नई दिल्ली, 28 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खरीफ सीजन 2025 तक किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए 37,216.15 करोड़ रुपये की एनबीएस सब्सिडी सम्बन्धी कैबिनेट के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि किसानों को डीएपी की बोरी 1350 रुपये प्रति बोरी की दर से मिलेगी।

कैबिनेट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के साथ उत्पादन बढ़ाना भी ज़रूरी है। इसके लिए फर्टिलाइजर/खाद की आवश्यकता पर भी ध्यान देना होगा। उत्पादन बढ़ने के साथ ही फर्टिलाइजर की कीमतें भी नियन्त्रित रहे, यह प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकता रही है। किसानों पर फर्टिलाइजर विशेषकर डीएपी की बढ़ी हुई लागत का बोझ न आये, इसलिए सरकार बढ़ी हुई कीमतों का भार उठाने के लिए विशेष पैकेज देती है। सरकार ने 1350 रुपये प्रति बोरी कीमत तय की है ताकि किसानों को अधिक कीमत न देनी पड़े इसके लिए भारी सब्सिडी किसानों को दी जा रही है।

उन्होंने कहा, “इस साल भी लगभग 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी किसानों को सस्ती खाद उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने दी है। मैं प्रधानमंत्री मोदी को हृदय से धन्यवाद देता हूं और किसानों को डीएपी की बोरी 1350 रुपये में ही मिलेगी। खरीफ के सीजन में ही सस्ती डीएपी देने के लिए 37 हजार 216 करोड़ रुपये विशेष रूप से सब्सिडी दी जायेगी। यानि किसानों को 30 सितंबर 2025 तक सब्सिडी वाली उर्वरक मिलती रहेगी।”

इसके साथ ही शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों के पक्ष में आयात-निर्यात नीति में परिवर्तन किया गया है। चना उत्पादक किसानों के हित में चने पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लागू करने के फैसले की अधिसूचना कल केंद्र सरकार ने जारी कर दी है, जिससे चना उत्पादक किसानों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के कारण सस्ता चना विदेश से नहीं आयेगा। इससे हमारे किसानों को उचित दाम मिलेंगे। उन्होंने बताया कि इस वर्ष चने का भी बंपर उत्पादन हुआ है। कृषि के 2024-25 के अग्रिम अनुमान के अनुसार चने का उत्पादन 115 लाख मीट्रिक टन से अधिक होगा जबकि पिछले साल 110 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था।

0Shares

ऑनलाइन शेयर मार्केट में इंवेस्टमेंट के नाम पर 3.36 करोड़ की साइबर ठगी करने वाला ठग गिरफ्तार

जयपुर: साइबर थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ऑनलाइन शेयर मार्केट में इंवेस्टमेंट के नाम पर 3.36 करोड़ की साइबर ठगी मामले में शातिर ठग को गिरफ्तार किया है। पुलिस की प्रारम्भिक पूछताछ में सामने आया है कि आरोपित फेक सिम कार्ड के जरिए सम्पर्क कर 70-80 बैंक खातों में ट्रांसफर कर रुपये को ऐंठा गया था। पुलिस गिरफ्तार आरोपित के साथी को पूर्व में गिरफ्तार कर चुकी है। फिलहाल आरोपित से पूछताछ की जा रही है।

पुलिस उपायुक्त (अपराध) कुंदन कंवरिया ने बताया कि साइबर थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ऑनलाइन शेयर मार्केट में इंवेस्टमेंट के नाम पर 3.36 करोड़ की साइबर ठगी मामले में शातिर ठग विनय कुमार उपलापुवू (23) निवासी विजयवाड़ा (आंध्रप्रदेश) को गिरफ्तार किया है। पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि आरोपित ऑनलाइन शेयर मार्केट में इंवेस्टमेंट के नाम पर लोगों के साथ साइबर ठगी करते थे। सबसे पहले एक फेक वॉट्सएप नंबर से संपर्क किया जाकर इंवेस्टमेंट के फेक विज्ञापनों के बारे में जानकारी देते। उसके बाद एक वेब पेज का लिंक भेजकर रजिस्ट्रेशन करवाकर शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट शुरू करवाते हुए विभिन्न बैंक अकाउंट में डिपोजिट करवाते। डिपॉजिट रकम का लेन-देन वेब पेज पर शो करते है। शुरुआत में पीड़ित से छोटे अमाउंट इंवेस्ट करवाते है, उसके बाद विश्वास में लेकर प्रोफिट का कुछ अमाउंट उसके अकाउंट में ट्रांसफर भी करते है। उसके बाद बड़ी रकम का निवेश करवाया जाता है। वेब पेज पर प्रोफिट के साथ रकम को शो किया जाता है। रकम विड्राल रिक्वेस्ट करने पर विभिन्न चार्जेज (इनकम टैक्स, सर्विस टैक्स आदि) के नाम पर और रकम विभिन्न बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करवा लेते है।

आरपीएस थानाधिकारी सोन चंद वर्मा ने बताया कि साइबर थाने में परिवादी ने नम्वबर-2024 में दर्ज करवाया था कि साइबर ठगों ने ऑनलाइन शेयर मार्केट में इंवेस्टमेंट के नाम पर अलग-अलग ट्रांजैक्शन के जरिए करीब 3.36 करोड़ रुपये ठग लिए। जांच में सामने आया है कि वॉट्सऐप पर मैसेज भेजकर ऑनलाइन शेयर मार्केट में इंवेस्टमेंट के नाम पर रुपये ऐंठे गए। फेक सिमों का यूज कर 70-80 बैंक अकाउंट में रुपये डलवाए गए। साइबर क्राइम पुलिस ने कार्रवाई कर एक आरोपित को गिरफ्तार किया था। वहीं दूसरे आरोपित विजय कुमार के बैंक अकाउंट में करीब 1.43 करोड़ रुपये ट्रांसफर होना पाया गया। साइबर ठग विजय कुमार के मोबाइल नंबरों की सीडीआर की जांच कर आंध्रप्रदेश पुलिस की टीम को भेजा गया। बार-बार ठिकाने बदलने के साथ ही आरोपित अपने मोबाइल नंबर भी बदल रहा था। तकनीकी सहायता से पीछा करते हुए आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में घेराबंदी कर आरोपित विजय कुमार को पकड़ कर ट्रांजिट वारंट पर उसे जयपुर लेकर आई है।

0Shares

दिल्ली सरकार ने दवा खरीद की नीति में किया बदलाव, सरकारी अस्पताल जन औषधि केंद्रों से ही खरीदेंगे दवाएं

– दिल्ली सरकार ने छह अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने को दी मंजूरी

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने सरकारी अस्पतालों में दवा खरीद की नीति में बदलाव किया है। अब सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों से ही दवाएं खरीदनी होंगी। स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद केवल इमरजेंसी के समय में ही की जा सकेगी।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह की अध्यक्षता में 6 मार्च 2025 को दिल्ली सचिवालय में एक समीक्षा बैठक हुई थी। इस बैठक में सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति की समीक्षा की गई थी। इस दौरान उन्होंने सभी चिकित्सा अधीक्षकों और स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के माध्यम से दवा खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इस निर्देश में भारत सरकार के फार्मास्युटिकल विभाग के तहत एक अधिकृत चैनल पार्टनर के साथ समझौता ज्ञापन करने की जरूरत बताई गई थी, ताकि दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में सुचारू रूप से दवाओं की खरीद सुनिश्चित की जा सके।

पंकज कुमार सिंह ने बुधवार को कहा कि हम दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकारी अस्पतालों में दवाओं की खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इस कदम से मरीजों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिल सकेंगी।

दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले छह अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने की मंजूरी मिल गई है। जल्द ही अन्य अस्पतालों में भी नई नीति के तहत जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे। इस नई नीति के तहत सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि अस्पताल अपनी दवाओं की आवश्यकताओं की सूची तैयार करें और जन औषधि केंद्रों से सीधे दवा खरीदने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करें।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली की सरकार मरीजों के हितों के साथ के लिए कोई भी समझौता नहीं करेगी और सरकारी अस्पतालों में निजी अस्पतालों की तरह सुविधा देने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।

0Shares

पत्रकारिता में सजग और जागरूक रहना जरूरी : राज्यपाल

जयपुर:  राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि पत्रकारिता में सजग और जागरूक रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में शब्द की संस्कृति जुड़ी होती है। इसे फिजूल में बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने पत्रकारिता के स्वस्थ मूल्यों के लिए कार्य करने का आह्वान किया।

राज्यपाल बागडे बुधवार को लोकमत समाचार समूह द्वारा आयोजित वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी और लोकमत के संस्थापक स्व. जवाहर लाल दरड़ा स्मृति लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार वितरण समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्व. जवाहर लाल दरड़ा से जुड़ी पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों से जुड़ी यादें साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी विचारधारा के लिए नहीं लोगों के हित में, उनके लिए समाचार पत्र निकाला।

राज्यपाल ने कहा कि देश में संविधान निर्माण की शुरुआत अखंड हिंदुस्तान की सोच के साथ हुई थी। आजादी के बाद 26 नवंबर को राष्ट्रपति को जब संविधान सुपुर्द किया तब उसमें भारतीय संस्कृति से जुड़े 22 भागों के चित्र भी थे। पहला चित्र हड़प्पा से जुड़ा था। संविधान के चित्र बनाने वालों में जयपुर के कृपाल सिंह शेखावत भी थे।

विधान सभा अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी ने आजादी आंदोलन में पत्रकारिता की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्र हित में पत्रकारिता का विकास हो। उन्होंने कहा कि आज भी अच्छे पत्रकारों की समाज को जरूरत हैं। उन्होंने राजनीति और पत्रकारिता के संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि हर पक्ष सही दिशा में चले। “राष्ट्र प्रथम” की सोच के साथ पत्रकारिता आगे बढ़े। मूल्यों से जुड़ी रहेगी तभी पत्रकारिता दीर्घ समय तक जीवंतता बनाए रख सकेगी। उन्होंने अच्छे समाचारों, सकारात्मक सोच को आगे बढ़ाते हुए पत्रकारिता के स्वस्थ मूल्यों के लिए कार्य करने का आह्वान किया।

नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारिता के व्यावसायिकताकरण के साथ इसका स्तर गिरता चला गया। उन्होंने पत्रकारिता के जीवन मूल्यों पर कार्य करने पर जोर दिया।

लोकमत समूह के अध्यक्ष विजय दरड़ा ने कहा कि लोकमत समूह के संस्थापक स्व. जवाहर लाल दरड़ा प्रखर पत्रकार थे, इसलिए उनके नाम से पुरस्कार की पहल की गई। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता पुरस्कार के लिए चयन की ज्यूरी पत्रकारों की ही रहती है। उन्होंने निष्पक्ष पत्रकारिता को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि बाबूजी ने कभी अपने संपादकीय में लिखा था कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही पर्याप्त नहीं है, जब तक गरीबी, भूख, शिक्षा और सांप्रदायिकता के संकट रहेंगे तब तक पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मानी जा सकती। उन्होंने राज्यपाल के आदर्श व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा कि ईमानदारी और समय पाबंदी के साथ वह अनुशासन प्रिय राजनीतिज्ञ हैं।

लोकमत मीडिया के प्रधान संपादक और महाराष्ट्र के पूर्व उद्योग और शिक्षा मंत्री राजेंद्र दरड़ा ने लोकमत समाचार पत्र समूह की यात्रा और तेजी से हो रहे विस्तार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने लोकमत समूह के संस्थापक स्व जवाहर लाल दरड़ा के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि लोकमत स्वस्थ पत्रकारिता के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है।

उन्होंने राज्यपाल बागडे़ को किसान और आम जन का हितैषी बताते हुए कहा की महाराष्ट्र में प्यार से उन्हें नाना कहा जाता है। वह जमीन से जुड़े शुचिता वाले राजनीतिज्ञ हैं।

इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही ने बीज वक्तव्य में कहा कि पत्रकारिता तेजी से बदल रही है। उन्होंने कहा कि इस समय पीत पत्रकारिता का दौर चल रहा है। उन्होंने नगाड़ा और तूती पत्रकारिता की चर्चा करते हुए पत्रकारिता चुनौतियों के आलोक में मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया गठित करने की प्रस्तावना की।

समारोह में राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद छाबड़ा को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में पुस्तकों की बड़ी भूमिका रही है। पत्रकारिता का मूल मंत्र भी पढ़ना, पढ़ना और पढ़ना हैं। इस अवसर पर लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार ज्यूरी के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार गुलाब बत्रा और आनंद चौधरी सहित पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों को विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया।

0Shares

चारधाम यात्रा के लिए तैयारियां तेज, इस बार दस दिन पहले शुरू हो रही यात्रा

देहरादून:  पिछले वर्ष की तुलना में इस बार दस दिन पहले यानी 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। सरकार चारधाम यात्रा के लिए हर स्तर पर तैयारी में जुटी हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुखवा और हर्षिल आने के बाद से यात्रा को लेकर जबरदस्त माहौल बना हुआ है। यात्रा को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु के पंजीकरण करा रहे हैं। ऐसे में सरकार भीड़ प्रबंधन को भी ध्यान में रखते हुए तैयारी कर रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार चारधाम यात्रा की तैयारी में जुटी हुई है। उत्तराखंड की यात्रा व्यवस्था ने देश-विदेश के श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है और उनका भरोसा बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने चारधाम यात्रा का भरपूर प्रमोशन किया है। हम यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए संकल्पबद्ध हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के मां गंगा के शीतकालीन गद्दी स्थल मुखवा और पर्यटन स्थल हर्षिल के दौरे से यात्रा के लिए जबरदस्त माहौल तैयार हुआ है। प्रधानमंत्री छह मार्च को उत्तराखंड आए थे। ऐसा पहली बार हुआ, जब चारधाम यात्रा शुरू होने से कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री का उत्तराखंड आना हुआ। भले ही औपचारिक कार्यक्रम शीतकालीन यात्रा को लेकर था, लेकिन प्रधानमंत्री ने चार धाम यात्रा की भी भरपूर ब्रांडिंग की। देश को यह तक बतलाया कि पिछले दस वर्षों में चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कितना बड़ा अंतर आ गया है।

इस बार ज्यादा दिन चलेगी चारधाम यात्रा

वर्ष 2024 में चार धाम यात्रा का शुभारंभ दस मई को हुआ था। इस बार इसकी शुरुआत 30 अप्रैल से हो रही है। वर्ष 2023 में यात्रा 22 अप्रैल को शुरू हो गई थी और रिकॉर्ड 56,18497 यात्री उत्तराखंड पहुंचे थे। वर्ष 2024 में कम दिन मिलने और प्राकृतिक आपदा की घटनाओं के बावजूद यात्री संख्या के आंकडे़ ने सबको चौंका दिया था। उस वर्ष यात्रा में कुल 48,04215 यात्री उत्तराखंड पहुंचे थे।

कब कहां के कपाट खुलेंगे

– 30 अप्रैल को गंगोत्री-यमुनोत्री धाम

– 02 मई को केदारनाथ धाम

– 04 मई को बदरीनाथ धाम

0Shares

ईद से पहले भाजपा गरीब मुस्लिम परिवार को देगी “सौगात-ए-मोदी” का उपहार

नई दिल्ली:  भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा ईद से पहले देश भर में 32 लाख वंचित मुसलमानों को विशेष किट वितरित करने के उद्देश्य से अपना “सौगात-ए-मोदी” अभियान शुरू करने जा रहा है।

मंगलवार को दिल्ली के निजामुद्दीन से शुरू होने जा रही इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गरीब मुस्लिम परिवार बिना किसी कठिनाई के त्योहार मना सकें। अभियान के तहत, 32,000 अल्पसंख्यक मोर्चा कार्यकर्ता जरूरतमंदों तक पहुंचने के लिए देश भर की 32,000 मस्जिदों के साथ सहयोग करेंगे।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने मीडिया को बताया कि रमजान के पवित्र महीने और ईद, गुड फ्राइडे, ईस्टर, नौरोज़ और भारतीय नववर्ष जैसे आगामी अवसरों पर अल्पसंख्यक मोर्चा “सौगात-ए-मोदी” अभियान के माध्यम से जरूरतमंद लोगों तक पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर ईद मिलन समारोह भी आयोजित किए जाएंगे।

सौगात-ए-मोदी’ ईद किट पर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी का विकास एजेंडा कभी भी वोटों के लिए नहीं रहा है। पिछले ग्यारह सालों में उन्होंने समाज के आखिरी पायदान पर खड़े लोगों के जीवन में खुशहाली लाने का काम किया है। विकास के मामले में उन्होंने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। यहां तक ​​कि जो लोग मोदी को वोट देने से कतराते हैं, वे भी इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि उन्होंने अपने वादे पूरे किए हैं।

सौगात-ए-मोदी किट के जरिए गरीब मुसलमानों को जरूरी सामान मुहैया कराया जाएगा। इस किट में सेवइयां, आटा, खजूर, ड्राई फ्रूट्स और चीनी जैसे खाने के सामान के साथ कपड़े भी होंगे।

0Shares

राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक पेश

नई दिल्ली:  गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक-2024 पेश किया। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है।

विधेयक का उद्देश्य आपदा की स्थिति में होने वाली जनहानि को शून्य करना है। विधेयक में केन्द्र, राज्य और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन से जुड़ी भूमिका और कार्य में एकरूपता लाने का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से आपदा प्रबंधन की क्षमता लगातार बढ़ी है और इससे होने वाले नुकसान में काफी कमी आई है।

आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 को पिछले साल 01 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन करता है। अधिनियम में एनडीएमए और एसडीएमए को उनके कार्यों के निष्पादन में सहायता करने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यकारी समिति और एक राज्य कार्यकारी समिति के गठन का प्रावधान है।

0Shares

नई दिल्ली, 24 मार्च (हि.स.)। केंद्र सरकार ने संसद सदस्यों के वेतन, दैनिक भत्ते, पेंशन और अतिरिक्त पेंशन में बढ़ा दी है। साेमवार काे इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से गजट नाेटिफिकेशन जारी की दिया गया। इसके तहत सांसदों को प्रतिमाह एक लाख रुपये के स्थान पर अब 1.24 लाख रुपये का वेतन मिलेगा। यह वृद्धि 1 अप्रैल 2023 से लागू हाेगी।

संसदीय कार्य मंत्रालय के एडिशन सचिव डाॅ सत्य प्रकाश की ओर से जारी गजट नाेटिफिकेशन के अनुसार 1 अप्रैल 2023 से लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों का वेतन 1 लाख रुपये से बढ़कर 1.24 लाख रुपये प्रति माह कर दिया गया है। इसके अलावा दैनिक भत्ता भी दाे हजार रुपये से बढ़कर ढाई हजार रुपये कर गया है। इसके साथ ही पूर्व सांसदों की पेंशन को 25 हजार से बढ़ाकर 31 हजार रुपये किया गया है। इसके अलावा 5 वर्ष के अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष की सेवा के लिए ढाई हजार रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त मिलेंगे। पहले यह दाे हजार रुपये थी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सांसदों के वेतन और भत्तों में बदलाव अप्रैल 2018 में किया गया था।

0Shares

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में 23 मार्च वह तारीख है, जो दुख, गर्व और गुस्सा, तीनों तरह की भावना पैदा करती है। दुख, क्योंकि इसी रोज देश ने अपने तीन वीर सपूतों को खो दिया था। गर्व इसलिए, क्योंकि तीनों ने हंसते-हंसते भारत के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। गुस्सा इसलिए, क्योंकि यह तारीख याद दिलाती है कि ब्रितानी हुकूमत ने हम भारतीयों पर कितने अत्याचार किए। जिन वीरों की शहादत की स्मृति में कृतज्ञ राष्ट्र 23 मार्च को शहीद दिवस मनाता है, उनके नाम हैं- भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु। वैसे तो भारत की मिट्टी ने ऐसे अनगिनत जांबाज पैदा किए हैं, जिन्होंने निस्वार्थ अपना सब कुछ देश पर कुर्बान कर दिया। इसी शहादत को याद दिलाने वाली तारीख है 23 मार्च 1931 की। अंग्रेजों ने युवा भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी थी।

इस शहादत पर जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’ ने ‘शहीदों की चिताओं पर’ शीर्षक से एक कविता लिखी थी-उसकी पंक्तियों में प्रमुख है-शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरनेवालों का यही बाकी निशां होगा/कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे/जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा। 12 नवंबर 1885 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में जन्मे ‘हितैषी’ द्विवेदी युग के प्रमुख कवि और सवैयों के बादशाह के रूप में लोकप्रिय हैं।

भगत सिंह सिर्फ 23 साल की आयु में देश की आजादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारी आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा हैं। उनके क्रांतिकारी विचार आज भी रग-रग में जोश भर देते हैं। वे कहते थे- ”बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की मशाल विचारों से जलती है।” सुखदेव थापर भी लाहौर षड्यंत्र केस के प्रमुख क्रांतिकारी हैं। उन्होंने न केवल आंदोलन को संगठित किया, बल्कि भारत के युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाई। राजगुरु वीर योद्धा हैं। वह अंग्रेजों के खिलाफ हर मोर्चे पर डटे रहे। उन्होंने साबित किया कि ”मातृभूमि की सेवा सबसे बड़ा धर्म है।’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में यह तीन नाम स्वर्णिम पन्नों में दर्ज हैं।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1956ः दुनिया का पहला इस्लामिक गणतंत्र देश बना पाकिस्तान।

1965: पहली बार अंतरिक्ष यान जेमिनी-3 से नासा ने दो व्यक्तियों को अंतरिक्ष में भेजा।

1995ः रैनटो रूगीएरो विश्व व्यापार संगठन के पहले महानिदेशक नियुक्त। 1995ः भारत के विश्वनाथन आनंद ने प्रोफेशनल चेस एसोसिएशन कैंडीडेट्स के फाइनल शृंखला को जीता।

1996: ताइवान में पहली बार प्रत्यक्ष राष्ट्रपति चुनाव हुआ। इसमें ली तेंग हुई जीते।

1999ः पराग्वे के उपराष्ट्रपति पुई मारिया अरगाना की हत्या।

2001ः रूसी अंतरिक्ष स्टेशन मीर की जल समाधि।

2003ः दक्षिण अफ्रीका में वाडरर्स में विश्व कप क्रिकेट के फाइनल में आस्ट्रेलिया ने भारत को 125 रनों से हराकर विश्व कप पर कब्जा बरकरार रखा।

2006ः आस्ट्रेलिया ने तस्करी के आरोप में उत्तरी कोरिया के जहाज पोंस गू को डुबोया।

2007ः भारत विश्वकप क्रिकेट में श्रीलंका से हारा।

2008ः भारत ने जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल अग्नि-1 का सफल परीक्षण किया।

2008ः अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों राबर्ट वेनकेन और साइक फ़ोरमैन ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की मरम्मत के लिए अंतिम स्पेसवॉक किया। 2008ः नासा ने पृथ्वी से 7.5 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर हुए एक अंतरिक्ष विस्फोट को देखा।

जन्म

1614ः मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज महल की सबसे बड़ी पुत्री जहांआरा।

1880ः भारत की स्वतंत्रता सेनानी बसंती देवी।

1910ः प्रखर समाजवादी चिंतक डॉ. राममनोहर लोहिया।

1976ः पूर्व टेलीविजन अभिनेत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता स्मृति ईरानी।

1987ः भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रानौत।

निधन

1965ः भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सुहासिनी गांगुली।

1992ः भारत के पांचवें लोकसभा अध्यक्ष गुरदयाल सिंह ढिल्‍लों।

महत्वपूर्ण दिवस

-विश्व मौसम विज्ञान दिवस।

-शहीद दिवस। इसे भारत में हर साल भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की पुण्य स्मृति में मनाया जाता है। 23 मार्च 1931 को तीनों को अंग्रेजी हुकूमत ने लाहौर षड्यंत्र के आरोप में फांसी पर लटका दिया था।)

0Shares

नई दिल्ली, 22 मार्च (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हिन्दी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। शुक्ल छत्तीसगढ़ के पहले लेखक हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

भारतीय ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने शनिवार को एक बयान में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह पुरस्कार भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य रचने वाले रचनाकारों को प्रदान किया जाता है। इस सम्मान के अंतर्गत 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।

उन्होंने बताया कि सुप्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुई प्रवर परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि वर्ष 2024 के लिए 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रतिष्ठित हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को प्रदान किया जाएगा। बैठक में चयन समिति के अन्य सदस्य माधव कौशिक, दामोदर मावजी, प्रभा वर्मा, डॉ अनामिका, डॉ. ए. कृष्णा राव, प्रफ्फुल शिलेदार, डॉ जानकी प्रसाद शर्मा और ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनन्द शामिल थे। यह सम्मान उन्हें हिंदी साहित्य में उनके अद्वितीय योगदान, सृजनात्मकता और विशिष्ट लेखन शैली के लिए प्रदान किया जा रहा है। यह हिन्दी के 12वें साहित्यकार है जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है।

विनोद कुमार शुक्ल (जन्म 01 जनवरी 1937) हिंदी शाहित्य के एक प्रतिष्ठित लेखक, कवि और उपन्यासकार हैं। उनका लेखन सरल भाषा, गहरी संवेदनशीलता और अद्वितीय शैली के लिए जाना जाता है। वे मुख्य रूप से आधुनिक हिंदी साहित्य में प्रयोगधमी लेखन के लिए प्रसिद्ध हैं। विनोद कुमार शुक्ल की पहली कविता पुस्तिका वर्ष 1971 में लगभग जयहिंद’ शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। उनके प्रमुख उपन्यासों में नौकर की कमीज, दीवार में एक खिड़की रहती थी, और खिलेगा तो देखेंगे शामिल है। उनकी कविताएं और कहानियां आम जीवन की बारीकियों को सहज भाषा में प्रस्तुत करती हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और अन्य प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया है। उनका लेखन आम आदमी की भावनाओं, उसकी रोजमर्रा की जिंदगी और समाज की जटिलताओं को खूबसूरती से व्यक्त करता है।

हिंदी साहित्य प्रेमियों और सपूर्ण साहित्य जगत के लिए यह हर्ष और गर्व का विषय है कि विनोद कुमार शुक्ल को यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है। यह पुरस्कार उनकी साहित्यिक साधना और सृजनशीलता का सम्मान है जिससे हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयां मिली है।

0Shares

पश्चिमी सिंहभूम, 22 मार्च (हि.स.)। पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) में नक्सलियों की ओर से पूर्व से लगाये गए आईईडी की चपेट में आने से सीआरपीएफ 193 बटालियन के एसआई गंभीर रूप से जख्मी हो गया, जिसने रांची में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। वहीं एक अन्य जवान घायल हुआ है, जिसका इलाज चल रहा है।

नक्सलियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के दौरान शनिवार को छोटानागरा थाना क्षेत्र स्थित वनग्राम मरांगपोंगा में आईईडी के चपेट में सुरक्षाबल आ गए। सुरक्षा बलों को लक्षित करने के उद्देश्य से नक्सलियोंकी ओर से पूर्व में लगाये आईईडी को विस्फोट किया गया। इसकी चपेट में आने से सीआरपीएफ 193 बटालियन के एसआई सुनील कुमार मंडल एवं एचसी पार्थ प्रतिम डे जख्मी हो गये। प्राथमिक उपचार के बाद दोनो को हेलीकाप्टर से एयरलिप्ट कर रांची भेजा गया। रांची राज अस्पताल में इलाज के दौरान एसआई शहीद हो गए। इसकी पुष्टि आईजी अभियान एवी होमकर ने की है।

0Shares

नई दिल्ली, 22 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथी तत्वों द्वारा हिन्दू समाज विशेष रूप से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ बढ़ती हिंसा और लक्षित उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही संघ ने वैश्विक समुदाय से हिन्दू समाज के साथ एकजुटता से खड़े रहने और निर्णायक कार्रवाई का आग्रह किया है।

संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बेंगलुरु के चन्नेनहल्ली स्थित जनसेवा विद्या केंद्र में चल रही है। बैठक के दूसरे दिन शनिवार को सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्तावों पर मीडिया को जानकारी दी। इस दौरान उनके साथ अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर भी मौजूद थे। सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सराहनीय कदम उठाए हैं। बांग्लादेश सरकार के साथ कूटनीतिक प्रयास भी किए हैं और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन अगर अत्याचार जारी रहा या बढ़ा तो आगे और कार्रवाई की आवश्यकता हो सकती है।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता से खड़े रहने का आह्वान शीर्षक वाले प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि संघ बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथी तत्वों के हाथों हिन्दू समाज विशेष रूप से अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति पर बढ़ती हिंसा, उत्पीड़न और लक्षित उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त करता है। बांग्लादेश की स्थिति पर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्ताव में धार्मिक संस्थानों पर व्यवस्थित हमलों, क्रूर हत्याओं, जबरन धर्मांतरण और हिन्दुओं की संपत्तियों को नष्ट करने का आह्वान किया गया। बयान में कहा गया कि हिंसा के चक्र ने बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय के लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर दिया है। प्रतिनिधि सभा के प्रस्ताव में धार्मिक असहिष्णुता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के इन कृत्यों की कड़ी निंदा की गई है और वैश्विक समुदाय से निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।

अरुण कुमार ने कहा कि मठ-मंदिरों पर हमले, देवी-देवताओं की अपवित्रता, संपत्तियों की लूट और जबरन धर्म परिवर्तन निंदनीय है, लेकिन संस्थागत उदासीनता और सरकारी निष्क्रियता के कारण इन अपराधों के अपराधियों का हौसला बढ़ गया है। उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दू आबादी में लगातार हो रही गिरावट पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1951 में 22 प्रतिशत से आज सिर्फ़ 7.95 प्रतिशत रह गई है। यह इस संकट की गंभीरता को दर्शाता है। हिन्दुओं का ऐतिहासिक उत्पीड़न, खास तौर पर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के बीच एक सतत मुद्दा बना हुआ है। हालांकि, पिछले साल संगठित हिंसा का स्तर और सरकार की निष्क्रिय प्रतिक्रिया बेहद चिंताजनक है।

अरुण कुमार ने कहा कि प्रतिनिधि सभा बांग्लादेश में बढ़ती भारत विरोधी बयानबाजी के बारे में भी चिंता जताती है, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से गहरे संबंधों को प्रभावित करने का खतरा पैदा करती है। प्रस्ताव में पाकिस्तान और डीप-स्टेट तत्वों सहित अंतरराष्ट्रीय ताकतों के हस्तक्षेप की चेतावनी दी गई है, जो सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देकर और अविश्वास को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र को अस्थिर करना चाहते हैं। प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत और उसके पड़ोसी देश एक समान सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत साझा करते हैं और क्षेत्र के एक हिस्से में किसी भी तरह का सांप्रदायिक विवाद पूरे उपमहाद्वीप को प्रभावित करता है।

परिसीमन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जो लोग इस मुद्दे को उठा रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि क्या उनका कोई राजनीतिक एजेंडा है या वे वाकई जन कल्याण के बारे में सोच रहे हैं। अरुण कुमार ने नए भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर भाजपा और संघ के बीच किसी भी तरह के मतभेद से इनकार किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ भाजपा के अंदरुनी मामलों पर चर्चा नहीं करता और भाजपा और संघ के बीच कोई मतभेद नहीं है। भाषा विवाद को लेकर अरुण कुमार ने राष्ट्रीय एकता में संघ की आस्था पर जोर दिया। उन्होंने कहा संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से लिखा है ‘हम भारत के लोग’, जिसका अर्थ है कि धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। काम करते समय सभी को यही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने बताया कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दौरान संगठनात्मक कार्यों के विश्लेषण, विकास, प्रभाव और समाज में परिवर्तन पर चर्चा की गई। उन्होंने मीडिया को संघ की यात्रा के बारे में जानकारी दी और एक शाखा से लेकर पूरे देश में इसके क्रमिक विस्तार का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य ‘सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी’ होना है, जो समाज और राष्ट्र के सभी पहलुओं को छूता है। संघ आज देश के सुदूर और आदिवासी इलाकों में काम करता है। उदाहरण के लिए ओडिशा के कोरापुट और बलांगीर के आदिवासी इलाकों में 1031 शाखाएं हैं, जिनमें इन समुदायों के कार्यकर्ता शामिल हैं। संघ परामर्श और आपसी सहमति से काम करता है और समाज के विभिन्न हितधारकों के साथ हजारों बैठकें आयोजित की जाती हैं।

पिछले वर्ष के दौरान महिला सशक्तीकरण पर किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 1.5 लाख पुरुष और महिला हस्तियों से संपर्क किया गया और उनके साथ बातचीत आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर देशभर में लोकमाता अहिल्याबाई के योगदान को उजागर करने के लिए 22,000 कार्यक्रम और शिखर सम्मेलन आयोजित किए गए, जिनमें सभी वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया। इसी उत्सव के तहत महिलाओं की भागीदारी और समाज में उनके योगदान को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस संबंध में वर्षभर में 472 महिला-केंद्रित एक दिवसीय शिखर सम्मेलन आयोजित किए गए, जिनमें 5.75 लाख महिलाओं ने भाग लिया।

संघ हर उस समस्या के समाधान की दिशा में काम करता है जो सामने आती है। उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में ऐसे दिव्यांग बच्चे थे, जिनकी उपेक्षा की गई थी और उनके पास सामान्य जीवन जीने के लिए कोई रास्ता नहीं था। संघ कार्यकर्ताओं ने ऐसे बच्चों की पहचान की और न केवल उनके लिए चिकित्सा सहायता की व्यवस्था की, बल्कि सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आजीविका के विभिन्न साधन भी मुहैया कराए। उन्होंने कहा कि संघ कार्य के विस्तार का मतलब संघ की संख्यात्मक ताकत में वृद्धि नहीं है, बल्कि यह समाज की सकारात्मक ताकत में वृद्धि को दर्शाता है।

0Shares