांकि बाद में एमसीएक्स पर भी सोने के भाव में मामूली गिरावट दर्ज की गई।

आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड (हाजिर सोना) ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाने के बाद थोड़ा नीचे फिसल कर 0.51 प्रतिशत की उछाल के साथ 3,150 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर कारोबार कर रहा था। इसी तरह यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 0.21 प्रतिशत चढ़ कर 3,172.60 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंचा हुआ है।

कमोडिटी मार्केट के जानकारों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया है, उससे पूरी दुनिया में ट्रेड वॉर शुरू होने का खतरा बन गया है। अमेरिका की इस नई पॉलिसी में 180 देशों पर टैरिफ का बोझ लादा गया है। इसमें सबसे कम टैरिफ 10 प्रतिशत का है, जबकि चीन को छोड़कर सबसे ज्यादा टैरिफ 49 प्रतिशत का है। आशंका इस बात की भी जताई जा रही है कि इस टैरिफ पॉलिसी से खुद अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है और आने वाले दिनों में अमेरिकी इकोनॉमी सुस्त पड़ सकती है।

कमोडिटी मार्केट के एक्सपर्ट मयंक मोहन का कहना है कि जियो पॉलिटिकल टेंशन और वैश्विक अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव की वजह से सोना दुनिया भर में पहले से मजबूती का लगातार नया रिकॉर्ड बना रहा है। साल 2025 में ही सोने की कीमत में करीब 20 प्रतिशत की तेजी आ चुकी है। अब अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी के कारण सोने की मांग और बढ़ने की उम्मीद बन गई है, जिससे ये चमकीली धातु मजबूती का लगातार नया-नया रिकॉर्ड बना सकती है। इतना ही नहीं, जिस तरह दुनिया के कई एक्सपर्ट अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुस्ती की आशंका जता रहे हैं, उसकी वजह से भी निवेशकों का रुझान सेफ इन्वेस्टमेंट के रूप में सोने की ओर लगातार बढ़ रहा है। इस रुझान के कारण सोने की कीमत में तेजी का सिलसिला लगातार जारी रह सकता है।

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